भारतीय अर्थव्यवस्था
अबू धाबी और भारत के बीच समझौता (Abu Dhabi firm inks deal to store crude in India)
चर्चा में क्यों?
अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) ने इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPRL) के साथ अबु धाबी में एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये ताकि कर्नाटक के पदूर में स्थित ISPRL के भूमिगत तेल भंडारण की सुविधा में, ADNOC के कच्चे तेल के भंडारण की संभावना को तलाशा जा सके। इस भूमिगत तेल भंडार सुविधा की क्षमता 2.5 मिलियन टन के करीब है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- इस अवसर पर UAE के मंत्री ने स्वीकार किया कि भारत एक महत्त्वपूर्ण तेल बाज़ार है तथा बताया कि यह समझौता यूएई एवं भारत के मध्य रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी पर केन्द्रित है जिससे यूएई और ADNOC की विशेषज्ञता और तेल संसाधनों का लाभ उठाया जा सकेगा।
- उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रेमवर्क एग्रीमेंट को नई परस्पर लाभकारी साझेदारी में बदला जा सकेगा और साथ ही ADNOC के लिये उन अवसरों का निर्माण करेगा जिससे भारत के बढ़ते ऊर्जा बाज़ार तक उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे तेल की आपूर्ति में वृद्धि हो सकेगी। इस एग्रीमेंट से भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों की पूर्ति करने के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा नीति का पालन कर सकेगा।
- ISPRL द्वारा देश के 3 स्थानों पर 5.3 मिलियन टन की क्षमता वाले भूमिगत भंडारों कर निर्माण किया जा चुका है- विशाखापत्तनम (1.33 मिलियन टन), मंगलोर (1.5 मिलियन टन) एवं पदूर (2.5 मिलियन टन)।
- इनके द्वारा देश की तेल जरुरतों के लिए 9.5 दिनों की आपूर्ति पूरी की जा सकती है (पिछले वित्तीय वर्ष के आँकड़ों के अनुसार)।
- जून, 2018 में केंद्र सरकार ने दो नए रिज़र्व्स के निर्माण की घोषणा की। इनमें पहला, 4 मिलियन टन संग्रहण सुविधा के साथ ओड़िशा के चांदीखोल में और दूसरा, कर्नाटक के पदूर में अतिरिक्त 2.5 मिलियन टन भंडारण की सुविधा के साथ निर्मित किया जाएगा।
- भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार कार्यव्रम में कच्चे तेल के माध्यम से निवेश करने वाली ADNOC एकमात्र विदेशी तेल और गैस कंपनी है।
- वर्तमान में मौजूद एवं नए घोषित रणनीतिक रिज़र्व मिलकर भारत के कच्चे तेल की ज़रूरत को पूरा करने के लिये 21 दिनों की आपातकालीन कवरेज प्रदान कर सकेंगे।
भारत-विश्व
भारत-यूके कैंसर शोध पहल (Indo-UK Cancer Research Initiative)
संदर्भ
हाल ही में भारत-यूके कैंसर शोध पहल के लिये जैव प्रौद्योगिकी विभाग और कैंसर शोध, यूके के बीच सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किये गए। हम सभी जानते हैं कि कैंसर एक वैश्विक महामारी है और इससे निपटने के लिये बहुराष्ट्रीय प्रयासों की आवश्यकता है। दोनों देशों द्वारा शुरू किये गए इस पहल के माध्यम से भारत और यूके के वैज्ञानिक और शोधकर्त्ता कैंसर के सस्ते इलाज का समाधान ढूंढेंगे।
पहल के बारे में
- 14-16 नवंबर, 2018 तक नई दिल्ली में आयोजित पहले शोधार्थी सम्मेलन के दौरान भारत-यूके कैंसर शोध पहल को लॉन्च किया गया। यह सम्मेलन वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, चिकित्साकर्मियों, जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों आदि को ज्ञान साझा करने तथा परस्पर संवाद का अवसर प्रदान करने के लिये आयोजित किया गया।
- भारत-यूके कैंसर शोध पहल विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) तथा कैंसर रिसर्च, यूके (CRUK) के बीच पाँच वर्षों के लिये एक द्विपक्षीय शोध पहल है।
- इस पहल के अंतर्गत कैंसर के सस्ते इलाज पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- DBT और CRUK में से प्रत्येक इन पाँच वर्षों के दौरान 5 मिलियन पाउंड का निवेश करेंगे और अन्य सहयोगियों से अतिरिक्त निवेश प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।
- भारत-यूके कैंसर शोध पहल, शोध की ऐसी चुनौतियों की पहचान करेगा जो कैंसर के सस्ते ईलाज, रोकथाम और देखभाल पर आधारित होगी।
पृष्ठभूमि
