इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Mar 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

राज्य खेल पुरस्कार व सम्मान योजना

चर्चा में क्यों?

5 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार सरकार ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में राज्य के विजेता खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को खेल पुरस्कार देने के लिये राज्य खेल पुरस्कार व सम्मान योजना बनाई है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य में खिलाड़ियों के चयन के लिये राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय चयन समिति बनाई गई है।
  • इस समिति के तहत इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी द्वारा चिह्नित खेलों के अंतर्गत भारत में संचालित राष्ट्रीय खेल महासंघों, अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय स्पोर्ट्स बोर्ड, स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया, भारतीय खेल प्राधिकरण और पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया आदि संगठनों द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं का चयन होगा।
  • मैडल विजेता खिलाड़ियों को 29 अगस्त को हर साल होने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस पर सम्मानित किया जाएगा।
  • राज्य खेल पुरस्कार व सम्मान योजना के तहत ओलंपिक खेलों में व्यत्तिगत खेल में गोल्ड मैडल जीतने वाले खिलाड़ी को दो करोड़, सिल्वर मैडल जीतने वाले को डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले को एक करोड़ रुपए मिलेंगे।
  • एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल जीतने वाले को डेढ़ करोड़, सिल्वर मेडल जीतने वाले को एक करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले को 75 लाख रुपए दिये जाएंगे।
  • आधिकारिक एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतने वालों को 75 लाख, सिल्वर जीतने वोले को 50 लाख और कांस्य पदक जीतने वाले को 30 लाख मिलेंगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जीतने वाली भारतीय टीम में यदि बिहार के खिलाड़ी हैं तो उन्हें भी राज्य सरकार पुरस्कृत करेगी। वर्ल्ड कप या टी-20 की विजेता या उपविजेता भारतीय टीम में बिहार के कोई खिलाड़ी हैं, तो उन्हें क्रमश: सरकार डेढ़ और एक करोड़ देगी।
  • राज्य सरकार चैंपियंस ट्रॉफी के विजेता और उपविजेता टीम के बिहारी सदस्य को क्रमश: एक करोड़ और 75 लाख मिलेंगे तथा राष्ट्रीय स्तर के राष्ट्रीय खेल के प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले खिलाड़ी को चार लाख, तीन लाख और दो लाख रुपए देगी।

मध्य प्रदेश Switch to English

साँची बनेगी प्रदेश की पहली सोलर सिटी

चर्चा में क्यों?

4 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने प्रदेश के रायसेन ज़िला के साँची विकासखंड के ग्राम नागौरी में साँची शहर को सोलर सिटी बनाए जाने के लिये भूमि-पूजन किया।

प्रमुख बिंदु

  • लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने बताया कि साँची, स्तूपों और बौद्ध तीर्थ स्थल के लिये विश्व विख्यात है। अब साँची को विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं बिजली आपूर्ति में आत्म-निर्भर बनाने के लिये देश की दूसरी और प्रदेश की पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • उन्होंने बताया कि साँची शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिये सौर ऊर्जा का उपयोग कर विद्युत का उत्पादन किया जाएगा। नागौरी में 3 मेगावाट एवं गुलगाँव में 5 मेगावाट का सोलर प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
  • डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि सोलर सिटी बनने से साँची की बिजली आवश्यकता की पूर्ति सौर ऊर्जा से होगी। इसके अलावा सौर स्ट्रीट लाइट, गार्डन लाइट, स्टड लाइट, हाई-मास्ट लाइट, सौर पेयजल कियोस्क, लोक परिवहन के लिये बैटरी चलित ई-रिक्शा, चार्जिंग स्टेशन, अक्षय ऊर्जा आधारित संयंत्र विंड टर्बाइन एवं पिजो इलेक्ट्रिक जनरेटर्स स्थापित किये जाएंगे।

हरियाणा Switch to English

‘हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास’

चर्चा में क्यों?

