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डेली न्यूज़

  • 23 Mar, 2019
  • 20 min read
विविध

अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस- 2019

चर्चा में क्यों?

21 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस मनाया गया। इस वर्ष इसकी थीम ‘मिटीगेटिंग एंड काउंटरिंग राइज़िंग नेशनलिस्ट पोपुलिज़्म एंड इक्सट्रीम सुपरमेसिस्ट आईडियोलॉजी’ (Mitigating and countering rising nationalist populism and extreme supremacist ideologies) है।

प्रासंगिकता

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जातिवादी व अतिवादी विचारधाराओं पर आधारित राष्ट्रवाद का प्रसार हो रहा है।

इसके कारण नस्लवाद, विदेशियों के प्रति घृणा (ज़ेनोफोबिया) और असहिष्णुता तेज़ी से बढ़ रही है।

साथ ही विभिन्न देशों में प्रवासियों, शरणार्थियों, अश्वेतों खासकर अफ्रीकी मूल के लोगों के प्रति हिंसात्मक घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।

ऐसे परिदृश्य में अंतर्राष्ट्रीय नस्लीय भेदभाव उन्मूलन दिवस मनाने का महत्त्व बढ़ जाता है।

पृष्ठभूमि

21 मार्च, 1960 को पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के शार्पविले में लोगों द्वारा नस्लभेदी कानून के खिलाफ किये जा रहे एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान आग लगा दी और 69 लोगों को मार डाला।

1966 में इस दिन को याद करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों को खत्म करने के अपने प्रयासों को बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया।

1979 में इस दिन महासभा ने जातिवाद और नस्लीय भेदभाव के प्रति कार्रवाई के लिये कुछ कार्यक्रम अपनाए।

इसी अवसर पर महासभा ने निर्णय लिया कि 21 मार्च से विश्व में प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाएगा।

नस्लीय भेदभाव

किसी व्यक्ति या समुदाय से उसके जाति, रंग, नस्ल इत्यादि के आधार पर घृणा करना या उसे समान्य मानवीय अधिकारों से वंचित करना नस्लीय भेदभाव कहलाता है।

स्रोत: www.un.org


भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकार ने चालू वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य हासिल किया

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य पार कर लिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि चालू वित्त वर्ष (2018-19) में अब तक विनिवेश से 85,000 करोड़ रुपए जुटाए जा चुके हैं जो निर्धारित लक्ष्य से 5,000 करोड़ रुपए अधिक हैं।

प्रमुख बिंदु

  • पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) ने रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (REC) में सरकार की 52.63 प्रतिशत हिस्सेदारी को 14,500 करोड़ रुपए में खरीदा है।
  • सरकार को केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (CPSE-ETF) की पाँचवी किस्त से करीब 9,500 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर एक दिन में सरकार को इससे 24,000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
  • विनिवेश का सबसे बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा शुरू की गई ETF के कई चरणों से आया जिसके परिणामस्वरूप अकेले इस मोड के माध्यम से कुल 45,730 करोड़ रुपए का संग्रह हुआ।
  • वर्षों से निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति विभाग ने अपने दो प्रमुख उपक्रमों ETF-CPSE ETF और भारत 22-ETF पर निर्भर रहा है। इस वित्त वर्ष के दौरान दो बार भारत-22 की पेशकश की गई जिससे सरकार को 18,729.85 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। 
  • ETF के सब्सक्राइबर को ऐसी इकाइयाँ दी जाती हैं जो ट्रेडिंग के लिये स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं।
  • 14,500 करोड़ रुपए का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन के माध्यम से आया जो REC में सरकार के 52.63 प्रतिशत स्टाक के कारण हासिल हुआ।
  • समझा जाता है कि PFC ने आंतरिक संसाधनों और बाज़ार उधार के माध्यम से इस सौदे को वित्तपोषित किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने अपने विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिये इसी रणनीति का उपयोग किया था क्योंकि ओएनजीसी ने एचपीसीएल में सरकार की पूरी हिस्सेदारी लगभग 37,000 करोड़ रुपए में खरीदी थी।
  • PFC-REC सौदे के अलावा कुछ छोटे स्तर के अधिग्रहण भी हुए। इनमें NBCC द्वारा HSCC लिमिटेड की खरीद तथा WAPCOS द्वारा NPCC लिमिटेड का अधिग्रहण शामिल है।
  • इस साल आए कुछ अन्य IPO में इरकॉन, राइट्स, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और मिश्र धातु निगम लिमिटेड शामिल हैं। कोल इंडिया में 3 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की पेशकश की गई जिसका मूल्य 5,218 करोड़ रुपए था। 

