सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों का प्रदर्शन: एक टिप्पणी
- 04 Aug, 2022 | शालिनी बाजपेयी
इस लेख में हम जानेंगे कि, आखिर किन कारणों से सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हिंदी माध्यम का परिणाम बेहतर रहा है।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में इस बार अर्थात 2021 में कुल 685 उम्मीदवार सफल हुए हैं, जिनमें हिंदी माध्यम के करीब 25 से 35 उम्मीदवार शामिल हैं। शीर्ष 25 उम्मीदवारों में हिंदी माध्यम के दो अभ्यर्थी अपनी जगह बना पाए हैं जिनमें पहले टॉपर की रैंक 18वीं और दूसरे टॉपर की रैंक 22वीं है।
हैरान करने वाली बात यह है कि सात साल के बाद हिंदी माध्यम के छात्र सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले शीर्ष 25 उम्मीदवारों में अपनी जगह बना पाए हैं। इससे पहले, साल 2014 में हिंदी माध्यम से टॉप करने वाले उम्मीदवार की 13वीं रैंक थी। लिहाज़ा, सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बीते सालों की तुलना में बेहतर रहा है।
आइये जानते हैं कि आखिर किन वज़हों से इस बार सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम का परिणाम बेहतर रहा। साथ ही, यह भी जानेंगे कि हिंदी माध्यम के छात्रों को यूपीएससी की तैयारी के दौरान किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम का इतिहास
सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत ब्रिटिश शासन काल में हुई थी और उस समय यह परीक्षा केवल अंग्रेज़ी माध्यम में ही कराई जाती थी। यहाँ तक कि साल 1979 तक यूपीएससी में हिंदी माध्यम नाम की कोई चीज नहीं थी। आपातकाल के बाद बनी मोरारजी देसाई की सरकार ने सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिये कोठारी समिति का गठन किया था। इस समिति की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया गया कि सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवार अंग्रेज़ी के अलावा हिंदी व अन्य भाषाओं को भी अपने माध्यम के रूप में चुन सकेंगे।
इसके बावजूद साल 1990 तक हिंदी माध्यम का परिणाम न के बराबर था जिसके चलते पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देसाई सरकार में गठित मंडल कमीशन की घोषणा को लागू कर दिया, और साल 1993 से सिविल सेवा परीक्षा में अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाने लगा।
सरकार के इस कदम के बाद हिंदी माध्यम का परिणाम सुधरना शुरू हुआ। साल 2000 में पहली बार, यूपीएससी पास करने वाले शीर्ष 10 अभ्यर्थियों में छठवें और सातवें स्थान पर हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी रहे। साल 2002 में शीर्ष 100 में 20-25 अभ्यर्थी हिंदी माध्यम से थे। इतना ही नहीं, साल 2008 में देश की सर्वोच्च परीक्षा में तीसरे स्थान पर हिंदी माध्यम का दबदबा रहा था।
2013 के बाद से हिंदी माध्यम के परिणाम में आई गिरावट
मोटे तौर पर, साल 2010 तक यह चलन था कि हिंदी माध्यम के करीब 45 फीसदी अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में बैठते थे जिसमें से करीब 20-22 फीसदी अभ्यर्थी साक्षात्कार में शामिल होते थे और 9-11 फीसदी अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित होते थे।
लेकिन 2011 में सीसैट (सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट) लागू होने के बाद मुख्य परीक्षा में बैठने वाले इन अभ्यर्थियों की संख्या घटकर आधे से भी कम (करीब 15 फीसदी) हो गई। जानकर आश्चर्य होगा कि साल 2011 और 2012 में हिंदी माध्यम का परिणाम करीब 3.5- 4 फीसदी ही रहा।
हद तो तब हो गई जब 2013 में मुख्य परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों की संख्या घटकर 10 फीसदी पहुँच गई और केवल 2.5 फीसदी उम्मीदवार ही अंतिम रूप से चयनित हुए। हिंदी माध्यम के खराब प्रदर्शन से निराश छात्रों ने सीसैट हटाने की माँग को लेकर आंदोलन किये।
परिणामस्वरूप 2014 में सीसैट को क्वालिफाइंग कर दिया गया। फिर भी 2014 में हिंदी माध्यम के परिणामों में बहुत ज़्यादा सुधार देखने को नहीं मिले; केवल 13 फीसदी अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा पास कर पाए। वहीं, 2016 में भी हिंदी माध्यम का परिणाम करीब 2 फीसदी ही रहा।
