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शासन व्यवस्था

भगोड़ा आर्थिक अपराधी

  • 25 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, प्रवर्तन निदेशालय, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (FIU-IND), मनी लॉन्ड्रिंग, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

मेन्स के लिये 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के प्रमुख प्रावधान, शक्तियाँ एवं प्रभाव तथा  इसमें  प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका

चर्चा में क्यों?

प्रवर्तन निदेशालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ₹8,441.50 करोड़ की संपत्ति हस्तांतरित की है, विजय माल्या, नीरव मोदी तथा मेहुल चौकसी  द्वारा कथित तौर पर की गई धोखाधड़ी के कारण ₹22,585.83 करोड़ का नुकसान हुआ है। 

  • इन तीनों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुंबई के विशेष न्यायालय द्वारा 'भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO)' घोषित किया गया है।
  • तीनों आरोपियों के खिलाफ यूनाइटेड किंगडम (UK), एंटीगुआ और बारबुडा में प्रत्यर्पण (Extradition) अनुरोध भी दायर किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018:

  • परिचय : यह उन आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों को ज़ब्त करने का प्रयास करता है, जिन्होंने आपराधिक मुकदमे का सामना करने से बचने के लिये देश छोड़ दिया है या अभियोजन का सामना करने के लिये देश लौटने से इनकार कर दिया है।
  • भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) : एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ अनुसूची में दर्ज किसी अपराध के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और इस अपराध का मूल्य कम-से-कम 100 करोड़ रुपए है।
  • अधिनियम में सूचीबद्ध कुछ अपराध हैं:
    • नकली सरकारी स्टाम्प या करेंसी बनाना, 
    • चेक अस्वीकृत करना
    • मनी लॉन्ड्रिंग
    • क्रेडिटर्स के साथ धोखाधड़ी वाले लेनदेन करना,

भगोड़े आर्थिक अपराधी की घोषणा:

  • आवेदन पर सुनवाई के बाद एक विशेष अदालत (PMLA, 2002 के तहत नामित) किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है।
  •  विशेष अदालत भारत या विदेश में अपराध की आय से खरीदी गई संपत्तियों, बेनामी संपत्तियों और अन्य संपत्तियों को ज़ब्त कर सकती है। 
  • ज़ब्त होने के पश्चात् संपत्ति के सभी अधिकार और शीर्षक केंद्र सरकार में निहित होंगे, जो किसी भी भार से मुक्त होंगे (जैसे कि संपत्ति पर कोई शुल्क)।
  • केंद्र सरकार इन संपत्तियों के प्रबंधन और निपटान के लिये एक प्रशासक नियुक्त कर सकती है।

सिविल दावे दायर करने या बचाव करने पर प्रतिबंध :

  • अधिनियम किसी भी सिविल कोर्ट या ट्रिब्यूनल को एक घोषित भगोड़े आर्थिक अपराधी को किसी भी नागरिक दावे को दाखिल करने या बचाव करने से प्रतिबंधित करने की अनुमति देता है।
  • इसके अतिरिक्त बिल अदालतों को अनुमति देता है कि वे किसी कंपनी या सीमित देयता भागीदारी का दावा करने या सफाई देने से प्रतिबंधित कर सकती हैं जिनके प्रमोटर, मुख्य प्रबंधन अधिकारी या मुख्य शेयर होल्डर को FEO घोषित किया गया है।  
  • जब तक आवेदन विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित है, अधिकारी किसी आरोपी की संपत्ति को अनंतिम रूप से कुर्क/नीलामी कर सकते हैं।

शक्तियाँ :

  • PMLA, 2002 के तहत प्राधिकरण भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत उन्हें दी गई शक्तियों का प्रयोग करेंगे।
  • ये शक्तियाँ एक सिविल कोर्ट के समान होंगी, जिसमें रिकॉर्ड या अपराध से आय प्राप्त वाले व्यक्तियों के परिसर की इस विश्वास के साथ तलाशी लेना कि एक व्यक्ति एक FEO है जिसमें दस्तावेज़ो की ज़ब्ती शामिल है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) :

  • मनी लॉन्ड्रिंग :
    • मनी लॉन्ड्रिंग का अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हों। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या ज़बरन वसूली जैसे अन्य गंभीर अपराधों का एक घटक है।  
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग का अनुमान विश्व जीडीपी के 2 से 5% के बीच है।

मुख्य विशेषताएँ :

  • मनी लॉन्ड्रिंग के लिये दंड:
    • मनी लॉन्ड्रिंग में न्यूनतम 3 वर्ष तथा अधिकतम 7 वर्ष का कठोर कारावास एवं जुर्माना हो सकता है।
    • यदि अपराध  नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट, 1985 के अंतर्गत शामिल है, तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सज़ा हो सकती है।
  • भ्रष्ट संपत्ति की कुर्की की शक्तियाँ:
    • भ्रष्ट संपत्ति को "अपराध की आय" माना जाता है और इसे 180 दिनों के लिये अस्थायी रूप से संलग्न किया जा सकता है। इस तरह के आदेश की पुष्टि एक स्वतंत्र न्यायनिर्णायक प्राधिकारी द्वारा की जानी चाहिये।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) PMLA के तहत अपराधों की जाँच के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसके अतिरिक्त फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (FIU-IND) राष्ट्रीय एजेंसी है जिसे संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, विश्लेषण और प्रसार के लिये स्थापित किया गया था।
  • सबूतों का भार : एक व्यक्ति, जिस पर मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध करने का आरोप है, को यह साबित करना होगा कि अपराध की कथित आय वास्तव में वैध संपत्ति है।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जाँच एजेंसी है।
  • इस निदेशालय की उत्पत्ति 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा '47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया। 
    • वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया 
  • ED निम्नलिखित कानूनों को लागू करता है:

स्रोत : द हिंदू

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