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय विरासत और संस्कृति

आदिवासी कलाकारों के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म

चर्चा में क्यों?


हाल ही में तेलंगाना के दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स/चित्रों को पहली बार वैश्विक ई-कॉमर्स बाज़ार अमेज़न द्वारा वैश्विक मंच पर लाया गया, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।

प्रमुख बिंदु

  • आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स में इनके क्षेत्रों की सहजता एवं सरलता को दर्शाते हुए विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोकाचार को दर्शाया गया है।
  • हालाँकि, कुछ समय पहले तक इन कलाकारों ने अपने पारंपरिक चित्रों को दिखाने की लोगों की मांग को स्वीकार नहीं किया था लेकिन तेलंगाना आदिवासी कल्याण विभाग (Tribal Welfare Department) द्वारा उनकी कला के संभावित संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कुछ चित्रों को मान्यता दी गई।
  • आदिवासी कलाकारों की सभी पेंटिंग्स में सरलता, अद्वितीय पैटर्न और प्रकृति से प्रेरित संदर्भ प्रदर्शित हैं।
  • कुछ महीने पहले अमेज़न ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से पहली बार बिक्री के लिये रखे गए पेंटिंग्स में से 17 पेंटिंग्स की बिक्री की गई जो गोंड, कोया और नाइकपोड समुदायों के कलाकारों द्वारा बनाई गई थी।
  • हैदराबाद में आदिवासी कल्याण विभाग (Tribal Welfare Department in Hyderabad) के आवासीय परिसर में काम करने वाले कलाकारों ने अन्य 35 पेंटिंग्स पूरी कर ली हैं। इन्हें जल्द ही अमेज़न द्वारा ऑनलाइन बिक्री के लिये रखा जाएगा।
  • चित्रों को एक व्यापक मंच प्रदान करने का विचार उस समय आया जब आदिवासी कल्याण विभाग और जनजातीय संग्रहालय (Tribal Museum) के अध्यक्ष ने जनजातीय समुदायों के साथ मिलकर काम करते हुए उनकी पारंपरिक चित्रकला प्रथाओं की अपील को मान्यता प्रदान की।

पेंटिंग्स की विशेषताएँ
Gond Paintings

  • गोंड पेंटिंग्स (Gond Paintings) में चमकीले रंगों और जटिल रेखाओं का उपयोग किया जाता है।
  • गोंड कला में ज्यादातर पक्षियों जैसे कि मोर और जानवरों जैसे- बैल, घोड़े, हिरण, हाथी और बाघ से निकलने वाले पेड़ को दर्शाया गया है।
  • कोया कलाकार (Koya Artists) अपने पवित्र हरिवेनी पोस्ट्स (Hariveni’ posts), पवित्र झंडों (Sacred Flags) और तुम्बा (Big Bottle Gourds) आदि पर चित्रांकन करते हैं।
  • नाइकपोड आदिवासियों (Naikpod tribals) के चित्रों में उनके राजाओं के चेहरे के मुखौटे और पांडवों जैसे-भीम तथा ग्रामीण मंदिर के पारंपरिक देवताओं के प्रतिबिंब हैं।