LBSNAA की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 में हिंदी माध्यम से मुख्य परीक्षा देने वालों की संख्या 2,439 थी जो 2019 में घटकर 571 और 2020 में 486 रह गई।
सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हिंदी माध्यम का परिणाम बेहतर होने के कारण
सिविल सेवा परीक्षा 2021 में हिंदी माध्यम का परिणाम करीब 4-5 फीसदी रहा। जो कि बहुत अच्छा तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन पिछले कुछ सालों की तुलना में बेहतर माना जा सकता है। इसके प्रमुख कारणों में से एक यह हो सकता है कि इस बार निबंध के प्रश्नपत्र में सभी प्रश्न अमूर्त प्रकार के थे, जिससे हिंदी माध्यम के वे छात्र जिनके वैकल्पिक विषय दर्शन या साहित्य थे, उन्हें इसका लाभ मिला और वे बेहतर अंक ला सके।
विभिन्न सालों में जारी सिविल सेवा परीक्षा के परिणामों में हिंदी माध्यम की शीर्ष रैंक इस प्रकार रही हैं-
वर्ष |
शीर्ष रैंक (हिंदी माध्यम में) |
2013 |
107 |
2014 |
13 |
2015 |
62 |
2016 |
31 |
2017 |
146 |
2018 |
337 |
2019 |
317 |
2020 |
246 |
2021 |
18 |
चूँकि यूपीएससी इस बात की जानकारी नहीं देता कि सफल उम्मीदवारों ने किस माध्यम में परीक्षा दी थी, इसलिए हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों की सटीक संख्या मिलना संभव नहीं है।
यूपीएससी में हिंदी माध्यम के छात्रों के खराब प्रदर्शन के कारण
- सिविल सेवा में हिंदी माध्यम के छात्रों का परिणाम खराब होने की एक वजह यह भी है कि किसी प्रश्न का उत्तर कैसे लिखा जाए, उसमें क्या जोड़ें, क्या छोड़ें, किसी प्रश्न के उत्तर की रूपरेखा कैसे बनाएँ, इस बात को लेकर स्पष्टता का बहुत अभाव रहता है।
- प्रश्नपत्र के मशीनी अनुवाद के चलते अभ्यर्थियों का कुछ प्रश्नों को सही तरह से न समझ पाना।
- हिंदी में पर्याप्त अध्ययन सामग्री का उपलब्ध न होना।
टॉपर्स के मुताबिक, हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- उत्तर का ढाँचा तैयार करें। प्रत्येक उत्तर की भूमिका और निष्कर्ष ज़रूर लिखें। प्रश्न को छोटे-छोटे भागों में बाँटकर उत्तर के मुख्य भाग को लिखें। प्रश्न में जो पूछा गया है, मुख्य भाग में उसका वर्णन करें।
- सामान्य ज्ञान में पैराग्राफ लिखने से बचें और बुलेट पॉइंट का प्रयोग करें। इसके अलावा फ्लो चार्ट, डायग्राम का प्रयोग करने से भी अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- तैयारी के दौरान अध्ययन के स्रोतों को सीमित रखें। ज़्यादा किताबें पढ़ने की बजाय एक किताब को बार-बार पढ़ें।
- प्रारंभिक परीक्षा से कम से कम पाँच महीने पहले वैकल्पिक विषय को तैयार कर लें।
- करेंट अफेयर्स की तैयारी के लिये समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाओं आदि का अध्ययन करें।
- वैकल्पिक विषय के नोट्स ज़रूर बनाएँ। पहली बार किसी किताब को पढ़ने पर नोट्स न बनाएं अन्यथा नोट्स की बजाय पूरी किताब ही बन जाएगी। सामान्यतया दूसरी या तीसरी बार किताब पढ़ते समय नोट्स बनाएँ।
- एनसीईआरटी ज़रूर पढ़ें।
- अंग्रेज़ी के प्रति पूर्वाग्रह न बनाएँ। उसे भी अपने जीवन का हिस्सा समझें।
- हिंदी में जो अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं है उसे अंग्रेज़ी में पढ़ने की आदत डालें।
- पुराने प्रश्नपत्रों को हल करें।
- टेस्ट सिरीज लगाएँ।
- समय-समय पर अपने नोट्स का रिवीज़न करते रहें।
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि परीक्षा के चलन (Trend) को देखते हुए तैयारी करें।
- वैकल्पिक विषय का चुनाव बहुत ध्यान से करें।
उपर्युक्त आँकड़ों का विश्लेषण करें तो हम यह कह सकते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वाले हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी अंग्रेज़ी माध्यम वालों से किसी भी चीज़ में कम नहीं हैं। उन्हें बस चुनौतियों को स्वीकार करना होगा और अपनी क्षमता व योग्यता को पहचानकर सटीक रणनीति के साथ निरंतर प्रयास करना होगा।
इसके साथ ही, प्रत्येक वर्ष हिंदी माध्यम से इस परीक्षा को पास करने वाले अभ्यर्थियों को देखकर यह प्रेरणा ली जा सकती है कि माध्यम किसी की सफलता में रुकावट नहीं बन सकता है। उम्मीद है कि हिंदी माध्यम के उम्मीदवार खुद को अंग्रेज़ी माध्यम के अभ्यर्थियों के सामने हीन नहीं समझेंगे और आने वाले समय में और बेहतर परिणाम आएँगे।