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डेली न्यूज़

  • 20 Sep, 2019
  • 31 min read
शासन व्यवस्था

AICTE द्वारा नई पहलों की शुरुआत

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने भारत में तकनीकी शिक्षा के सुधार हेतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education-AICTE) की कई पहलों (Initiatives) का शुभारंभ किया है।

शुरू की गई मुख्य पहलें

  • ‘मार्गदर्शन’ (Margadarshan) और ‘मार्गदर्शक’ (Margdarshak) के माध्यम से सुविधा प्रदान करना

    • ‘मार्गदर्शन’ (Margadarshan) योजना
      • इस योजना के तहत अच्छी ख्याति प्राप्त या उच्च प्रदर्शन करने वाले कुछ संस्थानों का चुनाव किया गया है, ताकि वे अपेक्षाकृत नए संस्थानों या ऐसे संस्थानों जिनका प्रदर्शन मापदंडों के अनुरूप नहीं रहा है, को परामर्श दे सकें अथवा उनका मार्गदर्शन कर सकें।
      • उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थानों में शिक्षण हेतु जिन उत्कृष्ट प्रणालियों का प्रयोग किया जा रहा है उनकी पहचान की जाएगी एवं उन्हें अन्य संस्थाओं में भी प्रयोग किया जाएगा।
      • इस योजना के तहत नए संस्थानों को 3 साल की अवधि में प्रशिक्षण, कार्यशालाओं, सम्मेलनों आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों को आयोजित कराने के लिये 50 लाख रुपए का फंड भी दिया जाएगा।
    • ‘मार्गदर्शक’ (Margdarshak) योजना
      • इस योजना के तहत उन शिक्षकों या मार्गदर्शकों की पहचान की जाएगी जिन्हें अपने क्षेत्र का अच्छा अनुभव है एवं जो शिक्षण हेतु अपना पर्याप्त समय देने के लिये अभिप्रेरित हैं। इन शिक्षकों को नए संस्थानों में मार्गदर्शक के रूप में भेजा जाएगा।
      • ये सभी मार्गदर्शक नियमित रूप से अपने संस्थानों का दौरा करेंगे एवं यथासंभव उनकी गुणवत्ता में सुधार के लिये सुझाव देंगे ताकि वे संस्थान राष्ट्रीय मान्यता बोर्ड से मान्यता प्राप्त कर सकें।
  • वेस्ट मैनेजमेंट एक्सेलरेटर्स फॉर एस्पायर वीमेन एंटरप्रेन्योर्स समिट (Waste Management Accelerators for Aspire Women Entrepreneurs Summit), 2019

    • यह समिट युवा महिला छात्राओं के लिये देश का सबसे बड़ा समिट होगा, जहाँ अपशिष्ट प्रबंधन में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • यह समिट अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education-AICTE) और भारतीय अपशिष्ट प्रबंधन संस्थान (Institute of Waste Management-IIWM) द्वारा संयुक्त रूप से जयपुर में आयोजित किया जाएगा।
    • AICTE और IIWM द्वारा इच्छुक प्रतिभागियों का पंजीकरण किया जाएगा और उन्हें "स्टार्ट अप इंडिया से लेकर स्टैंड अप इंडिया" से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
  • उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) द्वारा कई अन्य पहलें भी शुरू की गई हैं:

    • एक नए पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है जो आज के प्रतिस्पर्द्धातमक युग के लिये छात्रों/छात्राओं को तैयार करेगा।
    • भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु फीडबैक प्रणाली को व्यापक करना।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद

(All India Council for Technical Education-AICTE)

  • इसकी स्थापना नवंबर 1945 में राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी।
  • इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा के लिये उपलब्ध सुविधाओं पर सर्वेक्षण करना और समन्वित तथा एकीकृत तरीके से देश में विकास को बढ़ावा देना है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार, AICTE में निहित हैं:
  • मानदंडों और मानकों के नियोजन, निर्माण और रखरखाव के लिये सर्वोच्च प्राधिकरण।
  • गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  • देश में तकनीकी शिक्षा का प्रबंधन।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

शिक्षक एवं शिक्षण पर पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन

चर्चा में क्यों?

मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षक एवं शिक्षण पर पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन (Pandit Madan Mohan Malaviya National Mission on Teachers and Teaching- PMMMNMTT) नामक एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना लागू कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना का उद्देश्य प्रदर्शन मानकों की स्थापना और शिक्षकों के अभिनव (Innovative) शिक्षण तथा व्यावसायिक विकास के लिये शीर्ष श्रेणी की संस्थागत सुविधाओं का निर्माण करके शिक्षकों के एक मज़बूत पेशेवर कैडर का निर्माण करना है।
  • वर्तमान केंद्रीय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालय/शैक्षिक संस्थान योजना के तहत केंद्र के विभिन्न घटकों के रूप में अनुमोदित हैं तथा निजी संस्थानों के शिक्षक विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रशिक्षण में भी भाग ले सकते हैं।
  • इसके अलावा अर्पित (Annual Refresher Programme in Teaching- ARPIT) और स्वयं (SWAYAM) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके उच्च पेशेवर शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी पहल को कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसके लिये राष्ट्रीय संसाधन केंद्रों (National Resource Centres- NRCs) के रूप में अनुशासन-विशिष्ट संस्थानों की पहचान की गई है तथा उन्हें अधिसूचित किया गया है।

एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (अर्पित)

(Annual Refresher Programme in Teaching-ARPIT)

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिसंबर 2018 में शिक्षण हेतु वार्षिक रिफ्रेशर कार्यक्रम लॉन्च किया था।
  • अर्पित (एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग) एक ऑनलाइन पहल है जिसके द्वारा MOOCs (Massive Open Online Courses) प्लेटफॉर्म स्वयं (SWAYAM) का उपयोग करके 15 लाख उच्च शिक्षा के शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
  • इसके लिये राष्ट्रीय संसाधन केंद्रों (National Resource Centers-NRCs) की पहचान की गई जो ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री को तैयार करने में सक्षम हैं।
  • राष्ट्रीय विशिष्ट केंद्र संशोधित पाठ्यक्रम को संचालित करने के लिये अनुशासन, नए और उभरते रुझानों, शैक्षणिक सुधार तथा कार्यप्रणाली में नवीनतम विकास पर ध्यान देने के साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री तैयार करने का काम करते हैं।
  • उच्च शिक्षा में शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिये विभिन्न योजनाओं जैसे- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan- RUSA), ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क (Global Initiative for Academics Network- GIAN) तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (Technical Education Quality Improvement Programme- TEQIP) का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क

(Global Initiative for Academics Network- GIAN)

  • भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में उच्चतर शिक्षा के संवर्द्धन हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों की प्रतिभा के प्रयोग के लिये ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की है।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से वैश्विक उत्कृष्टता का भारतीय संसाधनों के परिप्रेक्ष्य में प्रयोग करके भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता की गुणवत्ता में सुधार करना है।

तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम

(Technical Education Quality Improvement Programme- TEQIP)

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिसंबर, 2002 में भारत सरकार के तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
  • इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और संस्थानों की मौजूदा क्षमताओं को बढ़ाना एवं गतिशील बनाना है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा उच्च तथा तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये कई अन्य पहलें भी की जा रही हैं।
  • स्कूली शिक्षा के संबंध में शिक्षकों की भर्ती और सेवा शर्तें मुख्य रूप से राज्य/संघ राज्य सरकारों के प्रशासनिक क्षेत्र में होती हैं। केंद्र सरकार, केंद्र प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के माध्यम से इन्हें सहायता प्रदान करती है।
  • केंद्र सरकार द्वारा शिक्षकों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिये नियमित रूप से सेवारत शिक्षकों के प्रशिक्षण, नए भर्ती किये गए शिक्षकों के लिये प्रशिक्षण और स्कूल प्रबंधन समितियों/स्कूल प्रबंधन विकास समितियों के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी जैसे कदम उठाए गए हैं।
  • ब्लॉक संसाधन केंद्र/क्लस्टर संसाधन केंद्र और राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को स्कूलों में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की स्थापना जैसी डिजिटल तकनीक का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training- NCERT) ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के प्रदर्शन और उपस्थिति को ट्रैक करने हेतु प्राथमिक शिक्षा के लिये प्रदर्शन संकेतक (Performance Indicators- PINDICS) विकसित किये हैं। NCERT द्वारा शिक्षकों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिये राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के साथ PINDICS को साझा किया जाएगा।

प्रदर्शन संकेतक (Performance Indicators- PINDICS)

  • इसका उपयोग शिक्षकों के प्रदर्शन और प्रगति का आकलन करने के लिये किया जाता है। इसमें प्रदर्शन मानक, विशिष्ट मानक और प्रदर्शन संकेतक शामिल हैं।
  • प्रदर्शन मानक वे क्षेत्र हैं जिनमें शिक्षक अपने कार्यों और ज़िम्मेदारियों को निभाते हैं, साथ ही प्रदर्शन मानकों के तहत कुछ विशिष्ट कार्य हैं जिन्हें शिक्षकों द्वारा किये जाने की अपेक्षा की जाती है।
  • PINDICS, शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 24, 29 और सर्व शिक्षा अभियान फ्रेमवर्क वर्ष 2011 में स्कूलों के लिये मानकों को निर्दिष्ट करने वाली अनुसूची पर आधारित है।
  • NCERT के वर्ष 2010-11 में किये गए अध्ययन इन-सर्विस एजुकेशन फ़ॉर टीचर्स (In-service Education for Teachers- INSET) से प्राप्त फीडबैक डेटा का उपयोग करके इसे और बेहतर ढंग से तैयार किया गया है।
  • निम्नलिखित प्रदर्शन मानकों की पहचान की गई है-
    • बच्चों के लिये डिज़ाइनिंग अधिगम अनुभव (Designing Learning Experiences)
    • विषयवस्तु का ज्ञान और समझ (Knowledge and Understanding of Subject Matter)
    • सीखने की सुविधा हेतु रणनीतियाँ (Strategies for Facilitating Learning)
    • पारस्परिक संबंध (Interpersonal Relationship)
    • व्यावसायिक विकास (Professional Development)
    • स्कूल विकास (School Development)
    • शिक्षक की उपस्थिति (Teacher Attendance)
  • भारत में शिक्षको के लिये कार्यक्रमों में गुणात्मक सुधार लाने के लिये चार वर्षीय एकीकृत B.Ed पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई है। इस पाठ्यक्रम के लिये तैयार किये गए मॉडल पाठ्यक्रम में लिंग, समावेशी शिक्षा, सूचना व संचार तकनीक, योग, वैश्विक नागरिकता शिक्षा (Global Citizenship Education- GCED), स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे महत्त्वपूर्ण पहलू शामिल किये गए हैं।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय और शिक्षक शिक्षा के लिये राष्ट्रीय परिषद (National Council for Teacher Education- NCTE) ने शिक्षकों हेतु समर्पित डिजिटल बुनियादी ढाँचा DIKSHA (Digital Infrastucture for Knowledge Sharing) विकसित किया है, जिसका उद्देश्य देश के स्कूली शिक्षकों की नवीन तकनीक आधारित समाधानों तक पहुँच स्थापित करना है।

DIKSHA (Digital Infrastucture for Knowledge Sharing):

  • DIKSHA कार्यक्रम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय और शिक्षक शिक्षा के लिये राष्ट्रीय परिषद (National Council for Teacher Education) के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
  • भारत में कई शिक्षक अपनी कक्षाओं में नवीन तकनीक आधारित समाधानों का निर्माण और उपयोग कर रहे हैं।

