इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन

  • 27 Oct 2023
  • 29 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

IORA, TROIKA, नेल्सन मंडेला, हिंद महासागर क्षेत्र, मत्स्यपालन सहायता इकाई, IORA कार्य योजना, छोटे विकासशील द्वीपीय देश (SIDS), बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, नीली अर्थव्यवस्था, SAARC, BIMSTEC, QUAD (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद), सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (ICT)

मेन्स के लिये:

IORA, IORA सदस्य, उद्देश्य, संस्थागत तंत्र, IORA के सहयोग की प्राथमिकताएँ एवं प्रमुख क्षेत्र, IORA की प्रमुख परियोजनाएँ, IORA की चुनौतियाँ, अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये IORA द्वारा उठाए जाने वाले कदम

इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन: 

  • परिचय: 
    • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) हिंद महासागर की सीमा से लगे देशों के बीच आर्थिक सहयोग एवं क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने हेतु स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है। 
    • IORA के सदस्य देश हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में व्यापार, निवेश तथा सतत् विकास से संबंधित विभिन्न पहलों पर कार्य करते हैं।
  • पृष्ठभूमि:
    • इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन की स्थापना 7 मार्च, 1997 को हुई थी। IORA का दृष्टिकोण वर्ष 1995 में दक्षिण अफ्रीका के दिवंगत राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला की भारत यात्रा के दौरान प्रकाश में आया, उन्होंने कहा,
    • "इतिहास और भूगोल के तथ्यों की प्राकृतिक प्रेरणा की अवधारणा के आलोक में सामाजिक-आर्थिक सहयोग हेतु हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को खुद को मज़बूत बनाना चाहिये।"
    • इससे मार्च 1995 में हिंद महासागर रिम इनीशिएटिव और मार्च 1997 में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन, जिसे क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association for Regional Cooperation- IOR-ARC) के रूप में जाना जाता था, का मार्ग प्रशस्त हुआ।

IORA के सदस्य: 

  • इंडियन ओशन रिम के आसपास के सभी संप्रभु देश जो चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों का पालन करने के लिये सहमत हैं, वे इसकी सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं
    • वर्तमान में 23 सदस्य देश:
      • ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कोमोरोस, फ्राँस, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, केन्या, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, ओमान, सेशेल्स, सिंगापुर, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तंज़ानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, यमन।
    • संवाद भागीदार:
      • चीन, मिस्र, सऊदी अरब, जर्मनी, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम तथा संयुक्त राज्य अमेरिका।
    • विशिष्ट एजेंसियाँ:
      • क्षेत्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (RCSTT) तेहरान, ईरान में स्थित है।
      • मत्स्यपालन सहायता इकाई (FSU) मस्कट, ओमान में स्थित है।
    • दो पर्यवेक्षक:
      • इंडियन ओशन रिसर्च ग्रुप (IORG)
      • वेस्टर्न इंडियन ओशन मरीन साइंस एसोसिएशन (WIOMSA)

IORA के प्रमुख उद्देश्य: 

  • IORA के उद्देश्य निम्नानुसार मुक्त क्षेत्रवाद के सिद्धांत पर आधारित हैं:
    • संबद्ध क्षेत्र तथा सदस्य देशों के सतत् एवं संतुलित विकास को बढ़ावा देना।
    • आर्थिक सहयोग के उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना जो विकास, साझा हित और पारस्परिक लाभ के अधिकतम अवसर प्रदान करते हैं।
    • उदारीकरण को बढ़ावा देने के लिये हिंद महासागर रिम के देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, निवेश एवं प्रौद्योगिकी के मुक्त और संवर्द्धित प्रवाह संबंधी बाधाओं का समाधान करना तथा बाधाओं को कम करना।  

IORA का संस्थागत तंत्र: 

