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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Dec 2025
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भारत में पारंपरिक चिकित्सा पर द्वितीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन

चर्चा में क्यों?

भारत 17-19 दिसंबर, 2025 को नई दिल्ली में पारंपरिक चिकित्सा पर द्वितीय WHO वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा, जो वर्ष 2023 में गांधीनगर, गुजरात में आयोजित पहले शिखर सम्मेलन पर आधारित है।

मुख्य बिंदु

  • आयोजक: यह सम्मेलन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है, ताकि पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य तथा कल्याण पर वैश्विक संवाद को आगे बढ़ाया जा सके।
  • विषय: सम्मेलन का विषय है “लोगों और ग्रह के लिये संतुलन बहाल करना: कल्याण का विज्ञान तथा अभ्यास”, जिसमें न्यायसंगत एवं सतत स्वास्थ्य प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • वैश्विक विस्तार: 100 से अधिक देशों के नीति निर्माता और नेता पारंपरिक चिकित्सा की भविष्य की भूमिका को आकार देने हेतु इसमें भाग लेंगे।
  • उद्देश्य: यह कार्यक्रम पारंपरिक चिकित्सा की प्रासंगिकता को पुन: पुष्टि करने के साथ-साथ इसे विज्ञान, साक्ष्य और ज़िम्मेदार अभ्यास के आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने को बढ़ावा देगा।
  • WHO रणनीति: चर्चाएँ WHO की वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2025-2034 के अनुरूप होंगी, जिसका उद्देश्य जन-स्वास्थ्य सेवा और ग्रह कल्याण को बढ़ावा देना है।
  • सामूहिक सत्र: प्रमुख विचार-विमर्श में स्वास्थ्य प्रणालियों में संतुलन पुनर्स्थापित करना, वैज्ञानिक निवेश, शासन, जैवविविधता संरक्षण और स्वदेशी अधिकार शामिल होंगे।
  • नवाचार और साक्ष्य: सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित डिजिटल प्रौद्योगिकियों के नैतिक उपयोग के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा को ज़िम्मेदारी से बढ़ावा देने के लिये नवीन दृष्टिकोणों पर ज़ोर दिया जाएगा।
  • विविध मुद्दे: 25 से अधिक सत्रों में विनियमन, एकीकरण, जैवविविधता संरक्षण तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों पर चर्चा की जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

  • स्थापना: इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को की गई थी और इसका मुख्यालय ज़िनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • प्रकार: यह वैश्विक जन स्वास्थ्य के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
  • सदस्यता: जनवरी 2025 तक इसके 194 सदस्य देश हैं।
  • उद्देश्य: WHO का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करना और वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का प्रभावी जवाब देना है।
  • वर्तमान महानिदेशक: संगठन के वर्तमान महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस (2017 से हैं।

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परमाणु ऊर्जा रूपांतरण विधेयक, 2025

चर्चा में क्यों?

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के परमाणु ऊर्जा से संबंधित विधिक ढाँचे के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से संसद में सतत परमाणु ऊर्जा दोहन तथा संवर्द्धन विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया।

मुख्य बिंदु

  • नया विधिक ढाँचा: यह विधेयक परमाणु ऊर्जा के लिये एक व्यापक कानून का प्रस्ताव करता है, जिसके तहत परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 तथा परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को निरस्त किया जाएगा।
  • ऊर्जा सुरक्षा: इसका उद्देश्य परमाणु स्थापित क्षमता का विस्तार करना है, ताकि डेटा सेंटर जैसी भविष्य की आवश्यकताओं के लिये विश्वसनीय, स्वच्छ तथा चौबीसों घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
  • कार्बन उत्सर्जन में कमी: यह विधेयक भारत की दीर्घकालिक जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है, जिनमें वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु विद्युत क्षमता का लक्ष्य तथा वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने का संकल्प शामिल है।
  • निजी भागीदारी: यह परमाणु ऊर्जा विकास में घरेलू उद्योग तथा निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • नियामक तंत्र: विधेयक लाइसेंसिंग, सुरक्षा प्राधिकरण, निलंबन तथा निरस्तीकरण से संबंधित अद्यतन प्रावधान प्रस्तुत करता है, जिससे नियामक निगरानी को सुदृढ़ किया जा सके।
  • नागरिक दायित्व: परमाणु क्षति से संबंधित एक संशोधित नागरिक दायित्व ढाँचा प्रस्तावित किया गया है, ताकि सुरक्षा, जवाबदेही और मुआवजा तंत्र को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
  • संस्थागत ढाँचा: विधेयक में परमाणु ऊर्जा निवारण सलाहकार परिषद, दावा आयुक्तों तथा परमाणु क्षति दावा आयोग जैसे निकायों का प्रावधान किया गया है।
  • प्रौद्योगिकी विस्तार: परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ विकिरण आधारित प्रौद्योगिकियों को भी एक आधुनिक नियामक संरचना के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • राष्ट्रीय दृष्टिकोण: समग्र रूप से, यह विधेयक स्वच्छ ऊर्जा विस्तार, सुरक्षा तथा जनहित के बीच संतुलन स्थापित करते हुए परमाणु प्रशासन के आधुनिकीकरण की भारत की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।

