प्रौद्योगिकी
भारतीय पवन टरबाइन प्रमाणीकरण योजना (Indian Wind Turbine Certification Scheme-IWTCS)
चर्चा में क्यों?
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, चेन्नई के परामर्श से भारतीय पवन टरबाइन प्रमाणीकरण योजना (IWTCS) नाम की नई योजना का प्रारूप तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रारूप में टरबाइन प्रमाणीकरण योजना के विभिन्न दिशा-निर्देशों को शामिल किया गया है।
- IWTCS प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों (IS/IEC/IEEE), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा जारी तकनीकी विनियमों तथा आवश्यकताओं, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों का संकलन है।
- प्रारूप में पवन ऊर्जा परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये अन्य देशों के विशिष्ट श्रेष्ठ व्यवहारों को शामिल करने का प्रयास किया गया है।
- प्रारूप योजना में अवधारणा से लेकर पवन टरबाइन के जीवन से जुडे सभी हितधारकों के लाभ के लिये दिशा-निर्देश हैं। इनमें भारतीय किस्म का स्वीकृत मॉडल (Indian Type Approved Model- ITAM), भारतीय प्रकार की प्रमाणीकरण योजना (Indian Type Certification Scheme- ITCS), पवन कृषि परियोजना प्रमाणीकरण योजना (Wind Farm Project Certification Scheme- WFPCS) तथा पवन टरबाइन सुरक्षा और कार्य प्रदर्शन प्रमाणीकरण योजना (Wind Turbine Safety & Performance Certification Scheme-WTSPCS) शामिल हैं।
- IWTCS योजना निम्नलिखित हितधारकों की सहायता के लिये बनाई गई है
- मूल उपकरण निर्माता (Original Equipment Manufacturers -OEMs)
- एंड यूजर-यूटिलिटी, एसएनए, डेवलपर्स, आईपीपी, मालिक, प्राधिकारी, निवेशक तथा बीमाकर्त्ता
- प्रमाणीकरण संस्थान
- जाँच प्रयोगशालाएँ
पृष्ठभूमि
- पवन ऊर्जा पिछले कई दशकों से भारत में नवीकरणीय विद्युत उत्पादन का मुख्य स्रोत हो गई है।
- पवन ऊर्जा क्षेत्र के विकास में विभिन्न कार्य और सुरक्षा मानकों के साथ तरह-तरह के पवन टरबाइन देखने को मिले हैं। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से पवन ऊर्जा क्षेत्र के विकास में सहायता दी है।
- मंत्रालय द्वारा भारत में प्रमाणीकरण योजनाओं की मान्यता के लिये जारी दिशा-निर्देश भारत में स्थापित गुणवत्ता संपन्न पवन टरबाइन की सफलता के लिये आवश्यक था।
- मान्यता प्राप्त योजनाओं की सफलता से पवन टरबाइन को मॉडलों तथा निर्माताओं की संशोधित सूची में स्थान मिला है।
निष्कर्ष
- पवन ऊर्जा परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये एक ऐसे विस्तृत दस्तावेज की जरूरत है, जिसमें हितधारकों यानी OEM, स्वतंत्र बिजली उत्पादकों, पवन कृषि डेवलपरों, वित्तीय संस्थानों आदि द्वारा सुरक्षित और विश्वसनीय संचालन के लिये पवन टरबाइन द्वारा संकलित संपूर्ण तकनीकी आवश्यकताओं का प्रावधान हो।
भारतीय अर्थव्यवस्था
रेटिंग एजेंसियों पर सेबी की सख्ती (Sebi tightens norms for rating agencies)
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड ने भारत के बाज़ार नियामक ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिये खुलासा तथा समीक्षा करने संबंधी मानदंडों को सख्त कर दिया है। सेबी द्वारा उठाए गए इस कदम को आईएलऐंडएफएस (IL&FS) संकट के असर के तौर पर देखा जा रहा है।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को खुलासा करते समय कई कारकों को ध्यान में रखना होगा। इन कारकों में प्रमोटर सपोर्ट, सहयोगी कंपनियों के साथ संबंध और निकट अवधि भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिये नकदी की स्थिति शामिल है।
- यदि रेटिंग का कारक मूल कंपनी या सरकार से समर्थन है तो प्रवर्तक का नाम और किसी भी उम्मीद के लिये दलील को रेटिंग एजेंसी द्वारा मुहैया कराया जाएगा। इसके अलावा जब रेटिंग के लिये सहयोगी कंपनियों या समूह कंपनियों को साथ मिलाया जाता है तो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को इन सभी कंपनियों की सूची बनानी होगी साथ हही इन कंपनियों के एकीकरण का कारण भी बताना होगा।
