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रामसर स्थल और विश्व पर्यावरण दिवस
चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत ने दो और आर्द्रभूमियाँ—फालोदी के खीचन और उदयपुर के मेनार—को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की रामसर सूची में शामिल किया।
- इन सम्मिलनों के साथ भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 91 हो गई है।
विश्व पर्यावरण दिवस (WED)
- इतिहास एवं परिचय:
- विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- उसी वर्ष बाद में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में घोषित किया।
- पहला उत्सव 1973 में “ओनली वन अर्थ” थीम के साथ मनाया गया, जो पर्यावरण जागरूकता के लिये सबसे बड़े वैश्विक मंच की शुरुआत थी।
- वर्ष 2021 में WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जो वनों से लेकर खेतों तक, पहाड़ों की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक अरबों हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित करने का एक वैश्विक मिशन है।
- विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- WED 2025:
- कोरिया गणराज्य विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की मेज़बानी कर रहा है जिसका फोकस वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर है।
- वर्ष 2025 की थीम है "बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन", जो प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करता है।
- भारत ने वर्ष 2018 में 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस के 45 वें समारोह की मेज़बानी की थी।
प्रमुख बिंदु
- खीचन आर्द्र्भूमि:
- परिचय:
- यह राजस्थान के जैसलमेर शहर से लगभग 171 किमी दूर खीचन गाँव में स्थित है।
- इसमें दो जल निकाय, रात्रि नदी और विजयसागर तालाब, तटवर्ती आवास और झाड़ीदार भूमि शामिल हैं।
- प्रवासी पक्षी आवास:
- अभयारण्य में तीन प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं: कुरजन, करकरा और कुंच, जिन्हें स्थानीय रूप से डेमोइसेल क्रेन के नाम से जाना जाता है ।
- खीचन पक्षी अभयारण्य विश्व स्तर पर "डेमोइसेल क्रेन गाँव" के रूप में प्रसिद्ध है, जो विश्व भर से पक्षी प्रेमियों और शोधकर्त्ताओं को आकर्षित करता है।
- ये पक्षी दक्षिण-पश्चिम यूरोप, काला सागर, पोलैंड, यूक्रेन, कज़ाकिस्तान, मंगोलिया और उत्तरी तथा दक्षिणी अफ्रीका के कुछ हिस्सों से खीचन की ओर प्रवास करते हैं।
- अभयारण्य में तीन प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं: कुरजन, करकरा और कुंच, जिन्हें स्थानीय रूप से डेमोइसेल क्रेन के नाम से जाना जाता है ।
- परिचय:
- मेनार आर्द्र्भूमि:
- परिचय:
- मेनार आर्द्र्भूमि राजस्थान के उदयपुर में स्थित एक मीठे जल की मानसून आर्द्रभूमि परिसरों में से एक है।
- यह आर्द्रभूमि तीन आपस में जुड़े तालाबों—ब्रह्म तालाब, धंद तालाब, और खेड़ोड़ा तालाब—के साथ-साथ धंद और खेड़ोड़ा को जोड़ने वाली कृषि भूमि से मिलकर बनती है।
- मानसून के दौरान, आसपास के खेतों में बाढ़ आ जाती है, जिससे जल पक्षियों के लिये अतिरिक्त आवास बन जाता है।
- परिचय:
- जैवविविधता और प्रमुख प्रजातियाँ:
- यह स्थल विविध पक्षी जीवन का समर्थन करता है, जिसमें अति संकटग्रस्त व्हाइट बैक्ड वल्चर (Gyps bengalensis) और लॉन्ग-बिल्ड वल्चर (Gyps indicus) शामिल हैं।
- इसमें 70 से अधिक पादप प्रजातियाँ भी हैं, जिनमें ब्रह्म तालाब के पास आम के वृक्ष (मैंगीफेरा इंडिका) भी शामिल हैं
- आम के वृक्ष इंडियन फ्लाइंग फॉक्स (Pteropus giganteus) की एक बड़ी कॉलोनी के लिये आश्रय स्थल के रूप में काम करते हैं, जिससे आर्द्रभूमि की पारिस्थितिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
- समुदाय-प्रेरित संरक्षण का मॉडल:
- इसे राजस्थान में समुदाय-संचालित संरक्षण के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है।
- मेनार गाँव के निवासी वन्यजीवों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा क्षेत्र में अवैध शिकार और मत्स्यन को रोकने के लिये सक्रिय रूप से काम करते हैं।
- रामसर अभिसमय
- परिचय:
- रामसर अभिसमय एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिस पर वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में यूनेस्को के तत्वावधान में हस्ताक्षर किये गये थे, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना है।
- भारत में यह अधिनियम 1 फरवरी 1982 को लागू हुआ, जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल घोषित किया गया।
- अगस्त 2024 तक, तमिलनाडु (18) में रामसर स्थलों की संख्या सबसे अधिक है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (10) का स्थान है।
- मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के उन आर्द्रभूमि स्थलों का रजिस्टर है, जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप पारिस्थितिक चरित्र में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या होने की संभावना है।
- इसे रामसर सूची के भाग के रूप में रखा गया है।
- रामसर अभिसमय एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिस पर वर्ष 1971 में ईरान के रामसर में यूनेस्को के तत्वावधान में हस्ताक्षर किये गये थे, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों का संरक्षण करना है।
- रामसर स्थलों की पहचान के लिये मानदंड:
- वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों की पहचान के लिये नौ मानदंड हैं, जिनमें प्रतिनिधि, दुर्लभ या अद्वितीय आर्द्रभूमि प्रकार वाले स्थल; जैवविविधता के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के स्थल; जलपक्षियों, मछलियों आदि पर आधारित विशिष्ट मानदंड शामिल हैं।
- परिचय: