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डेली न्यूज़

  • 19 Sep, 2019
  • 34 min read
सुरक्षा

पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट

चर्चा में क्यों?

दूसरे देशों में रह रहे सिख समुदाय के 312 ऐसे लोग जो ‘पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट’ (Post-Militancy Adverse List) में शामिल थे, को इस सूची से हटा दिया गया है। अब ये लोग भारतीय वीज़ा की प्राप्ति के लिये वैध माने जाएंगे।

off the blacklist

पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट के बारे में

  • इसे वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू-स्टार और वर्ष 1985 में कनिष्क बम विस्फोट के बाद तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा बनाया गया था।
  • इस सूची में शामिल अधिकांश लोग गैर-निवासी सिख थे, जो USA, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में रहते थे।
  • दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय मूल के सिख समुदाय के लोगों से संबंधित इस सूची को खुफिया सूचनाओं/आगतों के आधार पर गृह मंत्रालय की देखरेख में रखा जा रहा था।
  • खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई यह सूची दूसरे देशों में स्थित भारत के सभी उच्चायोगों के पास उपलब्ध होती थी, जो इसमें शामिल लोगों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्याें के लिये भी भारतीय वीजा प्राप्ति में रुकावट थी।
  • उल्लेखनीय है कि यह सूची न केवल खालिस्तानी उग्रवादियों से संबंधित है बल्कि कोई भी व्यक्ति जो अवैध तरीके से भारत में घुसने की कोशिश करता है अथवा वीज़ा नियमों का उल्लंघन करता है, उसे इस सूची में डाल दिया जाता है।

पृष्ठभूमि/संदर्भ

  • 1980 के दशक में जब सिख उग्रवाद अपने चरम पर था, तब इस समुदाय के कई सदस्य भारत-विरोधी प्रोपगेंडा एवं गतिविधियों के दुष्प्रभाव में आ गए थे।
  • तत्कालीन सरकार की कठोर कार्रवाई एवं भारत में वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के मद्देनज़र कुछ सिख समुदाय के लोगों ने भारत से भागकर दूसरे देशों में शरण ले ली तथा विदेशी राष्ट्रीयता हासिल कर ली।
  • पंजाब के प्रमुख दलों द्वारा लंबे समय से इस सूची से लोगों का नाम हटाने के लिये प्रयास किया जा रहा था और कहा जा रहा था कि ऐसे सभी सिखों जो 1980 और 1990 के दशक में खासकर ऑपरेशन ब्लू-स्टार एवं सिख विरोधी दंगों की वज़ह से भटक गए थे, को भी पंजाब तथा दरबार साहिब जाने का अधिकार होना चाहिये।
  • अगस्त 2016 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था कि ‘‘सरकार ने ब्लैकलिस्ट में शामिल भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के मामलों की समीक्षा की है और इसमें से 225 लोगों का नाम हटाने का फैसला किया है।’’
  • वर्तमान में भी सरकार द्वारा 314 लोगों की इस सूची की समीक्षा के उपरांत 312 लोगों को इससे हटा दिया गया है, जबकि दो लोग शेष बचे हैं, जो वीज़ा ओवरस्टेइंग (Visa overstaying) से संबद्ध हैं।
  • वर्ष 2016 के पंजाब विधानसभा चुनावों के पहले इस ब्लैकलिस्ट से कुछ नामों को हटाया गया था।

प्रभाव

  • इस समीक्षा के माध्यम से संदर्भित सिख विदेशी नागरिकों को अब भारत आने, अपने परिवार के सदस्यों से मिलने एवं उनसे जुड़ने का मौका मिलेगा।
  • सूची से हटाए जाने के बाद ये सभी लोग अब दीर्घकालिक भारतीय वीज़ा प्राप्त करने के लिये पात्र होंगे।
  • ये लोग दो साल की अवधि का सामान्य वीज़ा आवेदन के पश्चात् भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) कार्डधारक के रूप में पंजीकरण हेतु आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी

चर्चा में क्यों?

