ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 06 Jun, 2023
  • 24 min read
प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति

भारत सरकार एक राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति शुरू करने के लिये तैयार है जिसका उद्देश्य क्षेत्र के विकास और निर्यात को बढ़ावा देने के लिये अनुकूल वातावरण बनाना है।

आगामी ई-कॉमर्स नीति के बारे में प्रमुख बिंदु: 

  • उद्देश्य: 
    • राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति का उद्देश्य एक नियामक ढाँचा स्थापित करना है जो इस क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी प्रदान करता हो।
  • निर्यात को बढ़ावा देना: 
    • यह नीति भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण निर्यात क्षमता को बढ़ावा देगी।
      • वर्ष 2030 तक भारत की ई-कॉमर्स निर्यात क्षमता सालाना 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच होने का अनुमान है।
      • वैश्विक क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स निर्यात वर्ष 2025 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है, भारत का लक्ष्य इस विकास अवसर को अपने पक्ष में करना है।
  • नियामक निकाय और FDI: 
    • ई-कॉमर्स क्षेत्र हेतु नियामक स्थापित करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है, हालाँकि इसके क्रियान्वयन में समय लग सकता है।
    • स्थानीय व्यापारियों के संघ ई-कॉमर्स नियमों को लागू करने और उल्लंघनों को रोकने हेतु सशक्त नियामक निकाय की मांग करते रहे हैं।
    • जबकि मार्केटप्लेस मॉडल में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) की अनुमति है, इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में FDI की अनुमति नहीं है।
  • व्यापारियों की चिंताओं को उजागर करना: 
    • व्यापारियों ने ई-कॉमर्स के नियमों के उल्लंघन, जैसे- भारी छूट और चुनिंदा विक्रेताओं को वरीयता दिये जाने को लेकर चिंता जताई है।
    • नीति का उद्देश्य इन मुद्दों को स्पष्ट करना और ई-कॉमर्स में FDI को नियंत्रित करने वाले नियमों में अधिक पारदर्शिता प्रदान करना है। 
    • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 और प्रस्तावित संशोधनों को निरंतरता के लिये ई-कॉमर्स नीति के साथ जोड़ा जाएगा।
  • व्यापक ढाँचा:

भारत सरकार की ई-कॉमर्स संबंधित अन्य पहलें:

स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

सरकार ने 14 संयोजन दवाओं पर लगाया प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने खाँसी, बुखार और संक्रमण के इलाज के लिये आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली 14 फिक्स्ड डोज़ कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक राजपत्र अधिसूचना जारी की है।

  • प्रतिबंध, जो तत्काल प्रभाव से लागू होता है, इन दवा संयोजनों की प्रभावकारिता का आकलन करने के लिये नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का पालन करता है। 

FDC दवाएँ:

  • परिभाषा: 
    • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के अनुसार, FDC उन उत्पादों को संदर्भित करता है जिनमें एक या एक से अधिक सक्रिय तत्त्व होते हैं जो किसी विशेष संकेत के लिये उपयोग किये जाते हैं।
  • प्रतिबंध का कारण:
    • प्रतिबंध विशेषज्ञ समिति और ड्रग्स तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिशों का पालन करता है।
    • समिति ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिबंधित FDC में चिकित्सीय प्रासंगिकता की कमी है और यह मनुष्यों के लिये जोखिम पैदा कर सकता है।

निश्चित खुराक संयोजन (FDC) की चुनौतियाँ:

  • दुष्प्रभाव का खतरा:
    • FDC दवाओं में कई सक्रिय अवयवों के संयोजन से पारस्परिक क्रियाओं का उच्च जोखिम हो सकता है तथा दुष्प्रभाव की संवेदनशीलता बढ़ सकती है।
    • कुछ रोगियों को FDC दवा के एक या एक से अधिक घटकों के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता या एलर्जी का अनुभव हो सकता है जिसे निश्चित संयोजन के कारण पहचानना और प्रबंधित करना कठिन हो सकता है।
    • उदाहरण के लिये एकल FDC दवा में पेरासिटामोल, ब्रोमहेक्सिन, फिनाइलफ्राइन, क्लोरफेनिरामाइन और गुइफेनेसिन के संयोजन से सुस्ती, चक्कर आना और उच्च रक्तचाप जैसे दुष्प्रभावों का खतरा बढ़ सकता है।
  • विनियमन चुनौतियाँ: 
    • एक सूत्रीकरण में कई सक्रिय अवयवों की सुरक्षा और प्रभावकारिता के मूल्यांकन से संबंधित जटिलताओं के कारण FDC दवाओं का विनियमन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • एकल-घटक दवाओं की तुलना में FDC दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण सुनिश्चित करना अधिक कठिन हो जाता है।
  • अति प्रयोग और दुरुपयोग:
    • FDC दवाएँ, दवाओं के अति प्रयोग और दुरुपयोग में योगदान कर सकती हैं। मरीज़ अनजाने में कई सक्रिय सामग्रियों का अनावश्यक रूप से या अनुचित संयोजन में सेवन कर सकते हैं, जिससे संभावित स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
  • साक्ष्य-आधारित क्लिनिकल डेटा का अभाव:
    • कुछ FDC दवाओं को उनकी प्रभावकारिता और सुरक्षा प्रोफाइल का समर्थन करने वाले सीमित या अपर्याप्त क्लिनिकल साक्ष्य के आधार पर अनुमोदित किया जा सकता है।
    • ठोस वैज्ञानिक डेटा की अनुपस्थिति विशिष्ट चिकित्सा स्थितियों के लिये FDC दवाओं की उपयुक्तता और विश्वसनीयता के बारे में चिंता पैदा कर सकती है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO):