स्रोत: pib


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

तापांतर से विद्युत ऊर्जा की उत्पत्ति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जूल (Joule) पत्रिका में तापांतर से विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न करने संबंधी एक शोध प्रकाशित किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • इस प्रोटोटाइप डिवाइस (Prototype Device) में विकिरण शीतलन (Radiative Cooling) का प्रयोग किया गया है। इस शोध में आसपास की इमारतों, पार्को और सूर्यास्त के बाद की वायु के बीच विद्यमान तापांतर का प्रयोग करते हुए विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की गई।
  • ऊष्मागतिकी के नियमों के अनुसार, प्रत्येक वस्तु में ऊष्मा निहित है। नए शोध में विभिन्न वस्तुओं के बीच के तापांतर का प्रयोग करते हुए विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की गई।
  • वर्ष 2014 में, कुछ शोधकर्त्ताओं ने गणना करके बताया था कि एक वर्ग मीटर ठंडे स्थान से 4 वाट ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। यह तकनीक सौर ऊर्जा की तुलना में कम दक्ष है लेकिन रात्रि के समय तापांतर के प्रयोग से ऊर्जा उत्पादन करना बहुत ही लाभदायक होगा।
  • तापांतर से ऊर्जा उत्पन्न करने वाला उपकरण प्रोटोटाइप एक छफिंग डिश (Chafing Dish) के अंदर हॉकी पक (Hockey Puck) सेट जैसा है।
  • पक (Puck) काले रंग से लेपित पॉलीस्टीरिन डिस्क (Polystyrene disk) है और इसे हवा की ढाल की तरफ लगाया जाता है।
  • इस उपकरण में थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर (Thermoelectric Generator) होता है, जो तापांतर से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है। इसी प्रकार की एक डिवाइस का प्रयोग मंगल पर नासा के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity rover) में किया जा रहा है।
  • 6000 वर्ष पहले ईरान और अफ़गानिस्तान में लोग याखचल (Yakhchal) नामक विशाल मधुमक्खी के आकार की ढ़ांँचे का निर्माण करते थे। इस प्रकार के ढ़ांँचे में निष्क्रिय शीतलन प्रभाव का उपयोग करते हुए रेगिस्तान में बर्फ को संग्रहीत किया जाता था।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया


सामाजिक न्याय

आप्रवासन के मामले में भारत का शीर्ष स्थान

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा जारी ‘इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ (Internationl Migrant Stock) नामक रिपोर्ट के अनुसार 17.5 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों के साथ भारत आप्रवासियों के मामले शीर्ष स्थान पर पहुँच गया है। वर्ष 2015 में भारतीय आप्रवासियों की संख्या 15.9 मिलियन थी।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (United Nations Department of Economic and Socia।Affairs- UN DESA) के जनसंख्या प्रभाग के द्वारा जारी ‘इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019’ रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों की संख्या लगभग 272 मिलियन तक पहुँच गई है, जो वर्ष 2001 की तुलना में 51 मिलियन अधिक है।
  • वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों का प्रतिशत बढ़कर कुल वैश्विक आबादी का 3.5 प्रतिशत हो गया है, जबकि वर्ष 2000 में यह 2.8 प्रतिशत था।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय आप्रवासियों के मामले में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है, भारत में रहने वाले आप्रवासियों की संख्या में वर्ष 2015 में 5.24 मिलियन की गिरावट आई, जो वर्ष 2019 में 5.15 मिलियन अनुमानित है।
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत, बांग्लादेशी आप्रवासियों के लिये प्रमुख गंतव्य है।
  • UN DESA के जनसंख्या प्रभाग के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आप्रवासियों की कुल संख्या के एक-तिहाई आप्रवासियों का संबंध केवल 10 देशों से है।
  • भारत के बाद, मेक्सिको 12 मिलियन प्रवासियों के मूल देश के रूप में दूसरे स्थान पर है। इसके बाद क्रमशः चीन (11 मिलियन), रूस (10) मिलियन) और सीरिया (8 मिलियन) का स्थान आता है।

Indias on the move

  • वर्ष 2019 में यूरोपीय क्षेत्र ने 82 मिलियन से भी अधिक आप्रवासियों की मेज़बानी की , उसके बाद क्रमशः उत्तरी अमेरिका (59 मिलियन) और उत्तरी अफ्रीका तथा पश्चिमी एशिया (49 मिलियन) का स्थान है।
  • सभी देशों में अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों (51 मिलियन) की वैश्विक आबादी की सर्वाधिक संख्या (लगभग 19 प्रतिशत) की मेज़बानी करता है।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की कुल संख्या का लगभग 2/5 भाग एक विकासशील देश से दूसरे में चला जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विस्थापन लगातार बढ़ रहा है, वर्ष 2010 से 2017 तक शरणार्थियों (Refugees) और शरण चाहने वालों ( Asylum Seekers) की संख्या में लगभग 13 मिलियन की वृद्धि हुई है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत और बेल्ज़ियम लक्ज़मबर्ग आर्थिक संघ

चर्चा में क्यों?