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को रेटिंग एक्शन के बारे में प्रेस रिलीज में नकदी के लिये एक सेक्शन जोडऩे की जरूरत है। इस सेक्शन में यह बताया जाना चाहिए कि निकट अवधि भुगतान दायित्वों को पूरा करने के संबंध में कंपनी की क्या स्थिति है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम से निवेशकों को कंपनी की नकदी की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
- पुनर्भुगतान के कार्यक्रम की निगरानी करते समय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को कंपनी की नकदी की स्थिति में गिरावट का विश्लेषण करना होगा और साथ ही परिसंपत्ति-देनदारी में किसी तरह की अनियमितता पर भी ध्यान देना होगा।
- सेबी द्वारा जारी नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को अर्द्धवार्षिक आधार पर (31 मार्च और 30 सितंबर को) 15 दिनों के भीतर इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग श्रेणी में त्वरित रेटिंग कार्यवाही के आधार पर डेटा प्रस्तुत करना होगा।
पृष्ठभूमि
- क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां किसी कंपनी की क्रेडिट योग्यता को प्रभावित करने वाले कारकों की निगरानी और विश्लेषण करती हैं और इस तरह बॉन्ड की कीमत तय करने में मदद करती हैं।
- लेकिन IL&FS मामले में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के कार्यप्रणाली से भारतीय बाज़ार नियामक संतुष्ट नहीं था। बाज़ार नियामक का मानना है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कंपनी के शुरुआती संकेतों को भांपने में नाकाम रहीं जिसके चलते उन्होंने इस संबंध में कोई चेतावनी जारी नहीं की थी। इसके बाद सेबी ने रेटिंग एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की तथा अंततः ये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
भारत-विश्व
भारत और मोरक्को के बीच समझौता (Morocco & India agree to assist)
संदर्भ
हाल ही में भारत और मोरक्को ने दीवानी एवं वाणिज्यिक अदालतों में पारस्परिक कानूनी सहायता और ज्यादा बढ़ाने से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किये।
समझौते के प्रमुख बिंदु
- सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों या प्रक्रियाओं पर अमल करना
- दीवानी मामलों में साक्ष्य लेना
- दस्तावेजों, रिकॉर्डिंग को प्रस्तुत, पहचान और जांच करना
- दीवानी मामलों में साक्ष्य लेने के लिये अनुरोध पत्र पर तामील
- पंच निर्णायकों के पंचाट को स्वीकार एवं कार्यान्वित करना
समझौते का उद्देश्य
- भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और मोरक्को साम्राज्य के न्याय मंत्रालय के बीच आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में हुए समझौते का उद्देश्य एक साधन के रूप में आईटी का उपयोग कर अदालतों के आधुनिकीकरण सहित ई-गवर्नेंस को सुदृढ़ करना है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों के आदान-प्रदान, पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों के क्षेत्रीय दौरों और दोनों ही पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित अन्य साधनों के जरिए दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभान्वित हो सकें।
समझौते का महत्त्व
- यह समझौता भारत और मोरक्को दोनों ही देशों के नागरिकों के लिये लाभप्रद साबित होगा।
- इस समझौते से दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में मैत्रीपूर्ण एवं सार्थक सहयोग को मज़बूत करने से संबंधित दोनों देशों की प्रबल इच्छा की भी पूर्ति होगी जो इस समझौते की मूल शैली, भावना एवं सार है।
भारत-मोरक्को संबंध पृष्ठभूमि
- भारत मोरक्को के स्वतंत्रता आंदोलन को अपनी ओर से संयुक्त राष्ट्र में समर्थन प्रदान करने में अत्यंत सक्रिय रहा था और इसके साथ ही भारत ने 20 जून, 1956 को उस समय मोरक्को को मान्यता प्रदान की थी जब वह फ्रांस के साथ की गई संरक्षित व्यवस्था से आजाद हो गया था। इसके साथ ही वर्ष 1957 में राजनयिक मिशन स्थापित किये गए थे।
- आपसी संबंधों के आगाज के समय से ही भारत और मोरक्को के बीच सौहार्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम हैं। समय-समय पर भारत और मोरक्को के गणमान्य व्यक्ति एक-दूसरे के यहाँ दौरे पर जाते रहे हैं।
- मोरक्को का दौरा करने वाले भारत के गणमान्य व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन (1967) और विधि एवं न्याय मंत्री (2016) शामिल हैं।
शासन व्यवस्था
लीप और अर्पित (LEAP and ARPIT)
चर्चा में क्यों?