  • CDSCO ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत केंद्र सरकार को सौंपे गए कार्यों के निर्वहन के लिये केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।
  • प्रमुख कार्य: 
    • दवाओं के आयात पर नियामक नियंत्रण, नई दवाओं की मंज़ूरी और क्लिनिकल परीक्षण।
    • केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकारी के रूप में कुछ लाइसेंसों का अनुमोदन।
  • ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) 
    • DCGI भारत में रक्त और रक्त उत्पादों, IV तरल पदार्थ, वैक्सीन और सेरा जैसी दवाओं की निर्दिष्ट श्रेणियों के लाइसेंस के अनुमोदन हेतु ज़िम्मेदार है।
    • यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

गगन सैटेलाइट टेक के साथ हेलीकाप्टर नेविगेशन डेमो

भारत ने हेलीकॉप्टरों के लिये प्रदर्शन-आधारित नेविगेशन का एशिया का पहला प्रदर्शन आयोजित करके विमानन क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

  • प्रदर्शन, जिसमें अत्याधुनिक गगन उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया था, मुंबई में जुहू से पुणे की उड़ान के लिये आयोजित किया गया था।  

प्रदर्शन-आधारित नेविगेशन: 

  •  प्रदर्शन-आधारित नेविगेशन (PBN) एयर नेविगेशन की एक आधुनिक अवधारणा है जो उन्नत ऑनबोर्ड नेविगेशन सिस्टम और उपग्रह संकेतों का उपयोग करके विमान को पूर्व निर्धारित मार्ग के साथ सटीक रूप से उड़ान भरने की अनुमति देता है।
  • PNB हवाई यातायात प्रबंधन की सुरक्षा, दक्षता और क्षमता में सुधार करता है तथा ज़मीन आधारित नेविगेशन सहायता पर निर्भरता को कम करता है एवं अधिक लचीला उड़ान पथ की अनुमति देता है।

गगन सैटेलाइट टेक्नोलॉजी 

  • परिचय:  
  • GAGAN, GPS एडेड GEO संवर्द्धित नेविगेशन के साथ, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक अंतरिक्ष-आधारित ऑग्मेंटेशन सिस्टम है।
  • विशेषताएँ:  
    • यह सिस्टम स्थानीय भौगोलिक स्थिति प्रदान करके GPS नेविगेशन के आउटपुट में अधिक सटीकता बढ़ाता है, जिससे अधिक कुशल यातायात प्रबंधन हेतु विमान स्थान की सटीकता में सुधार होता है।
      • यह वायुमंडलीय अस्थिरता, क्लॉक ड्रिफ्ट और कक्षीय विचलन के कारण होने वाली त्रुटियों को ठीक करके GPS संकेतों की सटीकता एवं प्रामाणिकता को बढ़ाता है।
    • यह उपग्रह प्रौद्योगिकी विमान/हेलीकॉप्टर को उन हवाई अड्डों पर निर्देशित लैंडिंग में भी मदद करता है जिनके पास कम दृश्यता संचालन हेतु उपकरण लैंडिंग सिस्टम नहीं है। 
  • लाभ:  
    • सुरक्षा में वृद्धि: सटीक और विश्वसनीय नेविगेशन जानकारी प्रदान करके GAGAN मानवीय त्रुटियों, टक्कर, इलाके में हमलों एवं क्षेत्रों में नियंत्रित उड़ान (Controlled Flight Into Terrain- CFIT) दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करता है।
      • यह पायलटों और हवाई यातायात नियंत्रकों हेतु स्थितिजन्य जागरूकता और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं में भी सुधार करता है।
    • बेहतर दक्षता: इष्टतम उड़ान पथ और कम पृथक्करण मानकों की अनुमति देकर GAGAN हवाई क्षेत्र एवं ईंधन के अधिक कुशल उपयोग को सक्षम बनाता है, जिसके परिणामस्वरूप कम उत्सर्जन तथा परिचालन लागत आती है।
    • क्षमता में वृद्धि: किसी दिये गए हवाई क्षेत्र में समायोजित की जा सकने वाली उड़ानों की संख्या बढ़ाकर, GAGAN विमानन नेटवर्क की क्षमता और कनेक्टिविटी को बढ़ाता है।
    • यह दूरस्थ और कम सेवा वाले क्षेत्रों तक पहुँच को भी सक्षम बनाता है जिनमें पारंपरिक नेविगेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होती है या चुनौतीपूर्ण इलाके होते हैं।
      • इसके अलावा GAGAN समुद्री, राजमार्गों और रेलमार्गों सहित परिवहन के सभी साधनों को विमानन से परे लाभ प्रदान करेगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित देशों में से किस एक का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है? (2023)

