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डेली न्यूज़

  • 14 Dec, 2018
  • 41 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

सतत् ऊर्जा के लिये नियामक संकेतक 2018

चर्चा में क्यों?


सतत् ऊर्जा के लिये नियामक संकेतक (Regulatory Indicators for Sustainable Energy –RISE 2018)
के नवीनतम संस्करण के अनुसार, अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता लक्ष्यों में प्रभावशाली वृद्धि के साथ वर्ष 2010 के बाद से अब तक सतत् ऊर्जा हेतु मज़बूत नीतिगत ढाँचा अपनाने वाले देशों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है।

  • राइज 2018 : पॉलिसी मैटर्स (Policy Matters), जो SDG7 (Sustainable Development Goal 7) को प्राप्त करने के लिये नीतियों और विनियमों का वैश्विक भंडार है, बिजली के उपयोग, खाना पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता के लिये देश स्तर पर अपनाई गई नीतियों और विनियमों का मूल्यांकन करता है।
  • 133 देशों को कवर करने वाले और दुनिया की 97% आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले संकेतकों के साथ, RISE 2018 नीति निर्माताओं के क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोगियों के समक्ष अपनी नीतियों और नियामक ढाँचे को मानदंड के रूप में स्थापित करने के लिये एक निर्देश बिंदु प्रदान करता है और उन अंतरालों की पहचान करता है जो सार्वभौमिक ऊर्जा तक पहुँच की दिशा में उनकी प्रगति में बाधा डाल सकते हैं।

RISE 2018 के मुख्य निष्कर्ष

  • 2010-2017 के बीच सतत् ऊर्जा के लिये मज़बूत नीतिगत ढाँचा अपनाने वाले देशों की संख्या 17 से बढ़कर 59 तक पहुँच गई जो कि तीन गुना से अधिक है।
  • 2015 पेरिस समझौते के बाद अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता दोनों के लिये स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करते हुए दुनिया में ऊर्जा का सबसे अधिक उपभोग करने वाले देशों में से कई ने अपने अक्षय ऊर्जा नियमों में काफी सुधार किया है।
  • यह प्रगति केवल विकसित देशों में ही नहीं हुई है बल्कि विकासशील देशों ने भी इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है।

ऊर्जा तक पहुँच (Energy Access)

  • जिन देशों ने 2010 के बाद बिजली तक पहुँच स्थापित करने के लिये अपनी दरों में वृद्धि की है, उन्होंने बिजली तक पहुँच स्थापित करने वाली नीतियों में एक समवर्ती सुधार भी दर्शाया है।
  • बिजली तक पहुँच स्थापित करने में पीछे रहने वाले देशों में नीति निर्माता इस अंतराल को तेज़ी से कम करने के लिये ऑफ-ग्रिड समाधान पर ध्यान दे रहे हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)

  • 2017 में 50 देशों (2010 से लगभग दोगुना) ने नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण नीति ढाँचे का विकास किया।
  • RISE द्वारा कवर किये गए देशों में से लगभग 93% देशों ने आधिकारिक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को अपनाया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में केवल 37% देशों ने आधिकारिक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को अपनाया था।
  • 84% देशों के पास अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का समर्थन करने के लिये नियम थे, जबकि 95% ने निजी क्षेत्र को नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ तैयार करने और उन्हें संचालित करने की अनुमति दी।
  • अब भी स्वच्छ ऊर्जा नीतियों के तहत बिजली पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जबकि हीटिंग और परिवहन (जो 80% वैश्विक ऊर्जा उपयोग के लिये ज़िम्मेदार है) को अनदेखा किया जाता है।

ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency)

  • ऊर्जा दक्षता पर उन्नत नीतिगत ढाँचा अपनाने वाले देशों का प्रतिशत 2010 के 2% से बढ़कर 2017 में 25% हो गया। उल्लेखनीय है की विश्व की कुल ऊर्जा खपत में इन देशों का योगदान 66% है।
  • लेकिन ऊर्जा दक्षता को लेकर वैश्विक औसत स्कोर कम बना हुआ है जो अब भी बहुत अधिक सुधार का सुझाव देता है।

क्लीन कुकिंग (Clean Cooking)

