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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Dec 2025
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अडॉप्ट ए टूरिज़्म साइट इनिशिएटिव

चर्चा में क्यों?

राजस्थान पर्यटन विभाग, राजस्थान पर्यटन नीति 2025 के तहत पर्यटन तंत्र को आधुनिक बनाने के लिये “अडॉप्ट ए टूरिज़्म साइट” पहल शुरू कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • योजना का उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य निज़ी क्षेत्र के अभिकर्त्ताओं, स्थानीय समुदायों और पर्यटन संबंधी हितधारकों को विरासत और पर्यावरण-पर्यटन स्थलों के जीर्णोद्धार, प्रबंधन और संचालन के लिये आमंत्रित करना है।
  • सतत् मॉडल: इसे प्रमुख पर्यटन स्थलों, जिनमें मंदिर और पर्यावरण-पर्यटन स्थल शामिल हैं, के रखरखाव के लिये एक सतत्, राजस्व-समर्थित मॉडल का निर्माण करने और सरकार पर बोझ कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • गोद लेने की अवधि: भागीदार कम-से-कम पाँच वर्षों की अवधि के लिये स्थलों को गोद ले सकते हैं और आगंतुक सुविधाओं के विकास, रखरखाव एवं प्रबंधन की ज़िम्मेदारी का वहन कर कर सकते हैं।
  • वाणिज्यिक गतिविधियाँ: यह मॉडल स्व रखरखाव के लिये धन एकत्रित करने हेतु अपनाए गए क्षेत्रों में वाणिज्यिक और अर्द्ध-वाणिज्यिक गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति देता है।
  • स्थानीय एकीकरण: साझेदार स्थानीय व्यंजनों, हस्तशिल्प, कला और पारंपरिक उत्पादों के साथ शॉपिंग आर्केड स्थापित करेंगे, जिससे स्थानीय कारीगरों को लाभ होगा और आगंतुकों का अनुभव बेहतर होगा।
  • आजीविका सृजन: इस योजना से राजस्थान की विशिष्ट संस्कृति और उत्पादों को बढ़ावा देकर स्थानीय कारीगरों के लिये आजीविका के नए अवसरों के सृजन की उम्मीद है।
  • पर्यटन संवर्द्धन: यह नीति साझेदारों को कैफेटेरिया, रेस्तरां और चुनिंदा स्मारिका दुकानों (Souvenir Shops) जैसी सुविधाओं के साथ पर्यटन मूल्य शृंखला में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • नाइट टूरिज़्म: विभाग उच्च-आवागमन वाले स्थलों पर रात्रिकालीन पर्यटन और राजस्व बढ़ाने के लिये लचीले संचालन समय, जिसमें संभावित रूप से पूरी रात खुला रखने का विकल्प भी शामिल है, पर विचार कर रहा है।
  • भविष्य के दिशानिर्देश: राजस्थान पर्यटन नीति 2025 के कार्यान्वयन के अंतर्गत, पात्र स्थलों और अनुमत सुविधाओं की सूची सहित विस्तृत परिचालन दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किये जाएँगे।

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रक्षा मंत्री द्वारा वर्ष 1971 युद्ध के हीरो की प्रतिमा का अनावरण

चर्चा में क्यों?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 13 दिसंबर 2025 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के बखासर गाँव में ठाकुर बलवंत सिंह की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

Thakur Balwant Singh

प्रमुख बिंदु

  • युद्ध के नायक: ठाकुर बलवंत सिंह ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, विशेष रूप से चाचरो की लड़ाई के दौरान, भारतीय सेना का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • योगदान: उनके स्थानीय ज्ञान और बहादुरी ने भारतीय सेना को सिंध में चाचरो पर कब्ज़ा करने और पाकिस्तानी सेना को वापस लौटने में मदद की।
  • मान्यता: उनके योगदान के सम्मान में, सिंह के खिलाफ आपराधिक मामले वापस ले लिये गए और उन्हें दो अखिल भारतीय हथियार लाइसेंस प्रदान किये गए।
  • विरासत: ठाकुर बलवंत सिंह का देहांत 1991 में हुआ था, उनकी विरासत को सम्मानित करने के लिये उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है।

