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एडिटोरियल

  • 22 May, 2025
  • 18 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत बांग्लादेश द्विपक्षीय गतिशीलता

यह एडिटोरियल 21/05/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “Trade diplomacy: on India-Bangladesh trade-related tensions“ पर आधारित है। लेख में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि भारत द्वारा हाल ही में बांग्लादेशी परिधानों पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध, दोनों देशों के राजनीतिक संबंधों में गिरावट का संकेत देते हैं। यह स्थिति बांग्लादेश के बदलते रणनीतिक गठबंधनों के कारण है। आगामी अनिश्चित चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए भारत के लिये कूटनीतिक सहभागिता के साथ रणनीतिक चिंताओं को संतुलित करना आवश्यक हो गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

SAARC, BIMSTEC, BBIN, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA), अखौरा-अगरतला रेल लिंक, तीस्ता नदी, नागरिकता संशोधन अधिनियम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर संयुक्त नदी आयोग, विश्व बैंक

मेन्स के लिये:

भारत की नेबरहुड फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीतियों के लिये भारत बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों का महत्त्व

भारत और बांग्लादेश के बीच बहुआयामी संबंध हैं, जो व्यापक ऐतिहासिक संबंधों, व्यापक आर्थिक सहयोग और रणनीतिक संपर्क से चिह्नित हैं। हालाँकि, बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन और क्षेत्रीय गठबंधनों में बदलाव से चुनौतियों उत्पन्न हुई हैं, जिसका प्रभाव व्यापार एवं सुरक्षा क्षेत्रों पर भी पड़ा है। जैसे-जैसे भारत जटिल कूटनीतिक जलमार्गों पर आगे बढ़ रहा है, आर्थिक हितों को भू-राजनीतिक चिंताओं के साथ संतुलित करना, स्थिर द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण हो गया है। भारत के दृष्टिकोण में वर्तमान में सजग कूटनीति, सक्रिय सहभागिता और आपसी हितों की रक्षा के लिये दीर्घकालिक क्षेत्रीय स्थिरता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों का क्या महत्त्व है?

  • साझे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार: भारत और बांग्लादेश के बीच गहरे संबंध हैं, जो साझे इतिहास, भाषा और सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं।
    • ये समानताएँ आपसी विश्वास को बढ़ावा देती हैं और सीमा पार लोगों के बीच जीवंत संबंधों को बढ़ावा देती हैं।
  • मज़बूत द्विपक्षीय व्यापार संबंध: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, जो घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा लगभग 14.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई।
  • व्यापक सुरक्षा और सीमा सहयोग: दोनों देशों ने पुलिस व्यवस्था, भ्रष्टाचार निरोधक, मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दों पर सक्रिय सहयोग बनाए रखा है।
    • दोनों देशों द्वारा 4,096 किलोमीटर लंबी साझा सीमा का शांतिपूर्ण प्रबंधन संयुक्त निरीक्षणों एवं सीमांकन (बाड़बंदी) संबंधी पहलों के माध्यम से किया जाता है।
  • सफल सीमा विवाद समाधान: वर्ष 2015 के भूमि सीमा समझौता और समुद्री सीमांकन शांति पूर्ण समझौते के रूप में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं।  
    • ऐसे समझौते द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता और सद्भावना बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • रणनीतिक समुद्री और ब्लू इकॉनमी साझेदारी: भारत-बांग्लादेश हरित साझेदारी और समुद्री सहयोग पर समझौता ज्ञापन सतत् विकास प्रयासों को रेखांकित करते हैं।
    • यह सहयोग ब्लू इकॉनमी और समुद्र विज्ञान तक विस्तारित है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है।
  • बहुपक्षीय मंचों पर सहभागिता: दोनों राष्ट्र SAARC, BIMSTEC, BBIN और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) क्षेत्रीय समूहों में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाते हैं।
    • ये मंच साझा चुनौतियों और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण पर समन्वय को सुविधाजनक बनाते हैं।
  • उन्नत कनेक्टिविटी और पारगमन प्रोटोकॉल: अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार और पारगमन प्रोटोकॉल (PIWTT) जैसे समझौते वस्तुओं के सुचारू परिवहन का समर्थन करते हैं।
    • चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों तक भारत की पहुँच से पूर्वोत्तर भारत के लिये रसद लागत कम हो जाती है।
  • भारत की क्षेत्रीय नीतियों के लिये महत्त्व: बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और एक्ट ईस्ट रणनीतियों के लिये केंद्रीय है।
  • बांग्लादेश को प्रमुख विकासात्मक सहायता: भारत ने बुनियादी अवसंरचना और क्षमता निर्माण के लिये लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की है।
    • यह वित्तीय सहायता परिवहन, ऊर्जा और संस्थागत सुदृढ़ीकरण में बांग्लादेश के विकास को बढ़ावा देगी।
  • सांस्कृतिक सहयोग और युवा सहभागिता: ढाका में सांस्कृतिक केंद्र भारतीय शास्त्रीय कलाओं, भाषाओं और सांस्कृतिक उत्सवों को बढ़ावा देते हैं।
    • युवा प्रतिनिधिमंडल कार्यक्रम और छात्रवृत्तियाँ दीर्घकालिक सामाजिक और शैक्षिक संबंधों को बढ़ावा देती हैं।
  • ऊर्जा एवं वाणिज्यिक सहयोग: भारत बांग्लादेश को 1,160 मेगावाट से अधिक बिजली की आपूर्ति करता है, जिससे उसके विद्युत क्षेत्र के विस्तार में सहायता मिलती है।
    • मैत्री पाइपलाइन हाई-स्पीड डीज़ल का परिवहन करती है, जिससे द्विपक्षीय ऊर्जा संबंध मज़बूत होते हैं।
  • डिजिटल और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहयोग: भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) और बांग्लादेश बैंक के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन सीमा पार UPI भुगतान को सक्षम बनाता है।
    • संयुक्त उपग्रह विकास और प्रक्षेपण से गहन तकनीकी सहयोग एवं नवाचार संभव हुए हैं।