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा हाल ही में लीप (LEAP) नामक एक कार्यक्रम लॉन्च किया गया जिसका क्रियान्वयन 15 शीर्ष संस्थानों जैसे IITs, TISS, DU, JNU और IISERs द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही ‘अर्पित’ (ARPIT) नामक एक पहल की भी शुरुआत की गई।
क्या है LEAP?
- LEAP : Leadership for Academicians Programme
- ‘लीप’ सार्वजनिक वित्त-पोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में तीन-सप्ताह तक चलने वाला एक फ्लैगशिप कार्यव्रम है जिसमें नेतृत्व विकास के लिये प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- इसमें दो सप्ताह का घरेलू और एक सप्ताह का विदेशी प्रशिक्षण शामिल है।
- इसका उद्देश्य द्वितीय स्तर (Second Level) के अकादमिक नेतृत्वकर्त्ताओं को तैयार करना है जो संभावित रूप से भविष्य के लिये नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।
- इन पहलों का उद्देश्य शिक्षण की गुणवत्ता में परिवर्तन लाना और नेतृत्वकर्त्ताओं का उन्नयन करना तथा उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में वृद्धि करना है।
कार्य
- यह कार्यक्रम वरिष्ठ संकाय (Senior Faculty) प्रदान करेगा जिनकी अकादमिक साख काफी उच्च होगी। ये संकाय अपेक्षित नेतृत्व एवं प्रबंधनात्मक कौशल, जैसे- समस्या समाधान कौशल, तनाव का प्रबंधन, टीम निर्माणकारी कार्य, विवाद प्रबंधन, संचार कौशल विकास, उच्च शिक्षा संस्थानों तथा वित्तीय एवं सामान्य प्रशासन में शासन संबंधी जटिलता और चुनौतियों की समझ और सामना करने जैसे गुणों से युक्त होंगे।
शामिल संस्थान
- लीप कार्यव्रम 15 एनआईआरएफ शीर्ष रैंकिंग भारतीय संस्थानों यथा, IIT रूड़की, IIT कानपुर, NIT त्रिची, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) कोलकाता, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे, TISS मुंबई आदि द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- प्रशिक्षण हेतु चयनित विदेशी विश्वविद्यालय- यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, यूनिवर्सिटी ऑफ स्टैनफोर्ड, मोनीश यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया (यूएसए) आदि।
- ये संस्थान वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष 100 स्थानों पर काबिज हैं।
क्या है ARPIT?
