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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 22 Nov, 2023
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सुदूर गामा-किरण विस्फोट से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में व्यवधान

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में शोधकर्त्ताओं के अनुसार, पृथ्वी से लगभग दो मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक आकाशगंगा में सुपरनोवा विस्फोट के कारण उत्पन्न गामा-किरण विस्फोट (GRB) ने पृथ्वी के आयनमंडल में एक उल्लेखनीय व्यवधान उत्पन्न किया।

शोध के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • पृष्ठभूमि:
    • लगभग दो मिलियन वर्ष पूर्व हमारी आकाशगंगा के बाहर सुदूर आकाशगंगा में एक बड़े तारे का अंत एक विशाल विस्फोट से हुआ, जिसे सुपरनोवा कहा जाता है। इस घटना से गामा किरणों की भारी वृद्धि हुई।
    • ये तरंगे पूरे ब्रह्मांड में फैली और वर्ष 2022 में पृथ्वी तक पहुँची।
  • शोध के निष्कर्ष: 
    • गामा-किरण विस्फोट के प्रभावों का अध्ययन चाइना सीस्मो-इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सैटेलाइट (CSES) की मदद से किया गया था, इसे एक चीनी-इतालवी मिशन झांगेंग भी कहा जाता जिसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया है।
      • इसमें इलेक्ट्रिक फील्ड डिटेक्टर (EFD) उपकरण लगा हुआ है, जो विश्लेषण के लिए अभूतपूर्व रिज़ॉल्यूशन प्रदान करता है।
    • अक्तूबर, 2022 में गामा किरणों के विस्फोट के कारण पृथ्वी के आयनमंडल (पृथ्वी की सतह से 30-600 मील ऊपर तक विस्तृत क्षेत्र) में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव हुआ।
      • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के इंटीग्रल (अंतर्राष्ट्रीय गामा-रे खगोल भौतिकी प्रयोगशाला) और पृथ्वी के निकट कई उपग्रहों पर इसका प्रभाव देखा गया, जिससे आयनमंडल के विद्युत क्षेत्र में एक बड़े बदलाव का पता चला।
    • गामा किरणें लगभग 13 मिनट तक रहीं, जिससे कई घंटों तक आयनमंडल प्रभावित हुआ, यहाँ तक कि भारत में विद्युत डिटेक्टर भी चालू हो गए।
      • वैज्ञानिकों ने इस GRB की पहचान अब तक दर्ज सबसे शक्तिशाली के रूप में की है।

गामा किरण विस्फोट क्या है?

  • परिचय
    • गामा-किरण विस्फोट गामा किरणों के अल्पकालिक विस्फोट हैं, जो प्रकाश का सबसे ऊर्जावान रूप है।
    • कुछ मिलीसेकंड से लेकर कई घंटों तक चलने वाले वे एक सामान्य सुपरनोवा की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक चमकते हैं और सूर्य की तुलना में लगभग दस लाख ट्रिलियन गुना अधिक चमकदार होते हैं।
    • दूर की आकाशगंगाओं में देखी गई, वे ब्रह्मांड में मौजूद ज्ञात सबसे चमकदार विद्युत चुंबकीय घटनाएँ हैं।
  • प्रकार: 
    • खगोलशास्त्री गामा-किरण विस्फोटों को लंबी और छोटी अवधि की घटनाओं में वर्गीकृत करते हैं। जबकि दो प्रकार की घटनाएँ अलग-अलग प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होने की संभावना है, दोनों के परिणामस्वरूप एक नए ब्लैक होल का निर्माण होता है।
      • लंबी अवधि के विस्फोट 2 सेकंड से लेकर कई घंटों तक प्रभावी रहते हैं। सुपरनोवा में बड़े सितारों के विनाश से जुड़े होने के बावजूद गामा-किरण विस्फोट हमेशा सुपरनोवा का परिणाम नहीं होते हैं।
      • छोटी अवधि के विस्फोट 2 सेकंड से भी कम समय तक प्रभावी रहते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे दो न्यूट्रॉन सितारों के एक नए ब्लैक होल में विलय या एक न्यूट्रॉन स्टार तथा एक ब्लैक होल के विलय से एक बड़ा ब्लैक होल बनाने के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए हैं।

आयनमंडल क्या है?