17 सितंबर, 2019 को भारत और बेल्ज़ियम लक्ज़मबर्ग आर्थिक संघ (Belgium Luxembourg Economic Union -BLEU) के बीच संयुक्त आर्थिक आयोग (Joint Economic Commission-JEC) का 16वाँ सत्र नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत और BLEU ने द्विपक्षीय आर्थिक तथा व्‍यापार संबंधों की दिशा में JEC के महत्‍व को दोहराया है। 
  • तीनो देशों ने परिवहन तथा लॉजिस्टिक, नवीकरणीय ऊर्जा, एयरोस्‍पेस तथा सेटेलाइट ऑडियो और विजुअल उद्योग, कृषि और खाद्य उद्योग, जीवन विज्ञान, पारंपरिक औषधि, आयुर्वेद, योग तथा पर्यटन जैसे पारस्‍परिक हित के विषयों पर संवाद और सहयोग बढ़ाने की आवश्‍यकता पर बल दिया।
  • एक दूसरे के बाज़ारों में पहुँच के लिये तीनों देशों की कई कंपनियों ने इच्छा जाहिर की और बैठक में तीनों देशों के बीच पारस्‍परिक हित के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर ‍भी कि‍ये गए।

भारत तथा BLEU के बीच व्यापारिक संबंधों का महत्त्व

पिछले कुछ वर्षों में भारत तथा BLEU के बीच वाणिज्यिक आदान-प्रदान में में वृद्धि हुई है जैसे-

  • वर्ष 2018-19 में भारत-बेल्ज़ियम तथा भारत-लक्‍ज़मबर्ग के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार क्रमश: 17.2 बिलियन डॉलर तथा 161.98 मिलियन डॉलर का रहा और इसमें वर्ष 2017-18 की तुलना में क्रमश: 41 प्रतिशत और 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
  • अप्रैल 2000 से जून 2019 के बीच बेल्ज़ियम और लक्‍जमबर्ग से संचित प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह क्रमश: लगभग 1.87 बिलियन और 2.84 बिलियन रहा। 

भारत-बेल्ज़ियम संबंध

  • भारत, बेल्ज़ियम का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात स्‍थल है और यूरोपीय संघ के बाहर चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 
  • बेल्ज़ियम से भारत को जवाहरात और आभूषण (अपरिष्‍कृत हीरा), रसायन तथा रासायनिक उत्‍पाद और मशीन तथा मशीनी उत्‍पादों का निर्यात होता है।
  • भारत में बेल्ज़ियम की लगभग 160 कंपनियाँ कार्यरत हैं। 
  • सूचना तथा सॉफ्टवेयर क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों जैसे- TCS, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और HCL ने बेल्ज़ियम और यूरोपीय बाज़ारों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिये बेल्ज़ियम को ही अपना आधार बनाया है।

पृष्ठभूमि

  • भारत और बेल्ज़ियम-लक्‍ज़मबर्ग आर्थिक संघ के संयुक्‍त आर्थिक आयोग की स्‍थापना वर्ष 1997 में की गई थी और यह आयोग द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक विषयों के लिये प्रमुख मंच है।
  • वर्ष 1990 में नई दिल्‍ली में हुए समझौते के आधार पर संयुक्‍त आर्थिक आयोग की बैठक बुलाई जाती है।
  • यह द्विवार्षिक आयोजन वैकल्पिक रूप से तीनों देशों की राजधानियों में आयोजित की जाती है। 
  • JEC भारत और BLEU के बीच आर्थिक तथा वाणिज्यिक विषयों पर चर्चा का मंच है।

स्रोत: पी.आई.बी


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (20 September)