- ARPIT : Annual Refresher Programme in Teaching
- अर्पित, MOOCs प्लेटफार्म ‘SWAYAM’ का प्रयोग कर रहे 15 लाख उच्च शिक्षण संकाय (Higher Education Faculty) के ऑनलाइन व्यावसायिक विकास के लिये एक प्रमुख और अनोखी पहल है।
- अर्पित के व्रियान्वयन के लिये 75 विषय-विशिष्ट संस्थानों की पहचान की गई है जिन्हें पहले चरण में ‘नेशनल रिसोर्स सेन्टर्स’ के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- इन्हें विषयों पर नवीनतम विकास, नए एवं उदीयमान प्रवृत्तियों, शैक्षिक सुधार और संशोधित पाठ्यक्रम को करने की पद्धतियों पर केंद्रित ऑनलाइन ट्रेनिंग मटेरियल तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।
- पाठ्यक्रम एक 40 घंटे का मॉड्यूल है जिसमें 20 घंटे का वीडियो कंटेंट है और 20 घंटे का नॉन-वीडियो कंटेंट है। इन्हें अत्यधिक लचीले रूप में पेश किया गया है जिसे कोई अपनी गति और समय के साथ पूरा कर सकता है।
- पाठ्यक्रम में अकादमिक विकास के हिस्से के रूप में अंतर्निहित मूल्यांकन अभ्यास और गतिविधियाँ शामिल हैं।
- पाठ्यक्रम के अंत में, एक टर्मिनल मूल्यांकन होगा जो या तो ऑनलाइन या लिखित परीक्षा के रूप में हो सकता है।
- ऑनलाइन रिप्रेसर कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले सभी संकाय को प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
कृषि
कृषि व्यापार में सुगमता की जाँच के लिये नया सूचकांक (New index to check ease of doing agri-business)
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार अगले वर्ष की शुरुआत में कृषि-व्यापार में सुगमता हेतु एक नया सूचकांक शुरू करना चाहती है। यह सूचकांक राज्यों को कृषि में उनके निवेश, उत्पादकता में वृद्धि, इनपुट लागत में कमी और जोखिम शमन उपायों के साथ ही साथ अन्य सुधारों के आधार पर रैंक प्रदान करेगा।
प्रमुख बिंदु
- राज्यों को जल्द ही कृषि-व्यापार को प्रोत्साहित करने में विशेषकर विपणन, भूमि और शासन में सुधारों के संबंध में उनके प्रदर्शन के आधार पर कृषि मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं के लिये अतिरिक्त धनराशि मिलने की शुरुआत हो सकती है।
- सूचकांक के लिये जारी किये गए हालिया अवधारणा नोट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय विभिन्न प्रमुख योजनाओं में उपलब्ध फ्लेक्सी फंडों से आवंटन के साथ प्रदर्शन को जोड़कर उच्च निष्पादित राज्यों को [पूर्ण और वृद्धिशील दोनों शर्तों में] पुरस्कृत करने पर विचार कर सकता है।
- नीति आयोग पहले से ही एक कृषि विपणन और कृषक अनुकूल सुधार सूचकांक जारी करता है, जो इन सुधारों के कार्यान्वयन पर राज्यों को रेटिंग प्रदान करता है। वर्ष 2016 में उस सूचकांक के प्रारंभिक संस्करण में महाराष्ट्र रैंकिंग में पहले स्थान पर रहा, इसके बाद गुजरात का स्थान था।
- इस प्रस्तावित सूचकांक का विस्तार अत्यंत व्यापक है, लेकिन मुख्य केंद्रण अभी भी सुधारों पर है। विपणन सुधार (25%) तथा शासन और भूमि सुधार (20%) इस सूचकांक की मूल्यांकन प्रणाली के मापदंडों के वज़न का लगभग आधा हिस्सा रखते हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
- अन्य मापदंडों के तहत, राज्यों का मूल्यांकन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण तथा जैविक कृषि और सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करके कृषि आगतों (20% भारांश) की लागत में कमी करने में राज्यों को मिली सफलता के आधार पर किया जाएगा।
- फसल और पशुधन बीमा जैसे जोखिम शमन उपायों का भारांश 15% होगा, जबकि कृषि में उत्पादकता तथा निवेश में वृद्धि इन दोनों का भारांश 10-10% होगा।
प्रक्रिया उन्मुख मापदंड
- अवधारणा नोट के अनुसार, ये मापदंड प्रक्रिया उन्मुख हैं, और जब नए सुधार या पहल प्रस्तावित किये जाते हैं, तब ये विकसित होते हैं।
- चूँकि कृषि एक राज्य विषय है, अतः केंद्र द्वारा प्रस्तावित नीतियों और सुधार पहलों की सफलता राज्यों द्वारा कार्यान्वयन पर निर्भर है।
- इस नोट के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिये कि सरकार के सुधार एजेंडे को सभी राज्य सरकारों द्वारा वांछित गति से लागू किया गया है, राज्यों के बीच एक प्रतिस्पर्द्धी भावना विकसित करने की आवश्यकता है।
- 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की रणनीतियों की सिफारिश करने के लिये गठित समिति ने भी यह सुझाव दिया था कि राज्यों को उनके सुधार और शासन रिकॉर्ड के आधार पर रैंक प्रदान किया जाना चाहिये।
