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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत लॉन्च करेगा खुद का DNS

  • 23 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने तेज़ और सुरक्षित ब्राउज़िंग सुविधा प्रदान करने हेतु इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर (Domain Name Server-DNS) लॉन्च करने का प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि इस कदम से देश में इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं को अपना डेटा स्थानीय स्तर पर संग्रहीत करने की सुविधा मिल सकेगी।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर लाने का मुख्य उद्देश्य उन इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Interest Service Providers-ISP) के लिये डोमेन नेम सर्वर की उपलब्धता सुनिश्चित करना है जिनके पास विश्वसनीय डोमेन नेम सर्वर नहीं है। ध्यातव्य है कि छोटे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के पास आमतौर पर अपना विश्वसनीय सर्वर नहीं होता है।
  • सार्वजनिक डोमेन नेम सर्वर का कार्य राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (सरकार की प्रौद्योगिकी शाखा) द्वारा निष्पादित किया जाएगा जो अगले चार से छह महीनों में पूरा हो जाएगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Center-NIC) पहले से ही सरकारी नेटवर्क के भीतर सार्वजनिक DNS का उपयोग कर रहा है।
  • यह प्रणाली वेबसाइट में घुसपैठ और मालवेयर के प्रसार तथा मैलीसियस वेबसाइटों तक उपयोगकर्त्ताओं की पहुँच को रोकेगी।

‘डोमेन नेम’ क्या होता है?

  • डिजिटल युक्त इस दुनिया में आज इंटरनेट पर करोड़ों की संख्या में वेबसाइट्स मौज़ूद हैं। इन सभी वेबसाइट्स का अपना अद्वितीय नाम होता है जिसे डोमेन नेम कहते हैं। इसी डोमेन नेम का उपयोग करते हुए इंटरनेट उपयोगकर्त्ता किसी वेबसाइट तक पहुँचता है।

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  • ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) दुनिया के सभी डोमेन नेम को प्रबंधित करता है। ICANN एक गैर-लाभकारी निकाय है जो अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में स्थित है।
  • ICANN डोमेन नेम विक्रेता कंपनियों (गोडैडी, बिग रॉक) को अधिकार प्रदान करता है।

‘डोमेन नेम सर्वर’ क्या होता है?

  • DNS इंटरनेट के लिये किसी निर्देशिका की तरह है। डोमेन नेम सर्वर को डोमेन नेम सिस्टम या संक्षिप्त में DNS भी कहा जाता है।
  • DNS का मुख्य कार्य डोमेन नेम (किसी वेबसाइट का वेब एड्रेस) को IP एड्रेस में परिवर्तित करना होता है।

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  • जब हम किसी भी डोमेन नेम (Domain Name) को वेब ब्राउज़र (गूगल क्रोम, सफारी, मोज़िला) में टाइप करते हैं तो DNS उसको IP एड्रेस में परिवर्तित कर देता है।
  • ध्यातव्य है कि ऐसा इसलिये किया जाता है क्योंकि हम IP एड्रेस (गणितीय संख्या) की तुलना में शब्दों को ज़्यादा आसानी से याद रख सकते है।
  • उदहारण के तौर पर जब हम https://www.drishtiias.com को ब्राउज़र में टाइप करते हैं तो DNS इसे 198.15.40.180 में या ऐसे ही किसी मान्य IP एड्रेस में परिवर्तित कर देता है। 198.15.40.180 की तुलना में drishtiias.com को याद रखना आसान है।

स्रोत- हिंदू

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