  • 20 सितंबर को चंडीगढ़ में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 29वीं बैठक आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, केंद्रशासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तथा दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार आते हैं। परिषद की बैठक में आने वाले केंद्र तथा राज्यों और एक या अनेक राज्यों के विषयों पर विचार किया जाता है। क्षेत्रीय परिषद व्यापक विषयों पर विचार करती है, जिनमें सीमा संबंधी विवाद, सुरक्षा तथा सड़क परिवहन, उद्योग, जल तथा विद्युत जैसे ढाँचागत विषय आते है। परिषद में वन तथा पर्यावरण, आवास, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, पर्यटन और परिवहन के विषयों पर भी विचार किया जाता है। इस प्रकार क्षेत्रीय परिषद केंद्र तथा राज्यों और क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राज्यों के बीच विवादों के समाधान के लिये मंच प्रदान करती है। गौरतलब है कि पाँच क्षेत्रीय परिषदों का गठन वर्ष 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के खंड 15-22 के अंतर्गत किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री इन सभी क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष होते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency-IAEA) के 63वें महाधिवेशन का आयोजन 16 से 20 सितंबर तक वियना इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। IAEA के 171 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में पश्चिम एशिया में IAEA के सुरक्षा मानकों, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के अलावा एजेंसी की तकनीकी सहयोग की गतिविधियों को मज़बूती प्रदान करने पर चर्चा की गई। परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. के.एन. व्यास ने ने इस महाधिवेशन में भारत की विएना में में शुरुआत की गई। इसके आधार पर नेशनल कैंसर ग्रिड (NCG) की स्थापना हुई और टाटा मेमोरियल सेंटर ने इसका प्रबंधन किया। इसमें भारत से 183 हितधारक हैं और इसे कैंसर अस्पतालों और विदेशों के अन्य संबंधित संस्थानों के लिये खोला गया है। एनसीजी का उद्देश्य कैंसर के इलाज में असमानता को दूर करना है।
  • घटते जल संसाधनों और जल संरक्षण की आवश्‍यकता, और जल संसाधनों के निरंतर और न्‍यायसंगत इस्‍तेमाल के बारे में आम जनता को व्‍यापक रूप से जागरूक करने के लिये जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन विभाग ने राष्‍ट्रीय जल संग्रहालय विकसित करने की पहल की है। जल संसाधन विभागने नई दिल्ली में 19-20 सितंबर को एक अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। जल संग्रहालय विकसित करने में योगदान देने वाले भारत और विदेश के जाने-माने विशेषज्ञों ने इसमें हिस्सा लिया। विश्‍व में इस तरह की पहल करने वाले एक प्रमुख संगठन ग्‍लोबल नेटवर्क ऑफ वाटर म्‍यूज़ियम के कार्यकारी निदेशक और सह-संस्‍थापक एरी‍बर्टो यूलिसने भी इसमें शिरकत की। कार्यशाला में संग्रहालय की विस्‍तृत रूपरेखा पर चर्चा की गई, जिसमें जल के महत्त्व और देश के विभिन्‍न भागों में उसकी स्थिति, संभावित समाधान, परंपरागत और आधुनिक जल प्रबंधन कार्य प्रणाली तथा सफलता की स्‍थानीय गाथाएँ आदि शामिल थीं। विदित हो कि पानी के निरंतर इस्‍तेमाल के लिये सभी साझेदारों और आम जनता के व्‍यवहार में बदलाव लाने के लिये जलशक्ति मंत्रालय द्वारा की गई अनेक पहलों में से यह एक पहल है।
  • भारत सरकार ने वायु सेना के उपप्रमुख एयर मार्शल आर.के.एस. भदौरिया को वायु सेना का प्रमुख यानी एयर चीफ मार्शल नियुक्त करने का फैसला किया है। उनकी नियुक्ति एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ की सेवानिवृत्ति के बाद प्रभावी होगी जो 30 सितंबर, 2019 को सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं। एयर मार्शल आर.के.एस. भदौरिया ने जून 1980 में भारतीय वायु सेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशन प्राप्‍त किया था और वह विभिन्न कमान, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल पदों पर रहे हैं। वह भारत को फ्राँस से जल्द ही मिलने वाले राफेल युद्धक विमान को भी उड़ा चुके हैं।

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