सरकारी विभागों के अधीनस्थ पदों पर चयन हेतु आयोजित की जाने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये एक नए संस्थान ‘नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी’ (National Recruitment Agency-NRA) के गठन पर विचार किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इससे सरकारी विभागों में ग्रुप-B (अराजपत्रित ), ग्रुप-C (गैर-तकनीकी ) और लिपिक पदों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में समकक्ष पदों पर भर्ती होने की उम्मीद है।
  • प्रस्तावित नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के माध्यम से कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission-SSC) तथा बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (Institute of Banking Personnel Selection-IBPS) द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रारंभिक परीक्षा के दायित्व को कम किया जा सकता हैं, जो कि एक व्यापक कार्ययोजना हैं।
  • प्रस्ताव के अनुसार, नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी प्रारंभिक परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों की सूची मुख्य परीक्षा हेतु संबंधित भर्ती एजेंसी SSC, IBPS को भेजेगी।
  • संयुक्त स्नातक स्तरीय (Combined Graduate Level) परीक्षा सहित SSC द्वारा आयोजित की जाने वाली अन्य परीक्षाएं भी नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी द्वारा कराए जाने का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि SSC द्वारा ही विभिन्न सरकारी विभागों में अनुभाग अधिकारियों तथा सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयकर विभाग एवं रेल मंत्रालय के लिये परीक्षाएँ आयोजित कराई जाती हैं।
  • इसी प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लिपिक स्तर पर आयोजित की जाने वाली परीक्षा नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी द्वारा कराए जाने का प्रस्ताव हैं।

कर्मचारी चयन आयोग (SSC)

  • कर्मचारी चयन आयोग कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का संबद्ध कार्यालय है।
  • भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के एक संकल्प द्वारा 4 नवंबर,1975 को अधीनस्थ सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। जिसे 26 नवंबर 1977 को कर्मचारी चयन आयोग के नाम से पुनः गठित किया गया।
  • यह सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में ग्रुप-B तथा ग्रुप-C के पदों पर भर्ती कराता है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS)

  • IBPS वर्ष 1984 में स्थापित एक स्वायत्त निकाय है।
  • यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है और बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के तहत एक सार्वजनिक ट्रस्ट भी है।
  • यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि- कर्मियों की भर्ती, चयन, नियुक्ति आदि में संगठनों को सहायता प्रदान करने के लिये बनाया गया था।
  • इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

ई-सिगरेट निषेध अध्‍यादेश

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट यानी इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट (उत्‍पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) निषेध अध्‍यादेश-2019 की घोषणा को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस अध्‍यादेश की घोषणा के बाद ई-सिगरेट का किसी भी प्रकार से उत्‍पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित), वितरण और विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
  • इस अध्यादेश के उल्लंघन पर सज़ा का प्रावधान निम्नलिखित रूप से है:
    • यदि कोई व्यक्ति पहली बार यह अपराध करता है तो उसे अधिकतम 1 वर्ष तक की कैद अथवा 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।
    • यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार या बार-बार इस प्रकार का अपराध करता है तो उसे अधिकतम 3 वर्षों की कैद अथवा 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।
    • साथ ही इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट के भंडारण के लिये भी 6 माह तक की कैद या 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा का प्रावधान है।
  • अध्‍यादेश के अनुसार, इसके लागू होने की तिथि तक जिन लोगों के पास भी ई-सिगरेट का भंडार होगा उन्हें स्वतः ही इसकी सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन में देकर इन सभी ई-सिगरेट्स को वहाँ की पुलिस के पास जमा करना होगा।
  • अध्‍यादेश के तहत पुलिस उप निरीक्षक (Sub-Inspector) को इस संदर्भ में कार्यवाही करने के लिये प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिये केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार किसी अन्य समकक्ष अधिकारी को भी प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकती है।

क्या प्रभाव होगा इस अध्यादेश का?

  • ई-सिगरेट के निषेध के निर्णय से लोगों, विशेषकर युवाओं और बच्‍चों को ई-सिगरेट से होने वाले जोखिमों से बचाने में मदद मिलेगी साथ ही उन्हें इसके प्रयोग की बुरी लत से भी बचाया जा सकेगा। अध्‍यादेश के लागू होने से सरकार के तंबाकू (Tobacco) नियंत्रण के प्रयासों को भी बल मिलेगा और तंबाकू के इस्‍तेमाल में कमी लाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे जुड़े आर्थिक बोझ और बीमारियों में भी कमी आएगी।

क्या होती है ई-सिगरेट?

  • ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम (Electronic Nicotine Delivery Systems-ENDS) एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटिन, प्रोपलीन, ग्लाइकॉल, पानी, ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल (Aerosol) बनाता है, और यह एक असली सिगरेट जैसा अनुभव देता है।
  • यह डिवाइस सर्वप्रथम वर्ष 2004 में चीनी बाज़ारों में ‘तंबाकू के स्वस्थ विकल्प’ के रूप में बेची गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वर्ष 2005 से ही ई-सिगरेट उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन चुका है और आज इसका बाज़ार लगभग 3 अरब डॉलर का हो गया है।
  • भारत में 30-50 प्रतिशत ई-सिगरेट्स ऑनलाइन बिकती हैं और चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश है।

ई-सिगरेट का स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • ई-सिगरेट का अत्यधिक प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिये काफी गंभीर साबित हो सकता है। चूँकि ई-सिगरेट में निकोटिन की अधिकता पाई जाती है, इसलिये इसके प्रयोग से ब्लडप्रेशर संबंधी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  • ई-सिगरेट न सिर्फ कैंसर का कारण बन सकता है, बल्कि इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • कई अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये बहुत हानिकारक है। ई-सिगरेट पीने वाले लोगों में श्वसन और जठरांत्र संबंधी रोग पाए गए।
  • इसके प्रयोग से मस्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न होती है एवं सिखाने की क्षमता में भी कमी आती है।
  • इसके अतिरिक्त यह डिप्रेशन को भी बढ़ा सकता है।

पृष्‍ठभूमि

  • वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिये एडवाइज़री जारी की थी, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘देश में ई-सिगरेट के उभरते खतरे से निपटने’ में देरी करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
  • सरकार की एडवाइज़री के पश्चात् अब तक कुल 16 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश ने अपने क्षेत्राधिकारों में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) द्वारा ई-सिगरेट के विषय में जारी एक हालिया श्वेतपत्र में भी वैज्ञानिक साक्ष्‍यों के आधार पर ई-सिगरेट्स पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई थी।
  • साथ ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organization-WHO) ने भी सदस्‍य देशों से मांग की है कि वे इस प्रकार के उत्‍पादों को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास करें।

निष्कर्ष

ध्यातव्य है कि ई-सिगरेट उद्योग द्वारा इसे धूम्रपान निवारण उपकरण के रूप में बढ़ावा दिया गया था, परंतु अब तक धूम्रपान निवारण उपकरण के रूप में इसकी क्षमता को सत्यापित नहीं किया जा सका है। भारत में ई-सिगरेट का प्रचलन काफी तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण यह देश में तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों के लिये एक चुनौती बना हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सराहनीय है, परंतु नियम बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि उसका पालन भी सख्ती से हो, ताकि कम-से-कम समय में इसके उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

उदारीकृत प्रेषण योजना

चर्चा में क्यों ?

भारत ने उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme-LRS) के तहत जुलाई 2019 में 1.69 बिलियन डॉलर का अब तक का उच्चतम मासिक प्रवाह दर्ज किया।

प्रमुख बिंदु

  • पिछले पाँच वर्षों में ‌ LRS के तहत निवासी भारतीयों द्वारा निधियों का बहिर्प्रवाह इसी अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निधियों के अंतर्प्रवाह के लगभग बराबर रहा है, जो भारत में पूंजी-प्रवाह को उक्त संदर्भित मात्रा तक निष्फल साबित करता है।
  • पिछले पाँच वर्षों में LRS योजना के तहत धन के बहिर्प्रवाह में तेज़ी से वृद्धि देश से पूंजी के बाह्य गमन को इंगित करता है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिये सकारात्मक सूचक नहीं है।

उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के बारे में

  • यह योजना RBI के तत्वावधान में फरवरी 2004 में 25,000 डॉलर की सीमा के साथ प्रारंभ की गई थी। LRS की इस सीमा को प्रचलित मैक्रो एवं माइक्रो आर्थिक स्थितियों के अनुरूप विभिन्न चरणों में संशोधित किया जाता रहा है।
  • वर्तमान समय में LRS के तहत सभी निवासी व्यक्तियों जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं, को किसी भी अनुमेय चालू या पूंजी खाता लेनदेन या दोनों के संयोजन के लिये प्रत्येक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) तक 2,50,000 डॉलर तक की छूट दी जाती है।
  • नाबालिग प्रेषक के मामले में LRS घोषणा-पत्र को नाबालिग के बायोलॉजिकल अभिभावक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाना आवश्यक है।
  • यह योजना किसी कॉर्पोरेट, फर्म, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) एवं ट्रस्ट आदि के लिये उपलब्ध नहीं है।
  • LRS के तहत प्रेषण की आवृति पर कोई प्रतिबंध नहीं है, किंतु एक वित्तीय वर्ष के दौरान भारत में सभी स्रोतों से प्रेषित अथवा उनके माध्यम से खरीदे गए विदेशी मुद्रा की कुल राशि 2,50,000 डॉलर की निर्धारित संचयी (Cumulative) सीमा के भीतर होनी चाहिये।
  • ध्यातव्य है कि यदि एक बार किसी वित्तीय वर्ष के दौरान 2,50,000 डॉलर की निर्धारित सीमा तक की राशि प्रेषित कर दी जाती है, तो एक निवासी व्यक्ति इस योजना के तहत उस वित्तीय वर्ष में आगे कोई प्रेषण करने के लिये पात्र नहीं होगा, भले ही उसके द्वारा निवेश की आय देश में वापस ही क्यों न लाई गई हो।