- भारतीय प्रधानमंत्री की यूके यात्रा के दौरान भारत तथा यूके द्वारा दिये गए संयुक्त वक्तव्य के आलोक में यह निर्णय लिया गया है।
- यूके और भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये अपने अनुभव और ज्ञान को साझा कर रहे हैं।
- भारत का जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और कैंसर रिसर्च, यूके ने द्विपक्षीय शोध पहल के लिये 10 मिलियन पाउंड के निवेश का प्रस्ताव दिया है।
निष्कर्ष
वर्तमान में कोई भी देश कैंसर से अछूता नहीं है। पूरी दुनिया में हर साल लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। कैंसर की चुनौती से निपटने के लिये विश्व के वैज्ञानिकों को साथ मिलकर शोध करने कीआवश्यकता को देखते हुए भारत तथा यूके द्वारा शुरू की गई यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
‘क्वाड’ देशों का तीसरा सम्मेलन (Third Meeting of the ‘Quad’ Countries)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सिंगापुर में क्वाड देशों-भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त सचिव स्तर की तीसरी बैठक संपन्न हुईं, ‘क्वाड’ इन चार देशों की अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है। 13वीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान ही क्वाड सम्मेलन का भी आयेाजन किया गया था। यह क्वाड सम्मेलन मुख्यत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचनात्मक प्रोजेक्ट्स एवं समुद्री सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित था।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
इस सम्मेलन में चर्चा का केंद्र कनेक्टिविटी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, काउंटर टेररिज़्म, नॉन-प्रालिफेरेशन एवं मैरीटाइम और साइबर सिक्यूरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग करना था। इसका उद्देश्य तेज़ी से विस्तार कर रहे इंटर-कनेक्टेड इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, जिसे ये चार देश एक-दूसरे एवं अन्य के साथ साझा करते हैं, में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
- अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया ने अपने बयान में क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘नियम-आधारित आदेश’ (Rules-based order) पर ज़ोर दिया था, हालाँकि भारत इसके पक्ष में नहीं था।
- सभी चार देशों ने आगे भी इस गठबंधन को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
- सभी पक्षों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समुद्री इलाके में स्थिरता को समर्थन देने के लिये साथ काम करने के महत्त्व को स्वीकार किया।
- चारों देशों ने विस्तृत आर्थिक विकास का समर्थन किया जिससे क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके। साथ ही गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना के विकास के लिये तेज़ी से कार्य करने की बात कही गई, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों जैसे- खुलापन, पारदर्शिता, आर्थिक सक्षमता और ऋण स्थिरता पर आधारित हो।
- भारत ने क्वाड का सैन्यीकरण किये जाने पर हमेशा से ही एतराज जताया है उसका मानना है कि क्वाड का उपयोग सिर्फ असैनिक/नागरिक मुद्दों के लिये होना चाहिये।
- वियतनाम के प्रतिनिधि ने ऐसी किसी भी प्रकार की पहल का स्वागत किया है जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाएगा लेकिन यह किसी भी प्रकार के सैन्य गठबंधन का विरोध करता है। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगामी वियतनाम दौरे के तीन दिन पहले वियतनाम का यह बयान सामने आया है।
क्वाड से इतर
- भारत और जापान ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं की एक शृंखला की घोषण भी की है जिसे उन्होंने Asia-African Growth Corridor नाम दिया है।
- भारत और जापान बांग्लादेश में जमुना रेलवे ब्रिज एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में अन्य ब्रिज, आवास व्यवस्था, म्याँमार के रोहिंग्या क्षेत्रों में स्कूल और विद्युत संबंधी परियोजनाओं, श्रीलंका में LNG plant और केन्या में कैंसर हॉस्पीटल जैसे प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम करेंगे।
