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भारतीय राजनीति

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद

  • 04 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

क्षेत्रीय परिषद, साइबर सेफ वुमेन कार्ययोजना

मेन्स के लिये:

केंद्र राज्य संबंधों में क्षेत्रीय परिषदों का महत्त्व

चर्चा में क्यों ?

जनवरी 2020 में केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद (Western Zonal Council) की 25वीं बैठक का आयोजन महाराष्ट्र में किया जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस बैठक में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा रहेगा।

मुख्य बिंदु:

  • गृह मंत्रालय के अंतर्राज्यीय परिषद सचिवालय (Inter-State Council Secretariat) के तत्त्वावधान में कार्य करने वाली पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद में गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव तथा दादरा और नगर हवेली शामिल हैं।
  • इस बैठक की मेज़बानी महाराष्ट्र द्वारा की जाएगी। महाराष्ट्र इस बैठक में महिलाओं के लिये सुरक्षित इंटरनेट उपयोग की एक कार्ययोजना प्रस्तुत करेगा।
  • महाराष्ट्र सरकार ने इस कार्ययोजना में अपनी सहभागिता दर्ज़ करने के लिये सभी लोगों का आह्वान किया है ताकि साइबर सेफ वुमेन (Cyber Safe Women) नामक इस कार्ययोजना को सफल बनाया जा सके।
  • इस कार्ययोजना के माध्यम से साइबर बुलिंग (इंटरनेट के माध्यम से उत्पीड़न करना), साइबर फ्रॉड (इंटरनेट द्वारा धोखाधड़ी करना), इंटरनेट चाइल्ड पोर्नोग्राफी तथा अन्य इंटरनेट से संबंधित अपराधों के प्रति महिलाओं तथा समाज के अन्य वर्गों में जागरूकता फैलाने में सहायता की जाएगी।
  • इससे पूर्व गोवा में आयोजित पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 24वीं बैठक में महिला यौन अपराधों की शीघ्र जाँच हेतु महाराष्ट्र को एक कार्ययोजना विकसित करने का सुझाव दिया गया था।

क्षेत्रीय परिषदें :

  • सभी राज्‍यों के बीच और केंद्र एवं राज्‍यों के बीच मिलकर काम करने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्‍य से राज्‍य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganisation Act), 1956 के अंतर्गत क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया था।
  • क्षेत्रीय परिषदों को यह अधिकार दिया गया कि वे आर्थिक और सामाजिक योजना के क्षेत्र में आपसी हित से जुड़े किसी भी मसले पर विचार-विमर्श करें और सिफारिशें दें।
  • क्षेत्रीय परिषदें आर्थिक और सामाजिक आयोजना, भाषायी अल्‍पसंख्‍यकों, अंतर्राज्‍यीय परिवहन जैसे साझा हित के मुद्दों के बारे में केंद्र और राज्‍य सरकारों को सलाह दे सकती हैं।

पाँच क्षेत्रीय परिषदें :

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग-।।। के तहत पाँच क्षेत्रीय परिषदें स्थापित की गई। पूर्वोत्तर राज्य अर्थात् (i) असम (ii) अरुणाचल प्रदेश (iii) मणिपुर (iv) त्रिपुरा (v) मिज़ोरम (vi) मेघालय और (vii) नगालैंड को आंचलिक परिषदों में शामिल नहीं किया गया और उनकी विशेष समस्याओं को पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम (North Eastern Council Act), 1971 के तहत वर्ष 1972 में गठित पूर्वोत्तर परिषद द्वारा हल किया जाता है। "सिक्किम राज्य को दिनांक 23 दिसंबर, 2002 में अधिसूचित पूर्वोत्तर परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2002 के तहत पूर्वोत्तर परिषद में भी शामिल किया गया है। इसके परिणामस्वरूप सिक्किम को पूर्वी आंचलिक परिषद के सदस्य के रूप में हटाए जाने के लिये गृह मंत्रालय द्वारा कार्रवाई शुरु की गई है।" इन क्षेत्रीय परिषदों का वर्तमान गठन निम्नवत है:

  • उत्तरी क्षेत्रीय परिषद: इसमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान राज्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख शामिल हैं।
  • मध्य क्षेत्रीय परिषद: इसमें छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।
  • पूर्वी क्षेत्रीय परिषद: इसमें बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं।
  • पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद: इसमें गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र राज्य और संघ राज्य क्षेत्र दमन-दीव और दादरा और नगर हवेली शामिल है।
  • दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद: इसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, राज्य और संघ राज्य क्षेत्र पुद्दुचेरी शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू

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