(a) ऑस्ट्रेलिया
(b) कनाडा
(c) इजराइल
(d) जापान

उत्तर: d 


प्रश्न.2 भारतीय क्षेत्रीय संचालन उपग्रह प्रणाली (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम/IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. IRNSS के तुल्यकाली (जियोस्टेशनरी ) कक्षाओं में तीन उपग्रह है और भूतुल्यकाली (जियोसिंक्रोनस) कक्षाओं में चार उपग्रह हैं। 
  2. IRNSS की व्याप्ति संपूर्ण भारत पर और इसकी सीमाओं के लगभग 5500 वर्ग किलोमीटर बाहर तक है।
  3. 2019 के मध्य तक भारत की पूर्ण वैश्विक व्याप्ति के साथ अपनी उपग्रह संचालन प्रणाली होगी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1  
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 2 और 3 
(d) कोई भी नहीं

उत्तर: (a) 


मेन्स

प्रश्न. भारतीय प्रादेशिक नौपरिवहन उपग्रह प्रणाली (आई.आर.एन.एस.एस.) की आवश्यकता क्यों है? यह नौपरिवहन में किस प्रकार सहायक है? (2018) 

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जून, 2023

पैलियो आहार के स्वास्थ्य संबंधी दावों को खारिज करना 

पैलियो आहार ने हाल ही में अपने स्वास्थ्य दावों और प्रभावकारिता के कारण समाचारों में ध्यान आकर्षित किया है। पैलियो आहार के समर्थकों का दावा है कि हमारे पूर्वजों के खान-पान का अनुसरण करने से लोगों को वज़न कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही लंबी अवधि की बीमारी होने की संभावना कम हो सकती है। हालाँकि आलोचकों का तर्क है कि इन दावों का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी है। यह आहार डेयरी, अनाज, फलियाँ तथा प्रसंस्कृत शर्करा को छोड़कर असंसाधित खाद्य पदार्थ जैसे- सब्जियाँ, फल, नट्स तथा लीन मीट के सेवन पर ज़ोर देता है। पैलियो आहार का वर्तमान संस्करण पारंपरिक आहार दिशा-निर्देशों की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट और उच्च प्रोटीन सेवन को दर्शाता है। वज़न घटाने हेतु पैलियो आहार की पारंपरिक अनुशंसित आहार से तुलना करने वाले अध्ययनों में दो वर्षों के बाद प्रभावशीलता में कोई महत्त्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया। टाइप 2 मधुमेह पर आहार के प्रभाव के संबंध में समान अनिर्णायक परिणाम देखे गए। इसके अलावा एक अध्ययन से पता चला है कि पैलियो आहार ने हृदय रोग से जुड़े पेट के जीवाणुओं की अधिकता को जन्म दिया, जो रोग की रोकथाम के दावों का खंडन करता है। पैलियो आहार खाने की योजना है जो उन प्राचीन मनुष्यों के आहार का अनुसरण करने पर ज़ोर देता है जो पुरापाषाण युग में रहते थे। पैलियो आहार इस धारणा पर आधारित है कि हमारे जीन हमारे पूर्वजों के आहार के अनुकूल हैं एवं आधुनिक आहार हमारे जीव विज्ञान से बेमेल हैं। हालाँकि आनुवंशिक शोध इस धारणा का खंडन करते हैं। लैक्टेज़ पर अध्ययन (यह एंजाइम लैक्टेज़ को पचाने में मदद करता है, जो डेयरी उत्पादों में पाया जाता है) शराब के चयापचय में दृढ़ता एवं अनुकूलन से पता चलता है कि पैलियो आहार की तुलना में विकास बहुत कम समय-सीमा के भीतर हो सकता है। 