  • SDG7 के अंतर्गत लक्षित चार क्षेत्रों में से एक क्लीन कुकिंग की नीति निर्माताओं द्वारा सबसे अधिक अनदेखी की जाती है और इस क्षेत्र के लिये आवश्यकता से कम वित्त उपलब्ध कराया जाता है।
  • 2010 से 2017 तक नीतिगत ढाँचे में कुछ विकास के बावजूद, कुकस्टोव के लिये मानक सेटिंग या उपभोक्ता और उत्पादक द्वारा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर प्रोत्साहनों में बहुत कम प्रगति हुई है।

आगे की राह

  • हालाँकि ये परिणाम उत्साहित करने वाले हैं लेकिन RISE 2018 से यह पता चलता है कि देशों द्वारा इस मामले में काफी रास्ता तय किया जाना शेष है।
  • टिकाऊ ऊर्जा के लिये उन्नत नीति ढाँचे को अपनाने की दिशा में दुनिया ने केवल आधा रास्ता ही तय किया है। इससे 2030 तक SDG7 की उपलब्धि खतरे में हो सकती है और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री से कम रखने के लक्ष्य में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
  • नीति प्रवर्तन एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। एक ओर जहाँ मज़बूत नीतिगत ढाँचों को अपनाना महत्त्वपूर्ण है वहीँ दूसरी ओर उन्हें प्रभावी संस्थानों और प्रवर्तन द्वारा समर्थित किया जाना भी आवश्यक है। RISE ने यह समझने में सहायता के लिये प्रॉक्सी संकेतक शामिल किये हैं कि देश नीतियों को लागू करने पर कितनी दृढ़ता से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • उन देशों (जिन्होंने टिकाऊ नीतियों पर प्रगति की है) में राष्ट्रीय उपयोगिता की खराब वित्तीय स्थिति इस प्रगति को खतरे में डाल रही है। ऊर्जा तक कम पहुँच वाले देशों में बुनियादी क्रेडिट योग्यता मानदंडों को पूरा करने वाली उपयोगिताओं की संख्या 2012 के 63% से घटकर 2016 में 37% ही रह गई है।

भारतीय परिदृश्य

  • भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सफलता मिली है जिसके फलस्वरूप सौर ऊर्जा के मूल्य में कमी आई है।
  • लेकिन इसकी संभावना को पूरी तरह से साकार करने के लिये भारत को क्लीन कुकिंग, परिवहन आदि जैसे क्षेत्रों में बहुत अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

ELECTRICITY

RISE 2018 के बारे में

  • RISE 2018, RISE का दूसरा संस्करण है।
  • इसका पहला संस्करण वर्ष 2016 में प्रकाशित हुआ था।
  • इस प्रकार RISE 2018 में भी देशों को वर्गीकृत करने के लिये पिछली कार्य-प्रणाली का ही अनुसरण किया गया है तथा देशों को उनके प्रदर्शन के आधार पर तीन वर्गों- ग्रीन ज़ोन, येलो ज़ोन तथा रेड ज़ोन में रखा गया है।
  • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले देशों को ग्रीन ज़ोन में, मध्यम प्रदर्शन वाले देशों को येलो ज़ोन में तथा सबसे कमज़ोर प्रदर्शन करने वालों को रेड ज़ोन में रखा गया है।

RISE

  • RISE 2018 में 2010 से पॉलिसी टाइम ट्रेंड समेत कई नीतियों को भी शामिल किया गया है जो इस प्रकार हैं-

♦ प्रवर्तन का समर्थन करने वाली नीतियों को लागू करने पर अधिक जोर देना।
♦ हीटिंग और परिवहन क्षेत्रों का व्यापक कवरेज।
♦ क्लीन कुकिंग के लिये नीतियों का प्रारंभिक मूल्यांकन।


स्रोत : world bank वेबसाइट


शासन व्यवस्था

पार्टनर्स फोरम 2018

चर्चा में क्यों?


12 और 13 दिसंबर को नई दिल्ली में चौथे पार्टनर्स फोरम का आयोजन किया गया। इस फोरम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। Partnership for Maternal, New-borne & Child Health (PMNCH) के सहयोग भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था। पार्टनर्स फोरम में 85 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

  • PMNCH मिशन का उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य समुदाय की सहायता करना है ताकि वह सतत विकास लक्ष्यों, विशेषकर स्वास्थ्य संबंधित विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सफलतापूर्वक काम कर सके।

फोरम का उद्देश्य

  • इस पार्टनर्स फोरम का उद्देश्य बच्चों और माताओं की मृत्यु दर में कमी लाना तथा किशोरों, बच्चों, नवजात शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के उपाय करना था।

क्या है पार्टनर्स फोरम?