- यह अवधारणा नोट 15 नवंबर तक सार्वजनिक और हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिये उपलब्ध है, जिसके बाद महीने के अंत तक कार्यान्वयन दिशानिर्देश तैयार किये जाएंगे।
- अवधारणा नोट की समय-सारिणी के अनुसार, राज्य के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक ऑनलाइन डैशबोर्ड वर्ष के अंत तक विकसित किया जाएगा और सूचकांक को जारी करने के लिये राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला जनवरी 2019 में आयोजित की जाएगी।
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 14 नवंबर, 2018
IONS की 10वीं वर्षगांठ (10th anniversary of IONS)
नौसेना प्रमुख द्वारा कोच्चि के लुलु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में 13 नवंबर, 2018 को हिंद महासागर नौसैनिक सिम्पोजियम (Indian Ocean Naval Symposium- IONS) की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर समारोह प्रारंभ हुआ।
- IONS भारत द्वारा फरवरी, 2008 में लॉन्च की गई अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा पहल है जो नौसेना पेशेवरों के बीच सूचना प्रवाह बढ़ाने की पहल करता है।
- इस अवसर पर ‘स्पेशल कवर’ का विमोचन किया गया।
- IONS के 10वें वर्षगांठ समारोह के स्पेशल कवर में हिंद महासागर तथा हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों का मानचित्र है, जो क्षेत्र के भौगोलिक राजनीतिक महत्त्व को दर्शाता है। इसमें एक नौका का चित्रण है, जो क्षेत्र के पड़ोसियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले प्राचीन व्यापार मार्गों तथा क्षेत्र में सामाजिक-सांस्कृतिक संपर्क वाले देशों के महत्त्व को दिखाता है।
- सदस्य देशों के राष्ट्रीय ध्वज कवर का अभिन्न हिस्सा है और यह समुद्री सुरक्षा, सद्भाव तथा क्षेत्र में विकास के समान हितों को समर्थन देता है।
- IONS वर्षगांठ समारोह में बांग्लादेश, ईरान, जापान, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोजांबिक, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका तथा संयुक्त अरब अमीरात के नौसेना के प्रमुख तथा 16 अन्य IONS सदस्य देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
समुद्र शक्ति
12 नवंबर, 2018 को भारत और इंडोनेशिया के बीच पहले द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ की शुरुआत की गई। यह अभ्यास 18 नवम्बर तक चलेगा।
- इस अभ्यास का आयोजन जावा सागर में किया जा रहा है।
- भारतीय नौसेना की तरफ से युद्धपोत ‘आईएनएस राणा’ इस अभ्यास में भाग ले रहा है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच इस साझा अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों को बढ़ावा देना, समुद्री सहयोग को मज़बूत बनाना औऱ एक-दूसरे की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाना है।
- भारत और इंडोनेशिया के बीच वर्ष 2002 में शुरू हुए भारत-इंडोनेशिया सैन्य अभ्यास (Ind-Indo Corpat) के बाद यह द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास दोनों देशों की नौसेना के बीच परिचालन से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इस साझा अभ्यास से भारत और इंडोनेशिया के बीच नौसैनिक सहयोग का एक नया दौर शुरु होगा।
इंद्र-2018
संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में उग्रवाद से निपटने के लिये भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास इंद्र-2018 बबीना छावनी (झांसी) स्थित बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में 18 नवंबर, 2018 को शुरू होगा।
- इस अभ्यास में रूसी संघ की पाँचवी बटालियन और भारत की इंफैंट्री बटालियन हिस्सा लेगी। यह अभ्यास 11 दिनों तक चलेगा।
- सैन्य अभ्यास संयुक्त राष्ट्र तत्वावधान में दोनों देशों की फौजों की क्षमता बढ़ाना है, ताकि शांति स्थापना और संयुक्त रणनीतिक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ सके।
- सैन्य अभ्यास का विषय दोनों देशों के लिये महत्त्वपूर्ण समकालीन सैन्य एवं सुरक्षा मुद्दे हैं।
फैज़ाबाद
उत्तरप्रदेश कैबिनेट ने फैज़ाबाद ज़िले का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
- फैज़ाबाद ज़िले को अब अयोध्या के नाम से जाना जाएगा।
- ज़िले के साथ-साथ पूरे फैज़ाबाद मंडल का नाम बदलकर अयोध्या रख दिया गया है। अयोध्या मंडल में अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर और अमेठी ज़िले शामिल हैं।