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भारतीय अर्थव्यवस्था

वेतन आयोग

  • 21 Aug 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वेतन आयोग, महँगाई भत्ता (DA), अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, मुद्रास्फीति

मेन्स के लिये:

वेतन आयोग: उद्देश्य, सिफारिशें, चुनौतियाँ

संदर्भ:

वेतन आयोग एक आवश्यक संस्थागत तंत्र है जो केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और लाभों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश की प्रशासनिक व्यवस्था के एक मुख्य घटक के रूप में आयोग समय-समय पर मौजूदा आर्थिक स्थितियों का मूल्यांकन करता है तथा सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यबल के लिये उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करने हेतु वेतनमान में उचित संशोधन की सिफारिश करता है।

वेतन आयोग:

  • वेतन आयोग केंद्र सरकार द्वारा स्थापित एक निकाय है जो कर्मचारियों के वेतन ढाँचे में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करता है।
  • वेतन आयोग की संरचना व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय) के अंतर्गत आती है।
  • वेतन आयोग का गठन आमतौर पर हर 10 वर्ष में किया जाता है और पहला वेतन आयोग 1946 में स्थापित किया गया था। आज़ादी के बाद से कुल सात वेतन आयोगों का गठन किया गया है।
  • वेतन आयोग का गठन आमतौर पर हर 10 साल में किया जाता है और पहला वेतन आयोग 1946 में स्थापित किया गया था। आजादी के बाद से कुल सात वेतन आयोग का गठन किया गया है।
  • नवीनतम वेतन आयोग का गठन वर्ष 2014 में किया गया था और इसकी सिफारिशें वर्ष 2016 में लागू हुईं। वर्तमान में केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन मिलता है।
  • सरकार के लिये वेतन आयोग की सिफारिशों को मानना अनिवार्य नहीं है। सरकार सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।

वेतन आयोग की आवश्यकता:

  • वेतन में संशोधन: वेतन आयोग समय-समय पर सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान, भत्ते और अन्य लाभों का आकलन करता है। वेतन में संशोधन की सिफारिश करते समय यह मुद्रास्फीति, आर्थिक स्थिति, जीवन यापन की लागत एवं प्रचलित बाज़ार दरों जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
    • ये संशोधन यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी कर्मचारियों को बदलते आर्थिक परिदृश्य के अनुरूप उचित और प्रतिस्पर्द्धी वेतन मिले।
  • सार्वजनिक वित्त पर प्रभाव: वेतन आयोग की सिफारिशों का सरकार के वित्तीय व्यय पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, क्योंकि बड़ी संख्या में कर्मचारियों के वेतन और भत्ते प्रभावित होते हैं।
  • अन्य क्षेत्रों पर रिपल इफेक्ट: वेतन आयोग की सिफारिशें अक्सर निजी क्षेत्र और विभिन्न राज्य सरकारी संगठनों में वेतन संरचनाओं को प्रभावित करती हैं। कई राज्य सरकारें तथा निजी कंपनियाँ भी अपने स्वयं के वेतन ढाँचे को संशोधित करते समय केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को संदर्भ बिंदु के रूप में उपयोग करती हैं।
  • सामाजिक समानता: वेतन आयोग वेतन असमानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे को भी संबोधित करता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी कर्मचारियों को उचित एवं प्रतिस्पर्द्धी वेतन मिले, यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच आय असमानताओं को कम करने में मदद करता है।
  • भत्तों और सुविधाओं की समीक्षा: मूल वेतन के अलावा वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों को प्रदान किये जाने वाले विभिन्न भत्तों जैसे- आवास भत्ता, चिकित्सा लाभ और यात्रा भत्ता आदि की भी समीक्षा करता है तथा उनमें बदलाव की सिफारिश करता है।

सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन: अकरोयड फॉर्मूले के आधार पर सरकार सेन्यूनतम वेतन 18,000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित करने की सिफारिश की गई है।

नोट:

  • अकरोयड फॉर्मूला आवश्यक वस्तुओं में मूल्य परिवर्तन पर विचार करता है जो जीवन-यापन की लागत को प्रभावित करता है।
  • इस फॉर्मूले से कर्मचारियों के प्रदर्शन और मुद्रास्फीति दर दोनों के आधार पर वेतन वृद्धि निर्धारित की जा सकती है।
    • इस तरह कर्मचारियों को उनके काम के लिये उचित पुरस्कार दिया जाता है और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए उनके वेतन को समायोजित किया जाता है।
  • अधिकतम वेतन: एपेक्स स्केल के लिये 2,25,000 रुपए प्रतिमाह और वर्तमान में समान वेतन स्तर पर कैबिनेट सचिव एवं अन्य हेतु 2,50,000 रुपए प्रतिमाह।
  • नई वेतन संरचना: ग्रेड वेतन संरचना के संबंध में उठाए गए मुद्दों पर विचार करते हुए और अधिक पारदर्शिता लाने की दृष्टि से वेतन बैंड एवं ग्रेड वेतन की वर्तमान प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है तथा एक नया वेतन मैट्रिक्स डिज़ाइन किया गया है।
    • ग्रेड पे को वेतन मैट्रिक्स में शामिल कर दिया गया है। कर्मचारी की स्थिति, जो ग्रेड वेतन से निर्धारित होती थी, अब वेतन मैट्रिक्स के स्तर से निर्धारित होगी।
  • नई पेंशन प्रणाली: आयोग को नई पेंशन प्रणाली (NPS) से संबंधित कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसने NPS के कामकाज़ में सुधार के लिये कई सिफारिशें की हैं। इसने एक मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की भी सिफारिश की है।
  • वार्षिक वेतन वृद्धि: वार्षिक वेतन वृद्धि की दर 3% पर बरकरार रखी गई है।
  • महँगाई भत्ता (DA): महँगाई भत्ते (DA) की दर फिलहाल 7वें वेतन आयोग की सिफारिश पर तय की जाती है।

महँगाई भत्ता (DA):

  • महँगाई के प्रभाव को कम करने के लिये सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को DA का भुगतान करती है। सरकारी कर्मचारियों के प्रभावी वेतन में निरंतर वृद्धि की आवश्यक है ताकि उन्हें बढ़ती कीमतों से निपटने में मदद मिल सके।
  • चूँकि मुद्रास्फीति का प्रभाव कर्मचारी के कार्य क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होता है, इसलिये DA की गणना उसी के अनुसार की जाती है। इस प्रकार DA शहरी, अर्द्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में भिन्न होता है।
  • इसकी गणना पिछले 12 महीनों के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाती है।

वेतन आयोग के समक्ष चुनौतियाँ:

  • आर्थिक स्थितियाँ: आर्थिक उतार-चढ़ाव और अनिश्चितताएँ वेतन वृद्धि के लिये धन आवंटित करने की सरकार की क्षमता को प्रभावित करती हैं। यदि अर्थव्यवस्था स्वस्थ दर से नहीं बढ़ रही है, तो यह महत्त्वपूर्ण वेतन संशोधनों को लागू करने के लिये उपलब्ध संसाधनों को सीमित कर सकती है।
  • राजकोषीय बाधाएँ: सरकार को अपनी राजकोषीय ज़िम्मेदारियों को संतुलित करना होगा, जिसमें बजट घाटे का प्रबंधन और सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित करना शामिल है। राजकोषीय स्थिरता से समझौता किये बिना सरकारी कर्मचारियों के लिये उच्च वेतन की मांग को पूरा करना समस्या उत्पन्न कर सकता है।
  • मुद्रास्फीति और जीवन-यापन की लागत: उच्च मुद्रास्फीति दर और जीवन-यापन की बढ़ती लागत व्यक्तियों की क्रय शक्ति को प्रभावित करती है। सरकारी कर्मचारियों का वेतन उचित जीवन स्तर बनाए रखने के लिये पर्याप्त है यह सुनिश्चित करने हेतु वेतन आयोग को इन कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है ।
  • आय असमानताएँ: सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न स्तरों के बीच आय असमानताओं को संबोधित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। निष्पक्ष एवं उचित वेतन संरचना को बनाए रखते हुए वेतन वृद्धि की आवश्यकता को संतुलित करना एक जटिल कार्य है।
  • विभिन्न क्षेत्रों की मांग: अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उचित वेतन और लाभ की आवश्यकताएँ होती हैं। वेतन आयोग को रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा सार्वजनिक प्रशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कर्मचारियों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिये।
  • वैश्विक आर्थिक कारक: वैश्विक आर्थिक स्थितियाँ भारत की आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय स्थिति को भी प्रभावित कर सकती हैं, जिससे महत्त्वपूर्ण वेतन संशोधन लागू करने की सरकार की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ: वेतन आयोग को पेंशन संबंधी मुद्दों का भी समाधान करना चाहिये और सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के लिये वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों की सिफारिश करनी चाहिये।

निष्कर्ष

निष्कर्ष के तौर पर वेतन आयोग की सिफारिशें भारत के कार्यबल के लिये निष्पक्ष और अधिक समृद्ध भविष्य की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। वेतन असमानताओं को दूर करके एवं लोक सेवकों के समर्पण को देखते हुए हम एक मज़बूत और अधिक प्रेरित कार्यबल के लिये मार्ग प्रशस्त करेंगे, जिससे अंततः पूरे देश को लाभ होगा

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