  • परिचय: 
    • आयनमंडल पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल का क्षेत्र है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 30 से 600 मील (50 से 950 किलोमीटर) की ऊँचाई तक फैला हुआ है।
    • आयनमंडल सौर विकिरण द्वारा आयनित होता है जो आवेशित कणों की एक परत बनाता है।
      • यह अंतरिक्ष में बदलती चुंबकीय तथा विद्युत स्थितियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जो अमूमन सौर गतिविधि से जुड़ा होता है। सौर विकिरण के प्रभाव से इसमें विस्तार और संकुचन होता है।
  • महत्त्व:
    • रेडियो प्रसार: आयनमंडल रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर परावर्तित तथा अपवर्तित कर उनके प्रसार को प्रभावित करता है।
      • यह घटना रेडियो प्रसारण के माध्यम से लंबी दूरी के संचार को सक्षम बनाती है।
    • सौर विकिरण से सुरक्षा: यह पृथ्वी की सतह को हानिकारक सौर विकिरण, विशेषकर सूर्य की अत्यधिक पराबैंगनी किरणों से बचाता है।
    • ऑरोरा गठन: आयनमंडल में सूर्य से आवेशित कणों और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बीच परस्पर क्रिया से ऑरोरा जैसी घटनाएँ उत्पन्न होती हैं, जो मुख्य रूप से उच्च अक्षांशों पर दिखाई देती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश-वर्ष दूर विशालकाय ‘ब्लैक होलों’ के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019) 

(a)  ‘हिग्स बोसॉन कणों’ का अभिज्ञान हुआ।
(b) ‘गुरूत्त्वीय तरंगों’ का अभिज्ञान हुआ।
(c) ‘वॉर्महोल’ से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई।
(d) इसने वैज्ञानिकों के लिये ‘विलक्षणता (सिंगुलैरिटि)’ को समझना सुकर बनाया। 

उत्तर: (b)


प्रारंभिक परीक्षा

टैंटेलम

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रोपड़ के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने पंजाब में सतलुज नदी की रेत में उल्लेखनीय गुणों वाली एक दुर्लभ धातु टैंटेलम (Tantalum- Ta) की खोज की है।

टैंटेलम से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • खोज:
    • टैंटेलम एक दुर्लभ धातु है जिसका परमाणु क्रमांक 73 है। इसकी खोज सबसे पहले वर्ष 1802 में स्वीडिश रसायनशास्त्री एंडर्स गुस्ताफ एकेनबर्ग ने की थी।

  • गुण:
    • यह भूरे रंग की भारी है तथा इसकी प्रकृति अत्यधिक संक्षारण प्रतिरोधी होती है जो हवा के संपर्क में आने पर ऑक्साइड परत बनाती है।
    • शुद्ध टैंटेलम लचीला होता है, जिससे इसे बिना टूटे पतले तारों के रूप में खींचा जा सकता है।
    • 150 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर रासायनिक हमले के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी, यह धातु केवल हाइड्रोफ्लोरिक एसिड, फ्लोराइड आयनों के साथ अम्लीय समाधान और मुक्त सल्फर ट्राइऑक्साइड से प्रभावित होती है।
    • टैंटेलम का गलनांक भी अत्यंत उच्च होता है।
  • टैंटेलम के उपयोग:
    • इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र:
      • टैंटेलम से बने कैपेसिटर छोटे आकार में अधिक विद्युत भंडारण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लियेआदर्श हैं।
      • खान मंत्रालय के विशेषज्ञों की एक समिति ने भारत के लिये 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों के संग्रह को मान्यता दी है, जिसमें टैंटेलम भी शामिल है।
      • इसका उपयोग रासायनिक संयंत्रों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, हवाई जहाज़ों और मिसाइलों के घटक बनाने हेतु भी किया जाता है।
    • प्लैटिनम के लिये स्थानापन्न:
      • इसका गलनांक उच्च होता है और इसे अक्सर प्लैटिनम के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है, जो अधिक महँगा है।
    • चिकित्सा अनुप्रयोग:
      • अमेरिकी ऊर्जा विभाग के अनुसार, टैंटेलम शारीरिक तरल पदार्थों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता और इसका उपयोग कृत्रिम जोड़ों जैसे सर्जिकल उपकरण तथा प्रत्यारोपण के लिये किया जाता है।
    • कटिंग-एज सामग्री:
      • टैंटेलम कार्बाइड (TaC) और ग्रेफाइट का मिश्रण सबसे कठोर सामग्रियों में से एक है, जिसका उपयोग हाई-स्पीड कटिंग मशीन के किनारों पर किया जाता है।