  • पार्टनर्स फोरम एक वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी कार्यक्रम है जो सितंबर 2005 में शुरू किया गया था। यह दूसरी बार है जब भारत ने इसकी मेज़बानी की।
  • महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर वैश्विक उपायों को बढ़ावा देने की कड़ी में यह चौथा उच्चस्तरीय बहुराष्ट्रीय आयोजन था।
  • पार्टनर्स फोरम के पिछले सम्मेलन जोहांससबर्ग, दक्षिण अफ्रीका (2014), नई दिल्ली, भारत (2010) और दारेस्सलाम, तंज़ानिया (2007) में आयोजित किये गए थे।
  • 92 देशों के 1000 से अधिक शिक्षाविद्, अनुसंधानकर्त्ता, शिक्षण संस्थान, दानकर्त्ता और फाउंडेशन, Health Care Professionals, बहुराष्ट्रीय एजेंसियाँ, गैर-सरकारी संगठन, भागीदार राष्ट्र, वैश्विक वित्तीय संस्थान और निजी क्षेत्र के संगठन इसके सदस्यों में शामिल हैं।

PMNCH

पार्टनर्स फोरम के कार्यक्रम इसकी वैश्विक कार्यनीति के उद्देश्यों- ‘जीना–फलना-फूलना और रूपातंरण’ (Survive – Thrive – Transform) से संबंधित थे। इसमें 6 प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें शैशवकाल, किशोरावस्था, स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता, समानता और गरिमा, महिला सशक्तीकरण और बालिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार शामिल है।

पार्टनर्स फोरम में भारत दिवस (India Day in Partners Forum)


र्टनर्स फोरम 2018 के दौरान सभी भागीदारों ने संयुक्‍त रूप से भारत दिवस का आयोजन भी किया। भारत दिवस के आयोजन का उद्देश्‍य Reproductive, Maternal, Newborn, Child and Adolescent Health (RMNCAH+A) कार्यक्रम के बारे में जानकारी देना था। इसके अलावा, मातृत्‍व और बाल स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिये विभिन्‍न राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों और संगठनों द्वारा लागू बेहतर प्रक्रियाओं से सीख लेना और उन्हें साझा करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल था ताकि वैश्विक लक्ष्‍यों को प्राप्त करने की दिशा में सतत प्रगति की जा सके।

क्या है RMNCAH+A?


RMNCAH+A जीवन के हर चरण में स्‍वास्‍थ्‍य आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिये देखभाल दृष्टिकोण की निरंतरता पर केंद्रित है। यह महिलाओं, बच्‍चों और किशोरों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिये वैश्विक नीति के साथ जुड़ा है और इसके प्रमुख कार्यक्रम, रोकी जा सकने वाली मौतों पर अंकुश लगाने, स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण सुनिश्चित करने तथा वातावरण को सक्षम बनाने के लिये भली-भाँति परिभाषित लक्ष्‍यों से युक्‍त हैं। जब से भारत में RMNCAH+A की शुरुआत हुई है, तब से मातृत्‍व, शिशु, बच्‍चे और किशारों के स्‍वास्‍थ्‍य आँकड़ों में काफी सुधार हुआ है।

प्रजनन, मातृत्‍व, नवजात शिशु, बाल्यावस्था, और किशोरावस्‍था RMNCAH+A कार्यक्रम का केंद्रबिंदु हैं। ये इस कार्यक्रम की सफलता में मुख्‍य योगदानकर्त्ता हैं। राज्‍यों ने RMNCAH+A के तहत अनेक नवाचारी प्रयासों की शुरुआत की है जो स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल में भागीदार बनने के लिये लोगों को प्रोत्‍साहित करते हैं।


स्रोत: PIB


शासन व्यवस्था

पहली बार जल संरक्षण शुल्क की शुरुआत

चर्चा में क्यों?


राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal- NGT) के विभिन्न दिशा-निर्देशों का पालन करने और भूमिगत जल निकालने के संबंध में वर्तमान दिशा-निर्देशों में मौज़ूद विभिन्न कमियों को दूर करने के लिये जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority- CGWA) ने 12 दिसंबर, 2018 को भूमिगत जल निकालने के संदर्भ में संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किये।

  • ये दिशा-निर्देश 01 जून, 2019 से प्रभावी होंगे।

उद्देश्य

  • संशोधित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य देश में एक अधिक मज़बूत भूमिगत जल नियामक तंत्र सुनिश्चित करना है।

विशेषता

  • संशोधित दिशा-निर्देशों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता जल संरक्षण शुल्क (Water Conservation Fee- WCF) की अवधारणा शुरू करना है।
  • इस शुल्क का क्षेत्र की श्रेणी, उद्योग के प्रकार और भूमिगत जल निकालने की मात्रा के अनुसार अलग-अलग भुगतान करना होगा।
  • जल संरक्षण शुल्क की उच्च दरों से उन इलाकों में नए उद्योगों को स्थापित करने से रोकने में मदद मिलेगी जहाँ ज़मीन से अत्यधिक मात्रा में पानी निकाला जा चुका है। साथ ही यह उद्योगों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमिगत जल निकालने के एक निवारक के रूप में काम करेगा।
  • इस शुल्क से उद्योगों को पानी के इस्तेमाल के संबंध में उपाय करने और पैक किये हुए पीने के पानी की इकाइयों की वृद्धि को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
  • संशोधित दिशा-निर्देशों की अन्य प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं-

• उद्योगों से निकलने वाले जल (जिनका पुनर्चक्रण हो चुका हो) और शोधित सीवेज जल का इस्तेमाल।
• प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान करना।
• डिजिटल प्रवाह मीटरों की पीजो मीटर और डिजिटल जल स्तर रिकॉर्डरों (टेलीमीटरी के साथ अथवा उसके बिना जो भूमिगत जल निकालने की मात्रा पर निर्भर करता है) की अनिवार्यता।
• उद्योगों द्वारा पानी का लेखा अनिवार्य करना, कुछ विशेष उद्योगों को छोड़कर।
• छत पर वर्षा का पानी एकत्र करने को अनिवार्य बनाना।
• प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों/परियोजना परिसरों में भूमिगत जल को दूषित होने से रोकने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों को प्रोत्साहित करना।

संशोधित दिशा-निर्देश

  • अधिसूचना के अनुसार, भूमि से जल निकालने वाले उद्योग जिसमें खनन के माध्यम से जल-निष्कासन करने वाली इकाइयों सहित पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के लिये भूजल का उपयोग करने वाले उद्योग शामिल हैं, को सरकार से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (No-Objection Certificate- NOC) प्राप्त करने के लिये आवेदन करने की आवश्यकता होगी।
  • निजी परिवार जो 1 इंच से अधिक व्यास की डिलीवरी पाइप का उपयोग करके भूजल प्राप्त करते हैं, उन्हें भी WCF का भुगतान करना होगा।
  • कृषि क्षेत्र (देश में भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता) को इस शुल्क से मुक्त रखा गया है।
  • सरकार के पास भूजल ब्लॉक की एक सूची होती है, जिसे मूल्यांकन ब्लॉक कहा जाता है। भूजल निकासी के आधार पर इस सूची को 'सुरक्षित,' 'अर्ध-महत्त्वपूर्ण', 'महत्त्वपूर्ण' और 'अत्यधिक शोषित' (safe, semi-critical, critical and over-exploited) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • एक 'सुरक्षित' ब्लॉक में एक दिन में 20 घन मीटर (एक घन मीटर=1,000 लीटर) तक जल निकासी के लिये कंपनी को प्रति घन मीटर पर 3 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। लेकिन एक दिन में 5,000 क्यूबिक मीटर या उससे अधिक जल निकालने पर उसे 'अत्यधिक शोषित' ब्लॉक में शामिल किया जाएगा जिससे प्रति घन मीटर पर जल निकासी पर 100 रुपए से अधिक का दैनिक शुल्क वसूला जाएगा।
  • आवासीय परियोजनाओं के लिये WCF की सीमा 1 से 2 रुपए प्रति घन मीटर है। सभी औद्योगिक और आवासीय निकायों को WCF के अलावा NOC के लिये भी आवेदन करने की आवश्यकता होगी।
  • ऐसे उपयोगकर्त्ता जो पानी निकालने के लिये बिजली का उपयोग नहीं करते हैं, को भी NOC प्राप्त करने और WCF का भुगतान करने की आवश्यकता से छूट दी गई है।
  • सशस्त्र सेनाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के प्रतिष्ठानों तथा सरकारी जलापूर्ति एजेंसियों के लिये रणनीतिक और सामरिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को भी छूट (उच्च जरूरतों के साथ) दी गई है।