स्रोत - द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

नवीन लेखा प्रणाली मानक (IndAS)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिज़र्व बैंक ने नवीन लेखा प्रणाली मानक (IndAs) के क्रियान्वयन को दूसरी बार स्थगित किया है। इसका अनुपालन 1 अप्रैल, 2019 से प्रस्तावित था।

मुख्य बिंदु

  • इसे बैंकों द्वारा प्रयोग किये जाने के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संसोधन की आवश्यकता होगी। यह संसोधन अभी तक न हो पाने के कारण IndAS के अनुपालन को स्थगित करना पड़ा। इसके अतिरिक्त रिज़र्व बैंक द्वारा दिशा-निर्देशों का जारी न किया जाना भी इसके स्थगन का कारण है।
  • यह ऋण-हानि प्रावधान (Loan-Loss Provision) के कारण बैंकों के अनुपालन भार में वृद्धि कर सकता है। जो संभावित साख हानि मॉडल (Credit Loss Model) पर आधारित है।
  • IndAS के अनुपालन के लिये बैंकों को अपने सॉफ्टवेयर प्रणाली को परिवर्तित कर इसके अनुरूप करना होगा।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ व वित्तीय संस्थान वर्तमान वित्तीय वर्ष से IndAS का अनुपालन कर रहे हैं, जबकि भारतीय कंपनियाँ वर्ष 2016 से इस लेखा प्रणाली का प्रयोग कर रही हैं।
  • यह बैंकों के वित्तीय बोझ में वृद्धि करेगा।

IndAS क्या है?

  • IndAS एक लेखा प्रणाली है जो अंतर्राष्टीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक के अनुरूप है।
  • वर्ष 2016 में रिज़र्व बैंक ने इसके अनुपालन हेतु  बैंकों के लिये मार्गदर्शन नोट जारी किया था।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड, हिंदुस्तान टाइम्स


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 March)

