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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 09 May 2023
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मुख्यमंत्री ने ‘साइबर एनकाउंटर्स’ पुस्तक का विमोचन किया

चर्चा में क्यों?

7 मई, 2023 को उतराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजपुर रोड स्थित सेंट जोसेफ अकेडमी, देहरादून में ‘साइबर एनकाउंटर्स’पुस्तक के हिन्दी संस्करण का विमोचन किया।  

प्रमुख बिंदु

  • यह पुस्तक डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार एवं पूर्व डी.आर.डी.ओ वैज्ञानिक ओ.पी. मनोचा द्वारा लिखी गई है।  
  • डीजीपी अशोक कुमार एवं ओ.पी मनोचा ने साइबर अपराधों का विश्लेषण करती व सत्य घटनाओं पर आधारित यह पुस्तक लिखी है, इससे साइबर अपराधों से बचने में पाठकों को बहुत मदद मिलेगी। इस पुस्तक में जहाँ एक ओर सच्ची घटनाओं का जिक्र करते हुए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया है, वहीं दूसरी ओर पुस्तक मनोरंजक भी है। पुस्तक का एक-एक पृष्ठ लोगों को साइबर क्राइम से बचाव के लिये प्रेरित करने का कार्य करेगा।  
  • साइबर क्राइम वर्तमान टेक्नोलॉजी के युग की सबसे बड़ी चुनौती है और प्रदेश के डीजीपी द्वारा इस चुनौती के संबंध में जनता को जागरूक करना इस पुस्तक की प्रासंगिकता को और भी अधिक बढ़ा देता है।  
  • उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक के लेखक डीजीपी अशोक कुमार उत्तराखंड कैडर के वर्ष 1989 के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं।  
  • 30 नवंबर, 2020 को वे उत्तराखंड के 11वें डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बने। अपने लगभग तीन दशक के सेवाकाल में अविभाजित उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड पुलिस, आईटीबीपी और बीएसएफ के महत्त्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। बीते वर्षों में उन्होंने कई विषयों पर पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें उनकी ‘खाकी में इंसान’पुस्तक बेहद प्रसिद्ध रही है। 
  • अशोक कुमार का जन्म 20 नवंबर 1964 को हरियाणा के पानीपत ज़िले के कुराना गांव में हुआ था। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बीटेक और एमटेक की शिक्षा प्राप्त की थी। 
  • डीजीपी अशोक कुमार को वर्ष 2001 में कोसोवो में उत्कृष्ट कार्य के लिये यूनए मिशन पदक मिला था। उन्हें वर्ष 2006 में दीर्घ एवं उत्कृष्ट सेवाओं के लिये राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। 
  • ओ.पी मनोचा डीआरडीओ के वैज्ञानिक हैं। ओ. पी. मनोचा भौतिकी (इलेक्ट्रॉनिक्स) में पोस्ट ग्रैजुएट हैं और उन्हें रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान विंग डी.आर.डी.ओ. में काम करने का 35 साल का अनुभव है, जहाँ उन्होंने विभिन्न रक्षा परियोजनाओं को धरातल पर उतारा। 
  • विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं तथा सम्मेलनों में उनकी छह कृतियाँ प्रकाशित हैं, जिनमें डिफेंस साइंस जर्नल, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ इमेज इनफॉर्मेशन प्रोसेसिंग और इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एडवांसेज इन कंप्यूटर साइंस की कार्रवाइयाँ शामिल हैं। 
  • वे इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स के लाइफ फेलो हैं और कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग के आजीवन सदस्य हैं। वे IETE, देहरादून चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे वर्ष 2018 में डी.आर. डी.ओ. से सेवानिवृत्त हुए।

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राष्ट्रीय स्मारक घोषित होगा तुंगनाथ मंदिर

चर्चा में क्यों?

6 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के पुरातत्त्व विभाग के प्रभारी अधिकारी देवराज सिंह रौतेला ने बताया कि पंचकेदारों में से तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाएगा।  

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि राज्य के रुद्रप्रयाग ज़िले में तुंगनाथ मंदिर एशिया में समुद्रतल से सबसे ऊँचाई (12800 फीट) पर स्थापित शिवालय है। रुद्रप्रयाग ज़िला मुख्यालय से तुंगनाथ मंदिर की दूरी 70 किमी. है। चोपता से चार किमी. पैदल चढ़ाई कर मंदिर तक पहुँचते हैं। 
  • गौरतलब है कि प्राचीन मंदिर तुंगनाथ को राष्ट्रीय महत्त्व स्मारक घोषित करने के लिये केंद्र सरकार ने 27 मार्च, 2023 को अधिसूचना जारी की है।  

तृतीय केदार तुंगनाथ 


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