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स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Nov 2022
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बिहार Switch to English

राष्ट्रपति पदक हेतु बिहार के 29 पुलिसकर्मियों के नामों की अनुशंसा

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार सरकार के द्वारा राज्य के 29 पुलिस अफसरों और कर्मियों के नामों की अनुशंसा राष्ट्रपति पदक के लिये की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति के द्वारा दिये जाने वाले पदक के लिये जिन पुलिसकर्मियों को पात्र समझा गया है उनके नामों को बिहार सरकार के द्वारा गृह मंत्रालय भेजा गया है। इनमें विशिष्ट और सराहनीय सेवा पदक के लिये अनुशंसा की गई है।
  • मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विशिष्ट सेवा पदक के लिये 7 पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के नाम तथा सराहनीय सेवा के लिये 22 पुलिसकर्मियों के नाम भेजे गए हैं। विशिष्ट सेवा पदक कैटेगरी में कुल 7 अफसरों के नामों में तीन आइपीएस अधिकारी और चार दूसरे रैंक के अधिकारी शामिल हैं।
  • आइपीएस अधिकारी एडीजी रवींद्रन शंकरण, एडीजी पारसनाथ और एडीजी बच्चु सिंह मीणा और चार दूसरे रैंक के अधिकारी विनय कुमार शर्मा, बिनय कृष्ण, दिलीप कुमार सिंह एवं रंजीत कुमार के नामों की अनुसंशा की गई है।
  • मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सराहनीय सेवा पदक के लिये जिन पुलिसकर्मियों के नामों की अनुशंसा की गयी है उनमें रुपेश थापा, संजय कुमार चौरसिया, संजय कुमार, मुख्तार अली, धनंजय कुमार, धर्मराज शर्मा, बैद्यनाथ कुमार, आलोक कुमार, अक्षयबर पांडेय, सत्येंद्र कुमार, सिकंदर कुमार, पंचरत्न प्रसाद गौंड, आलमनाथ भूइया, देवेंद्र कुमार, संतोष कुमार दीक्षित, संजय कुमार शेखर, सरवर खाँ, ओम प्रकाश सिंह, रासबिहारी चौधरी और विनय कुमार आदि शामिल हैं।
  • गौरतलब है कि हर साल दो बार राष्ट्रपति पदक पुलिसकर्मियों को दिये जाते हैं। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के पूर्व नाम तय कर दिये जाते हैं और चयनीत पुलिसकर्मियों के नामों की घोषणा कर दी जाती है। राज्य सरकार और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के द्वारा नामों की अनुशंसा गृह मंत्रालय को भेजी जाती है और मंत्रालय के अधीन स्क्रीनिंग कमेटी इसकी समीक्षा करके नामों का चयन पदक के लिये करती है।   