प्रेषित राशि के अधिकृत प्रयोग:

FEMA (संशोधित), 2015 के नियम के तहत एक निवासी व्यक्ति निम्नलिखित प्रयोजनों के लिये LRS के अंतर्गत विदेशी मुद्रा सुविधाओं का लाभ उठा सकता है:

चालू खाता लेनदेन के तहत:

  • किसी भी देश की निजी यात्रा (नेपाल और भूटान को छोड़कर)
  • उपहार या दान
  • रोज़गार हेतु विदेश गमन
  • उत्प्रवास
  • विदेश में करीबी रिश्तेदारों की देखभाल
  • व्यवसाय संबंधी यात्रा, किसी सम्मेलन अथवा विशेष प्रशिक्षण में भाग लेने, चिकित्सा खर्चों की पूर्ति क लिये एवं चेक-अप या चिकित्सा उपचार हेतु विदेश जाने वाले किसी मरीज़ के परिचारक के रूप में यात्रा के लिये
  • विदेश में चिकित्सा उपचार संबंधी व्यय
  • विदेश में पढाई के लिये
  • कोई भी अन्य चालू खाता लेनदेन जो FEMA,1999 में चालू खाता की परिभाषा में न आता हो

पूंजी खाता लेनदेन के तहत:

  • विदेशों में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलना।
  • विदेश में संपत्ति की खरीद।
  • विदेशों में निवेश करना- सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध दोनों तरह की विदेशी कंपनियों या ॠण उपकरणों के अधिग्रहण और शेयरों को रखना; निदेशक पद के लिये एक विदेशी कंपनी के योग्यता शेयरों (Qualification Shares) का अधिग्रहण ; पेशेवर सेवाओं या निदेशक के पारिश्रमिक के बदले में एक विदेशी कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण करना; म्युचुअल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स, अनरेटेड डेट (debt) सिक्योरिटीज एवं प्रोमिसीअरी नोट्स की इकाइयों में निवेश।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के नियम एवं शर्तों के अधीन भारत के बाहर पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक और संयुक्त उद्यम स्थापित करना।
  • ऐसे गैर-निवासी भारतीयों (NRIs) को भारतीय रुपए में ॠण प्रदान करना जो कंपनी अधिनियम, 2013 में परिभाषित किये गए रिश्तेदार हैं।

योजना के तहत निषिद्ध विषय:

LRS के तहत निम्नलिखित विषयों के संदर्भ में प्रेषण सुविधा उपलब्ध नहीं है-

  • FEMA की अनुसूची-I के तहत विशेष रूप से निषिद्ध किसी भी उद्देश्य के लिये प्रेषण (जैसे कि लॉटरी टिकट/जुआ ,पत्रिकाओं का संचालन आदि) या विदेशी विनिमय प्रबंधन नियम (चालू खाता लेनदेन), 2000 की अनुसूची-II के तहत प्रतिबंधित कोई वस्तु।
  • विदेशों में द्वितीयक बाज़ार में भारतीय कंपनियों द्वारा जारी विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड (FCCB) की खरीद के लिये प्रेषण।
  • विदेशों में विदेशी मुद्रा में व्यापार के लिये प्रेषण।
  • समय-समय पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा ‘गैर-सहकारी देशों और क्षेत्रों ‘ के रूप में पहचान किये गए देशों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूंजी खाता प्रेषण।
  • उन व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेषण, जिन्हें RBI द्वारा बैंकों को अलग से दिये गए निर्देश के अंतर्गत आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के संदर्भ में पहचाना गया हो।

NOTE: प्राधिकृत व्यक्ति के माध्यम से LRS के तहत सभी लेनदेन के लिये निवासी व्यक्ति को अपना स्थायी खाता संख्या (PAN) देना अनिवार्य है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999

(Foreign Exchange Management Act)

