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शासन व्यवस्था

स्वास्थ्य सूचनाओं के लिये एकीकृत प्लेटफॉर्म

  • 08 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म (Integrated Health Information Platform- IHIP) की शुरुआत की जो वर्तमान में इस्तेमाल किये जा रहे एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme) की अगली पीढ़ी का अत्यधिक परिष्कृत संस्करण है।

  • IHIP एक उन्नत रोग निगरानी प्रणाली है।

प्रमुख बिंदु

एकीकृत प्लेटफॉर्म के विषय में:

  • यह पहले की 18 बीमारियों की तुलना में 33 रोगों की निगरानी के अलावा डिजिटल मोड में निकट वास्तविक समय के डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा। 
  • यह रियल टाइम डेटा, केस-आधारित जानकारी, एकीकृत विश्लेषणात्मक और उन्नत दृश्य क्षमता के लिये विकसित स्वास्थ्य सूचना प्रणाली प्रदान करेगा।।
  • इसके  तहत रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराया जाएगा:
    • ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मी अपने गैजेट (टैबलेट) के माध्यम से वास्तविक समय में डेटा प्रदान करेंगे। 
    • स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों (प्राथमिक हेल्थ केयर सेंटर/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/ज़िला अस्पताल) में नागरिकों द्वारा मांग किये जाने पर डॉक्टरों द्वारा उनका डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। 
    • नैदानिक परीक्षण प्रयोगशालाएँ भी अपने यहाँ की गई जाँचों का डेटा प्रदान करेंगी। 
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से गाँवों, राज्यों और केंद्र सभी स्तरों पर वास्तविक समय की डेटा रिपोर्टिंग।
    • उन्नत डेटा प्रतिरूपण और विश्लेषणात्मक उपकरण।
    • भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) ने एकीकृत डैशबोर्ड में चित्रात्मक डेटा को सक्षम किया।
    • भूमिका और पदानुक्रम-आधारित प्रतिक्रिया और चेतावनी तंत्र।
    • स्वास्थ्य सुविधाओं की रिपोर्टिंग की जियो-टैगिंग।
    • अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ डेटा एकीकरण की गुंज़ाइश।

महत्त्व:

  • प्रामाणिक आँकड़ों का संग्रहण आसान हो जाएगा क्योंकि इनका संग्रहण सीधे गाँव/ब्लॉक स्तर से किया जाता है।
  • देश के छोटे-से-छोटे गाँवों और ब्लॉकों में फैली बीमारी के शुरुआती लक्षणों के विषय में बताने के लिये इस तरह का एक उन्नत डिजिटल प्लेटफॉर्म किसी भी संभावित प्रकोप या महामारी से शुरुआत में ही निपटने में सहायता करेगा। 
  • यह राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (National Digital Health Mission) के साथ ताल-मेल पर आधारित है।
    • NDHM का उद्देश्य देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य ढाँचे के लिये आवश्यक आधार विकसित करना है।
  • बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ‘हर बार सही आबादी के लिये, सही समय पर उचित हस्तक्षेप हेतु’ भारत की सूचना प्रणाली को मज़बूती प्रदान करना आवश्यक है।
    • हाल के वर्षों में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सटीकता बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग में लगातार वृद्धि हुई है। इसमें रोगजनक जीनोमिक्स, निगरानी से संबंधित सूचना विज्ञान का विकास और लक्षित हस्तक्षेप शामिल हैं।
  • इसके कार्यान्वयन के साथ भारत प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल में आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
  • यह परिष्कृत डिजिटल निगरानी मंच डेटा प्रदान करने के साथ-साथ डेटा को कनेक्ट करने और ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण की ओर बढ़ने में सहायता करेगा।
    • ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण कार्यक्रमों, नीतियों, कानूनों आदि के निर्माण तथा उन्हें कार्यान्वित करने से संबंधित है, इसके तहत विभिन्न क्षेत्र बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों की प्राप्ति हेतु एक साथ संवाद तथा काम करते हैं।

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम

  • यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक पहल है जिसकी शुरुआत वर्ष 2004 में विश्व बैंक (World Bank) की सहायता से की गई थी।
  • इसे 12वीं योजना (वर्ष 2012-17) के दौरान घरेलू बजट से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के अंतर्गत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के रूप में जारी रखा गया था।
  • इसके अंतर्गत दिल्ली में एक केंद्रीय निगरानी इकाई (CSU), सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) में राज्य निगरानी इकाई (SSU) और सभी ज़िलों में ज़िला निगरानी इकाई (DSU) की स्थापना की गई है।
  • उद्देश्य:
    • रोग की प्रवृत्ति पर नज़र रखने के लिये महामारी प्रवण रोगों हेतु विकेंद्रीकृत प्रयोगशाला आधारित और आईटी सक्षम रोग निगरानी प्रणाली को मज़बूत करना।
    • रोग के प्रकोप का उसके शुरुआती चरण में ही प्रशिक्षित रैपिड रिस्पांस टीमों (Rapid Response Team) के माध्यम से पता लगा कर प्रतिक्रिया देना।
  • कार्यक्रम के घटक:
    • केंद्र, राज्य और ज़िला स्तर पर निगरानी इकाइयों की स्थापना के माध्यम से निगरानी गतिविधियों का एकीकरण और विकेंद्रीकरण करना।
    • मानव संसाधन विकास- रोगों की निगरानी हेतु राज्य और ज़िला निगरानी अधिकारियों तथा अन्य चिकित्सा एवं पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करना।
    • डेटा का संग्रहण, संकलन, विश्लेषण आदि के लिये सूचना संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ाना।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को मज़बूत बनाना।
    • ज़ूनोटिक रोगों के लिये अंतर क्षेत्रीय समन्वय।

स्रोत: पी.आई.बी.

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