सतलुज में टैंटेलम की खोज का क्या महत्त्व है?

  • सतलुज नदी की रेत में टैंटेलम की खोज से संकेत मिलता है कि भारत में टैंटेलम का एक संभावित स्रोत हो सकता है, जो आयात पर निर्भरता को कम कर सकता है और घरेलू आपूर्ति बढ़ा सकता है।
    • भारत अपनी अधिकांश टैंटेलम धातु संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी से आयात करता है।
  • टैंटेलम की खोज से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 नवंबर, 2023

ICMR ने कोविड-19 टीकों और अचानक मौतों के बीच संबंध को खारिज़ किया

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि कोविड-19 टीके और अचानक होने वाली मौतें असंबद्ध हैं।

  • अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि टीकाकरण से अचानक होने वाली मौतों का खतरा कम हो जाता है, खासकर तब जब स्वस्थ हो चुके व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर छुट्टी दे दी जाती है।
    • अधिकांश अचानक मौतों का प्रमुख कारण हृदय संबंधी स्वास्थ्य स्थितियाँ हैं, जिनमें दिल की अनियमित धड़कन, रक्त प्रवाह में बाधा तथा हृदय की मांसपेशियों की कार्यक्षमता में कमी आना शामिल है।
    • धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन और अति व्यायाम और आनुवंशिकता को अचानक होने वाली मौतों के अन्य जोखिम कारकों के रूप में पहचाना जाता है।
  • इस अध्ययन में उन संभावित तंत्रों पर प्रकाश डाला गया है जिनके माध्यम से कोविड-19 हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान भी शामिल है।
    • कोविड-19 के गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, जिनमें अचानक मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता हैं, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों में अचानक होने वाली मौत का जोखिम चार गुना अधिक होता है।

और पढ़ें… अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोविड-19 रोगियों में मृत्यु दर

ग्रहण

ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब घटित होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं। हालाँकि प्रत्येक अमावस्या और पूर्णिमा को ग्रहण नहीं होता है।

  • पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग 5 डिग्री झुकी हुई है।
    • इसका अर्थ यह है कि पृथ्वी पर छाया (सूर्य ग्रहण) डालने अथवा पृथ्वी की छाया (चंद्र ग्रहण) में प्रवेश करने के लिये चंद्रमा आमतौर पर काफी उपर अथवा बहुत नीचे होता है।
  • ग्रहण केवल तभी घटित होते हैं जब चंद्रमा क्रांतिवृत्त तल/एक्लिप्टल प्लेन, जो कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा का तल है, को उसी समय पार करता है जब चंद्रमा पूर्ण होता है।
    • तलों के प्रतिच्छेदन की रेखा को नोड्स की रेखा कहा जाता है। ग्रहण घटित होने के लिये चंद्रमा का किसी एक नोड के निकट होना अनिवार्य है।
    • ऐसा सभी अमावस्या और पूर्णिमा के दिन नहीं होता है।
  • ग्रहण युग्मों में होते हैं, दो सप्ताह में एक सूर्य और एक चंद्र ग्रहण होता है, जिसे ग्रहण ऋतु यानी एक्लिप्स सीज़न कहा जाता है।
    • आमतौर पर एक वर्ष में दो ग्रहण ऋतुएँ अलग-अलग समय पर होती हैं, जो मूलतः नोड्स और सूर्य के संरेखण पर निर्भर करती हैं।

