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उत्तर प्रदेश में काऊ टूरिज़्म को प्रोत्साहन
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में “काऊ टूरिज़्म’’ (गौ-पर्यटन) को विकसित करने की योजना की घोषणा की है। इसका उद्देश्य गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें पर्यटक आकर्षण के रूप में बदलना है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य:
- हर ज़िले में एक आदर्श गौशाला स्थापित करना: इसे पर्यटन का मॉडल केंद्र और स्थानीय आय का स्रोत बनाया जाए।
- गौशालाओं की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना: गोबर, मूत्र, दूध और घी जैसे गौ-आधारित उत्पादों के वाणिज्यिक उपयोग को बढ़ावा देना। अधिकारियों को इन संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिये ज़िला-स्तरीय योजना तैयार करने के निर्देश दिये गए हैं।
- महिला स्वयं-सहायता समूहों (SHG) को शामिल करना: स्थानीय स्तर पर गोबर आधारित और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के निर्माण और विपणन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना।
- पहल:
- सरकार दीवाली अभियान शुरू करेगी, जिसमें गोबर से बने दीपक और सजावटी वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि पर्यावरण-अनुकूल उत्सव मनाए जा सकें।
- ये उत्पाद ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) पहल के तहत प्रचारित किये जाएंगे, जिससे नागरिकों को सतत् और देशी उत्पाद अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- प्रभाव:
- गौशालाओं की आर्थिक क्षमता बढ़ाकर भटकते हुए पशुओं के प्रबंधन की चुनौती को हल करना।
- गौ-आधारित उद्योगों के माध्यम से रोज़गार और उद्यमिता के अवसर सृजित करना।
- गौ-रक्षा प्रयासों को सुदृढ़ करना और साथ ही पर्यावरण-सचेत पर्यटन और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन प्रदान करना।
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उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया संक्रमण की दर में गिरावट हुई
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के 51 ज़िलों के 782 प्रभावित ब्लॉकों में से 544 (लगभग 70%) ब्लॉकों में फाइलेरिया संक्रमण की दर 1% से नीचे आ गई है। यह राज्य के फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में एक बड़ी उपलब्धि है।
- शेष 238 ब्लॉकों में प्रयास जारी हैं। राज्य का लक्ष्य वर्ष 2027 तक फाइलेरिया का पूर्ण उन्मूलन करना है। इस दिशा में निगरानी को सुदृढ़ करने, अंतर-विभागीय समन्वय बढ़ाने तथा ज़िलों के बीच फील्ड स्तर की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।
फाइलेरियासिस से संबंधित प्रमुख तथ्य
- परिचय: फाइलेरियासिस एक परजीवी संक्रमण है जो सूक्ष्म, धागे जैसे कृमियों/कीड़ों (फाइलेरिया) द्वारा होता है जिन्हें फाइलेरिया कहा जाता है। यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है और विश्व भर के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
- कारण एवं संक्रमण:
- लिंफैटिक फाइलेरियासिस एक परजीवी रोग है जो फिलेरियोडिडिया परिवार के नेमाटोड्स (Roundworms) से होता है।
- इस रोग के लिये ज़िम्मेदार तीन मुख्य फाइलेरियल कृमि हैं:
- वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी: यह 90% मामलों के लिये ज़िम्मेदार है,
- ब्रुगिया मैलेई: यह शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है,
- ब्रुगिया टिमोरी: यह भी इस रोग का कारण बनता है।
- लक्षण: लिंफैटिक फाइलेरियासिस संक्रमण में लक्षणहीन, तीव्र और दीर्घकालिक अवस्थाएँ शामिल होती हैं।
- दीर्घकालिक अवस्था में, यह लसिका सूजन (lymphoedema) या हाथ-पाँव की सूजन/त्वचा एवं फीलपाँव या हाथीपाँव (Elephantiasis) और हाइड्रोसील (स्क्रोटल स्वेलिंग) का कारण बनता है।
- उपचार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लिंफैटिक फाइलेरियासिस के वैश्विक उन्मूलन को तीव्र करने हेतु तीन दवा वाले उपचार की अनुशंसा करता है। इसे ट्रिपल ड्रग थेरैपी (IDA) कहा जाता है, जिसमें आइवरमेक्टिन (Ivermectin), डाइएथिलकार्बामाज़ीन साइट्रेट (Diethylcarbamazine citrate) और अल्बेंडाज़ोल (Albendazole) का संयोजन शामिल होता है।
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उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर में 256 अपराधी ढेर
चर्चा में क्यों?