और पढ़ें…भारत की पोषण समस्या

भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पोत एमवी एम्प्रेस

केंद्रीय पोत, नौवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री ने चेन्नई से श्रीलंका के लिये भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पोत, एमवी एम्प्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में चेन्नई स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पर्यटन टर्मिनल का उद्घाटन किया गया जो क्रूज़ पर्यटन और समुद्री व्यापार के अवसरों को बढ़ाने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एमवी एम्प्रेस तीन श्रीलंकाई बंदरगाहों के लिये रवाना होगा: हनबंटोटा, त्रिंकोमाली और कांकेसंतुरेई। क्रूज़ सेवा वर्ष 2022 में प्रथम अतुल्य भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ सम्मेलन के दौरान चेन्नई पोर्ट और मेसर्स वाटरवेज लीजर टूरिज़्म  प्राइवेट लिमिटेड के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoU) का परिणाम है। सरकार अंडमान, पुद्दुचेरी और लक्षद्वीप में तीन नए अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल विकसित करने की योजना बना रही है जिनके वर्ष 2024 तक चालू होने की उम्मीद है। सरकार ने क्रूज़ जहाज़ों की संख्या वर्ष 2023 के 208 से बढ़ाकर वर्ष 2030 में 500 और 1100 तक करने की कल्पना की है। वर्ष 2047 तक यात्रियों की संख्या वर्ष 2030 के 9.5 लाख से बढ़कर 45 लाख हो जाएगी।

और पढ़ें… गंगा विलास क्रूज़, भारत में क्रूज़ पर्यटन की संभावना

भारत की IT ग्रोथ: पिलर्स, ऑपर्च्युनिटीज़ और फ्यूचर टेक इकोसिस्टम

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) ने "भारतीय आईटी उद्योग के विकास के रास्ते और उभरते तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र" पर एक सेमिनार की मेज़बानी करके अपना 32वाँ स्थापना दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में भारत के आईटी विकास में योगदान देने वाले छह स्तंभों पर प्रकाश डाला गया। इन स्तंभों में कनेक्टिविटी, कम लागत वाला डेटा, किफायती उपकरण, लोगों के अनुकूल नीतियाँ, भविष्य के लिये तैयार प्रतिभा और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। इसके अतिरिक्त "इनोवेशन थ्रू एग्रीटेक: ए स्टडी ऑन एडॉप्शन एंड इम्पैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी ऑन एग्री एंड एग्री-एलाइड सेक्टर्स" शीर्षक वाली एक एग्रीटेक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट का उद्देश्य भारत में एग्रीटेक की वर्तमान स्थिति, क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों तथा विकास एवं नवाचार के अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करना है। STPI की स्थापना वर्ष 1991 में MeitY के तहत एक स्वायत्त संस्थान  के रूप में की गई थी। STPI का मुख्य उद्देश्य देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देना रहा है। STPI आईटी/आईटीईएस उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (STP) योजना और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (EHTP) योजना लागू कर रहा है।

और पढ़ें: भारतीय आईटी उद्योग, एग्रीटेक

न्याय विकास पोर्टल

न्याय विकास पोर्टल ज़िलों और अधीनस्थ न्यायपालिका के लिये बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के न्याय विभाग के कार्यान्वयन का हिस्सा है, जो वर्ष 1993-94 से परिचालन में है। इसे हितधारकों को वित्तपोषण, दस्तावेज़ीकरण, परियोजना निगरानी और अनुमोदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी तक निर्बाध पहुँच प्रदान करने के लिये विकसित किया गया है। इस CSS का उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों, ज़िला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिये कोर्ट हॉल व आवासीय इकाइयों के निर्माण में राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन का समर्थन करना है। समय के साथ यह योजना वकीलों और वादियों के लिये सुविधा बढ़ाने के लिये लॉयर हॉल, शौचालय परिसर और डिजिटल कंप्यूटर रूम जैसी अतिरिक्त सुविधाओं को शामिल करने के लिये विकसित की गई है। योजना के तहत वित्तपोषण पैटर्न केंद्र सरकार और राज्य सरकारों (पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर) के बीच 60:40 के अनुपात का पालन करता है। उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिये अनुपात 90:10 है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों को 100% राशि प्राप्त होती है। न्याय विकास पोर्टल इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

और पढ़ें.. न्यायपालिका के लिये आधारभूत संरचना सुविधाओं के विकास के लिये केंद्र प्रायोजित योजना (CSS)


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
PrevNext
June 2025
SuMoTuWeThFrSa
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930