6 मार्च, 2023 को हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला ने बताया कि राज्य सरकार ने मौजूदा बीमा योजनाओं को समेकित, मानकीकृत और सरलीकृत दावों के प्रसंस्करण को सुनिश्चित करने और लोगों को प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करने के लिये ‘हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास’नाम से एक ट्रस्ट की स्थापना की है।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन ने बताया कि ‘हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास’ लोगों को प्रत्यक्ष लाभ देने में अहम साबित होगा, इससे विभिन्न बीमा योजनाएँ भी समेकित हो जाएंगी।
  • उन्होंने बताया कि उच्च जोखिम वाली श्रेणी में काम करने वाले ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों को कवर करने के लिये प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री हरियाणा कर्मचारी दुर्घटना बीमा योजना’बनाई है, ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में उनके परिवार को कुछ सहारा मिल सके।
  • चेयरमैन सुभाष बराला ने बताया कि दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी विकलांगता के मामले में छोटे व्यापारियों के लिये ‘मुख्यमंत्री व्यापारी सामूहिक निजी दुर्घटना बीमा योजना’बनाई गई है, ताकि मुसीबत के समय इनके परिवारों को आर्थिक सहारा मिल सके।
  • इसके अलावा अंत्योदय परिवारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया करवाने के लिये ‘मुख्यमंत्री परिवार समृद्धि योजना’तैयार की गई है, ताकि अंतिम व्यक्ति तक बीमा योजना का लाभ देकर उनको चिंतामुत्त किया जा सके।
  • चेयरमैन ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्ट्रीट वेंडर्स, छोटे व्यापारियों और 1.50 करोड़ रुपए तक के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यवसायियों के कल्याण के लिये किसी भी प्राकृतिक कारणों या आग के कारण संपत्ति के नुकसान के मामले में मुआवजा प्रदान करने के लिये ‘मुख्यमंत्री व्यापारी क्षतिपूर्ति बीमा योजना’के संशोधित दिशा-निर्देशों को हाल ही में अधिसूचित कर दिया है। यह योजना भी 1 अप्रैल, 2023 से पूरे प्रदेश में चालू हो जाएगी।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा कृषि विकास मेला - 2023

चर्चा में क्यों?

6 मार्च, 2023 को हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश के हिसार ज़िले में स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में हरियाणा कृषि विकास मेला-2023 का आयोजन किया जाएगा। यह मेला 10 मार्च से 12 मार्च तक चलेगा।

प्रमुख बिंदु

  • कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के प्रगतिशील किसानों को नई कृषि तकनीकों से अवगत करवाने के लिये हरियाणा कृषि विकास मेला-2023 का आयोजन किया जा रहा है।
  • मेले में कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा किसानों के मध्य फसल प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाएगा। इसी प्रकार रबी फसलों की नई किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा और मिट्टी व पानी के नमूनों की सामान्य शुल्क पर जांच की जाएगी।
  • इस मेले में कृषि संबंधित समस्याओं एवं समाधान विषय पर प्रश्नोत्तरी सभा होगी और खरीफ फसलों व सब्जियों के प्रमाणित बीजों की जानकारी दी जाएगी एवं बिक्री की जाएगी।
  • प्रवक्ता के अनुसार कृषि विकास मेले में हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे। इसके अलावा लकी ड्रॉ के माध्यम से प्रतिदिन एक छोटा ट्रैक्टर, सुपर सीडर व पावर विंडर मशीन तथा 12 मार्च 2023 को किसानों को बड़ा ट्रैक्टर जीतने का मौका मिलेगा।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ बजट 2023-24

चर्चा में क्यों?