परमाणु ऊर्जा

  • परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जो परमाणु के नाभिक में संचित होती है और नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप मुक्त होती है। 
  • इसका उपयोग विद्युत उत्पादन, चिकित्सा क्षेत्र, अंतरिक्ष अनुसंधान तथा परमाणु हथियारों में किया जाता है। 
  • परमाणु ऊर्जा के दो प्रमुख स्रोत नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन हैं।
  • पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र: तारापुर, महाराष्ट्र (1969) 
  • सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र: राजस्थान– अधिकतम परमाणु ऊर्जा उत्पादन
  • अन्य प्रमुख संयंत्र: काकरापार (गुजरात), कुडनकुलम और कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश)।
  • रिएक्टर प्रकार: PHWR (सर्वाधिक), BWR (तारापुर), फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (कलपक्कम)।
  • ईंधन: यूरेनियम और थोरियम (भारत में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार है)।

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रक्षा संपदा दिवस का शताब्दी वर्ष समारोह

चर्चा में क्यों?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 16 दिसंबर, 2025 को दिल्ली छावनी स्थित रक्षा संपदा भवन में रक्षा संपदा दिवस समारोह की अध्यक्षता की, जो रक्षा संपदा विभाग की 100वीं वर्षगाँठ को चिह्नित करता है

मुख्य बिंदु

  • समारोह एवं सम्मान: रक्षा मंत्री द्वारा 61 छावनी बोर्डों में रक्षा भूमि प्रबंधन तथा नगर प्रशासन के क्षेत्र में सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिये रक्षा मंत्री पुरस्कार प्रदान किये गए।
  • शताब्दी का महत्त्व: यह आयोजन रक्षा संपदा विभाग की 100वीं वर्षगाँठ  का प्रतीक है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1765 में बैरकपुर से हुई और 16 दिसंबर, 1926 को इसे औपचारिक स्वरूप प्रदान किया गया।
  • रक्षा संपदा की भूमिका: रक्षा मंत्रालय के अधीन यह विभाग भारत सरकार की सर्वाधिक व्यापक भू-संपत्ति का प्रबंधन करता है।
  • डिजिटल परिवर्तन: ई-छावनी जैसी पहलों के माध्यम से भूमि प्रबंधन का आधुनिकीकरण किया गया है, जिसके तहत लगभग 20 लाख छावनी निवासियों को 100 प्रतिशत नगरपालिका सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं।
  • पुरस्कार एवं मान्यता: जल संरक्षण तथा जल निकायों के पुनरुद्धार में योगदान के लिये ‘जल संचय जन-भागीदारी’ श्रेणी में राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्राप्त किया गया है।
  • डिजिटलीकरण: विरासत में प्राप्त भूमि अभिलेखों का पूर्ण डिजिटलीकरण किया गया है, जिससे उनका संरक्षण, आसान पुनर्प्राप्ति तथा सुरक्षित अभिलेखीकरण सुनिश्चित हुआ है।
  • रक्षा भूमि प्लेटफॉर्म: केंद्रीकृत सॉफ्टवेयर ‘रक्षा भूमि’ सुरक्षित सर्वरों पर सभी रक्षा भूमि अभिलेखों के एकीकृत भंडार के रूप में कार्य करता है।
  • उन्नत सर्वेक्षण उपकरण: भूमि की सटीकता तथा प्रबंधन में सुधार के लिये डिफरेंशियल GPS, GIS उपकरणों तथा उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह चित्रों का उपयोग किया जा रहा है।
  • प्रौद्योगिकी नवाचार: उपग्रह एवं मानवरहित रिमोट वाहन पहल पर आधारित उत्कृष्टता केंद्र के माध्यम से AI/ML तथा उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए अगली पीढ़ी के रक्षा भूमि प्रबंधन समाधान विकसित किये जा रहे हैं।