राजस्थान Switch to English

सेफ्टी अगेंस्ट वॉइलेशन एंड एक्सप्लोइटेशन ऑफ चिल्ड्रन (सेव) का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने अपने विभाग व यूनिसेफ राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में राज्य के अलवर ज़िले से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नवाचार ‘सेफ्टी अगेंस्ट वॉइलेशन एंड एक्सप्लोइटेशन ऑफ चिल्ड्रन (सेव)’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि ‘सेव’ नवाचार का उद्देश्य बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना है जिसमें मुख्य रूप से शिक्षा, सुरक्षा व स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल हैं।
  • उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि यह अभियान अलवर में सफल होगा। उसके उपरांत इसे राज्य में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देशभर में अलवर ज़िला दिव्यांगजनों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के द्वारा सरकारी योजनाओं के लाभ दिलाकर उन्हें संबल प्रदान करने में अव्वल रहा है। अलवर ज़िला प्रशासन व ज़िले के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग कार्यालय द्वारा ‘नवाचार सक्षम अलवर’अभियान के माध्यम से दिव्यांगजनों को सुगमता से योजनाओं का लाभ दिया गया।
  • संवाद में अध्ययन प्रमाण-पत्र प्रतिवर्ष जमा कराने में आने वाली परेशानियों के बारे में पालनहारों के द्वारा अवगत कराने पर मंत्री ने कहा कि इस संबंध में एक पोर्टल विकसित कराया जाएगा जिसमें एक बार पंजीयन करने के पश्चात् बार-बार अध्ययन प्रमाण-पत्र जमा करने से निजात मिल सकेगी। इस पोर्टल पर संबंधित शैक्षणिक संस्था ऑनलाइन ऑटो अपडेट कर सकेंगे। यह व्यवस्था यथाशीघ्र राज्य में लागू कराई जाएगी।
  • यूनिसेफ राजस्थान की स्टेट हेड इजाबेल ने अपने संबोधन में कहा कि पालनहार योजना राज्य में बच्चों के सपने साकार करने में मददगार साबित हो रही है। इस योजना से जरूरतमंद बच्चों को संरक्षण एवं मदद मिलने के साथ शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ने के अवसर मिल रहे हैं।
  • उन्होंने कहा कि यूनिसेफ के द्वारा राजस्थान में राज्य सरकार के साथ मिलकर बाल कल्याण हेतु कार्य किया जा रहा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग व यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में अलवर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किये गए अभियान ‘सेव’ का क्रियान्वयन ज़िला प्रशासन एवं यहाँ के नागरिकों के सहयोग से किया जाएगा।
  • अलवर ज़िला प्रमुख बलबीर सिंह छिल्लर ने कहा कि ज़िले में ज़िला प्रशासन एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा सुव्यवस्थित रूप से सक्षम अलवर अभियान संचालित कर दिव्यांग कल्याण के क्षेत्र में पूरे देश के लिये एक नजीर पेश की गई है।
  • अलवर ज़िला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने कहा कि ज़िले में 21 हज़ार पालनहार पेंशन व 29 हज़ार दिव्यांगजन पेंशन से जुड़े हैं।
  • कार्यक्रम स्थल पर 27 दिव्यांगजनों ने बैनर के माध्यम से राज्य सरकार की 27 फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में आमजन को जागरूक किया। दिव्यांगजनों की इस पहल की मंत्री जूली ने तारीफ कर कहा कि दिव्यांगजनों की इस टीम के इस कदम से आमजन को भी राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी मिल सकेगी जिससे जरूरतमंद व्यक्ति लाभ उठा सकेंगे। 

राजस्थान Switch to English

सहकारिता मंत्री ने किया मंडार ग्राम सेवा सहकारी समिति में 500 मीट्रिक टन वेयर हाउस का उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को राजस्थान के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने सिरोही ज़िले की ग्राम सेवा सहकारी समिति मंडार में 500 मीट्रिक टन वेयर हाउस का विधिवत रूप से लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस मौके पर सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश आज मॉडल स्टेट बनकर उभर रहा है। प्रदेश सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर नए आयाम स्थापित किये है।
  • उन्होंने सहकारिता समितियों एवं किसानहितों के बारें में समितियों द्वारा उठाए जाने वाले फायदों व विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वेयर हाउस से इसके आसपास के क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
  • उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा आमजन के लिये कई योजनाएँ चलाई गई हैं, जिसमें मुख्यमंत्री चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, इंदिरा रसोई, किसान भाईयों के लिये फसली ऋण, इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गांरटी योजना द्वारा शहरी क्षेत्र में आमजन को 100 दिन का रोज़गार सुनिश्चित किया गया है। 

राजस्थान Switch to English

शिल्प गुरू और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए राजस्थान के शिल्पकार

