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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Jul 2025
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छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण सप्ताह

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 'मोर गाँव, मोर पानी' अभियान के तहत जल संरक्षण सप्ताह का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • मोर गाँव, मोर पानी' अभियान के बारे में: 
  • अन्य जल संरक्षण पहल:
    • जल शक्ति अभियान (JSA)
      • जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में प्रारंभ इस अभियान के अंतर्गत पूरे भारत के 256 जल-संकटग्रस्त ज़िलों के 2,836 ब्लॉकों में से 1,592 ब्लॉकों को कवर किया गया।
    • कैच द रेन अभियान:
      • वर्ष 2021 में, सरकार ने जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (JSA: CTR) लॉन्च किया, जिसका विषय था "कैच द रेन- व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स।"
      • इस चरण में अभियान का विस्तार देश भर के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के सभी ब्लॉकों तक किया गया।
    • जल शक्ति अभियान: वर्षा जल संचयन 2025
      • विश्व जल दिवस (22 मार्च 2025) पर, जल शक्ति मंत्रालय ने JSA: कैच द रेन 2025 लॉन्च किया।
      • विषय: “जल संचय जन भागीदारी– जन जागरूकता की ओर”
      • यह अभियान 22 मार्च से 30 नवंबर 2025 तक संचालित किया जा रहा है, जिसमें प्री-मानसून तथा मानसून सीज़न पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
      • इसका लक्ष्य केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा चिह्नित 148 जल संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण ज़िलों को कवर करना है।
      • वर्ष 2025 संस्करण में ज़मीनी स्तर पर गहन भागीदारी, अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण और नवीन वित्त पोषण तंत्र पर ज़ोर दिया गया है।
        • मध्य प्रदेश का खंडवा इस पहल के लिये आदर्श ज़िला बनकर उभरा है।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन
    • जल निकायों की जियो-टैगिंग एवं वैज्ञानिक सूचीकरण
    • प्रत्येक ज़िले में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना
    • गहन वनरोपण
    • जन-जागरूकता एवं आउटरीच अभियान

विश्व जल दिवस

  • इसका उद्देश्य जल संरक्षण तथा इसके सतत् प्रबंधन के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है।
  • इसकी संकल्पना वर्ष 1992 में रियो शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा इसे प्रतिवर्ष मनाए जाने हेतु आधिकारिक मान्यता दी गई।
  • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य-6 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य है: "वर्ष 2030 तक सभी के लिये जल एवं स्वच्छता की उपलब्धता और टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना।"
  • थीम (वर्ष 2025): ग्लेशियर संरक्षण

केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWA)

  • जल संसाधन मंत्रालय (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) के अधीन स्थापित केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWA), भारत में भूजल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, आकलन तथा विनियमन हेतु शीर्ष वैज्ञानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1970 में अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन के पुनर्गठन के रूप में की गई थी, जिसे बाद में वर्ष 1972 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल विंग के साथ विलयित कर दिया गया।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत गठित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA), देश में भूजल के विकास एवं दोहन को विनियमित करने हेतु कार्यरत है, जिससे इसकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
  • प्रमुख कार्य एवं उत्तरदायित्व:
  • भूजल प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रदान करना, जिसमें भूजल अन्वेषण, निगरानी तथा जल गुणवत्ता का आकलन सम्मिलित है।
  • भूजल पुनर्भरण एवं वर्षा जल संचयन की वैज्ञानिक योजनाओं को क्रियान्वित कर भूजल स्तर में वृद्धि हेतु प्रयास करना।
  • राज्य तथा ज़िला स्तरीय जल-भूवैज्ञानिक रिपोर्ट, भूजल वर्ष पुस्तिका एवं भूजल एटलस का प्रकाशन।


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नियाद नेला नार पहल

चर्चा में क्यों?

नारायणपुर ज़िले के बस्तर संभाग में स्थित इरकाभट्टी पहले ऐसा गाँव था जहाँ माओवादी विद्रोह के कारण बुनियादी ज़रूरतें, विशेषकर शिक्षा, अप्राप्य थीं। 

  • हालाँकि, राज्य सरकार की 'नियाद नेला नार' योजना के माध्यम से शिक्षा, कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये विशेष प्रयास किये गए हैं।

मुख्य बिंदु

  • 'नियाद नेल्ला नार' योजना:
    • नियाद नेला नार योजना छत्तीसगढ़ सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के नक्सल प्रभावित गाँवों को बुनियादी सुविधाएँ एवं कल्याणकारी लाभ प्रदान करना है।
    • ‘नियाद नेला नार’ का अर्थ “आपका अच्छा गाँव” होता है, जो दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा) से लिया गया है।
    • इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के जीवन स्तर को सुधारना है।
    • यह योजना सुरक्षा शिविरों के एक किमी के दायरे में आवास, स्वास्थ्य सेवा, जल, बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
    • इन गाँवों में रहने वाले परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क गैस सिलेंडर, राशन कार्ड, सिंचाई पंप, नि:शुल्क बिजली, आँगनवाड़ी की सुविधा तथा वनाधिकार के प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY):

  • परिचय
    • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को स्वच्छ ईंधन (LPG) उपलब्ध कराना है।
    • यह योजना 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से प्रारंभ की गई थी।
    • इस योजना का लक्ष्य उन परिवारों को लाभ देना है, जो परंपरागत ईंधनों जैसे लकड़ी, कोयला एवं गोबर के उपलों पर निर्भर थे।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव:
    • परंपरागत ईंधनों के प्रयोग से विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को घरेलू वायु प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता था। साथ ही, यह वनों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन के कारण पर्यावरणीय क्षरण में भी योगदान देता था।
  • उज्ज्वला 2.0, इस योजना का दूसरा चरण है, जिसे अगस्त 2021 में प्रारंभ किया गया था।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs)

  • परिचय 
    • PVTG (विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह), अनुसूचित जनजाति (ST) या ST के किसी हिस्से का उप-वर्गीकरण है, जिसे सामान्य ST की तुलना में अधिक असुरक्षित माना जाता है। 
    • भारत सरकार ने उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिये PVTG सूची बनाई है।
  • राज्यवार वितरण:
    • भारत में कुल 75 PVTG हैं, जिनमें सबसे अधिक (13) ओडिशा में हैं, उसके बाद आंध्र प्रदेश (12) में हैं।
    • छत्तीसगढ़ में 7 PVTG हैं, जो राज्य के 33 ज़िलों में से 17 ज़िलों में निवास करते हैं। ये हैं- कमर, बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, बिरहोर, पंडो और भुजिया।
      • जहाँ पहली पाँच जनजातियों को केंद्र सरकार द्वारा PVTG घोषित किया गया है, वहीं पंडो तथा भुजिया को राज्य सरकार द्वारा घोषित किया गया है।
  • अनुच्छेद 342(1):
    • राष्ट्रपति किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में (राज्य के लिये राज्यपाल से परामर्श के बाद) उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जनजातियों, जनजातीय समुदायों, जनजातियों के भागों या समूहों को अनुसूचित जनजाति (ST) के रूप में निर्दिष्ट कर सकते हैं।
    • संसद, विधि द्वारा अनुच्छेद 342(1) के अधीन जारी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट ST की सूची में किसी जनजाति या जनजातीय समुदाय को अथवा उनके किसी भाग या समूह को सम्मिलित या अपवर्जित कर सकती है; परंतु उपर्युक्त के अतिरिक्त, उक्त अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकता।


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