भारत में भूमिगत जल का उपयोग

  • भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्त्ता है जो हर वर्ष 253 BCM (Billion Cubic Meters) भूमिगत जल निकालता है। यह दुनिया में ज़मीन से निकाले जाने वाले पानी का करीब 25 प्रतिशत है।
  • केंद्रीय भू-जल बोर्ड (CGWB) ने देशभर में 6,584 इकाइयों का मूल्यांकन कर उनका वर्गीकरण किया है, जिसमें से 1,034 इकाइयों को 'अधिक शोषित' के रूप में, 253 को 'गंभीर', 681 को 'अर्द्ध-गंभीर' और 4,520 'सुरक्षित' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। शेष 96 इकाइयों को मूल्यांकन के आधार पर 'लवणीय' (Saline) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority- CGWA)

  • केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (CGWA) का गठन पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उपधारा (3) के तहत देश में भूजल विकास एवं प्रबंधन के विनियमन और नियंत्रण के उद्देश्‍य से की गई थी । 
  • भूजल संसाधनों के दीर्घावधिक संपोषण (sustenance) को सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से प्राधिकरण भूजल विकास के विनियमन संबंधी विभिन्‍न गतिविधियॉं चला रहा है।

स्रोत : पी.आई.बी एवं द हिंदू


विविध

बुज़ुर्गों के लिये बुनियादी अधिकारों की कमी

संदर्भ


हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों और बुज़ुर्गों को प्रदान किये गए अपर्याप्त कल्याणकारी अधिकारों की जवाबदेही में सरकार ‘आर्थिक बजट’ का बहाना नहीं बना सकती है। देश में बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी को देखते हुए भी उनके अधिकारों को संविधान में नई परिस्थितियों के अनुरूप परिभाषित नहीं किया गया है।

मौजूदा अधिकार

  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत गरिमा, स्वास्थ्य और आश्रय हर वरिष्ठ नागरिक का वैधानिक अधिकार है।
  • गरिमा, स्वास्थ्य और आश्रय तीन ऐसे महत्त्वपूर्ण घटक हैं जो अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार को भी संदर्भित करते हैं।
  • गौरतलब है कि 2007 के अधिनियम के अनुसार प्रत्येक ज़िले में एक ऐसे वृद्धाश्रम की स्थापना की जाएगी, जिसमें कम-से-कम 150 ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को आवास की सुविधा दी जा सकेगी, जो गरीब हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • जस्टिस मदन बी. लोकुर की खंडपीठ ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रत्येक ज़िले में वृद्धाश्रमों की संख्या के बारे में ‘आवश्यक जानकारी’ प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार को आदेश दिया है तथा 31 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को प्रत्येक ज़िले के वरिष्ठ नागरिकों हेतु उपलब्ध चिकित्सा और देखभाल सुविधाओं के बारे में राज्यों से विवरण प्राप्त करने का भी आदेश दिया है।
  • वृद्धाश्रम और आवास की अनुपस्थिति में बुज़ुर्गों दुर्घटनाओं और अन्य अप्रत्याशित घटनाओं हेतु सुभेद्य हो जाते हैं।

पेंशन

  • अदालत ने निर्देश दिया कि कम-से-कम केंद्र को कम-से-कम 2007 के अधिनियम के प्रावधानों को लागू करे और यह सुनिश्चित करे कि राज्य सरकारें भी कानून के प्रावधानों को लागू करें।
  • पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका के आधार पर अदालत के फैसले में वरिष्ठ नागरिकों और बुज़ुर्गों को पेंशन के रूप में भुगतान किये जाने वाले मामूली भत्ते पर आश्चर्य जताया गया है।
  • बुज़ुर्गों की आबादी 1951 में 1.98 करोड़ थी जो 2001 में बढ़कर 7.6 करोड़ तथा 2011 में 10.38 करोड़ हो गई। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में 60 वर्ष से ज़्यादा की उम्र वाले लोगों की आबादी 2021 में 14.3 करोड़ और 2026 में 17.3 करोड़ हो जाएगी।
  • ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरणपोषण तथा कल्याण के लिये संविधान के अधीन गारंटीकृत और मान्यताप्राप्त उपबंधों का और उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिये पूर्व के अधिनियमों में निर्दिष्ट प्रावधानों को लागू किया जाए तथा आवश्यकतानुसार संशोधन के द्वारा उक्त उपबंधों को सुदृढ़ करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाया जाए।