  • यह अधिनियम भारत में विदेशी मुद्रा लेन-देन के प्रशासन के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • FEMA जो कि 1 जून 2000 से प्रभावी हुआ, के तहत विदेशी मुद्रा से जुड़े सभी लेनदेन को पूंजी या चालू खाता लेनदेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • चालू खाता लेनदेन : एक निवासी द्वारा किये गए सभी लेनदेन जिनके कारण उसकी संपत्ति या देनदारियों (भारत के बाहर आकस्मिक देनदारियों सहित) में कोई परिवर्तन न हो, को चालू खाता लेनदेन के अंतर्गत रखा जाता है। उदाहरणार्थ- विदेशी व्यापार के संबंध में भुगतान, विदेश यात्रा, शिक्षा आदि के संबंध में व्यय।
    • पूंजी खाता लेनदेन: भारत के किसी निवासी द्वारा किये जाने वाले ऐसे लेनदेन जिससे भारत के बाहर उसकी संपत्ति या देनदारियों में परिवर्तन (या तो वृद्धि या कमी) हो। उदाहरणार्थ- विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश, भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण आदि।
  • निवासी भारतीय: 'भारत में रहने वाले व्यक्ति' को FEMA, 1999 की धारा 2 (V) में परिभाषित किया गया है, जिसके अंतर्गत -
    • कुछ अपवादों को छोड़कर, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 182 दिनों से अधिक समय तक भारत में रहने वाला व्यक्ति।
    • भारत में पंजीकृत या निगमित कोई भी व्यक्ति या कॉर्पोरेट निकाय ।
    • भारत में एक कार्यालय, शाखा या एजेंसी जिसका स्वामित्व या नियंत्रण भारत से बाहर के किसी व्यक्ति के पास हो।
    • भारत के बाहर का कोई कार्यालय, शाखा या एजेंसी जिसका स्वामित्व या नियंत्रण भारत के किसी निवासी व्यक्ति द्वारा किया जाता हो।

स्रोत: लाइव मिंट


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (19 September)