6 मार्च, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’के ध्येय वाक्य के साथ प्रदेश की प्रगति और खुशहाली के लिये वर्ष 2023-24 का बजट प्रस्तुत किया गया, जिसमें 1 लाख 21 हज़ार 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। यह बजट मुख्य रूप से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’में समाहित उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में मज़बूत कदम साबित होगा।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2023-24 के बजट की आर्थिक स्थिति :-
    • स्थिर दर पर वर्ष 2021-22 की तुलना में चालू वर्ष 2022-23 के राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। राष्ट्रीय स्तर पर 7 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में यह अधिक है।
    • वर्ष 2022-23 में स्थिर भाव पर कृषि क्षेत्र में 5.93 प्रतिशत वृद्धि, औद्योगिक क्षेत्र में 7.83 प्रतिशत वृद्धि और सेवा क्षेत्र में 9.21 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। कृषि, उद्योग एवं सेवा तीनों ही क्षेत्रों में राज्य की वृद्धि दर केंद्र से अधिक अनुमानित है।
    • प्रचलित भाव पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2021-22 में 4 लाख 06 हज़ार 416 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 4 लाख 57 हज़ार 608 करोड़ रुपए होना अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.60 प्रतिशत अधिक है।
    • वर्ष 2021-22 में प्रति व्यत्ति आय 1,20,704 की तुलना में वर्ष 2022-23 में प्रति व्यत्ति आय 1,33,898 रुपए, जो कि गत वर्ष की तुलना में 10.93 प्रतिशत अधिक है।
  • बजट के मुख्य आकर्षण-
    • ‘धान का कटोरा’ के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को ‘धन का कटोरा’बनाने हेतु राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लिये 6,800 करोड़ रुपए का प्रावधान। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना का ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ नगर पंचायत क्षेत्र के लिये भी विस्तार।
    • शिक्षित बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता देने की नवीन योजना के अंतर्गत 2500 रुपए प्रति माह की दर से बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने हेतु 250 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • निराश्रितों, बुजुर्गों, दिव्यांगों एवं विधवा तथा परित्यक्ता महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के अंतर्गत दी जाने वाली मासिक पेंशन की राशि 500 रुपए प्रति माह दी जाएगी।
    • नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न शहरी अधोसंरचना निर्माण कार्यों के लिये 1 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में भी औद्योगिक पार्क की स्थापना हेतु 50 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • मनेंद्रगढ़, गीदम, जांजगीर-चांपा एवं कबीरधाम ज़िले में नवीन चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना के लिये 200 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • कोरबा पश्चिम में नवीन ताप विद्युत गृह की स्थापना की जाएगी। बजट में इसके लिये 25 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • 101 नवीन स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय खोलने के लिये 870 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लिये 38 करोड़ रुपए का प्रावधान।
    • नवा रायपुर अटल नगर से दुर्ग तक लाइट मेट्रो सेवा शुरू करने हेतु प्रावधान।
    • आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मासिक मानदेय 6 हज़ार 500 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 10 हज़ार रुपए प्रति माह। आंगनबाड़ी सहायिकाओं का मानदेय 3 हज़ार 250 रुपए से बढ़ाकर 5 हज़ार रुपए प्रति माह। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 4 हज़ार 500 रुपए से बढ़ाकर 7 हज़ार 500 रुपए प्रति माह।
    • मितानिन बहनों को पूर्व से दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के अतिरित्त राज्य मद से 22 सौ रुपए प्रति माह की दर से मानदेय।
    • ग्राम कोटवारों को सेवा भूमि के आधार पर पूर्व प्रचलित मानदेय की राशि 2,250 रुपए को बढ़ाकर 3,000 रुपए, 3,375 रुपए को बढ़ाकर 4,500 रुपए, 4,050 को बढ़ाकर 5,500 रुपए एवं 4,500 रुपए को बढ़ाकर 6,000 रुपए प्रति माह। ग्राम पटेल का मासिक मानदेय 2,000 रुपए से बढ़ाकर 3,000 रुपए।
    • मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों में दोपहर का भोजन बनाने वाले रसोईयों को दी जा रही मानदेय की राशि 1,500 रुपए को बढ़ाकर 1,800 रुपए प्रति माह। विद्यालयों में कार्यरत स्वच्छता कर्मियों का मानदेय भी 2,500 रुपए से बढ़ाकर 2,800 रुपए प्रति माह।
    • होमगार्ड के जवानों के मानदेय में न्यूनतम 6,300 रुपए से अधिकतम 6,420 रुपए प्रति माह की वृद्धि।
    • स्वावलंबी गोठानों की संचालन समिति के अध्यक्ष को 750 रुपए एवं अशासकीय सदस्यों को 500 रुपए मासिक मानदेय।
    • पत्रकारों को निजी आवास निर्माण में सहयोग हेतु पत्रकार गृह निर्माण ऋण अनुदान योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपए तक के आवास ऋण पर ब्याज अनुदान हेतु 50 लाख।