स्रोत- द हिंदू


सामाजिक न्याय

डेटा पॉइंट: मैनुअल स्केवेंजर्स के हालात

संदर्भ


देश भर में मैनुअल स्केवेंजर्स की संख्या विभिन्न अनुमानों के मुताबिक भिन्न-भिन्न है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिये गए आँकड़ों के मुताबिक, 8 दिसंबर, 2018 तक 13,973 मैनुअल स्केवेंजर्स की पहचान की गई है। मैनुअल स्केवेंजर्स के साथ होने वाली हालिया घटनाओं से सबक लेते हुए पुनर्वास उपायों की प्रगति और वर्तमान परिदृश्य पर एक नज़र डालते हैं।


सीवर में होने वाली मौतें

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  • 2015-18 के दौरान सीवर में हुई मौतों में सबसे ज़्यादा मौतें गुजरात में हुई थीं। सुरक्षा उपकरणों तथा सफाई के दौरान नवाचार की कमी की वज़ह से गुजरात में 26 मैनुअल स्केवेंजर्स को अपनी जिंदगी गँवानी पड़ी।
  • गुजरात के बाद राजस्थान में 24 और उत्तर प्रदेश में 17 मैनुअल स्केवेंजर्स की मौत दर्ज की गई। (उपर्युक्त चित्र देखें...)
  • मैनुअल स्केवेंजर्स की सबसे कम मौतें पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश (प्रत्येक राज्य में दो) में दर्ज की गई।

मैनुअल स्केवेंजर्स की संख्या

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  • मैनुअल स्केवेंजर्स की संख्या के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है जहाँ चिह्नित मैनुअल स्केवेंजर्स की संख्या 11,563 है।
  • छत्तीसगढ़ में चिह्नित मैनुअल स्केवेंजर्स की संख्या मात्र 3, जबकि मध्य प्रदेश में 36 है।
  • पूरे भारत में चिह्नित मैनुअल स्केवेंजर्स की कुल संख्या 13,973 है। मैनुअल स्केवेंजर्स की राज्यवार संख्या का अवलोकन करने हेतु उपर्युक्त चित्र देखें...

पुनर्वास हेतु उपाय

subsidy

  • 2015-16 में नकद सहायता पाने वाले लाभार्थियों की संख्या बढ़ी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद यह संख्या तेज़ी से कम (20 फरवरी, 2018 का आँकड़ा) होती गई। नकदी सहायता पाने वाले लाभार्थियों की संख्या का विस्तृत अवलोकन करने के लिये ग्राफ में नीली रेखा का विश्लेषण करें...
  • 2016-17 में कौशल विकास प्रशिक्षण के लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज़ की गई लेकिन यह वृद्धि अगले वर्ष ही कम होने लगी। कौशल विकास प्रशिक्षण पाने वाले लाभार्थियों की संख्या का विस्तृत अवलोकन करने के लिये ग्राफ में पीली रेखा का विश्लेषण करें...
  • प्रदर्शित ग्राफ के अनुसार, कैपिटल सब्सिडी पाने वाले लाभार्थियों की संख्या 2016 से लगातार कम हो रही है। कैपिटल सब्सिडी पाने वाले लाभार्थियों की संख्या का विस्तृत अवलोकन करने के लिये ग्राफ में हरी रेखा का विश्लेषण करें...

स्रोत- द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 14 दिसंबर 2018

स्पेसशिपटू (SpaceShipTwo)

Paceshiptwo

वर्जिन गैलेक्टिक का अंतरिक्षयान कैलिफ़ोर्निया के मोजावे रेगिस्तान (Mojave Desert) से 50 मील की ऊँचाई पर पहुँचा।

  • स्पेसशिपटू (SpaceShipTwo) नामक यह यान लगभग 51 मील (82 किलोमीटर) की ऊँचाई पर पहुँच चुका था।
  • इस यान ने पृथ्वी के वायुमंडल की लगभग तीन परतों को पार करने के लिये ध्वनि की गति से 2.9 गुना तेज रफ़्तार (2,200 मील प्रति घंटा) से उड़ान भरी।
  • यह यान 51.4 मील की ऊँचाई (फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की परिभाषा के तहत यहाँ से अंतरिक्ष की शुरुआत होती है) पर तो पहुँचा, लेकिन अंतरिक्ष के शुरू होने की व्यापक रूप से स्वीकार्य सीमा से नीचे ही रहा। उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष की व्यापक रूप से स्वीकार्य सीमा पृथ्वी से 62 मील की ऊँचाई पर शुरू होती है।
  • यह अंतरिक्ष पर्यटन को एक बड़े व्यवसाय के रूप में स्थापित करने की कल्पना को वास्तविकता में बदलने की दौड़ में एक महत्त्वपूर्ण कामयाबी है।