वज्र प्रहार 2023: भारत-अमेरिका संयुक्त विशेष बल अभ्यास

भारत-अमेरिका संयुक्त विशेष बल अभ्यास का 14वाँ संस्करण, "वज्र प्रहार 2023", उमरोई छावनी, मेघालय में प्रारंभ हुआ। इसका पहला संस्करण वर्ष 2010 में भारत में आयोजित किया गया था।

  • अमेरिका के सैन्य दल का प्रतिनिधित्व अमेरिकी विशेष बलों के पहले विशेष बल समूह के सैनिकों द्वारा किया गया। भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व पूर्वी कमान के विशेष बल के जवानों द्वारा किया जा रहा है।
  • भारतीय तथा अमेरिकी सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाला यह अभ्यास सामरिक रणनीतियों, मिशन योजना एवं परिचालन रणनीति को साझा करने पर केंद्रित है।

और पढ़ें…अभ्यास वज्र प्रहार

थाईलैंड की कैबिनेट ने विवाह समानता विधेयक को स्वीकृति दी 

हाल ही में थाईलैंड की कैबिनेट ने नागरिक और वाणिज्यिक संहिता में संशोधन को स्वीकृति दे दी, जिससे देश में समलैंगिक विवाह अधिकारों का मार्ग प्रशस्त हो गया।

  • इस कोड के भीतर भाषा में बदलाव, "पुरुषों एवं महिलाओं" की जगह "व्यक्तियों" और "पति तथा पत्नी" की जगह "विवाह साझेदार" करने का उद्देश्य समान-लिंग वाले जोड़ों को समान अधिकार प्रदान करना है।
  • यह समान-लिंग वाले जोड़ों के बीच संबंध बनाने के अधिकार की गारंटी देगा, साथ ही अगला कदम समान-लिंग वाले जोड़ों को भी मान्यता देने के लिये पेंशन फंड कानून में संशोधन होगा।

और पढ़ें…समलैंगिक विवाह: समानता के लिये संघर्ष

उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणित उत्पादों के उत्पादन एवं बिक्री पर प्रतिबंध 

उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन आयोग ने हाल ही में राज्य के भीतर हलाल प्रमाणित खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण व बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 30 (2) (d) तथा धारा 30 (2) (a) के तहत शक्तियों के तहत आता है।

  • आदेश में तर्क दिया गया है कि हलाल प्रमाणीकरण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, डेयरी उत्पाद, बेकरी आइटम, खाद्य तेल इत्यादि जैसे विभिन्न उत्पादों के लेबलिंग के संबंध में भ्रामिक स्थिति उत्पन्न करता है
  • खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 30 (2): 
    (a): सार्वजनिक स्वास्थ्य की खातिर, संपूर्ण राज्य अथवा उसके विशिष्ट क्षेत्रों के भीतर किसी भी खाद्य पदार्थ के उत्पादन, भंडारण, संचलन अथवा वेंडिंग को एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिये प्रतिबंधित करना, जैसा कि घोषित आदेश में दर्शाया गया है और सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया गया है
    (d) निर्दिष्ट मानकों तथा अन्य आवश्यकताओं का कुशल और समान कार्यान्वयन सुनिश्चित करना तथा निष्पक्षता, जवाबदेही, व्यावहारिकता, पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता का उच्च मानक भी सुनिश्चित करना।

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