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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Dec, 2020
  • 9 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 10 दिसंबर, 2020

बेरेशीट-2 परियोजना

Beresheet-2 Project

हाल ही में इज़राइल ने वर्ष 2024 में चंद्रमा पर एक मानव रहित यान को उतारने के उद्देश्य से बेरेसैट-2 परियोजना शुरू की।

  • इससे पहले इज़राइल का बेरेशीट प्रोब चंद्रमा पर लैंडिंग करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

Israel

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि:

  • बेरेशीट प्रोब इज़राइल के एक गैर-लाभकारी संगठन स्पेसिल का चंद्रमा के लिये एक निजी मिशन था।
    • हेबरवेट (इज़राइल में बोली जाने वाली) में बेरेशीट का अर्थ उत्पत्ति होता है।
  • इसे फरवरी 2019 में केप कैनावेरल (USA) से फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और यह अप्रैल 2019 में चंद्रमा की कक्षा में पहुँचा।
  • इंजन की विफलता के कारण यह चंद्रमा की सतह पर अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

बेरेशीट-2:

  • उद्देश्य: प्रयोगों का संचालन और स्कूल के छात्रों हेतु डेटा एकत्र करना।
  • संरचना: इसमें दो लैंडिंग क्राफ्ट और एक ऑर्बिटर शामिल होगा जो वर्षों तक चंद्रमा की परिक्रमा करेगा।
  • लागत: इसकी लागत लगभग 100 मिलियन डॉलर होगी, यह राशि अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों और दाताओं से जुटाई जाएगी ।
  • लाभ: संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद इज़राइल चंद्रमा पर अंतरिक्षयान उतारने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा।

चंद्रमा के लिये अन्य मिशन:

  • भारत ने चंद्रयान-3 नामक एक नए चंद्र मिशन की योजना बनाई है। इसे वर्ष 2021 की शुरुआत में लॉन्च किये जाने की संभावना है।
    • चंद्रयान-3 मिशन में चंद्रयान-2 मिशन के उद्देश्य को ही दोहराया जाएगा और इसमें चंद्रयान-2 जैसा ही एक लैंडर एवं रोवर शामिल होगा, परंतु इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा।
    • चंद्रयान -2 की विफलता ने भारत के पहले ही प्रयास में चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरकर पहला राष्ट्र बनने के सपने को तोड़ दिया।
  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने वर्ष 2024 में चंद्रमा पर एक मानव रहित अंतरिक्षयान भेजने का फैसला किया है।
  • आर्टेमिस, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) का एक क्रू-स्पेस (Crew Space) प्रोग्राम है जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक विशेष रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में "पहली महिला और अगले आदमी" को उतारना है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 दिसंबर, 2020

इको-ब्रिज

उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में रामनगर वन प्रभाग ने हाल ही में सरीसृप और छोटे स्तनधारियों के लिये अपना पहला इको-ब्रिज बनाया है। इको-ब्रिज वन्यजीव कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं, जो प्रायः राजमार्गों के कारण बाधित हो जाते है। इसके अंतर्गत कैनोपी ब्रिज (बंदरों, गिलहरियों और अन्य जंगली प्रजातियों के लिये), कंक्रीट के अंडरपास अथवा ओवरपास सुरंग या पुल (बड़े जानवरों के लिये) और उभयचरों के लिये सुरंग या पुल शामिल होते हैं। इको-ब्रिज के निर्माण में छोटे पेड़-पौधों और घास आदि का भी प्रयोग किया जाता है, ताकि यह आसपास के परिदृश्य से अलग न दिखे। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा किये गए एक अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि भारत में आगामी पाँच से छह वर्षों में लगभग 50,000 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा, जबकि कई राजमार्गों को अपग्रेड करने पर भी विचार किया जा रहा है। राजमार्गों और सड़कों की संख्या में वृद्धि का नुकसान वन्यजीवों को झेलना पड़ रहा है और उनके लिये आवाजाही की एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है। ऐसे में इस प्रकार के इको-ब्रिज के निर्माण को वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण की दृष्टि से काफी आवश्यक माना जा सकता है। 

सर विलियम आर्थर लुईस

गूगल ने विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और लेखक सर विलियम आर्थर लुईस को विशेष डूडल बनाकर सम्मानित किया है। 23 जनवरी, 1915 को कैरिबियाई द्वीप सेंट लूसिया में जन्मे आर्थर लुईस ने वर्ष 1932 में नस्लीय भेदभाव की चुनौतियों का सामना करते हुए सरकारी छात्रवृत्ति हासिल की, जिसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिये लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स चले गए, जहाँ उन्होंने औद्योगिक अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। आगे चलकर आर्थर लुईस ने विश्व आर्थिक इतिहास और आर्थिक विकास जैसे विषयों में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इसके अलावा उन्होंने कैरेबियन डेवलपमेंट बैंक की स्थापना करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, साथ ही वे इस बैंक के पहले अध्यक्ष भी थे। अर्थशास्त्र में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1963 में आर्थर लुईस को नाइटहुड की उपाधि से भी सम्मानित किया। वर्ष 1979 में 10 दिसंबर के दिन ही सर विलियम आर्थर लुईस को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके अग्रणी कार्य के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मानवाधिकार दिवस

विश्व भर में लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य एक आदर्श विश्व के निर्माण में मानवधिकारों के महत्त्व को रेखांकित करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 को पेरिस में मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (Universal Declaration of Human Rights-UDHR) को अपनाया था, जो कि मानवाधिकारों की रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम ‘रिकवर बेटर- स्टैंड अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ है। वर्ष 2020 में मानवाधिकार दिवस इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि कोरोना वायरस संकट के कारण गरीबी, असमानता और मानवाधिकारों के उल्लंघन की दिशा में हो रहे प्रयासों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। 

आयुष निर्यात संवर्द्धन परिषद

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और आयुष मंत्रालय ने आयुष उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त तौर पर आयुष निर्यात संवर्द्धन परिषद की स्थापना करने का निर्णय लिया है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा आयुष उत्पादों और सेवाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानक विकसित किये जाएंगे। महामारी की शुरुआत के बाद से ही रोग प्रतिरोध और उपचार के लिये आयुष-आधारित उत्पादों की मांग में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। आँकड़ों की मानें तो भारत के आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पादों का निर्यात मूल्य वित्त वर्ष 2015 के 354.68 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 446.13 मिलियन डॉलर हो गया है, ऐसे में बढ़ती मांग को देखते हुए आयुष उत्पादकों को अपनी उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी करने पर ज़ोर देना चाहिये। आयुष (AYUSH) का अभिप्राय आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्‍योपैथी से है।


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