बो घोषणापत्र (Boe Declaration)

  • जलवायु परिवर्तन के प्रति अतिसंवेदनशील प्रशांत महासागरीय देशों ने ऑस्ट्रेलिया से 12 वर्षों के अंदर कोयले से बिजली उत्पादन का बहिष्कार करने और मौज़ूदा कोयला संयंत्रों या नए संयंत्रों के विस्तार को प्रतिबंधित करने का आग्रह किया है।
  • हाल ही में, तुवालु (Tuvalu) ने ऑस्ट्रेलिया से क्वींसलैंड (Queensland) में कारमीचेल (Carmichael) खान के लिये अडानी परियोजना जैसी नई खानों को खोलने से बचने का आग्रह किया है। इसने बो घोषणापत्र (Boe Declaration) का भी ज़िक्र किया है जिस पर ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर में  हस्ताक्षर किये थे।

Brisbane

  • ‘प्रशांत द्वीपसमूह फोरम’ (Pacific Islands Forum) के ‘बो घोषणा’ के अंतर्गत इस बात की पुष्टि की गई थी कि जलवायु परिवर्तन, प्रशांत के लोगों की आजीविका, सुरक्षा और कल्याण के लिये सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
  • बो घोषणा वर्ष 2000 की बिकतेवा घोषणा (Biketawa Declaration) की प्रतिबद्धताओं और सिद्धांतों को मान्यता देती है और उनकी पुष्टि करती है।

बिकतेवा घोषणा (Biketawa Declaration)

  • यह क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु एक समन्वयित ढाँचे का गठन करने हेतु प्रशांत द्वीपसमूह फोरम के सभी नेताओं द्वारा स्वीकृत एक घोषणा है।
  • अक्तूबर 2000 में किरिबाती में आयोजित प्रशांत द्वीपसमूह फोरम के 31वें शिखर सम्मेलन में इस घोषणा को स्वीकृत किया गया।
  • इसके प्रमुख सिद्धांतों में निम्नलिखित शामिल हैं: सुशासन के प्रति वचनबद्धता, कानून के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थानों को कायम रखना तथा सदस्य देशों की भेद्यता को उनकी सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में चिन्हित करना।

प्रशांत द्वीपसमूह फोरम (Pacific Islands Forum)

  • प्रशांत द्वीपसमूह फोरम (Pacific Islands Forum), इस क्षेत्र का प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक नीति संगठन है, इसकी स्थापना 1971 में की गई थी।
  • इसमें 18 सदस्य शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, कुक द्वीप समूह (Cook Islands), संघीय राज्य माइक्रोनेशिया (Federated States of Micronesia), फिजी, फ्रेंच पॉलिनेशिया (French Polynesia), किरिबाती, नौरू (Nauru), न्यू कैलेडोनिया (New Caledonia), न्यूजीलैंड, नियू (Niue), पलाऊ (Palau), पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea), मार्शल द्वीप समूह गणराज्य, समोआ (Samoa), सोलोमन द्वीप समूह (Solomon Islands), टोंगा (Tonga), तुवालु (Tuvalu), और वानुअतु (Vanuatu)।
  • प्रशांत द्वीपसमूह फोरम का उद्देश्य शांति, सद्भाव, सुरक्षा, सामाजिक समावेश और समृद्धि के क्षेत्र हेतु अपने सदस्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकारों के बीच सहयोग करना और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहभागिता स्थापित करना ताकि इस क्षेत्र के सभी लोग स्वतंत्र, स्वस्थ एवं उत्पादक जीवन जी सकें।

भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (India-Myanmar-Thailand Trilateral Highway)

India Mayanmar Thailand


हाल ही में थाईलैंड के राजदूत द्वारा भारत, म्याँमार और थाईलैंड मोटर वाहन समझौते पर बातचीत तेज़ करने पर ज़ोर दिया गया।

  • लगभग 1,400 किलोमीटर के त्रिपक्षीय राजमार्ग का लक्ष्य दक्षिण-पूर्व एशिया में व्यापार को व्यापक बढ़ावा देना है और यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ (Act East) नीति का एक अभिन्न हिस्सा है।
  • इस परियोजना का 2021 तक पूरा होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • इस परियोजना को लागू करने के लिये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) को तकनीकी कार्यान्वयन एजेंसी और परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता नियुक्त किया गया है।