  • मंत्रिपरिषद (Council of Ministers- COM): IORA का सर्वोच्च निकाय (विदेश) मंत्रियों की परिषद (COM) है जिसकी बैठक वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है।
  • वरिष्ठ अधिकारियों की समिति (CSO): इस एसोसिएशन के CSO में सदस्य राज्यों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को शामिल किया जाता है। IORA की गतिविधियों की समीक्षा एवं प्राथमिकता तय करने हेतु  वर्ष में दो बार इसकी बैठक होती है।
  • ट्रोइका (TROIKA): एक "ट्रोइका" में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा पूर्व अध्यक्ष शामिल होते हैं। 
    • इसकी बैठक COM तथा CSO की बैठकों के बीच की अवधि में प्रगति की समीक्षा, अतिरिक्त तंत्र की स्थापना और IORA संस्थानों को नीति निर्देश देने के लिये होती है।
  • सचिवालय: सचिवालय की मेज़बानी मॉरीशस गणराज्य की सरकार द्वारा की जाती है जो साइबर सिटी, एबेने, मॉरीशस में स्थित है।
    • यह मंत्रिपरिषद द्वारा अपनाए गए नीतिगत निर्णयों, कार्य योजनाओं तथा परियोजनाओं के कार्यान्वयन का प्रबंधन, समन्वय, सेवा व निगरानी करता है।
  • कार्यात्मक निकाय: इस एसोसिएशन में गतिविधियों को सुचारु संचालन तथा उन्हें बढ़ावा देने के लिये COM द्वारा कार्य समूह, उप-कार्य समूह, क्षेत्रीय/क्लस्टर कोर समूह एवं संवाद मंच जैसे कार्यात्मक निकाय स्थापित किये गए हैं। उदाहरणतः: 
    • हिंद महासागर रिम अकादमिक समूह (Indian Ocean Rim Academic Group- IORAG)
    • व्यापार और निवेश कार्य समूह (Working Group on Trade and Investment- WGTI)
  • विशिष्ट एजेंसियाँ: IORA के सहयोग से गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु COM द्वारा अपनाए गए सदस्य राज्यों के निर्णय द्वारा स्थापित विशेष एजेंसियाँ।
  • बजट: सचिवालय का वार्षिक बजट सदस्य राज्यों के वार्षिक सदस्यता योगदान पर आधारित होता है।
  • विशेष कोष: इसकी स्थापना मंत्रिपरिषद द्वारा वर्ष 2004 में कोलंबो, श्रीलंका में आयोजित बैठक में की गई थी। यह एक वित्तीय तंत्र है जिसका उपयोग एसोसिएशन द्वारा अनुमोदित परियोजनाओं और कार्यक्रमों के वित्तपोषण के पूरक तथा समर्थन के लिये किया जाता है।

IORA की प्राथमिकताएँ और सहयोग पर केंद्रित क्षेत्र:

हिंद महासागर रिम एसोसिएशन की प्राथमिकता वाले क्षेत्र:

  • समुद्री संरक्षा और सुरक्षा: रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में IORA वर्तमान राष्ट्रीय, क्षेत्रीय एवं विश्वव्यापी पहलों के माध्यम से समुद्री संरक्षा और सुरक्षा (MSS) के क्षेत्र में समन्वय बढ़ाने तथा सामूहिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक है।
    • IORA ने MSS सहित प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिये हिंद महासागर संवाद जैसी प्रमुख पहल भी तैयार की है।
  • व्यापार और निवेश सुविधा: IORA सदस्य देशों ने वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये व्यापार उदारीकरण तथा बाधाओं को कम करने हेतु प्रतिबद्धता जताई है।
    • IORA एक्शन प्लान 2017-2021 में व्यापार और निवेश सुविधा के लिये सात महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं:
      • व्यापार में बाधाओं को कम करने के लिये क्षमता निर्माण।
      • छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये सहयोग।
      • व्यवसायों को व्यापार संबंधी जानकारी प्राप्त करने में सहायता के लिये एक ऑनलाइन IORA ट्रेड रिपोज़िटरी स्थापित करना।
      • निवेश को बढ़ावा देने के लिये एक निवेश गाइड स्थापित करना।
      • IORA की निजी क्षेत्रीय शाखा, हिंद महासागर रिम बिज़नेस फोरम (IORBF) को पुनर्जीवित करना।
      • वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये सहयोग करना। 
      • व्यावसायिक यात्रा को आसान बनाना।
  • मत्स्य प्रबंधन: IORA मत्स्य प्रबंधन क्षेत्र के साथ-साथ ब्लू इकॉनमी के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूती प्रदान  करने को उच्च महत्त्व दे रहा है, जैसा कि IORA एक्शन प्लान 2017-2021 में दर्शाया गया है।
    • IORA मत्स्यपालन सहायता इकाई (FSU), कार्य योजना में उल्लिखित प्रमुख मत्स्यपालन संबंधी मुद्दों की पहचान और उन पर चर्चा करने के लिये IORA प्रयासों का प्रबंधन तथा नेतृत्व करती है।
  • आपदा जोखिम प्रबंधन (DRM): IOR को कभी-कभी ‘वर्ल्डस हज़ार्ड बेल्ट’ कहा जाता है क्योंकि यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह की आपदाओं से ग्रस्त है। IORA, DRM को एक बहु-विषयक अवधारणा के रूप में मान्यता देता है क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (NGO), क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों, दाताओं, नागरिक समाज एवं निजी क्षेत्र सहित कई हितधारकों की भागीदारी शामिल है।
    • सितंबर 2019 में IORA ने IOC-यूनेस्को के सहयोग से सुनामी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की।
    • सदस्य देशों के साथ कोर ग्रुप (इंडोनेशिया, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक और श्रीलंका) वर्तमान में क्षेत्रीय कार्य योजना, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) के लिये IORA दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
  • शैक्षणिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग: मार्च 2017 में IORA राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों द्वारा अपनाया गया जकार्ता कॉनकॉर्ड शैक्षणिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को मज़बूत करने के लिये प्रतिबद्ध है:
    • अनुसंधान और विकास संस्थानों एवं शिक्षाविदों के बीच वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ाना, अनुसंधान क्षमता विकसित करना तथा समुद्री प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करना।
    • अल्प विकसित देशों (LDC) और छोटे विकासशील द्वीपीय राज्यों (SIDS) की चुनौतियों पर विशेष ध्यान देने के साथ मानव विकास को आगे बढ़ाने के लिये सुलभ एवं वहन करने योग्य छात्रवृत्ति तथा क्षमता निर्माण के अवसरों में वृद्धि करना।
    • क्षेत्र में ई-गवर्नेंस एवं अन्य सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी (ICT) समाधानों को अपनाने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्र में साझाकरण व सहयोग को प्रोत्साहित करना।
    • अपने अधिदेशों को बेहतर ढंग से निष्पादित करने के लिये विशिष्ट एजेंसियों को मज़बूत करना।
  • पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: विश्व की एक-तिहाई आबादी या कई जातियों, संस्कृतियों, भाषाओं तथा धर्मों के 2.5 अरब लोग हिंद महासागर क्षेत्र में रहते हैं।
    • IORA सरकारी सहयोग के लिये प्रस्तावित नीति निर्देश निर्धारित करने एवं सदस्य राज्यों, संवाद भागीदारों तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु वार्ता के लिये मंच प्रदान कर पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।

हिंद महासागर रिम एसोसिएशन केंद्रित क्षेत्र:

  • ब्लू इकॉनमी: हिंद महासागर क्षेत्र की रणनीतिक स्थिति के आधार पर IORA ने ब्लू इकॉनमी को सतत्, समावेशी और जन-केंद्रित तरीके से बढ़ाने पर ज़ोर दिया है।
    • IORA सचिवालय ने ब्लू इकॉनमी में निम्नलिखित छह प्राथमिकता स्तंभों की पहचान की है:
      • मत्स्यपालन और जलीय कृषि
      • नवीकरणीय महासागर ऊर्जा
      • बंदरगाह और नौवहन
      • अपतटीय हाइड्रोकार्बन और समुद्री खनिज
      • समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विकास
      • पर्यटन
  • महिला आर्थिक सशक्तीकरण: IORA लैंगिक समानता और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिये प्रतिबद्ध है।
    • IORA ने 1 नवंबर 2013 को पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में मंत्रिपरिषद की 13वीं बैठक में महिला आर्थिक सशक्तीकरण को केंद्र में रखते हुए एक विशेष क्षेत्र के रूप में स्थापित किया।
    • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 पर, IORA ने IORA जेंडर प्लेज जारी की है ।

IORA की प्रमुख परियोजनाएँ:

  • हिंद महासागर संवाद (IOD): IOD को एक स्टैंड-अलोन ट्रैक 1.5 चर्चा (शीर्ष स्तर के राजनीतिक निर्णय निर्माताओं का अनौपचारिक संवाद) के रूप में स्थापित किया गया है, जो हिंद महासागर क्षेत्र के कई महत्त्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर IORA सदस्य राज्यों के प्रमुख प्रतिनिधियों जैसे- विद्वानों, नागरिक समाज के विशेषज्ञों, विश्लेषकों और सरकारों के नीति निर्माताओं, थिंक टैंक के बीच एक पारदर्शी और मुक्त प्रवाह वाली वार्ता को प्रोत्साहित करता है।
  • सोमालिया-यमन विकास कार्यक्रम: यह कार्यक्रम सोमालिया/यमन में मानव विकास की क्षमता बढ़ाने के लिये IORA सदस्य राज्यों के ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से विशेषज्ञों तथा अधिकारियों को एकजुट करता है।
  • IORA सतत् विकास कार्यक्रम (ISDP): ISDP को वर्ष 2014 में LDC, जिन्हें परियोजनाओं के संचालन के लिये सहायता और समर्थन की आवश्यकता होती है, के लिये समर्पित है, इसका मुख्य उद्देश्य IORA सदस्य राज्यों के बीच अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है।
  • IORA-नेल्सन मंडेला बी द लिगेसी इंटर्नशिप प्रोग्राम: इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में युवाओं का एक मज़बूत और बढ़ता आधार तैयार करना है जो सुरक्षित, सुदृढ़ तथा स्थायी रूप से विकसित हिंद महासागर की सुरक्षा की आवश्यकता को समझते हैं तथा उसका समर्थन करते हैं।
  • हिंद महासागर रिम परियोजना में IORA-UN वीमेन द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा: IORA ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर अनुसंधान को मज़बूती प्रदान करने और क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) के साथ सहयोग किया है, जो ऑस्ट्रेलियाई विदेश मामलों और व्यापार विभाग द्वारा समर्थित है।

हिंद महासागर रिम एसोसिएशन भारत के लिये एक प्रमुख ब्लॉक:

  • जनसांख्यिकीय और आर्थिक महत्त्व: 
    • IOR में दुनिया की एक-तिहाई आबादी निवास करती है। यह वैश्विक व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके माध्यम से 80% तेल व्यापार, 50% कंटेनरीकृत कार्गो और 33% थोक कार्गो का परिवहन होता है।
    • यह क्षेत्र सामूहिक रूप से लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है तथा इंट्रा-इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) व्यापार का मूल्य लगभग 800 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • अन्य क्षेत्रीय संगठनों की चुनौतियाँ: 
  • QUAD और चीनी पहल: 
  • IORA एक "सुरक्षित स्थान" के रूप में: 
    • IORA बड़ी-शक्तियों की प्रत्यक्ष प्रतिद्वंद्विता से बचकर भारत और अन्य क्षेत्रीय देशों के लिये एक राजनयिक तथा आर्थिक रूप से "सुरक्षित स्थान" प्रदान करता है।
    • IORA में सदस्यता आम सहमति पर आधारित है, जिससे विवाद कम होते हैं। पाकिस्तान को इस समूह में शामिल नहीं किया गया है, जिसका आंशिक कारण उसका भारत को सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा न देना है।
  • IORA के प्राथमिकता वाले क्षेत्र:
    • IORA सात प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें समुद्री सुरक्षा तथा रक्षा, व्यापार एवं निवेश सुविधा, मत्स्य पालन प्रबंधन, आपदा जोखिम प्रबंधन, शैक्षणिक और वैज्ञानिक सहयोग, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा लैंगिक सशक्तीकरण शामिल हैं।
  • सामरिक महत्त्व:
    • IORA के तहत होने वाली चर्चाओं में रणनीतिक चिंताओं को शामिल किया जाता है, जिसमें स्वतंत्र और खुले हिंद महासागर को बनाए रखने के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है। 
    • इसमें समुद्री डकैती के खिलाफ सुरक्षा और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि क्षेत्र UNCLOS जैसे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों तथा मानदंडों का सम्मान करते हुए एक सुरक्षित एवं समावेशी स्थान बना रहे।
  • सुदृढ़ पहचान:
    • हाल ही में IORA मंत्रिपरिषद की बैठक में "हिंद महासागर की पहचान को सुदृढ़ करना" विषय पर प्रकाश डाला गया।
    • यह हिंद महासागर के देशों की एकता और पहचान को मज़बूत करने के लिये संगठन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

IORA के समक्ष चुनौतियाँ:

  • विविध सदस्यता उद्देश्य:
    •  विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा सहयोग के संदर्भ में IORA की विस्तृत सदस्यता में व्यापक रूप से भिन्न उद्देश्यों वाले देश शामिल हैं।
    • हालाँकि संगठन को विविध दृष्टिकोणों से लाभ होता है, लेकिन मतभेदों के कारण उसे चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिससे समुद्री सुरक्षा में सहयोग को लेकर असहमति भी देखी जाती है।
  • आर्थिक असमानताएँ:
    • IORA विश्व के कुछ सबसे धनी देशों, जैसे- संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कुछ सबसे गरीब देशों जैसे- मोज़ाम्बिक तथा कम सकल घरेलू उत्पाद वाले छोटे द्वीपीय देशों को एक साथ लाता है।
    • इन आर्थिक असमानताओं के परिणामस्वरूप IORA परियोजनाओं में भाग लेने से असमान लाभ हो सकता है, जिससे संभावित रूप से सदस्य राज्यों के बीच आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा और मतभेद हो सकते हैं।
  • अन्य संगठनों के साथ प्रतिस्पर्द्धा:
    • IORA सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित करने और निवेश के लिये कई अन्य क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करता है।
    • वास्तव में IORA के सदस्य देश ऐसे 14 निकायों में शामिल हैं, जिससे IORA के लिये अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना एक चुनौती है।
  • भू-राजनीतिक विवाद:
    • भू-राजनीतिक संघर्षों और विवादों ने IORA के विकास एवं प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न की है। भारत द्वारा पाकिस्तान को IORA की सदस्यता से बाहर करना, विशेष रूप से इन दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को दर्शाता है।
    • यह विवाद न केवल स्थलीय संघर्षों में बल्कि समुद्री क्षेत्र में भी प्रकट हुआ है और इसने अन्य क्षेत्रीय समुद्री संगठनों को भी प्रभावित किया है।
  • चीन की भागीदारी:
    •  भारत मुख्य रूप से BRI के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की भागीदारी पर विश्वास नहीं कर सकता। 
    • जबकि विशेषज्ञों का तर्क है कि चीन की भागीदारी से IORA प्रस्तावों को लाभ हो सकता है, विशेष रूप से ब्लू इइकॉनमी से संबंधित प्रस्तावों को, भारत इसे क्षेत्र में भारत से चीन की ओर सत्ता स्थानांतरित करने के प्रयास के रूप में मानता है।
  • समन्वय एवं सहयोग:
    • सदस्य देशों के बीच प्रभावी समन्वय और सहयोग सुनिश्चित करना IORA की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है, लेकिन अलग-अलग राजनीतिक एजेंडे के कारण यह कार्य चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

IORA के संदर्भ में आवश्यक कदम:

  • आम सहमति और एकता को बढ़ावा: IORA सदस्य देशों को प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर आम सहमति एवं एकता स्थापित करने पर काम करना चाहिये। इसमें सहयोग हेतु अधिक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने के लिये क्षेत्र के भीतर भू-राजनीतिक संघर्षों को उजागर करना शामिल है।
  • आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा: सदस्य राज्यों को व्यापार उदारीकरण, निवेश प्रोत्साहन और क्षेत्रीय मूल्य शृंखलाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए सदस्य देशों के बीच गहन आर्थिक एकीकरण एवं सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • सशक्त सचिवालय और सुव्यवस्थित नौकरशाही: IORA के सदस्य देशों की पहल के लिये प्रभावी समर्थन एवं समन्वय प्रदान करने हेतु IORA सचिवालय को सशक्त करना चाहिये। इसके अलावा संगठन को अपने सदस्यों की ज़रूरतों के प्रति अधिक कुशल एवं उत्तरदायी बनाने हेतु IORA के भीतर नौकरशाही को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिये।
  • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर सशक्त कार्रवाई: IORA सदस्य देशों को समुद्री सुरक्षा, मत्स्य प्रबंधन, आपदा जोखिम प्रबंधन, शिक्षाविदों तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिये।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: IORA को टिकाऊ मत्स्यन, संरक्षण और जलवायु लचीलापन पहल को बढ़ावा देकर, विशेष रूप से ब्लू इकॉनमी के संदर्भ में स्थिरता एवं पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर देना चाहिये।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: सदस्य देशों को क्षेत्र में निवेश और नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिये। IORA को नागरिक समाज, शिक्षा तथा निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिये जागरूकता व पहुँच को बढ़ावा देना चाहिये।
  • संवाद साझेदारों के साथ रणनीतिक जुड़ाव: IORA क्षेत्र के बाहर के लोगों सहित संवाद साझेदारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ सकता है, जो क्षेत्र के विकास और सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।

निष्कर्ष:

IORA को एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन बनाए जाने की संभावना है, लेकिन इस संभावना को पूर्ण करने हेतु नियमित प्रयास, कूटनीति और क्षेत्र की विविध चुनौतियों एवं संभावनाओं का सामना करने के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना हाल ही में घटित समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है। 
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2