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राजस्थान में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु प्रयास
चर्चा में क्यों?
राजस्थान शिक्षा विभाग ने छात्रों में आधारभूत साक्षरता को सुदृढ़ करने और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की समग्र गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक चार-भागीय कार्य योजना तैयार की है।
- प्रस्तावित कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थान को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के कार्यान्वयन में एक आदर्श राज्य के रूप में विकसित करना, सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाना, बच्चों की रोज़गारक्षमता में सुधार करना और राष्ट्रीय शैक्षिक रैंकिंग में नेतृत्व करना है।
योजना के मुख्य केंद्र बिंदु
- छात्रों का उत्थान:
- डिजिटल निगरानी: छात्रों की उपस्थिति को डिजिटल रूप से निगरानी में रखा जाएगा, ताकि निरंतर भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
- पाठ्यपुस्तक वितरण: पाठ्यपुस्तकों का समय पर वितरण सुनिश्चित किया जाएगा, आदर्श रूप से शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत के एक महीने के भीतर।
- भावनात्मक सशक्तीकरण: सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक शिक्षा पर विशेष वीडियो सेमिनार आयोजित किये जाएँगे, साथ ही छात्रों को तनाव और भावनात्मक चुनौतियों से निपटने में सहायता करने के लिये परामर्श शिविर (Counseling Camps) भी आयोजित किये जाएँगे।
- बोर्ड परीक्षा समर्थन: बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को दो क्वेश्चन बैंक या मूल्यांकन सामग्री प्रदान की जाएगी, साथ ही विषय विशेषज्ञों द्वारा ऑन-कॉल सहायता भी दी जाएगी।
- प्रतियोगी परीक्षा तैयारी: माध्यमिक कक्षाओं के उच्च प्रदर्शन करने वाले छात्रों की पहचान की जाएगी और उन्हें अध्ययन सामग्री प्रदान की जाएगी या प्रतियोगी परीक्षा सामग्री खरीदने के लिये प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
- विद्यालय विकास:
- विद्यालय श्रेणीकरण: छात्रों के परीक्षा परिणाम, शैक्षणिक प्रदर्शन और खेल उपलब्धियों के आधार पर विद्यालयों को स्वर्ण (Gold), रजत (Silver) और कांस्य (Bronze) श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा।
- स्वर्ण विद्यालय: उच्च प्रदर्शन करने वाले विद्यालयों को संसाधन आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी।
- शिक्षक सशक्तीकरण:
- शिक्षक स्थानांतरण नीति: नई शिक्षक स्थानांतरण नीति के तहत स्थानांतरण को छात्रों के प्रदर्शन और अन्य मानकों के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि दक्ष शिक्षक उन विद्यालयों में नियुक्त हों जहाँ वे अधिकतम प्रभाव डाल सकें।
- विशिष्ट शिक्षक चयन: उत्कृष्ट शैक्षणिक परिणाम वाले शिक्षकों का चयन राज्य स्तरीय विशेष संस्थानों के लिये किया जाएगा, जिससे संस्थागत स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो सके।
- शिक्षक स्थानांतरण नीति: नई शिक्षक स्थानांतरण नीति के तहत स्थानांतरण को छात्रों के प्रदर्शन और अन्य मानकों के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि दक्ष शिक्षक उन विद्यालयों में नियुक्त हों जहाँ वे अधिकतम प्रभाव डाल सकें।
- अभिभावक सहभागिता:
- मेगा अभिभावक-शिक्षक बैठकें: पूरे राज्य में मासिक बैठकें आयोजित की जाएँगी ताकि अभिभावकों को अपने बच्चों की शैक्षणिक प्रगति से जोड़ा जा सके और वे अपने बच्चे की सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
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अभ्यास इंद्र-2025
चर्चा में क्यों?
भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘इंद्र 2025’ का आयोजन 6 से 15 अक्तूबर, 2025 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, बीकानेर (राजस्थान) में किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस वर्ष के अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद-रोधी अभियानों पर ज़ोर देना है। यह भारत और रूस दोनों की सामरिक नीतियों के अनुरूप है तथा आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में उनकी साझा प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
- मुख्य क्षेत्र:
- संयुक्त सामरिक अभ्यास
- लाइव-फायर ट्रेनिंग
- मरुस्थलीय परिस्थितियों में निकट-क्षेत्रीय युद्ध अभ्यास
- बंधक-मुक्ति अभियानों, उग्रवादी नेटवर्कों के उन्मूलन तथा सुदृढ़ ठिकानों पर सटीक प्रहार की सिमुलेटेड (काल्पनिक) मिशन गतिविधियाँ
- विशेषताएँ:
- इस अभ्यास में उच्च तीव्रता वाले सैन्य अभ्यास (High-intensity Drills) शामिल हैं, जिनमें मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) के उपयोग से टोही (Reconnaissance) और लक्ष्य निर्धारण (target acquisition) का समन्वय किया जाएगा।
- वायु समर्थन (Air Support) समन्वय और सीमित दृश्यता वाले वातावरण में तोपखाने और बख्तरबंद तत्त्वों (Artillery and Armoured Elements) का समन्वय भी अभ्यास के प्रमुख घटक हैं।
- सैनिक कठोर सहभागिता नियमों (Strict Rules of Engagement) के अंतर्गत कार्य करेंगे, ताकि अभियानों का निष्पादन यथार्थपूर्ण और अनुशासित ढंग से हो सके।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- ‘इंद्र’ शृंखला के सैन्य अभ्यासों की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी और इसका आयोजन भारत और रूस में क्रमशः किया जाता है।
- इसका अंतिम आयोजन वर्ष 2021 में हुआ था, परंतु वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह शृंखला अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई थी।
- महत्त्व: तेज़ी से विकसित होती सैन्य तकनीकों और संयुक्त अभियानों के संदर्भ में यह अभ्यास दोनों देशों को अपनी रणनीतियों को परिष्कृत करने तथा परस्पर सहयोग और तालमेल (interoperability) को सुदृढ़ करने में सहायता करता है विशेष रूप से विपरीत परिस्थितियों में संचालन की क्षमता बढ़ाने हेतु।