  • भारत सरकार ने देश की सीमाओं का इतिहास नए सिरे से लिखे जाने के लिये स्वीकृति दे दी है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय, अभिलेखागार महानिदेशालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने 17 सितंबर को इस बारे में नई दिल्‍ली में एक बैठक की। बैठक में प्रस्तावित किया गया कि नए सिरे से सीमाओं का इतिहास लिखने के इस काम में सीमाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समाहित किया जाएगा, जिसमें सीमांकन और परिसीमन , बदलाव, सुरक्षा बलों की भूमिका; सीमावर्ती लोगों की भूमिका, उनके जीवन की सांस्‍कृतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को शामिल किया जाएगा। इससे विशेष रूप से अधिकारियों को देश की सीमाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। अपनी तरह की इस विशेष परियोजना में सीमाओं के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सीमाओं के इतिहास का उल्लेख किया जाएगा। इनमें सीमाओं के बनने-बिगड़ने, निर्धारण, लोगों को दूसरी जगहों पर भेजे जाने, सुरक्षा बलों की भूमिका, सीमावर्ती क्षेत्रों की भूमिका का भी उल्लेख किया जाएगा। इस परियोजना के दो वर्षों में पूरा होने की संभावना है। इससे सामान्य लोगों की सीमाओं के बारे में समझ बढ़ेगी और अधिकारियों को इससे विशेष मदद मिलेगी। विदित हो कि यह आम लोगों तथा खासतौर से सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राष्ट्रीय सीमाओं के प्रति जागरूक बनाने की अपनी तरह की पहली परियोजना है।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में विश्व में भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक रही। संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 विश्वभर में भारतीय प्रवासियों की कुल संख्या 17.5 मिलियन है, जबकि विश्वभर में कुल प्रवासियों का आधिकारिक आँकड़ा 272 मिलियन का है। यूएन डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स की पॉपुलेशन डिवीज़न ने ये आँकड़े जारी किये हैं। ये आँकड़े अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की आयु, लिंग और उनके मूल स्थान के आधार पर जारी किये गए हैं। भारत के बाद दूसरा नंबर मेक्सिको का है, उसके प्रवासियों की संख्या 11.8 मिलियन है। तीसरे नंबर पर चीन और रूस हैं, जिनकी प्रवासी संख्या क्रमशः 10.7 और 10.5 मिलियन है। इस बीच वर्ष 2019 में लगभग 5.1 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी भारत में आए। UN DESA ने पूरे विश्व में प्रवासियों के किसी एक क्षेत्र में सबसे अधिक पहुँचने का आँकड़ा भी जारी किया है। यूरोप में सबसे अधिक 82 मिलियन प्रवासी आए जबकि उत्तरी अमेरिका में 59 मिलियन प्रवासी इस वर्ष पहुँचे।
  • भारतीय डाक विभाग बोस्निया और हर्जेगोविना, ब्राज़ील, इक्वाडोर, कज़ाखस्तान, लिथुआनिया और उत्तरी मेसेडोनिया के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्पीड पोस्ट (ईएमएस) सेवा प्रारंभ करने जा रहा है। ईएमएस यानी एक्सप्रेस मेल सर्विस यूज़र्स को दस्तावेज़ भेजने में सहायक है और यह तेज़ गति से दस्तावेज़ भेजती है। उपभोक्ता इंटरनेट पर भेजे गए सामान की जानकारी भी ले सकते हैं। इस सुविधा से इन देशों में रहने वाले लोगों के साथ संपर्क में मज़बूती आएगी तथा व्यापार में वृद्धि होगी क्योंकि ईएमएस छोटे तथा मझोले उद्यमों के लिये लोकप्रिय माध्यम है। भारतीय डाक विभाग अभी 100 देशों के लिये स्पीड पोस्ट सेवा उपलब्ध करा रहा है।
  • कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय ने विश्व की प्रमुख आईटी कम्पनी आईबीएम के साथ एक समझौता किया है, जिसके अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिये देशव्यापी कार्यक्रम चलाया जाएगा। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आईटीआई प्रशिक्षकों को दैनिक प्रशिक्षण गतिविधियों में तकनीक के इस्तेमाल के लिये बेसिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रशिक्षकों को बुनियादी दृष्टिकोण कार्यप्रवाह और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एप्लीकेशन में सहायक बनाना है, ताकि वे अपने प्रशिक्षण मॉड्यूल में इसका उपयोग कर सकें। आईबीएम का उद्देश्य देशभर के ITI के 10,000 फैकल्टी सदस्यों को प्रशिक्षित करना है। यह कार्यक्रम एक वर्ष का होगा और इसमें 200 कार्यशालाओं के साथ 7 स्थानों पर 14 प्रशिक्षक होंगे। यह कार्यक्रम युवाओं को आधुनिक प्रौद्योगिकी ज्ञान और कौशल से लैस करने के लिये होंगे। यह डिजिटल कुशलता विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने वाले प्रशिक्षकों को गुणवत्ता प्रदान करेगी। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को दो हिस्सों में बाँटा जाएगा, जहाँ कार्यशाला को ऑनलाइन मॉड्यूल द्वारा सहयोग दिया जाएगा, ताकि फैकल्टी के सदस्यों को समग्र रूप से सीखने का मौका मिले। कार्यक्रम के बाद कार्यशाला में शामिल लोगों का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका में डॉ. कलाम स्मृति अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार 2019 से नवाज़ा गया। यह पुरस्कार तनाव, संघर्ष और आतंकवाद से मुक्त शांतिपूर्ण और समृद्ध दक्षिण एशिया बनाने में उल्लेखनीय सहयोग के लिये दिया जाता है। यह पुरस्कार देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की स्मृति में स्थापित किया गया है। डॉ. कलाम स्मृति अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के मुख्य सलाहकार राजदूत टी.पी. श्रीनिवासन ने ढाका में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक समारोह में शेख हसीना को यह पुरस्कार प्रदान किया। शेख हसीना बांग्लादेश की 9वीं राष्ट्रीय संसद के सरकारी पक्ष की अध्यक्ष एवं बांग्लादेश अवामी लीग की शीर्ष नेता हैं। वे बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम के शीर्ष नेता तथा बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति राष्ट्रीय जनक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की पुत्री हैं।
  • 18 सितंबर को मुंबई के डोम एनएससीआई एसवीपी स्टोडियम में भारतीय फिल्म इंडिया के प्रतिष्ठित आइफा (इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी) अवॉर्ड 2019 (IIFA Awards 2019) का आयोजन किया गया। इस बार बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड ‘राजी’ को मिला और इस फिल्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आलिया भट्ट को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। फिल्म ‘पद्मावत’ के लिये रणवीर सिंह को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया। यह आइफा का 20वाँ संस्करण है और इस बार इसका आयोजन किसी दूसरे देश में नहीं बल्कि मुंबई में ही हुआ।

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