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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 03 Nov 2025
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पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों में दंडमुक्ति समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDEI) 2025

चर्चा में क्यों?

2 नवंबर, 2025 को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के तत्वावधान में पत्रकारों के विरुद्ध अपराधों में दंडमुक्ति समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day to End Impunity for Crimes Against Journalists- IDEI) मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विशेष फोकस विषय है  “महिला पत्रकारों के विरुद्ध AI-सक्षम लैंगिक आधारित हिंसा” (AI-facilitated Gender-Based Violence against Women Journalists)। यह अभियान इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) किस प्रकार मीडिया में कार्यरत महिलाओं के विरुद्ध नए प्रकार के उत्पीड़न और उनकी आवाज़ दबाने के तरीकों को सक्षम बना रही है।

मुख्य बिंदु

  • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2013 में स्थापित किया गया था, जब फ्राँसीसी पत्रकार गिस्लेन ड्यूपॉंट (Ghislaine Dupont) और क्लॉड वर्लोन (Claude Verlon) की माली में हत्या की गई थी।
  • यूनेस्को का अभियान: संगठन ने CTRL + ALT + MUTE” नामक जन-जागरूकता पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य महिला पत्रकारों के समक्ष मौजूद खतरों को उजागर करना और दंडमुक्ति तथा डिजिटल हिंसा के विरुद्ध वैश्विक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।
  • 2025 की थीम: इस वर्ष का फोकस “AI-सक्षम लैंगिक आधारित हिंसा” पर है, जो इस तथ्य को रेखांकित करता है कि डीपफेक्स, डॉक्सिंग और संगठित ऑनलाइन ट्रोलिंग जैसे दुरुपयोग के रूप महिला पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं।
  • वैश्विक आँकड़े: वर्ष 2006 से 2024 के बीच विश्वभर में 1,700 से अधिक पत्रकारों की हत्या हुई है, जिनमें से लगभग 10 में से 9 मामलों में न्याय नहीं मिल पाया है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)

  • स्थापना: 1945 (संविधान 1946 में प्रभावी हुआ)
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस
  • मंडेट (Mandate): शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, ताकि शांति, सतत् विकास और मानवाधिकारों को विश्वभर में सशक्त किया जा सके।
  • मुख्य कार्य:
    • अपने कार्यक्षेत्रों में वैश्विक मानक और मानदंड (Norms and Standards) निर्धारित करना।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये उपकरण और कार्यक्रम विकसित करना।
    • ज्ञान का उत्पादन करना और सदस्य देशों के लिये साक्ष्य-आधारित नीतिनिर्माण (Evidence-Based Policymaking) का समर्थन करना।
    • विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Sites), जीवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves) और रचनात्मक नगर (Creative Cities) जैसी वैश्विक नेटवर्क व्यवस्थाओं का संरक्षण और प्रबंधन करना।



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LVM3-M5 प्रक्षेपण: ISRO ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह ‘GSAT-7R’ का सफल प्रक्षेपण किया

चर्चा में क्यों?

भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में 2 नवंबर, 2025 को एक बड़ा उन्नयन हुआ, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से अपने भारी प्रक्षेपण यान LVM3-M5 (जिसे लोकप्रिय रूप से ‘बाहुबली’ कहा जाता है) के माध्यम से भारतीय नौसेना के लिये अगली पीढ़ी के संचार उपग्रह GSAT-7R का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

मुख्य बिंदु

GSAT-7R: परिचय 

  • इसे विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिये तैयार किया गया है ताकि उसकी समुद्री संचार और कमांड अवसंरचना को आधुनिक बनाया जा सके।
  • पूर्णतः स्वदेशी उपग्रह है, जिसमें मल्टी-बैंड ट्रांसपोंडर लगे हैं जो सतह, जलमग्न और हवाई नौसैनिक संसाधनों के बीच आवाज़, वीडियो और डेटा संचार को सक्षम बनाते हैं।
  • पूरे हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) में अबाधित और एन्क्रिप्टेड (सुरक्षित) कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • यह रियल-टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस को बढ़ाता है, जिससे जहाज़ों, पनडुब्बियों, एयरक्राफ्ट और कमांड सेंटर्स के बीच जॉइंट कोऑर्डिनेशन हो पाता है।
  • भारत की समुद्री क्षेत्र जागरूकता प्रणाली (Maritime Domain Awareness Grid) में एक फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में कार्य करता है, जो अभियानों के दौरान सुरक्षित और सशक्त संचार सुनिश्चित करता है।