- वहीं ऑस्ट्रलिया द्वारा भी बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण के लिये 2 बिलियन डॉलर के ऑस्ट्रेलियन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग फैसिलिटी फॉर द पैसिफिक (Australian Infrastructure Financing Facility for the Pacific-AIFFP) की घोषणा की गई है। इसके द्वारा ऑस्ट्रेलिया, पड़ोसी देशों जैसे- फिजी, सोलोमन द्वीप एवं वनुआतु में प्रोजेक्ट्स का वित्तीयन करेगा।
- ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने Boe Pacific Security Declaration के तहत निकट रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की बात भी कही। इसके अंतर्गत पपुआ न्यू गिनी में एक नौसैनिक बेस बनाया जाएगा।
- ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि भारत उसके Forum for India Pacific Islands Co-operation (FIPIC) योजना में रुचि दिखाए।
क्वाड की पृष्ठभूमि
- ‘क्वाड’ की अवधारणा सबसे पहले भारत, जापान, यूएस और ऑस्ट्रेलिया द्वारा समुद्री आपदा के समय बड़े पैमाने पर राहत और पुनर्वास संबंधी कार्यों में सहयोग के लिये आई थी।
- बाद में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने चीन के कारण उपजती भू-राजनैतिक और भू-रणनीतिक चिंताओं के मद्देनजर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के नेतृत्वकर्त्ताओं के परामर्श से 2007 में रणीनतिक वार्ता के रूप में ‘क्वाड’ की शुरुआत की।
- क्वाड के इस विचार ने आसियान क्षेत्र में एक मिश्रित प्रतिक्रिया को जन्म दिया एवं चीन और रूस खुले तौर पर इसके विरोध में सामने आए।
- हालाँकि 2008 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस ग्रुप से बाहर आने के कारण यह वार्ता शिथिल पड़ गयी थी लेकिन बाद में वह पुन: इस वार्ता में शामिल हो गया।
- 2017 में, इस अनौपचारिक समूह को पुनर्जीवित किया गया ताकि एशिया में चीन के आक्रामक उदय को संतुलित किया जा सके।
- क्वाड को ‘नियम-आधारित आदेश’ को ध्यान में रखते हुए पुर्नजीवित किया गया था ताकि नेविगेशन एवं ओवर फ्लाइट की स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय नियम का सम्मान, कनेक्टिविटी का प्रसार एवं समुद्री सुरक्षा को सहयेाग के मुख्य तत्त्व के रूप में पहचान मिल सके। इसमें अप्रसार एवं आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया।
- ‘क्वाड’ को Quadrilateral Security Dialogue (QSD) के नाम से भी जाना जाता है। इस रणनीतिक वार्ता के साथ-साथ 2002 से मालाबार नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी चल रहा है। मालाबार अभ्यास में अमेरिका, जापान और भारत शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया इस अभ्यास में भाग नहीं लेता है।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का सिद्धांत है कि यह क्षेत्र मुक्त और समावेशी बने जहाँ विभिन्न देश अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करें।
शासन व्यवस्था
केंद्र ने राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण नियमों को अधिसूचित किया (NFRA rules notified, ICAI wings clipped)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने बैंकों तथा बीमा कंपनियों के साथ ही सूचीबद्ध संस्थानों और बड़ी असूचीबद्ध कंपनियों के लेखा परीक्षकों पर चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थान की निगरानी और अनुशासनात्मक शक्तियों को कम करने के लिये बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण (एनएफआरए) नियमों को अधिसूचित किया है।
प्रमुख बिंदु
- कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के इस नवीनतम पहल के साथ, लेखांकन पेशे के लिये नवगठित स्वतंत्र नियामक एनएफआरए लेखा परीक्षकों को अनुशासित करने और बड़ी संस्थाओं में चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करने के लिये सर्वशक्तिशाली निकाय बन गई है।
- ज्ञातव्य है कि केंद्र ने हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी रंगाचारी श्रीधरन को एनएफआरए के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मार्च को स्वतंत्र नियामक एनएफआरए की स्थापना को मंज़ूरी दी थी जिसमें ग़लत लेखा परीक्षकों और लेखा परीक्षा फर्मों के खिलाफ कार्य करने के लिये व्यापक शक्तियाँ निहित हैं।
क्या हैं नए नियम?