विविध

Rapid Fire 14 December

  • 12 दिसंबर को मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ दिवस (Universal Health Coverage Day 2018); Health for All स्लोगन के तहत Universal health coverage: everyone, everywhere; यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सर्वसम्मत संकल्प 2017 के तहत आयोजित किया जाता है; विश्वभर में कहीं भी किसी भी व्यक्ति को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिये जागरूकता बढ़ाना है इसका उद्देश्य
  • ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने जीता विश्वास मत; ब्रेक्ज़िट मुद्दे पर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर 317 सांसदों में से 200 ने उनके पक्ष में मतदान किया और पार्टी का नेता बने रहने का समर्थन किया;  उनकी अपनी कंज़र्वेटिव पार्टी के 48 सांसदों ने पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव; हार जाने पर पार्टी की नेता और प्रधानमंत्री पद से देना पड़ता इस्तीफा
  • यूरोपियन पार्लियामेंट ने जापान के साथ होने वाली ट्रेड डील को मंज़ूरी दे दी है; इसे विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता माना जा रहा है; इस डील से जो ओपन ट्रेडिंग ज़ोन बनेगा उसमें लगभग 635 मिलियन लोग कवर होंगे; इसमें विश्व की लगभग एक-तिहाई GDP शामिल होगी; जापान की संसद पहले ही कर चुकी है इस समझौते का अनुमोदन
  • श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना के फैसले को अवैध ठहराया; सिरिसेना ने रानिल व्रिकमसिंघे को हटाकर महिंदा राजपक्षे को बना दिया था प्रधानमंत्री; संसद भंग कर 5 जनवरी को चुनाव कराने की घोषणा की थी; इस बीच अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में स्पष्ट बहुमत साबित किया था; 225 में से 117 सांसदों ने उनके नेतृत्व को लेकर लाए गए विश्वास प्रस्ताव को पारित करने के पक्ष में मतदान किया था
  • राफेल डील को लेकर दायर सभी याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज; रक्षा सौदों में कोर्ट की दखलंदाज़ी को ठीक नहीं बताया;  राफेल खरीद की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच कराने की थी मांग; सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया को बिल्कुल सही बताते हुए कोर्ट ने कीमत और ऑफसेट पार्टनर की समीक्षा करने से किया इनकार; लगभग 58 हज़ार करोड़ रुपए में 36 राफेल युद्धक विमानों के लिये फ्रांस के साथ किया गया है समझौता
  • भारत और रूस द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत; रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोयगु के भारत दौरे में दोनों देशों ने लिया Inter-governmental Commission on Military & Military Technical Cooperation (IRIGC-MTC) बनाने का फैसला; दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और आपसी तालमेल को बढ़ावा देने हेतु इस फैसले को माना जा रहा है एक अहम कदम
  • नेपाल ने लगाया भारत की नई करेंसी पर प्रतिबंध; अब दो हजार, पांच सौ और दो सौ रुपये के नये नोट लेकर नेपाल जाना, अपने पास रखना और इन नोटों के बदले सामान देना होगा गैरकानूनी; भारतीयों को नेपाल में इस्तेमाल के लिये 100-50 या अन्य छोटे नोट ले जाने होंगे या नेपाल बॉर्डर पर ही नए भारतीय नोटों को नेपाल की करेंसी से बदलना होगा; नेपाल में आर्थिक अपराधों और हवाला कारोबार पर रोक लगाने के लिये की गई है यह पहल
  • भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में चल रहे हॉकी विश्व कप के क्वार्टर फाइनल मैच में भारत को नीदरलैंड्स ने 2-1 से हरा दिया; इसके साथ ही भारत विश्व कप से बाहर हो गया; 1975 के बाद से भारतीय टीम आज तक विश्व कप के सेमीफाइनल में नहीं पहुँच सकी है; विश्व कप में अभी तक भारतीय टीम नीदरलैंड्स की टीम को हरा नहीं पाई है
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने टीवी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर बृजेंद्र पाल सिंह को Film & Television Institute of India का चेयरमैन और प्रेसीडेंट नियुक्त किया है; उन्होंने अनुपम खेर का स्थान लिया है, जिन्होंने अक्तूबर में इस्तीफा दे दिया था; सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है FTII; लोकप्रिय टीवी सीरियल CID के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर भी हैं बृजेंद्र पाल सिंह

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