प्रक्षेपण यान- LVM3-M5 (‘बाहुबली’)

  • यह भारत का सबसे भारी परिचालन रॉकेट है, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था।
  • पेलोड क्षमता:
    • जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) तक 4,000 किलोग्राम।
    • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) तक 8,000 किलोग्राम।
  • संरचना (Configuration): यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, जिसमें शामिल हैं- 
    • लिफ्टऑफ थ्रस्ट के लिये S200 सॉलिड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर।
    • ट्विन विकास इंजन द्वारा संचालित L110 लिक्विड कोर स्टेज।
    • C25 क्रायोजेनिक अपर स्टेज - पूरी तरह से भारत में विकसित।
  • यह गगनयान ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन के लिये बेसलाइन लॉन्चर के तौर पर कार्य करता है, जहाँ इसके मॉडिफाइड वर्जन को ह्यूमन-रेटेड LVM3 (HRLV) कहा जाता है।
  • उपनाम 'बाहुबली' इसकी विशाल उठाने की शक्ति और मिशनों में निरंतर विश्वसनीयता को दर्शाता है।

विकास पृष्ठभूमि

  • M5 मिशन LVM3 सीरीज़ में पाँचवीं सफल उड़ान है, जो इस वाहन के साथ ISRO की शानदार सफलता की कड़ी को जारी रखता है।
  • यह नौसेना के लिये GSAT-7 (रुक्मिणी) और वायु सेना के लिये GSAT-7A जैसे पहले के उपग्रहों के बाद आया है, जो भारत की रक्षा संचार क्षमताओं का विस्तार करता है।



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त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल 2025’

चर्चा में क्यों?

त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘त्रिशूल 2025’ का आरंभ 3 नवंबर, 2025 से होने जा रहा है। यह अभ्यास भारतीय नौसेना के नेतृत्व में आयोजित होगा, जिसमें थल सेना, वायु सेना और समुद्री घटक शामिल होंगे।
अभ्यास का क्षेत्र गुजरात और राजस्थान के सिर क्रीक एवं रेगिस्तानी क्षेत्रों से लेकर उत्तर अरब सागर तक विस्तारित रहेगा।

मुख्य विवरण

  • यह व्यापक पैमाने पर आयोजित अभ्यास भारतीय नौसेना के नेतृत्व में और पश्चिमी नौसेना कमान के समन्वय में किया जा रहा है।
  • इसमें थल सेना की दक्षिणी कमान, नौसेना की पश्चिमी कमान तथा भारतीय वायु सेना की दक्षिण-पश्चिमी कमान सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
  • अभ्यास का उद्देश्य:
    • संयुक्त संचालन प्रक्रियाओं का सत्यापन करना।
    • तीनों सेनाओं के बीच अंतरसंचालन क्षमता (Interoperability) को सुदृढ़ बनाना।
    • बहु-क्षेत्रीय अभियानों (Multi-Domain Operations) के लिये नेटवर्क आधारित कमांड एकीकरण को मज़बूत करना।

सिर क्रीक

  • स्थान: यह एक दलदली मुहाना क्षेत्र है जो कच्छ (गुजरात, भारत) और सिंध (पाकिस्तान) के बीच स्थित है, जहाँ कच्छ का रण अरब सागर से मिलता है।
  • लंबाई: लगभग 96 किलोमीटर लंबी ज्वारीय क्रीक।
  • विवाद: यह भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद का हिस्सा है, भारत इसे मध्य जलधारा (Mid-Channel) तक अपनी सीमा मानता है, जबकि पाकिस्तान पूर्वी तट (Eastern Bank) को सीमा रेखा मानता है।
  • रणनीतिक महत्त्व:
    • यह क्षेत्र एक संवेदनशील तटीय सुरक्षा क्षेत्र तथा रणनीतिक समुद्री सीमा के रूप में कार्य करता है।
    • पश्चिमी नौसेना कमान के अंतर्गत नौसैनिक और तटीय निगरानी के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
    • समुद्री संसाधनों से समृद्ध: यह क्षेत्र मछली पालन और अन्य समुद्री संसाधनों से भरपूर है, जिससे संभावित विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) संबंधी दावे उत्पन्न हो सकते हैं।
    • पर्यावरणीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण: सिर क्रीक सिंधु डेल्टा पारिस्थितिकी तंत्र (Indus Delta Ecosystem) का हिस्सा है, जो जैवविविधता संरक्षण और तटीय पर्यावरणीय संतुलन के लिये अत्यंत आवश्यक है।


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