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य ‘शिल्प गुरू राष्ट्रीय पुरस्कार’सम्मान समारोह में राजस्थान के पाँच सिद्धहस्त हस्तशिल्प कलाकारों को ‘शिल्प गुरू पुरस्कार’ एवं चौदह श्रेष्ठ हस्तशिल्पियों को हस्तशिल्प के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सम्मान समारोह में शिल्प गुरू पुरस्कार विजेताओं को सम्मान स्वरूप सोने का सिक्का, 2 लाख रुपए की राशि, ताम्रपत्र, शॉल और प्रमाण-पत्र तथा हस्तशिल्प राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को एक लाख रुपए की राशि, ताम्रपत्र एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किया।
  • वर्ष 2002 में शुरू किये गए शिल्प गुरू पुरस्कार ऐसे सर्वश्रेष्ठ सिद्धहस्त हस्तशिल्पियों को दिया जाता है जिन्होंने हस्तशिल्प के क्षेत्र में गुरू की भूमिका निभाते हुए संबंधित कला को आगे बढ़ाने के लिये बेहतरीन कार्य किया हो।
  • वर्ष 2017, 2018 एवं 2019 के लिये नामित हस्तशिल्प पुस्कार विजेताओं में शामिल विनोद कुमार जांगिड़ को वर्ष 2017 के लिये चंदन की लकड़ी पर बेहतरीन कारीगरी के लिये, मोहन लाल सोनी को वर्ष 2017 के लिये मिनिएचर पेंटिंग के लिये, मोहन लाल शर्मा को वर्ष 2019 के लिये ब्रास वायर से शीशम की लकड़ी पर तारकशी के लिये, आशाराम मेघवाल को 2019 और गोपाल प्रसाद शर्मा को वर्ष 2018 के लिये मिनिएचर पेंटिंग में सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिये शिल्प गुरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • हस्तशिल्प के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों हेतु राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्राप्त करने वाले राजस्थान के चौदह सिद्धहस्त शिल्पकार हैं-
    • वर्ष 2017 के लिये - सुनील सोनी (थेवा कला), शोकत अली (उत्सा कला) और कमलेश शर्मा (लकड़ी पर तारकशी)।
    • वर्ष 2018 के लिये - ओमप्रकाश जांगिड़ (चंदन की लकड़ी पर कारीगरी), सुनीता शर्मा (पैपर कटिंग कला) और प्रेमदेवी सोनावा (हेंड ब्लॉक पेंटिंग)।
    • वर्ष 2019 के लिये - गुलाब सिंह (सिल्वर मीनाकारी), मोहम्मद शरीफ (टाई एवं डाई कला), कमल किशोर सोनी (बोन कर्विग), श्यामलता गहलोत (कोफ्तगिरी कला), द्वारका प्रसाद सुधार (लकड़ी की कारीगरी), दिनेश कुमार सोनी (वर्क पेंटिंग) तथा नेहा भाटिया और धर्मेंद्र सिंह भल्ला (कुंदल जड़ाई मीनाकारी)।
  • उल्लेखनीय है कि उक्त सम्मान समारोह में वर्ष 2017, 2018 एवं 2019 के लिये देशभर से नामित किये गए हस्तशिल्प से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के 30 हस्तशिल्पियों को ‘शिल्प गुरू पुरस्कार’एवं 78 हस्तशिल्पियों को ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार’से सम्मानित किया गया।

मध्य प्रदेश Switch to English

शिल्प गुरू और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुए मध्य प्रदेश के शिल्पकार