उत्तराखंड Switch to English

रुद्रप्रयाग और टिहरी सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित ज़िले करार

चर्चा में क्यों?

6 मार्च, 2023 को वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की हाल ही में जारी भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग व टिहरी ज़िले देश में भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित ज़िले हैं।

प्रमुख बिंदु

  • भू-विज्ञान संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि रिपोर्ट में भूस्खलन जोखिम विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार, सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित देश के 147 ज़िलों में उत्तराखंड के सभी 13 ज़िले शामिल हैं। इनमें रुद्रप्रयाग पहले, टिहरी दूसरे स्थान पर तथा चमोली ज़िला भूस्खलन जोखिम के मामले में देश में 19वें स्थान पर है।
  • विदित है कि चमोली ज़िले का जोशीमठ शहर इन दिनों भूस्खलन के खतरे की चपेट में है। वैज्ञानिक इसकी तकनीकी जांच कर खतरे को भाँप रहे हैं। बहरहाल उपग्रह से लिये गए चित्रों की रिपोर्ट बता रही है कि उत्तरकाशी देश में 21वें स्थान पर है। पौड़ी गढ़वाल की 23वीं और देहरादून ज़िले की 29वीं रैकिंग है।
  • देश में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व वाला ज़िला रुद्रप्रयाग है। यानी भूस्खलन से इस ज़िले को सबसे अधिक सामाजिक और आर्थिक क्षति होने का खतरा है। यही स्थिति टिहरी ज़िले की भी है। ये दोनों ज़िले भौगोलिक रूप से दूसरे ज़िलों की तुलना में छोटे हैं। इस लिहाज से भी भूस्खलन घनत्व बड़ा दिखाई दिया है।
  • एटलस के मुताबिक, देश में भूस्खलन के लिहाज से सबसे अधिक जोखिम भरे पहले दो ज़िले रुद्रप्रयाग व टिहरी उत्तराखंड में हैं। तो सबसे कम संवेदनशील ज़िले हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर भी राज्य में ही हैं।
  • एनआरएससी के भूस्खलन जोखिम विश्लेषण में 147 ज़िलों में हिमाचल के 11 ज़िले शामिल हैं। हिमाचल में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा मंडी ज़िले में है। प्रदेश में इस ज़िले की रैंक 16वीं है।
  • हिमालयी राज्यों में शामिल जम्मू और कश्मीर के 14 ज़िले भूस्खलन जोखिम वाले ज़िलों की सूची में शामिल हैं। इनमें राजौरी देश का चौथा और पुंछ छठा सबसे अधिक भूस्खलन प्रभावित ज़िला है।
  • 147 संवेदनशील ज़िलों की सूची में केरल के कुल 10 ज़िले हैं, जहाँ भूस्खलन से खतरा है। 10 सबसे अधिक भूस्खलन जोखिम ज़िलों की सूची में केरल के तीन ज़िले शामिल हैं।
  • पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि पूरा हिमालयी क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है। एनआरएसी की इस रिपोर्ट के आधार पर विस्तृत अध्ययन होना चाहिये। भूस्खलन से वास्तविक नुकसान कितना है? कितनी आबादी को वह प्रभावित कर रहा है? इससे नीति नियामक यह तय कर सकते हैं कि उन्हें किस तरह की योजना बनानी है।
  • उत्तराखंड के सबसे प्रभावित ज़िले (लाल रंग में)-


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2