भारत-बाँग्लादेश संबंधों से संबद्ध चुनौतियाँ क्या हैं?

  • नदी जल बँटवारे से संबंधित अनसुलझे विवाद: स्थायी, पारस्परिक रूप से स्वीकार्य तंत्र का अभाव अंतर-राज्यीय जल बँटवारे के मुद्दों को जटिल बनाता है।
    • विवादास्पद तीस्ता नदी विवाद द्विपक्षीय जल कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
  • बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा आयुध आपूर्तिकर्त्ता और रणनीतिक साझेदार है, जो अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति का विस्तार कर रहा है।
    • हाल के सैन्य अभ्यास, जैसे कि गोल्डन फ्रेंडशिप- 2024, चीन-बांग्लादेश रक्षा सहयोग की गहनता को उजागर करते हैं।
  • सीमा पार सुरक्षा चिंताएँ: रोहिंग्याओं के आगमन सहित अवैध प्रवासन, भारत के पूर्वोत्तर की सुरक्षा एवं सामाजिक स्थिरता पर दबाव डालता है।
    • ये आवागमन सीमा प्रबंधन को जटिल बनाते हैं तथा मानवीय एवं राजनीतिक चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
  • बढ़ती कट्टरता और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार: बांग्लादेश में बढ़ता धार्मिक उग्रवाद और अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार आंतरिक एवं क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये खतरा है।
    • ऐसी स्थितियों से बांग्लादेश में अस्थिरता उत्पन्न होने तथा भारत के सुरक्षा वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है।
  • भारतीय घरेलू नीतियों का प्रभाव: नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ने बांग्लादेश के साथ राजनयिक संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया है।  
    • इन नीतियों का उपयोग बांग्लादेश के भीतर भारत विरोधी बयानबाज़ी को बढ़ाने के लिये किया गया है।
  • व्यापार और पारगमन प्रतिबंध: बांग्लादेश के बंदरगाह प्रतिबंध और उच्च पारगमन शुल्क पूर्वोत्तर भारत की बाज़ार पहुँच को सीमित करते हैं
    • बांग्लादेशी परिधान आयात पर भारत द्वारा लगाए गए पारस्परिक-प्रतिबंधों से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है।
  • बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता: अंतरिम सरकार की अस्पष्ट वैधता के कारण द्विपक्षीय सहयोग और परियोजना क्रियान्वयन में विलंब हो रहा है।
    • राजनीतिक अस्थिरता विकास पहलों और क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डालती है।
  • जन-जन समन्वय में व्यवधान: सार्वजनिक परिवहन का निलंबन और वीज़ा संबंधी जटिलताओं के कारण सीमा पार सांस्कृतिक एवं सामाजिक आदान-प्रदान में कमी आती है।
    • चिकित्सा पर्यटन और शैक्षिक संपर्कों में गिरावट आई है, जिससे ज़मीनी स्तर पर द्विपक्षीय संबंध कमज़ोर हुए हैं।
  • जल विज्ञान और पर्यावरण संबंधी चुनौतियाँ: समन्वित जल संसाधन प्रबंधन के अभाव से बाढ़ और सूखे की संभावना बढ़ गई है।
    • ये पारिस्थितिकीय चिंताएँ संवहनीय सीमापार नदी उपयोग के लिये तत्काल सहकारी तंत्र की मांग करती हैं।

भारत-बाँग्लादेश संबंध कैसे मज़बूत किये जा सकते हैं?

  • CEPA वार्ता आरंभ करना: व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) पर शीघ्र वार्ता की शुरुआत व्यापार सुगमता को संस्थागत रूप देगी तथा आर्थिक संबंधों को मज़बूत करेगी।
    • CEPA टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं का समाधान कर सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) को क्रियाशील बनाना: बाँग्लादेश के विशेष आर्थिक क्षेत्रों का शीघ्र विकास और संचालन भारतीय निवेश को आकर्षित करेगा तथा आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देगा।
    • SEZ औद्योगिक सहयोग तथा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देंगे।
  • जल-विभाजन संधियों को अंतिम रूप देना: तीस्ता जल बँटवारा संधि को अंतिम रूप देना दीर्घकालिक जल-राजनीतिक विवादों के समाधान के लिये अत्यंत आवश्यक है।
    • संयुक्त नदी आयोग को अंतरिम ढाँचे स्थापित करने चाहिये, जो जल वितरण में समानता सुनिश्चित करें।
  • ऊर्जा और विद्युत सहयोग का विस्तार: संयुक्त विद्युत परियोजनाओं और विद्युत व्यापार को व्यापक बनाना आवश्यक है ताकि बाँग्लादेश की तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
    • संयुक्त कार्य समूह जैसे संस्थागत तंत्र को ग्रिड इंटरकनेक्शन और आपूर्ति की प्रक्रिया को तीव्र करना चाहिये।
  • संपर्क पहल को गति देना: रेल, सड़क और अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करना आवश्यक है ताकि व्यापार और जनसंपर्क को बढ़ावा मिल सके।
    • विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार बेहतर कनेक्टिविटी से भारत के निर्यात में 172% की वृद्धि की संभावना है।
  • क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय सहयोग को सशक्त करना: बाँग्लादेश को BIMSTEC, SAARC और IORA जैसे मंचों में क्षेत्रीय धुरी के रूप में स्थापित किया जाना चाहिये।
    • यह साझा हितों को बढ़ावा देगा और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मज़बूत करेगा।
  • विकास साझेदारी ढाँचे में सुधार: भारत की विकास सहायता के दायरे, पहुँच और प्रभाव को बढ़ाने के लिये एक नया समझौता स्थापित किया जाना चाहिये।
    • निरंतर साझेदारी से सतत् और पारस्परिक रूप से लाभकारी परियोजनाएँ सुनिश्चित की जा सकती हैं।
  • सीमापार आव्रजन और सीमा प्रबंधन का डिजिटलीकरण: स्थानीय स्तर पर पारदर्शी और कुशल आव्रजन प्रक्रियाओं के लिये डिजिटल उपकरणों को लागू किया जाना चाहिये।
    • यह सुरक्षा में सुधार, वैध आवागमन में आसानी और अनियमित प्रवासन में कमी लाने में सहायक होगा।
  • सांस्कृतिक और युवा आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: सांस्कृतिक केंद्रों, छात्रवृत्ति कार्यक्रमों और युवा प्रतिनिधिमंडलों का विस्तार किया जाना चाहिये ताकि आपसी संबंधों में गहराई आये।
    • जनकेंद्रित पहलें सरकारों की कूटनीति से परे सौहार्द और विश्वास को सुदृढ़ बनाती हैं।
  • अल्पसंख्यक अधिकारों और सामाजिक स्थिरता पर ध्यान देना: आंतरिक शांति और द्विपक्षीय विश्वास बनाए रखने के लिये अल्पसंख्यक संरक्षण पर सक्रिय सहयोग आवश्यक है।
    • मानवाधिकारों का सम्मान लंबे समय तक सतत् और स्थिर द्विपक्षीय संबंधों के लिये अनिवार्य है।

निष्कर्ष

भारत-बांग्लादेश संबंधों को बनाए रखने के लिये संतुलित कूटनीति, सक्रिय भागीदारी और व्यापार, सुरक्षा एवं कनेक्टिविटी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। लोगों के बीच संबंधों को गहरा करते हुए राजनीतिक अनिश्चितताओं और बाह्य प्रभावों से यथोचित रूप से निपटना आपसी विकास एवं क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करेगा। दक्षिण एशिया के उभरते परिदृश्य में साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिये रणनीतिक सहयोग आवश्यक है।                  

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत-बाँग्लादेश द्विपक्षीय संबंध क्षेत्रीय स्थिरता, संपर्क और आर्थिक विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। टिप्पणी कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार के मूल्य में सतत् वृद्धि हुई है।
  2. भारत और बाँग्लादेश के बीच होने वाले व्यापार में "कपड़ा एवं कपड़े से बनी चीज़ों” का व्यापार प्रमुख है।
  3. पिछले पाँच वर्षों में, दक्षिण एशिया में भारत के व्यापार का सबसे बड़ा भागीदार नेपाल रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 3 

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015)


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