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य ‘शिल्प गुरू राष्ट्रीय पुरस्कार’ सम्मान समारोह में मध्य प्रदेश के एक सिद्धहस्त हस्तशिल्प कलाकार को ‘शिल्प गुरू पुरस्कार’ एवं पाँच श्रेष्ठ हस्तशिल्पियों को हस्तशिल्प के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सम्मान समारोह में शिल्प गुरू पुरस्कार विजेताओं को सम्मान स्वरूप सोने का सिक्का, 2 लाख रुपए की राशि, ताम्रपत्र, शॉल और प्रमाण-पत्र तथा हस्तशिल्प राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को एक लाख रुपए की राशि, ताम्रपत्र एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किया।
  • मध्य प्रदेश के धार ज़िले के मोहम्मद यूसुफ खत्री को बाघ प्रिंट हस्त-शिल्प विरासत के संरक्षण के लिये वर्ष 2017 का शिल्प गुरू पुरस्कार प्रदान किया गया है।
  • धार ज़िले के मोहम्मद नसीर को साड़ी हस्त-ब्लॉक प्रिंटिंग शिल्प और मुबारिक खत्री को बाँस दरी पर्दों पर हस्त ब्लॉक प्रिंट तथा नीमच ज़िले के स्व. प्रदीप झरिया और पवन कुमार झरिया को विलुप्त तारापुर हस्त-छप्पा छपाई कला के लिये वर्ष 2017 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। स्व. प्रदीप झरिया का पुरस्कार उनकी धर्मपत्नी अनुसुइया झरिया ने ग्रहण किया।
  • धार ज़िले के मोहम्मद बिलाल खत्री को बाँस चटाई हस्त-ब्लॉक प्रिंट के लिये वर्ष 2018 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि उक्त सम्मान समारोह में वर्ष 2017, 2018 एवं 2019 के लिये देशभर से नामित किये गए हस्तशिल्प से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के 30 हस्तशिल्पियों को ‘शिल्प गुरू पुरस्कार’एवं 78 हस्तशिल्पियों को ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार’से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 2002 में शुरू किये गए शिल्प गुरू पुरस्कार ऐसे सर्वश्रेष्ठ सिद्धहस्त हस्तशिल्पियों को दिया जाता है जिन्होंने हस्तशिल्प के क्षेत्र में गुरू की भूमिका निभाते हुए संबंधित कला को आगे बढ़ाने के लिये बेहतरीन कार्य किया हो। 

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश के इतिहास में बिजली की सर्वाधिक मांग 15748 मेगावाट का नया रिकार्ड दर्ज

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि प्रदेश के इतिहास में 27 नवंबर को सर्वाधिक बिजली मांग का नया रिकार्ड कायम हुआ। इस दिन प्रदेश में बिजली की मांग 15748 मेगावाट दर्ज हुई। इससे पूर्व प्रदेश में सर्वाधिक बिजली की मांग 24 दिसंबर, 2021 को 15692 मेगावाट दर्ज हुई थी।

प्रमुख बिंदु

  • प्रदेश में जब बिजली की मांग 15748 मेगावाट पर दर्ज हुई उस दौरान मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, सागर व रीवा संभाग) में 4319 मेगावाट, मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल व ग्वालियर संभाग) में 4808 मेगावाट और मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर व उज्जैन संभाग) में बिजली की अधिकतम मांग 6313 मेगावाट दर्ज हुई। रेलवे को 308 मेगावाट बिजली दी गई।
  • 27 नवंबर को जब बिजली की मांग 15748 मेगावाट दर्ज हुई, उस समय बिजली की सप्लाई में मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप एवं जल विद्युत गृहों का उत्पादन अंश 3823 मेगावाट, इंदिरा सागर-सरदार सरोवर-ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना का अंश 820 मेगावाट, सेंट्रल सेक्टर का अंश 4272 मेगावाट और आईपीपी का अंश 2521 मेगावाट रहा। अन्य स्त्रोत जिनमें नवकरणीय स्त्रोत व बैंकिंग भी शामिल हैं, से प्रदेश को 4311 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई।      