शिमला समझौता, 1972

  • यह वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का गठन हुआ।
  • इसे संबंधों को सामान्य करने और शांति स्थापित करने के लिए भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो द्वारा वार्ताक्रम के माध्यम से तैयार किया गया था।
  • उद्देश्य: 
    • कश्मीर मुद्दे का द्विपक्षीय समाधान करना, अंतर्राष्ट्रीयकरण को रोकना।
    • नए क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के आधार पर भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार करना।
    • भारत ने पाकिस्तान में और अधिक असंतोष को रोकने के लिये सीज फायर लाइन को स्थायी सीमा नहीं बनाया।
  • प्रमुख प्रावधान:
    • संघर्ष का समाधान: मुद्दों का द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया जाएगा।
    • नियंत्रण रेखा (LoC): दोनों देशों ने 1971 युद्ध के बाद स्थापित LoC का सम्मान करने तथा उसकी स्थिति को एकतरफा न बदलने पर सहमति जताई।
    • सैनिकों की वापसी: दोनों देशों की सेनाएँ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के अपने-अपने क्षेत्रों में लौटेंगी।
    • भविष्य की कूटनीति: संवाद जारी रखने और युद्धबंदियों की वापसी के प्रावधान शामिल थे।

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प्राडा द्वारा कोल्हापुरी डील साइन

चर्चा में क्यों?

इतालवी लग्जरी ब्रांड प्राडा ने लगभग 2,000 जोड़ी कोल्हापुरी चप्पलों का एक सीमित संस्करण संग्रह लॉन्च करने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।

प्रमुख बिंदु

  • भारत में निर्मित: ये सैंडल महाराष्ट्र और कर्नाटक में बनाए जाएँगे, जिनमें पारंपरिक भारतीय शिल्प कौशल को प्राडा के समकालीन डिज़ाइन के साथ जोड़ा जाएगा।
  • कीमत और उपलब्धता: कोल्हापुरी सैंडल की कीमत लगभग 800 यूरो (930 डॉलर) होगी और ये फरवरी से विश्व भर के चुनिंदा प्राडा स्टोर्स के साथ-साथ इसकी वेबसाइट पर भी उपलब्ध होंगे।
  • उत्पत्ति एवं भूगोल: यह कोल्हापुर (महाराष्ट्र) और आसपास के ज़िलों जैसे सांगली, सतारा और सोलापुर में हस्तनिर्मित है, जो 12वीं -13वीं शताब्दी से संबंधित है और मूल रूप से शाही परिवार के लिये तैयार की गई थी।
  • कारीगरी: इसे गाय, भैंस या बकरी द्वारा वनस्पति-टैन (vegetable-tanned) चमड़े से निर्मित किया गया है, पूरी तरह से हाथ से निर्मित है, इसमें कील या कृत्रिम घटकों का उपयोग नहीं किया गया है।
  • डिज़ाइन की विशेषताएँ: यह अपने टी-स्ट्रैप आकार, बारीक बुनाई और खुले पंजे वाले डिज़ाइन के लिये जाना जाता है, जो ज्यादातर टैन या गहरे भूरे रंग में उपलब्ध होता है।
  • भौगोलिक संकेत (GI) का दर्जा: इसे वर्ष 2019 में भौगोलिक संकेत (GI) का दर्जा दिया गया था, जिसमें महाराष्ट्र और कर्नाटक के आठ ज़िले शामिल हैं।
    • GI टैग विशिष्ट भौगोलिक मूल वाले उत्पादों की पहचान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उस क्षेत्र के  केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता ही उस नाम का उपयोग कर सकें।

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