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भूगोल

ग्रहण के प्रकार

  • 09 Nov 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, पूर्णिमा, रेलिघ प्रकीर्णन

मेन्स के लिये:

पूर्ण चंद्र ग्रहण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 8 नवंबर, 2022 को पूर्ण चंद्र ग्रहण (TLE) देखा गया।

  • इसके पहले भारत में अक्तूबर 2022 में आँशिक सूर्य ग्रहण देखा गया था।

प्रमुख बिंदु

सुपरमून:

  • यह उस स्थिति को दर्शाता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट और साथ ही पूर्ण आकार में होता है।
    • चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा किये जाने के दौरान एक समय दोनों के मध्य सबसे कम दूरी रह जाती है जिसे उपभू (Perigee) कहा जाता है और जब दोनों के मध्य सबसे अधिक दूरी हो जाती है तो इसे अपभू (Apogee) कहा जाता है।
  • चूँकि पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी से कम-से-कम दूरी के बिंदु पर दिखाई देता है और इस समय यह न केवल अधिक चमकीला दिखाई देता है, बल्कि सामान्य पूर्णिमा के चंद्रमा से भी बड़ा होता है।
  • नासा के अनुसार, सुपरमून शब्द वर्ष 1979 में ज्योतिषी रिचर्ड नोल द्वारा दिया गया था। एक सामान्य वर्ष में दो से चार पूर्ण सुपरमून और एक पंक्ति में दो से चार नए सुपरमून हो सकते हैं।

supermoon

चंद्र ग्रहण:

  • परिचय:
    • चंद्र ग्रहण तब होता है,जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे की बिल्कुल सीध में होते हैं तथा यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
    • सर्वप्रथम चंद्रमा पेनुम्ब्रा (Penumbra) की तरफ चला जाता है-पृथ्वी की छाया का वह हिस्सा जहाँ सूर्य से आने वाला संपूर्ण प्रकाश अवरुद्ध नहीं होता है। चंद्रमा के भू-भाग का वह हिस्सा सामान्य पूर्णिमा की तुलना में धुँधला दिखाई देगा।
    • उसके बाद चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में चला जाता है, जहाँ सूर्य से आने वाला प्रकाश पूरी तरह से पृथ्वी के कारण अवरुद्ध हो जाता है। इसका मतलब है कि पृथ्वी के वायुमंडल में चंद्रमा की डिस्क द्वारा परावर्तित एकमात्र प्रकाश पहले ही वापस ले लिया गया है या परिवर्तित किया जा चुका है।

Lunar-Eclipse

  • पूर्ण चंद्र ग्रहण:
    • पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच स्थित होती है और पृथ्वी की छाया चाँद पर पड़ती है।
    • इस दौरान चंद्रमा की पूरी डिस्क पृथ्वी की कक्षा या प्रतिछाया (Umbra) में होती है, इसलिये चंद्रमा लाल (ब्लड मून) दिखाई देता है।
      • रेलिघ प्रकीर्णन (Rayleigh Scattering) नामक घटना के कारण चंद्रमा लाल रंग का हो जाता है।
    • रेलिघ प्रकीर्णन का तात्पर्य तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन के बिना किसी माध्यम में कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन से है। यही कारण है कि आकाश नीला दिखाई देता है।
    • ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल हो जाता है क्योंकि इस तक पहुँचने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुज़रता है। धूल या बादलों के कारण सूर्य की रोशनी में प्रकीर्णन के कारण यह लाल रंग का दिखाई देता है।
    • NASA (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, पूर्ण चंद्र ग्रहण औसतन हर डेढ़ साल में एक बार होता है।
  • आंशिक चंद्र ग्रहण:
    • जब चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है एवं वह सूर्य से चंद्रमा पर आने वाले प्रत्यक्ष प्रकाश में बाधा डालती है।
    • यह छाया बढ़ती जाती है और फिर चंद्रमा को पूरी तरह से ढके बिना कम हो जाती है।
  • पेनुम्ब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral eclipse):
    • इसमें चंद्रमा, पृथ्वी के पेनुम्ब्रा या इसकी छाया के बाहरी भाग से होकर गुज़रता है।
    • इसमें चंद्रमा इतना धुँधला हो जाता है कि इसे देख पाना मुश्किल हो सकता है।

Lunar-Eclipses

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse):

  • परिचय:
    • जब पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्से पर दिन में अँधेरा छा जाता है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

total-solar-eclipse

  • प्रकार:
    • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse)::
      • पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अँधेरा छा जाता है।
      • इस घटना के दौरान चंद्रमा, सूर्य की पूरी सतह को ढक लेता है।
      • जब चंद्रमा सूर्य की वलय को पूरी तरह से ढक लेता है तो सूर्य का केवल कोरोना दिखाई देता है।
      • इसे पूर्ण ग्रहण इसलिये कहा जाता है क्योंकि ग्रहण के अधिकतम बिंदु (समग्रता के मध्य बिंदु) पर आकाश में अँधेरा छा जाता है और तापमान गिर जाता है।
    • वलयाकार सूर्य ग्रहण:
      • वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है तथा इसका आकार छोटा दिखाई देता है। इस दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है और उसका केवल कुछ हिस्सा दिखाई देता है।
      • चूँकि चंद्रमा, पृथ्वी से बहुत दूर है, इसलिये यह सूर्य से छोटा दिखाई देता है और सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है।
      • नतीजतन चंद्रमा एक बड़ी, चमकदार वलय के ऊपर एक अँधेरे वलय के रूप में दिखाई देता है, जो चंद्रमा के चारों ओर एक रिंग जैसा दिखता है।
    • आंशिक सूर्य ग्रहण:
      • आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच से चंद्रमा गुजरता है लेकिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से एक साथ नहीं होते हैं।
      • सूर्य का केवल एक हिस्सा ही ढका हुआ दिखाई देता है, जिससे यह अर्द्धचंद्राकार आकार का दिखाई देगा। पूर्ण या वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की आंतरिक छाया से आच्छादित क्षेत्र के बाहर, लोगों को आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देता है।
    • मिश्रित सूर्य ग्रहण:
      • थ्वी की सतह की वक्रता के कारण कभी-कभी ग्रहण के चरण वलयाकार और पूर्ण ग्रहण के बीच परिवर्तित हो सकता है कक्योंकि चंद्रमा की छाया दुनिया भर में दिखाई देती है।
      • इसे मिश्रित सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

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स्रोत: द हिंदू

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