झारखंड Switch to English

झारखंड में चाय की खेती के लिये हज़ारीबाग और गुमला का चयन

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को डेमोटांड स्थित फॉर्म के प्रभारी सह राज्य के उप निदेशक उद्यान राजेंद्र किशोर ने बताया कि झारखंड में एक बार फिर चाय की खेती शुरू हो गई है। पहले चरण में इसके लिये राज्य के दो ज़िलों हजारीबाग और गुमला का चयन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • राजेंद्र किशोर ने बताया कि दोनों ज़िलों में कुल 65 एकड़ (हज़ारीबाग में 25 एकड़ और गुमला में 40 एकड़) में चाय की खेती की जाएगी। हज़ारीबाग स्थित कृषि विभाग के डेमोटांड फॉर्म में चाय का पौधा लगाने का काम शुरू हो गया है। गुमला में अभी प्लॉट तैयार नहीं होने के कारण वहाँ पौधा नहीं लग पाया है।
  • उन्होंने बताया कि झारखंड में चाय की खेती की संभावना पर टी बोर्ड के सदस्यों ने अनुशंसा की है। टी बोर्ड की एक टीम ने इसी साल जून में राज्य के कई जिलों का भ्रमण किया था। टीम के सदस्यों ने पहले चरण के लिये हजारीबाग और गुमला को अनुकूल पाया है। वहाँ की मिट्टी और मौसम को चाय की खेती के अनुकूल बताया है। टी बोर्ड के सदस्य दोनों स्थानों पर लगाए जाने वाले टी गार्डेन को तकनीकी सहयोग भी देंगे।
  • राजेंद्र किशोर के अनुसार तीन साल में पौधे की पत्ती तोड़ने के लायक तैयार हो जाएगी। पौधे की आयु करीब 50 साल होती है। पहले से भी डेमोटांड में दो एकड़ में चाय की खेती हो रही है। इसकी गुणवत्ता की जाँच भी टी-बोर्ड के सदस्यों ने की थी और क्वालिटी को अच्छ बताया था। डेमोटांड में कुल 25 एकड़ में चाय लगाने की तैयारी कर ली गई है।

झारखंड Switch to English

राँची के रवि गिरी ने फरीदाबाद में बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस चैंपियन का खिताब जीता

चर्चा में क्यों?

26 नवंबर, 2022 को फरीदाबाद में रांची ज़िले के खलारी प्रखंड के मैक्लुस्कीगंज के रहने वाले रवि गिरी ने इंडियन क्लासिक कप बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस चैंपियन का खिताब जीता।

प्रमुख बिंदु

  • फरीदाबाद स्थित अनंगपुर डेयरी कम्युनिटी हॉल परिसर में ब्लैक कैट की ओर से आयोजित इंडियन क्लासिक कप बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस प्रतियोगिता में देशभर से 450 बॉडी बिल्डरों ने भाग लिया था।
  • बॉडी बिल्डर रवि गिरी के चैंपियन बनने पर उन्हें ट्रॉफी व मेडल के साथ-साथ ब्लैक कैट न्यूट्रिशन की ओर से 5 लाख के स्पॉन्सरशिप से भी नवाजा गया।
  • इससे पूर्व रवि गिरी ने 4 नवंबर को दिल्ली के लाजपतनगर भवन में आयोजित एपी क्लासिक मिस्टर इंडिया बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता फिजिक कैटेगरी में दूसरा स्थान हासिल किया था और 6 नवंबर को दिल्ली में आयोजित आईएफबीए व मंजीत क्लासिक मेंस कैटेगरी में लगातार दो गोल्ड मेडल जीत कर कीर्तिमान स्थापित किया।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने किया छत्तीसगढ़ी पत्रिका ‘अरई तुतारी’और गीत संग्रह ‘चंदन अस मोर गाँव के माटी’का विमोचन