मिशन शक्ति 5.0 पहल के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधियों की धर-पकड़ की कार्रवाई तेज़ कर दी है। इस क्रम में पिछले 20 दिनों में एनकाउंटर में कई कुख्यात अपराधियों को या तो मारा गया या गिरफ्तार किया गया है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: मिशन शक्ति 5.0 का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था बनाए रखना तथा पुलिस में जनता का विश्वास दृढ़ करना है। यह सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति शून्य-सहनशीलता नीति को जारी रखता है।
- कानून और व्यवस्था का रिकॉर्ड (2017-25): वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश पुलिस ने 15,726 एनकाउंटर किये, जिनके परिणामस्वरूप:
- 256 कुख्यात अपराधी मारे गए हुए
- 31,960 अपराधी गिरफ्तार और 10,324 घायल हुए
- 18 पुलिसकर्मी शहीद और 1,754 घायल हुए
- क्षेत्रवार आँकड़े (Zone-Wise Data):
- मेरठ ज़ोन: 4,453 एनकाउंटर, 8,312 गिरफ्तारी, 85 मारे गए, 3,131 घायल (2 पुलिस शहीद, 461 घायल)
- वाराणसी ज़ोन: 1,108 एनकाउंटर, 2,128 गिरफ्तारी, 27 मारे गए, 688 घायल
- आगरा ज़ोन: 2,374 एनकाउंटर, 5,631 गिरफ्तारी, 22 मारे गए, 816 घायल
- लखनऊ ज़ोन: 846 एनकाउंटर, 17 अपराधी मारे गए
- प्रयागराज ज़ोन: 572 एनकाउंटर, 10 अपराधी मारे गए
- अतिरिक्त उपाय:
- गैंगस्टर एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और संपत्ति ज़ब्ती कानून का उपयोग संगठित अपराध सिंडिकेट्स के विरुद्ध किया गया।
- लगातार चलाए जा रहे अभियान का उद्देश्य आपराधिक नेटवर्क को तोड़ना और माफियाओं के वित्तीय संसाधनों को बाधित करना है।
- सरकार की रणनीति का मार्गदर्शन “एक अपराधी या तो कारावास में रहेगा या राज्य से बाहर’’ (A criminal will either be in jail or out of the state) सिद्धांत करता है।
- प्रभाव:
- इस अभियान से अपराध दर में उल्लेखनीय कमी आई और राज्य में सुरक्षा की भावना को बल मिला।
- इसने जनता का कानून-व्यवस्था में विश्वास पुनर्स्थापित किया और उत्तर प्रदेश की सुरक्षित और भय-मुक्त राज्य की छवि को सुदृढ़ किया।
भारत में पुलिस एनकाउंटर से संबंधित दिशा-निर्देश
- सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश (2014): पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (People’s Union for Civil Liberties) बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस एनकाउंटर में हुई मृत्यु में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये।
- सर्वोच्च न्यायालय ने सभी एनकाउंटर मृत्यु के मामलों में FIR दर्ज करना और मजिस्ट्रियल जाँच करवाना अनिवार्य किया, ताकि कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित हो सके।
- मृतक के निकटतम संबंधियों (Next of Kin) को जाँच प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिये, ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।
- जाँच को स्वतंत्र एजेंसी जैसे कि अपराध अन्वेषण विभाग (CID) द्वारा किया जाना चाहिये, ताकि पक्षपात से बचा जा सके और हित संघर्ष (conflict of interest) रोका जा सके।
- NHRC दिशा-निर्देश (1997 और 2010):
- वर्ष 1997: NHRC ने एनकाउंटर मृत्यु के मामलों के पंजीकरण, राज्य CID द्वारा स्वतंत्र जाँच और यदि पुलिस दोषी पाई गई तो निर्भर व्यक्तियों को मुआवज़ा प्रदान करने का निर्देश दिया।
- वर्ष 2010 (संशोधन): एनकाउंटर मृत्यु की सूचना NHRC को 48 घंटे के भीतर देना अनिवार्य किया गया और तीन महीने के भीतर विस्तृत फॉलो-अप रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें पोस्टमार्टम, इनक्वेस्ट और जाँच निष्कर्ष शामिल हों।
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उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024-25 में स्थापित हुई 4,000 नई फैक्ट्रियाँ
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है एवं वर्ष 2024–25 के दौरान 4,000 नई फैक्ट्रियाँ स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही, राज्य में संचालित फैक्ट्रियों की कुल संख्या 27,000 से अधिक हो गई है।
मुख्य बिंदु
- नवस्थापित औद्योगिक इकाइयाँ इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा निर्माण, ऑटोमोबाइल, रसायन तथा नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों को कवर करती हैं।