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भारत और ADB के बीच विकास ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने विभिन्न प्रमुख विकास परियोजनाओं का समर्थन करने के लिये कुल 2.2 अरब डॉलर से अधिक के पाँच ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे।

मुख्य बिंदु

  • क्षेत्रीय प्रभाव: परियोजनाएँ तीन राज्यों (असम, मेघालय और तमिलनाडु) में फैली हुई हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों तथा राज्यों में विकास को बढ़ावा देंगी।
  • ऋण राशि: भारत और ADB के बीच 2.2 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • आवृत परियोजनाएँ: इनमें कौशल विकास, रूफटॉप सोलर प्रणाली, स्वास्थ्य सेवा, मेट्रो रेल और इकोटूरिज्म कार्यक्रम शामिल हैं।
  • कौशल विकास पहल: प्रधानमंत्री कौशल एवं रोज़गार क्षमता परिवर्तन के तहत उन्नत ITIs कार्यक्रम का समर्थन करती है।
  • सौर ऊर्जा कार्यक्रम: प्रधानमंत्री सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना (PMSGMBY) के तहत सस्ते और समावेशी रूफटॉप सोलर सिस्टम विकास को गति देनें के लिये निधि प्रदान करता है।
  • स्वास्थ्य परियोजना: इसमें असम राज्य तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल संवर्द्धन परियोजना (ASTHA) शामिल है।
  • शहरी परिवहन: चेन्नई मेट्रो रेल निवेश परियोजना (Tranche 2) का समर्थन करता है।
  • इकोटूरिज्म एवं आजीविका: मेघालय में संपूर्ण इकोटूरिज्म और सतत कृषि-आधारित आजीविका विकास के लिये वित्तपोषण प्रदान करता है।
  • मुख्य कार्यक्रम: ये ऋण भारत के राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, शहरी अवसंरचना और कौशल विकास को आगे बढ़ाएंगे। 

एशियाई विकास बैंक (ADB)

  • स्थापना: ADB एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
  • मुख्यालय: मनीला, फिलीपींस
  • सदस्य: वर्तमान में इसके 68 सदस्य हैं जिनमें से 49 एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के भीतर और 19 अन्य क्षेत्रों से हैं।
  • उद्देश्य: आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन और सतत विकास को बढ़ावा देना।
  • भारत-ADB: भारत ADB का संस्थापक सदस्य और सबसे बड़े उधारकर्त्ताओं में से एक है।

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भू-स्थानिक मिशन पर राष्ट्रीय भू-स्थानिक कार्यशाला

चर्चा में क्यों?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन भारतीय सर्वेक्षण विभाग "भू-स्थानिक मिशन: विकसित भारत का एक प्रवर्तक" शीर्षक से भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करेगा।

मुख्य बिंदु

  • उद्घाटन एवं स्थल: कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा 17 दिसंबर, 2025 को यशोभूमि, नई दिल्ली में किया जाएगा।
  • उद्देश्य: भारत के भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना और राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन को आगे बढ़ाना
  • प्रतिभागी: इसमें नीति निर्माता, प्रौद्योगिकीविद, उद्योग जगत के नेता और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  • घोषणा: राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन (केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित) का उद्देश्य भू-माप संबंधी ढाँचों का आधुनिकीकरण करना, भू-स्थानिक अवसंरचना को बढ़ाना, डेटा का मानकीकरण करना और उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना है
  • महत्व: यह उन्नत भू-स्थानिक क्षमताओं के माध्यम से विकसित भारत@ 2047 की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

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