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका ‘अरई तुतारी’और छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘चंदन अस मोर गाँव के माटी’ का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मासिक पत्रिका ‘अरई तुतारी’की संपादकीय टीम के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को बताया कि ‘अरई तुतारी’छत्तीसगढ़ी भाषा की पहली मासिक पत्रिका है। इसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विविध आयामों जैसे यहाँ के पर्व, लोकनृत्य, पर्यटन स्थल, सिनेमा, साहित्य आदि से जुड़े आलेखों का संग्रह छत्तीसगढ़ी भाषा में किया गया है।
  • छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘चंदन अस मोर गाँव के माटी’के गीतकार चंपेश्वर गोस्वामी ने मुख्यमंत्री को बताया कि इस संग्रह के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखे अपने 72 गीतों को किताब की शक्ल दी है।
  • इसके अलावा मुख्यमंत्री ने संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के 13 साहित्यकारों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनकी सेवा को देखते हुए सम्मानित किया। साथ ही मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा के 10 साहित्यकारों की रचनाओं का विमोचन भी किया।
  • मुख्यमंत्री ने जागेश्वर प्रसाद, रामेश्वर शर्मा, दुर्गा प्रसाद पारकर, रामनाथ साहू (सभी रायपुर), डा. जेआर सोनी (दुर्ग), पीसी लाल यादव (सक्ती), सोरिन चन्द्रसेन (महासमुंद), परमानंद वर्मा (खैरागढ़), बुधराम यादव (बिलासपुर), रंजीत सारथी (सरगुजा), डा. शैल चंद्रा एवं डुमन लाल (धमतरी) और रुद्र नारायण पाणिग्राही (जगदलपुर) को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया।
  • मुख्यमंत्री ने महेत्तरू मधुकर की रचना ‘गुरतुर भाखा’, डॉ. सुरेश कुमार शर्मा की ‘वाल्मिकी रामायण’, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर की ‘बंगस्य छंद अंजोर’, तेजपाल सोनी की ‘मद भगवत गीता’, सुमन लाल ध्रुव की ‘गाँव ल सिरजाबो’, राजेंद्र प्रसाद सिन्हा की ‘अमरईया हे मनभावन’, कमलेश प्रसाद शरमा बाबू की ‘कुटिस बंदरा जझरग-जझरग’, डॉ. शिल्पी शुक्ला की छत्तीसगढ़ महिला लेखन और उर्मिला शुक्ल की रचनाएँ तथा पी.सी. लाल यादव की कृतियों का विमोचन किया।

छत्तीसगढ़ Switch to English

किडनी के मरीजों के लिये प्रदेश के नौ ज़िलों में नि:शुल्क डायलिसिस की व्यवस्था

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर किडनी के मरीजों के लिये प्रदेश के नौ ज़िलों में नि:शुल्क डायलिसिस की व्यवस्था कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार की यह सेवा हर वर्ग के बीमार मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक प्रदेश में 13 हज़ार से अधिक नि:शुल्क डायलिसिस सेशन किये जा चुके हैं।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ द्वारा प्रदेश के नौ ज़िलों दुर्ग, कांकेर, कोरबा, बिलासपुर, जशपुर, सरगुजा, महासमुंद, बीजापुर और राजनांदगाँव में नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके लिये जशपुर, दुर्ग और कांकेर ज़िले में पाँच-पाँच, अंबिकापुर और महासमुंद में चार-चार, कोरबा में छह, बीजापुर में तीन और बिलासपुर में चार (सिम्स मेडिकल कॉलेज में तीन और बिलासपुर कोविड अस्पताल में एक) मशीन की स्थापना की गई है।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार जनता की सुविधा के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी कई योजनाओं का संचालन कर रही है। इन योजनाओं के माध्यम से आमजनों को सस्ती दर पर दवा और नि:शुल्क बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो रही हैं।
  • किडनी की बीमारी के कारण जिन मरीजों को डायलिसिस कराना होता है उन्हें निजी अस्पतालों में एक बार डायलिसिस कराने के लिये एक हज़ार रूपए से 15 हज़ार रुपए तक खर्च करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री ने किडनी की बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिये प्रदेश के नौ ज़िलों में नि:शुल्क डायलिसिस की व्यवस्था करवाई है।
  • प्रदेश में अब तक इन नौ ज़िला अस्पतालों में 13 हज़ार 798 नि:शुल्क डायलिसिस सेशन किये जा चुके हैं। इनमें से दुर्ग ज़िले में 4 हज़ार 885, कोरबा में 4 हज़ार 872, कांकेर में 4 हज़ार 230, बिलासपुर में 3 हज़ार 504, महासमुंद में 2 हज़ार 631, सरगुजा में एक हज़ार 390, बीजापुर में 942 और जशपुर में 675 से अधिक सेशन किये गए हैं।

छत्तीसगढ़ Switch to English

इंद्रावती टाईगर रिज़र्व में मिला एक और बाघ : बाघों की कुल संख्या अब छ:

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इंद्रावती टाईगर रिज़र्व बीजापुर में बाघों की कुल संख्या अब 5 से बढ़कर 6 हो गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इंद्रावती टाईगर रिज़र्व में लगाए गए ट्रेप कैमरा में विगत दिवस एक बाघ का फोटोग्राफ प्राप्त हुआ। इसे डब्ल्यूआईआई टाईगर सेल देहरादून द्वारा नये बाघ के रूप में पुष्टि की गई है।
  • इंद्रावती टाईगर रिज़र्व बाघों के रहवास के लिये उपयुक्त स्थल है, जहाँ बाघ के अलावा अन्य वन्यजीव भी निवास करते हैं। जिसमें मुख्य रूप से वन भैंसा के साथ ही गौर, तेंदुआ, भालू, नीलगाय, हिरण, सांभर, जंगली सूअर इत्यादि वन्यप्राणियों का भी यह रहवास स्थल है।
  • छत्तीसगढ़ का इंद्रावती टाईगर रिज़र्व 086 वर्ग कि.मी. के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जो महाराष्ट्र एवं तेलंगाना के वनक्षेत्र से लगा हुआ है। यह बाघों के विचरण के लिये उपयुक्त कॉरिडोर का काम करता है।
  • गौरतलब है कि राज्य वन विभाग द्वारा वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिये लोगों के साथ मिलकर वन्यजीव संरक्षण का कार्य लगातार किया जा रहा है।
  • इंद्रावती टाईगर रिज़र्व प्रबंधन वन्यजीवों की मॉनिटरिंग एवं सुरक्षा का कार्य लगातार कर रहा है। साथ ही मैदानी अमलों द्वारा फुट पेट्रोलिंग के माध्यम से लगातार वन्यजीवों की सुरक्षा एवं निगरानी की जा रही है।
  • उल्लेखनीय है कि इंद्रावती टाईगर रिज़र्व बीजापुर के अंतर्गत ही हाल में ग्राम परिक्षेत्र मददेड़ बफर के अंतर्गत ग्राम चेरपल्ली में तेंदुआ के दो शावक पाए गए थे। तेंदुए के दोनों शावकों को वर्तमान में जंगल सफारी (जू) रायपुर में रखा गया है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

धमतरी ज़िले के दो उप स्वास्थ्य केंद्र गेदरा और गाड़ाडीह को मिला राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण-पत्र

चर्चा में क्यों?

28 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा प्रदेश के तीन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स को राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण-पत्र से नवाज़ा गया है। इनमें धमतरी ज़िले के दो उप स्वास्थ्य केंद्र गेदरा और गाड़ाडीह शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • मिली जानकारी के मुताबिक भारत सरकार द्वारा यह गुणवत्ता प्रमाण-पत्र स्वास्थ्य संस्थाओं को उनके द्वारा मरीजों को किये गए गुणवत्तापूर्ण और उच्च स्तरीय सेवाएँ प्रदाय करने के लिये दिया जाता है। इसके तहत ज़िला स्तरीय मूल्यांकन के बाद राज्य स्तरीय मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन के लिये स्वास्थ्य केंद्रों का नामांकन किया जाता है।
  • इसी कड़ी में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर गाड़ाडीह और गेदरा का राष्ट्रीय दल ने 20 और 21 सितंबर को मूल्यांकन किया। इस दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी, आईपीडी, लेबर रूम, लेबोरेटरी, जनरल एडमिनिस्ट्रेशन, राष्ट्रीय कार्यक्रम के विभिन्न बिंदुओं के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इसमें धमतरी ज़िले के उप स्वास्थ्य केंद्र गेदरा को 90 प्रतिशत और गाड़ाडीह को 94 प्रतिशत स्कोर मिला।
  • इन संस्थाओं को प्रोत्साहन राशि के तौर पर हर साल दो लाख 25 हज़ार रूपये और प्रमाण-पत्र प्रदाय किया जाएगा, जिसका उपयोग संस्था द्वारा ज़रूरत के मुताबिक सेवाओं के विस्तार के लिये किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि इससे पहले धमतरी ज़िले के सिविल अस्पताल नगरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चटौद को भी राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र मिल चुका है।  

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