  • हाल ही में मालदीव की यात्रा पर गईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वहाँ के राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की। दोनों के बीच हुई वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। मालदीव में पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की ओर से यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने समकक्ष मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह की भारत यात्रा के समय दोनों देशों के बीच सहमति वाले मुद्दों के कार्यान्वयन सहित महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। भारत की विदेश मंत्री ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद से भी मुलाकात की और दोनों देशों के हितों वाले मुद्दों पर चर्चा की। सुषमा स्वराज ने मालदीव के रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी और वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर सहित 9 मंत्रियों के साथ संयुक्त मंत्री स्तरीय वार्ता में भी हिस्सा लिया।
  • गिनी के प्रधानमंत्री इब्राहिम कासोरी फोफाना 10 दिन की भारत यात्रा पर आए हैं। इस दौरान हुई वार्ताओं में भारत तथा गिनी ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिये और मज़बूती से काम करने की आवश्यकता बताई। गिनी के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की, जिन्होंने कहा कि इस उच्चस्तरीय यात्रा से भारत-गिनी द्विपक्षीय संबंधों को एक नई रफ्तार मिलेगी। इस समय भारत गिनी के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में शामिल है और दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2017- 18 में लगभग 90 करोड़ डॉलर पहुँच चुका है।
  • शंघाई सहयोग संगठन के देशों का आतंकवाद विरोधी संयुक्त अभ्यास सैरी-अर्का एंटी टेरर इस वर्ष कज़ाखस्तान में होने जा रहा है। भारत और पकिस्तान भी इस संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास में हिस्सा लेंगे। इस अभ्यास की घोषणा क्षेत्रीय आतंकवाद-निरोधी ढाँचे (Regional Anti-Terrorist Structure-RATS) की उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित हुई 34वीं बैठक में की गई। इस बैठक में भारत, कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताज़िकिस्तान, उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों के अलावा RATS की कार्यकारी समिति के सदस्य शामिल हुए। गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान भी SCO के पूर्ण सदस्य हैं। पिछले वर्ष रूस में हुए SCO के वॉर गेम में भी दोनों देशों ने हिस्सा लिया था। SCO का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है।
  • चीन के साथ भारत के लगातार बढ़ते जा रहे व्यापार घाटे पर भारत ने चिंता जताई है। चीन में भारत के नए राजदूत विक्रम मिसरी ने इस मुद्दे का हल निकालना अपनी शीर्ष प्राथमिकता बताया। दोनों देशों के बीच 2017 में 84.44 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार रहा था और इस वित्त वर्ष में यह 100 अरब डॉलर के पार जा सकता है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 58 अरब डॉलर के पार पहुँच चुका है। भारत चावल और चीनी जैसे कृषि उत्पादों, विभिन्न फलों एवं सब्जियों, दवा तथा IT उत्पादों के लिये चीन में बेहतर बाज़ार हिस्सेदारी के लिये उसके साथ मिलकर काम कर रहा है, इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है।
  • हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से प्रसार भारती ने हैदराबाद में दो दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया। सम्मेलन में राष्ट्रीय प्रसारक और निजी भागीदारों के अलावा मलेशिया तथा बांग्लादेश सहित कुछ अन्य देशों के प्रसारण क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रसारण के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक और नवोन्मेष को एक मंच प्रदान करने के साथ ही नई चुनौतियों के बीच प्रसारण उद्योग के लिये नया दृष्टिकोण तैयार करना था।
  • सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स ने चुनावी माहौल में स्वेच्छा से आचार संहिता तैयार की है। इसके तहत फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मतदान से 48 घंटे पहले कोई राजनीतिक प्रचार-प्रसार नहीं करने दिया जाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) तथा फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, गूगल, शेयर चैट तथा टिक टॉक आदि अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के साथ संबद्ध मंत्रालय की बैठक के बाद यह आचार संहिता तैयार की गई है। ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सिन्हा समिति की सिफारिशों के तहत तीन घंटे के भीतर जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126 के तहत किसी भी नियम के उल्लंघन को लेकर कदम उठाएंगे। इस कानून की यह धारा चुनाव के दिन से 48 घंटे पहले किसी भी प्रकार के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाती है।
  • असम में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र डिजिटल चुनावी साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये i-help पहल शुरू की गई है। यह असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) की एक संयुक्त पहल है। यह विशिष्ट पहल डिजिटल डिवाइड को कम करने का काम करेगी तथा आम चुनाव को अधिक समावेशी और सहभागी बनाने के उद्देश्य को पूरा करने में भीं सहायता करेगी। असम की सभी 2528 ग्राम पंचायतों में CSC की उपस्थिति है और वर्तमान में इसके 4587 परिचालन केंद्र राज्य में काम कर रहे हैं।
  • हाल ही में भारत और नेपाल की साझी निधि प्राचीन भाषा संस्कृत के प्रसार के लिये तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का आयोजन काठमांडू में किया गया। काठमांडू में भारतीय दूतावास और भारत के संस्कृति मंत्रालय ने नेपाल संस्कृत विश्वविद्यालय के बाल्मीकि कैंपस के साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मलेन का विषय 'भारत और नेपाल की साझी निधि संस्कृत' रखा गया था। नेपाल अकादमी के कुलपति गंगा प्रसाद उप्रेती सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे और भारत की तरफ से नेपाल में राजदूत मंजीव सिंह पुरी ने इसमें हिस्सा लिया।
  • यूरोपीय संघ के नेता और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेक्ज़िट) की समय-सीमा कुछ और बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। यूरोपीय नेताओं ने अनुच्छेद 50 की प्रक्रिया पूरी करने के लिये कुछ और समय देने तथा ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की समय सीमा इस महीने की 29 तारीख से आगे बढ़ाने पर सहमति जताई है। आपको बता दें कि थेरेसा मे ने संसद की बेक्ज़िट समझौते को रद्द कर चुकी है। यूरोपीय संघ के नेताओं ने कहा है कि UK सरकार के पास अभी भी सभी विकल्प हैं- समझौता करे, समझौता न करे, लंबी अवधि तक छूट ले या फिर अनुच्छेद 50 को खत्म करे।

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