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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 25 Jul, 2025
  • 7 min read
रैपिड फायर

बाल गंगाधर तिलक की जयंती

स्रोत: पी.आई.बी.

23 जुलाई, 2025 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई गई।

बाल गंगाधर तिलक

  • परिचय: 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जन्मे बाल गंगाधर तिलक को भारतीय अशांति के जनक के रूप में जाना जाता है।
    • लोकमान्य तिलक पूर्ण स्वतंत्रता या स्वराज्य (स्व-शासन) के सबसे प्रारंभिक एवं सबसे मुखर प्रस्तावकों में से एक थे।
    • तिलक ने लाला लाजपत राय तथा बिपिन चंद्र पाल के साथ मिलकर लाल-बाल-पाल की तिकड़ी (गरम दल/उग्रपंथी दल) का हिस्सा थे, जो अपनी उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा के लिये जानी जाती थी।
  • सूरत विभाजन (1907): वर्ष 1907 में सूरत में हुए विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress- INC) उग्रवादी और उदारवादी दल में विभाजित हो गई। 
    • मुख्य रूप से बॉम्बे प्रेसीडेंसी के उग्रवादियों ने अध्यक्ष पद के लिये तिलक या लाजपत राय का समर्थन किया, लेकिन रासबिहारी घोष के अध्यक्ष चुने जाने के बाद विभाजन हो गया।
  • शिक्षा में योगदान: तिलक डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के संस्थापक (वर्ष 1884) थे, इसके संस्थापक सदस्यों में गोपाल गणेश अगरकर और अन्य भी शामिल थे। इस सोसाइटी के माध्यम से तिलक ने वर्ष 1885 में पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • समाचार पत्र: केसरी (मराठी) और मराठा (अंग्रेज़ी)
  • पुस्तकें: गीता रहस्य, द ओरियन और आर्कटिक होम ऑफ द वेद

Tilak

और पढ़ें: बाल गंगाधर तिलक


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DHRUVA नीति

स्रोत: पीआईबी

डाक विभाग ने DHRUVA (डिजिटल हब फॉर रेफरेंस एवं यूनिक वर्चुअल एड्रेस) नीति की शुरुआत की है, जो एक भौगोलिक कोडयुक्त डिजिटल पता प्रणाली है, जिसका उद्देश्य भारत में शासन, लॉजिस्टिक्स और सेवा वितरण में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।

DHRUVA नीति

  • परिचय: यह एक अग्रणी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) पहल है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में पते की संरचना और प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है, जिसके तहत प्रत्येक घर को एक विशिष्ट डिजिटल पता प्रदान किया जाएगा।
    • एड्रेस-एज़-ए-सर्विस (AaaS) मॉडल पर आधारित यह प्रणाली भौगोलिक कोडयुक्त पते की जानकारी को सुरक्षित और सहमति-आधारित तरीके से साझा करने की सुविधा देती है तथा वह भी एक सुगम डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से।
    • यह पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है, जो स्वदेशी तकनीक और घरेलू नवाचार को बढ़ावा देती है।
  • उद्देश्य: यह ई-कॉमर्स, डाक और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में डिलीवरी लागत को कम कर सकता है तथा साथ ही टेलीकॉम, ब्रॉडबैंड एवं शहरी शासन में संसाधन योजना को बेहतर बना सकता है।
  • लेयर (Layers): यह प्रणाली दो प्रमुख लेयर से बनी है:
    • डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN): DIGIPIN एक 10-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड है, जो सटीक भौगोलिक स्थान (अक्षांश-देशांतर) को दर्शाता है। इसे पूरे भारत में 4x4 मीटर ग्रिड्स के आधार पर तैयार किया गया है।
      • यह प्रत्येक स्थान को भू-स्थानिक डेटा के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है।
    • डिजिटल एड्रेस लेयर (Digital Address Layer): यह एक उपयोगकर्त्ता-अनुकूल और सहमति-आधारित प्रणाली है, जो DIGIPIN पर आधारित है। इसमें उपयोगकर्त्ता अपने DIGIPIN से जुड़े कस्टम लेबल और वर्णनात्मक पते (जैसे घर नंबर, सड़क का नाम आदि) बना सकते हैं।

और पढ़ें: डाकघर अधिनियम 2023


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इंटरस्टेलर कॉमेट 3I/ATLAS

स्रोत: TH

नासा द्वारा वित्तपोषित ATLAS टेलीस्कोप (चिली में स्थित) की मदद से इंटरस्टेलर कॉमेट (धूमकेतु) 3I/ATLAS की खोज की सूचना दी गई है, जिसकी उत्पत्ति नक्षत्र धनुष (Sagittarius) से मानी जा रही है।

3I/ATLAS कॉमेट:

  • खोज और कक्षा (Trajectory): यह 1I/ʻOumuamua (2017) और 2I/Borisov (2019) के बाद तीसरा पुष्टि-प्राप्त इंटरस्टेलर पिंड है, जिसे 3I के रूप में निरूपित किया गया है।
    • यह लगभग 57–68 किमी/सेकंड की गति से एक हाइपरबोलिक कक्षा में यात्रा करता है, जो इसके अंतरतारकीय (इंटरस्टेलर) स्रोत की पुष्टि करता है।
  • उत्पत्ति और आयु: इसकी उत्पत्ति आकाशगंगा (या मिल्की वे) की थिक डिस्क से हुई है, जो एक प्राचीन तारों का क्षेत्र है, जो अंतरतारकीय (इंटरस्टेलर) पिंडों से अलग होता है।
    • ओटाउताही-ऑक्सफोर्ड (Ōtautahi–Oxford) मॉडल पर आधारित सिमुलेशनों से संकेत मिलता है कि इस धूमकेतु के सौरमंडल से भी 3 अरब वर्ष पुराना होने की 70% संभावना है। इस आधार पर, यह अब तक देखा गया सबसे प्राचीन धूमकेतु हो सकता है, जिसकी अनुमानित आयु 7 अरब वर्ष से अधिक है।
  • भौतिक और रासायनिक गुण: 3I/ATLAS में एक सक्रिय कोमा (gas और dust की परत) और संभवतः एक पुँछ जैसा आकार देखा गया है। स्पेक्ट्रल विश्लेषण में पानी की बर्फ और जटिल कार्बनिक यौगिकों के प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं।
    • इसका अनुमानित नाभिक आकार 10–30 किमी है, जो इससे पहले खोजे गए इंटरस्टेलर धूमकेतुओं से बड़ा है।
  • महत्त्व: 3I/ATLAS वह पहला इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट (ISO) है जिसे मिल्की वे के "थिक डिस्क" से जोड़ा गया है, जबकि पहले के ISO "थिन डिस्क" से थे।
    • यह प्रारंभिक आकाशगंगा सामग्री की दुर्लभ जानकारी प्रदान करता है, जो ग्रह निर्माण, जैविक रसायन और संभवतः पैनस्पर्मिया के अध्ययन में सहायक हो सकता है।

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