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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डिजिटल ओशन

  • 30 Dec 2020
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 'भारतीय राष्ट्रीय सागरीय सूचना प्रणाली केंद्र' (Indian National Centre for Ocean Information Services- INCOIS) द्वारा विकसित वेब आधारित एप्लीकेशन “डिजिटल ओशन” (DigitalOcean) की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु:

डिजिटल ओशन के विषय में:

  • महासागरीय आँकड़ों के प्रबंधन (Ocean Data Management) हेतु यह अपनी तरह का पहला डिजिटल प्लेटफॉर्म है।
  • यह एक ही स्थान पर सागर संबंधी आँकड़े उपलब्ध कराने वाला अपनी तरह का पहला प्लेटफॉर्म है।
  • इसमें भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में हुई त्वरित प्रगति को अपनाते हुए विभिन्न प्रकार के सागरीय आँकड़ों को व्यवस्थित और प्रदर्शित करने के लिये विकसित एप्लीकेशंस का एक समूह शामिल है।
  • यह समुद्र संबंधी विशेषताओं के मूल्यांकन के लिये डेटा एकीकरण, 3D एवं 4D (टाइम एनीमेशन के साथ 3D विस्तार) डेटा विज़ुअलाइज़ेशन और डेटा विश्लेषण हेतु एक ऑनलाइन संवादयुक्त वेब-आधारित परिवेश उपलब्ध कराता है।

महत्त्व:

  • डिजिटल ओशन प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया, यानी भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान संपन्न अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने की परिकल्पना की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • यह अनुसंधान संस्थानों, परिचालन संबंधी संस्थाओं, सामरिक उपयोगकर्त्ताओं, शैक्षणिक समुदायों, समुद्री उद्योग और नीति निर्माताओं समेत उपयोगकर्त्ताओं की एक विस्तृत श्रेणी के की जरूरत के सभी आँकड़ों के लिये एकमात्र स्थान (वन स्टॉप-सॉल्यूशन) के रूप में काम करेगा।
  • यह महासागरों के टिकाऊ प्रबंधन और सरकार की ‘ब्लू इकाॅनमी’ से जुड़े प्रयासों के विस्तार में केंद्रीय भूमिका निभाएगा।
  • इसे हिंद महासागर के किनारों पर बसे सभी देशों (Indian Ocean Rim countries) के लिये ओशन डेटा मैनेजमेंट में क्षमता निर्माण हेतु एक मंच के तौर पर बढ़ावा दिया जाएगा।

अन्य संबंधित पहल:

  • डीप ओशन मिशन
    • इसकी शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी
    • यह उद्देश्य गहरे महासागर का पता लगाना है।
    • यह मिशन गहरे समुद्र में खनन, समुद्री जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं, अंडरवाटर वाहनों और अंडरवाटर रोबोटिक्स से संबंधित तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • मिशन के तहत योजनाबद्ध दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं:
    • महत्त्व: यह भारत को केंद्रीय हिंद महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin- CIOB) में संसाधनों का दोहन करने में सक्षम बनाएगा।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS):

  • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences- MoES) के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • इसे वर्ष 1999 में हैदराबाद में स्थापित किया गया था।
  • यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (Earth System Science Organization (ESSO), नई दिल्ली की एक इकाई है।
    • ESSO अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के संचालन हेतु  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सहायक के रूप में कार्य करता है।
    • ईएसएसओ का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन विज्ञान और जलवायु सेवाओं से संबंधित पहलुओं को संबोधित करने सहित सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के लिये मौसम, जलवायु एवं आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता का विकास एवं इसमें सुधार करना है।
  • यह निरंतर महासागर अवलोकन, व्यवस्थित केंद्रित अनुसंधान  सुधार के माध्यम से उद्योग, सरकारी एजेंसियों और वैज्ञानिक समुदाय को महासागर संबंधी जानकारी और सर्वोत्तम संभव  एवं सलाहकार सेवाएंँ प्रदान करने के लिए अनिवार्य रूप से अधिदिष्ट है।
  • इसने विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों और उपकरणों को अपनाया और विकसित किया है जिनमें संभावित मत्स्य पालन क्षेत्र (Potential Fishing Zone- PFZ), समुद्री स्थिति का पूर्वानुमान (Ocean State Forecast- OSF), हाई वेव अलर्ट, सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी, तूफान पूर्वानुमान और तेल-रिसाव के संबंध में सलाह आदि शामिल हैं। 
  • यह राष्ट्रीय अर्गो डेटा केंद्र (National Argo Data Centre) और अंतर्राष्ट्रीय अर्गो प्रोग्राम (International Argo Programme) के क्षेत्रीय अर्गो डेटा सेंटर के रूप में अपनी सेवा प्रदान कर रहा है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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