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ई-सिगरेट निषेध अध्‍यादेश

  • 19 Sep 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट यानी इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट (उत्‍पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) निषेध अध्‍यादेश-2019 की घोषणा को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस अध्‍यादेश की घोषणा के बाद ई-सिगरेट का किसी भी प्रकार से उत्‍पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन विक्रय सहित), वितरण और विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) एक संज्ञेय अपराध माना जाएगा।
  • इस अध्यादेश के उल्लंघन पर सज़ा का प्रावधान निम्नलिखित रूप से है:
    • यदि कोई व्यक्ति पहली बार यह अपराध करता है तो उसे अधिकतम 1 वर्ष तक की कैद अथवा 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।
    • यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार या बार-बार इस प्रकार का अपराध करता है तो उसे अधिकतम 3 वर्षों की कैद अथवा 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा दी जा सकती है।
    • साथ ही इलेक्‍ट्रॉनिक सिगरेट के भंडारण के लिये भी 6 माह तक की कैद या 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना या दोनों ही सज़ा का प्रावधान है।
  • अध्‍यादेश के अनुसार, इसके लागू होने की तिथि तक जिन लोगों के पास भी ई-सिगरेट का भंडार होगा उन्हें स्वतः ही इसकी सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन में देकर इन सभी ई-सिगरेट्स को वहाँ की पुलिस के पास जमा करना होगा।
  • अध्‍यादेश के तहत पुलिस उप निरीक्षक (Sub-Inspector) को इस संदर्भ में कार्यवाही करने के लिये प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिये केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार किसी अन्य समकक्ष अधिकारी को भी प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकती है।

क्या प्रभाव होगा इस अध्यादेश का?

  • ई-सिगरेट के निषेध के निर्णय से लोगों, विशेषकर युवाओं और बच्‍चों को ई-सिगरेट से होने वाले जोखिमों से बचाने में मदद मिलेगी साथ ही उन्हें इसके प्रयोग की बुरी लत से भी बचाया जा सकेगा। अध्‍यादेश के लागू होने से सरकार के तंबाकू (Tobacco) नियंत्रण के प्रयासों को भी बल मिलेगा और तंबाकू के इस्‍तेमाल में कमी लाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे जुड़े आर्थिक बोझ और बीमारियों में भी कमी आएगी।

क्या होती है ई-सिगरेट?

  • ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम (Electronic Nicotine Delivery Systems-ENDS) एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटिन, प्रोपलीन, ग्लाइकॉल, पानी, ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल (Aerosol) बनाता है, और यह एक असली सिगरेट जैसा अनुभव देता है।
  • यह डिवाइस सर्वप्रथम वर्ष 2004 में चीनी बाज़ारों में ‘तंबाकू के स्वस्थ विकल्प’ के रूप में बेची गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वर्ष 2005 से ही ई-सिगरेट उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन चुका है और आज इसका बाज़ार लगभग 3 अरब डॉलर का हो गया है।
  • भारत में 30-50 प्रतिशत ई-सिगरेट्स ऑनलाइन बिकती हैं और चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश है।

ई-सिगरेट का स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • ई-सिगरेट का अत्यधिक प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिये काफी गंभीर साबित हो सकता है। चूँकि ई-सिगरेट में निकोटिन की अधिकता पाई जाती है, इसलिये इसके प्रयोग से ब्लडप्रेशर संबंधी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  • ई-सिगरेट न सिर्फ कैंसर का कारण बन सकता है, बल्कि इससे हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • कई अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये बहुत हानिकारक है। ई-सिगरेट पीने वाले लोगों में श्वसन और जठरांत्र संबंधी रोग पाए गए।
  • इसके प्रयोग से मस्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न होती है एवं सिखाने की क्षमता में भी कमी आती है।
  • इसके अतिरिक्त यह डिप्रेशन को भी बढ़ा सकता है।

पृष्‍ठभूमि

  • वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के लिये एडवाइज़री जारी की थी, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘देश में ई-सिगरेट के उभरते खतरे से निपटने’ में देरी करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
  • सरकार की एडवाइज़री के पश्चात् अब तक कुल 16 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश ने अपने क्षेत्राधिकारों में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) द्वारा ई-सिगरेट के विषय में जारी एक हालिया श्वेतपत्र में भी वैज्ञानिक साक्ष्‍यों के आधार पर ई-सिगरेट्स पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई थी।
  • साथ ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organization-WHO) ने भी सदस्‍य देशों से मांग की है कि वे इस प्रकार के उत्‍पादों को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास करें।

निष्कर्ष

ध्यातव्य है कि ई-सिगरेट उद्योग द्वारा इसे धूम्रपान निवारण उपकरण के रूप में बढ़ावा दिया गया था, परंतु अब तक धूम्रपान निवारण उपकरण के रूप में इसकी क्षमता को सत्यापित नहीं किया जा सका है। भारत में ई-सिगरेट का प्रचलन काफी तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण यह देश में तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों के लिये एक चुनौती बना हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सराहनीय है, परंतु नियम बनाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि उसका पालन भी सख्ती से हो, ताकि कम-से-कम समय में इसके उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके।

स्रोत: पी.आई.बी.

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