- औद्योगिक निवेश अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ जैसे पारंपरिक औद्योगिक केंद्रों से आगे बढ़कर बरेली, कानपुर, झाँसी, गोरखपुर, आज़मगढ़ और प्रयागराज जैसे उभरते शहरों तक पहुँच रहा है।
- इन औद्योगिक इकाइयों में सम्मिलित रूप से 12.8 लाख से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं, जो भारत के कुल औद्योगिक कार्यबल का 8.3% है।
- वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (2023–24) के अनुसार, उत्तर प्रदेश अब भारत के शीर्ष 15 औद्योगिक राज्यों में चौथे स्थान पर पहुँच गया है।
इन्वेस्ट यूपी (Invest UP)
- परिचय: इन्वेस्ट यूपी, जिसे पहले उद्योग बंधु (Udyog Bandhu) के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश सरकार की निवेश प्रोत्साहन और सुविधा एजेंसी है।
- इसका उद्देश्य राज्य में नए निवेश आकर्षित करना तथा मौजूदा और आने वाले उद्योगों की समस्याओं का समाधान करना है।
- मिशन: राज्य की निवेश प्रोत्साहन और सुविधा एजेंसी के रूप में इन्वेस्ट यूपी का लक्ष्य राज्य में तीव्र औद्योगिक और अवसंरचनात्मक विकास हेतु नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से निवेश को आकर्षित करना है।
- यह संगठन संभावित और मौजूदा उद्यमियों की समस्याओं के समाधान के लिये सलाहकार सेवाएँ (advisory services) प्रदान करता है।
उत्तर प्रदेश में प्रमुख निवेश
- इलेक्ट्रॉनिक्स: ₹3,700 करोड़ का HCL-फॉक्सकॉन OSAT निवेश राज्य की सेमीकंडक्टर (semiconductor) क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि के रूप में दर्ज हुआ है।
- टेक्सटाइल्स (वस्त्र उद्योग): उत्तर प्रदेश पीएम MITRA मेगा टेक्सटाइल पार्क और सिंथेटिक, डिफेंस एवं मेडिकल टेक्सटाइल्स पर केंद्रित मिनी पार्कों के माध्यम से अपनी वस्त्र मूल्य शृंखला (Textile Value Chain) को सुदृढ़ कर रहा है।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV): EV नीति 2023 के तहत उत्तर प्रदेश का लक्ष्य वर्ष 2028 तक 36 GWh बैटरी उत्पादन क्षमता प्राप्त करना है।
- डिजिटल अवसंरचना: नोएडा-ग्रेटर नोएडा भारत का प्रमुख डेटा सेंटर हब बनकर उभर रहा है, जहाँ एक एकीकृत एआई सिटी (Integrated AI City) विकसित करने की योजना है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
रक्षा मंत्री ने भविष्य हेतु तैयार सशस्त्र बलों पर पुस्तक का विमोचन किया
चर्चा में क्यों?
14 अक्तूबर, 2025 को रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान द्वारा लिखित पुस्तक “रेडी, रिलेवेंट एंड रिसर्जेंट II: शेपिंग ए फ्यूचर रेडी फोर्स” का विमोचन किया।
मुख्य बिंदु
- यह पुस्तक भारत के सशस्त्र बलों को भविष्य की चुनौतियों हेतु तैयार करने हेतु एक व्यापक और दूरदर्शी रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
- इसमें युद्ध के बदलते स्वरूप का गहन विश्लेषण किया गया है, जिसमें संघर्ष के विकास का अवलोकन और उभरते क्षेत्रों, जैसे– साइबरस्पेस, अंतरिक्ष-संचालित अभियान और संज्ञानात्मक युद्ध (Cognitive Warfare) का अध्ययन शामिल है और इनकी भारतीय सशस्त्र बलों के लिये बढ़ती महत्ता को रेखांकित किया गया है।
- सशक्त सैन्य नेतृत्व और संस्थागत अनुकूलनशीलता के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए लेखक भारत के सैन्य भविष्य की साहसी पुनर्कल्पना प्रस्तुत करते हैं, जो ऐतिहासिक ज्ञान से प्रेरित तकनीकी नवाचार का उपयोग करती है तथा सजग, विश्वसनीय और पुनरुत्थानशील भारत के दृष्टिकोण पर आधारित है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद वर्ष 2019 में स्थापित किया गया था। CDS रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में सभी तीन सेनाओं (थ्री-सर्विसेज) से संबंधित मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में CDS को इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के मुख्यालय द्वारा अपने निर्दिष्ट किये गए कार्यों को निभाने में सहायता प्रदान की जाती है।
- वेतन एवं रैंक: सैन्य कार्य विभाग (Department of Military Affairs) का प्रमुख होने के साथ ही CDS चार सितारा जनरल (Four-Star General) के पद पर होता है तथा उसका वेतन व भत्ते सेवा प्रमुख (Service Chief) के बराबर होते हैं।