- नए अधिसूचित नियमों के अनुसार, एनएफआरए में लेखांकन मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की निगरानी और लागू करने की शक्ति निहित होगी, साथ ही यह सेवा की गुणवत्ता की निगरानी करेगा और सूचीबद्ध संस्थाओं के लेखा परीक्षकों की जाँच करेगा।
- इसके अतिरिक्त एनएफआरए के दायरे में वे असूचीबद्ध कंपनियाँ शामिल हैं जिनके पास पिछले वित्त वर्ष की 31 मार्च तक 500 करोड़ रुपए से कम की प्रदत्त पूंजी न हो या 1000 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार हो या जिनके पास कुल ऋण, डिबेंचर या जमा 500 करोड़ रुपए से कम न हो।
- एनएफआरए बैंकों, बीमा कंपनियों, बिजली कंपनियों और उन कॉरपोरेट्स निकायों के लेखा परीक्षकों पर भी नज़र रखेगा जिनको केंद्र द्वारा इन्हें निर्दिष्ट किया गया हो।
- एनएफआरए कंपनियों द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षकों के हिसाब खाते का विवरण संभालेगा; केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के लिये लेखा और लेखा परीक्षा मानकों की सिफारिश करेगा; लेखांकन मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की निगरानी करेगा तथा उन्हें लागू करेगा।
- यह प्राधिकरण ऐसे मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के साथ ही संबंधित व्यवसायों की सेवा की गुणवत्ता की देखरेख करेगा और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के उपायों हेतु सुझाव देगा।
- नवीनतम नियमों में कहा गया है कि एनएफआरए लेखा परीक्षा मानकों और लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन की स्थापना और पर्यवेक्षण में स्वतंत्र लेखा परीक्षा नियामकों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करेगा।
- ये नियम एनएफआरए द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही पर विस्तृत प्रक्रिया भी प्रदान करते हैं। इसने सारांश प्रक्रिया के माध्यम से कारण बताओ नोटिस के समयबद्ध (90 दिनों की अवधि के भीतर) निपटान को अनिवार्य किया है।
- कारण बताओ नोटिस के निपटान आदेश के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी बल्कि यह एक चेतावनी के रूप में होगी और लेखा परीक्षक पर ज़ुर्माना लगाने या लेखा परीक्षक की नियुक्ति से रोकने की कार्रवाई होगी।
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 16 नवंबर, 2018
सुपर-अर्थ (Super-Earth)
खगोलविदों ने सूर्य के निकटतम एकल तारे का चक्कर लगाने वाले सुपर अर्थ की खोज की है।
- सुपर अर्थ हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित ऐसे ग्रह को कहा जाता है जिसका द्रव्यमान पृथ्वी से अधिक लेकिन बृहस्पति और शनि जैसे बड़े ग्रहों के द्रव्यमान की तुलना में बहुत कम हो।
- इस सुपर अर्थ का द्रव्यमान हमारी पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग तीन गुना है।
- लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं के अनुसार, यह चट्टानी ग्रह जिसे बर्नार्ड स्टार बी (Barnard’s star b) नाम दिया गया है, एक सुपर अर्थ है जो अपने मेज़बान तारे की परिक्रमा 233 दिनों में पूरी करता है।
- नेचर नामक पत्रिक में प्रकाशित निष्कर्ष दर्शाते हैं कि यह ग्रह अपने तारे से इतनी दूरी पर स्थिर है जिसे स्नो लाइन कहा जाता है।
- इस ग्रह की सतह का तापमान लगभग -170 डिग्री सेल्सियस होने का अनुमान है।
- अल्फा सेंटॉरी या सेंचुरी ट्रिपल सिस्टम (Alpha Centauri triple system) के बाद यह सूर्य का दूसरा निकटतम तारा है जो लगभग छह प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है।
- सूर्य का सबसे निकटतम तारा हमारी पृथ्वी से केवल चार प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। प्रोक्सिमा बी (Proxima b) नामक यह एक्सोप्लैनेट रेड ड्वार्फ प्रोक्सिमा सेंटॉरी (Proxima Centauri) की परिक्रमा करता है।
- शोधकर्त्ताओं ने अवलोकन के दौरान रेडियल वेलोसिटी (radial velocity) विधि का उपयोग किया जिसके कारण बर्नार्ड स्टार बी की खोज हुई।
अरेसिबो मैसेज (Arecibo Message)
16 नवंबर, 1974 को शोधकर्त्ताओं ने पृथ्वी से बाहरी दुनिया के साथ संपर्क स्थापित करने के लिये एक रेडियो मैसेज भेजा था। 16 नवंबर, 2018 को इस प्रकार संपर्क स्थापित करने की प्रक्रिया के 44 वर्ष पूरा होने पर गूगल ने डूडल बनाकर उस दिन को याद किया है।
- यह संदेश प्यूर्टो रिको (Puerto rico) द्वीप स्थित अरेसिबो प्रयोगशाला से भेजा गया था जिसके चलते इसका नामकरण अरेसिबो मैसेज के रूप में किया गया।
- इस प्रयोगशाला से तीन मिनट का एक इंटरस्टेलर रैडियो मैसेज पृथ्वी से बाहर भेजा गया था।
- यह कुल 1,679 बाइनरी संख्याओं से बना एक मैसेज था जिसे पृथ्वी से 25,000 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित तारों के एक समूह, एम -13 पर भेजा गया था।
- 1,679 संख्या को चुनने का कारण यह था कि यह एक सहअभाज्य संख्या (दो अभाज्य संख्याओं का गुणनफल) है। जिसके चलते इसे आयताकार रूप में 23 स्तंभों और 73 पंक्तियों अथवा 73 स्तंभों और 23 पंक्तियों द्वारा व्यवस्थित किया का सकता है।
- इस मैसेज को फ्रैंक ड्रेक नामक वैज्ञानिक ने लिखा था तथा मैसेज को लिखने में उनकी मदद अमेरिका के प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी कार्ल सैगन ने की थी।
- यह मैसेज 7 हिस्सों में था-
- 1 से 10 तक संख्याएँ।
- हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन, और फ़ास्फ़रोस की परमाणु संख्या, इन सबसे मिलकर DNA बनता है।
- DNA न्यूक्लियोटाइड्स में पाए जाने वाले सुगर तथा क्षार (base) का फार्मूला।
- DNA में उपस्थित न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या और DNA के डबल हेलिक्स संरचना का चित्र।
- एक इंसान का चित्र, एक इंसान का औसत आकार और पृथ्वी पर इंसान की आबादी।
- सौर प्रणाली।
- अरेसिबो रेडियो टेलिस्कोप प्रयोगशाला का चित्र तथा संदेश भेजने के लिये प्रयुक्त एंटीने का व्यास।
पुष्कर ऊँट मेला
इसका आयोजन राजस्थान के पुष्कर शहर में किया जाता है।
- पुष्कर के ऊँट मेले की शुरुआत पवित्र कार्तिक पूर्णिमा त्योहार के दौरान स्थानीय ऊँट और मवेशी व्यापारियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से की गई थी।
- पुष्कर एक छोटा शहर है लेकिन यहाँ कई मंदिर हैं। यह भी माना जाता है कि पूरी दुनिया में हिंदू भगवान ब्रह्मा जिन्हें श्रृष्टि का निर्माता माना जाता है, को समर्पित एकमात्र मंदिर पुष्कर में है।
TOXIC
- अंग्रेज़ी के शब्द Toxic (टॉक्सिक) को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी का वर्ड ऑफ द ईयर 2018 घोषित किया गया है क्योंकि इस विशेषण का प्रयोग वर्ष 2018 में नैतिकता, मनोदशा या पूर्वाग्रह को व्यक्त करने के लिये किया गया है। इस शब्द ने 2018 में वर्ड ऑफ द ईयर के लिये अंतिम सूची में शामिल किये गए शब्दों ‘Gaslighting’ और ‘Techlash’ जैसे शब्दों को पीछे छोड़ दिया।