उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ भारत का पहला AI शहर
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश 10,732 करोड़ रुपए के निवेश के माध्यम से लखनऊ को भारत का पहला AI सिटी बनाने की दिशा में अग्रसर है।
- यह पहल मार्च 2024 में अनुमोदित IndiaAI मिशन के अंतर्गत प्रारंभ की गई है, जिसका उद्देश्य राज्य में सशक्त AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
मुख्य बिंदु
- AI अवसंरचना में व्यापक निवेश:
- यह निवेश 10,000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPUs), मल्टी-मॉडल भाषा मॉडल्स तथा लखनऊ में AI नवाचार केंद्र की स्थापना हेतु किया जा रहा है।
- यह निवेश देश में किसी भी अन्य प्रौद्योगिकी अवसंरचना की तुलना में 67% अधिक है।
- AI प्रज्ञा प्रशिक्षण पहल:
-
इस पहल के अंतर्गत 10 लाख से अधिक लोगों जिनमें युवा, शिक्षक, ग्राम प्रधान, सरकारी कर्मचारी और किसान शामिल हैं, को AI, मशीन लर्निंग, डाटा एनालिटिक्स तथा साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
-
यह प्रशिक्षण Microsoft, Intel, Google और Guvi जैसी वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों के सहयोग से दिया जा रहा है।
-
- AI ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली:
- लखनऊ में एक अत्याधुनिक AI आधारित ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली लागू की जाएगी, जो वाराणसी में विकसित प्रणाली के समान होगी।
- कृषि और राजस्व प्रबंधन में AI:
- यूपी एग्रीस परियोजना के माध्यम से 10 लाख किसानों को स्मार्ट सिंचाई, ड्रोन मैपिंग, कीट पहचान और डिजिटल बाज़ार पहुँच जैसी AI-संचालित तकनीकों से जोड़ा जाएगा।
- राजस्व विभाग द्वारा सैटेलाइट इमेजिंग और AI एल्गोरिद्म का उपयोग भूमि समेकन तथा अभिलेख प्रबंधन के लिये किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी एवं विवाद कम होंगे।
- सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में AI का उपयोग:
- CCTV निगरानी, चेहरे की पहचान, नंबर प्लेट ट्रैकिंग तथा SOS अलर्ट प्रणाली जैसे AI-सक्षम तंत्र प्रदेश के 17 नगर निगमों और गौतम बुद्ध नगर में लागू किये गए हैं।
- इसके अतिरिक्त, अवैध खनन रोकथाम और खनिज संसाधन संरक्षण हेतु भी AI का उपयोग किया जा रहा है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में, देश का पहला AI आधारित स्तन कैंसर स्क्रीनिंग केंद्र फतेहपुर में स्थापित किया गया है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव नियुक्त
चर्चा में क्यों?
वरिष्ठ IAS अधिकारी शशि प्रकाश गोयल को उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति वर्तमान मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात् की गई है।
- शशि प्रकाश गोयल का कार्यकाल जनवरी 2027 में सेवानिवृत्ति तक रहेगा।
मुख्य बिंदु
मुख्य सचिव के बारे में:
- कार्यालय:
- भारत में मुख्य सचिव का कार्यालय वर्ष 1799 में ब्रिटिश शासन के दौरान लॉर्ड वेलेज़ली के अधीन अस्तित्व में आया और तब से यह राज्य प्रशासन का अभिन्न अंग है।
- मुख्य सचिव, राज्य में कार्यरत सर्वोच्च रैंक का प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो राज्य सचिवालय का नेतृत्व करता है तथा राज्य सरकार के विभिन्न कार्यों के समन्वय की ज़िम्मेदारी निभाता है।
- नियुक्ति और स्थिति:
- मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री (राज्यपाल के नाम पर) द्वारा वरिष्ठ IAS अधिकारियों में से वरिष्ठता, योग्यता और विश्वास जैसे कारकों के आधार पर की जाती है।
- वर्ष 1973 में इस कार्यालय को भारत सरकार के सचिव के पद के समतुल्य मानकीकृत किया गया।
- शक्तियाँ और कार्य:
- राज्य प्रशासन के मामलों पर प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य करता है और नीतिगत मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- कैबिनेट बैठक का एजेंडा तैयार करता है, कार्यवाही रिकॉर्ड करता है और निर्णयों के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
- राज्य सिविल सेवा में नियुक्तियों, स्थानांतरणों और पदोन्नति की देखरेख करता है तथा सिविल सेवकों का मनोबल बनाए रखता है।
- अंतर-विभागीय समन्वय सुनिश्चित करता है, समन्वय समितियों की अध्यक्षता करता है और विभागों के बीच विवादों का समाधान करता है।
- सामान्य प्रशासन, कार्मिक और योजना जैसे प्रमुख विभागों का सीधे प्रबंधन करता है।
- बाढ़, सूखा और सांप्रदायिक अशांति जैसे संकट के दौरान राहत कार्यों का नेतृत्व करता है तथा आपात स्थितियों के दौरान राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करता है।
नोट:
- प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी को तीन साल के कार्यकाल के लिये बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया है। जिसकी घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई है।
- वर्ष 1989 बैच के IIT कानपुर स्नातक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी को व्यापक शैक्षणिक अनुभव है, उन्होंने पहले IIT रुड़की (2017–2022) के निदेशक के रूप में कार्य किया है।
- उन्होंने IIT कानपुर में भी नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें विद्युत अभियांत्रिकी विभागाध्यक्ष, अनुसंधान एवं विकास डीन तथा उप निदेशक के पद शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
पिपरहवा अवशेषों की भारत वापसी
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 127 वर्षों के पश्चात् भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों की भारत वापसी का स्वागत करते हुए इसे देश की सांस्कृतिक विरासत के लिये गौरवपूर्ण और हर्ष का क्षण बताया।
- गोदरेज इंडस्ट्रीज़ ने सरकार के साथ मिलकर औपनिवेशिक काल के दौरान विदेश ले जाए गए इन अवशेषों को सोथबी नीलामी गृह से प्राप्त करने और उन्हें भारत वापस लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके फलस्वरूप ये अवशेष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित किये जा सकेंगे।
मुख्य बिंदु
- पिपरहवा अवशेषों के बारे में:
- पिपरावा अवशेष, जिन्हें भगवान बुद्ध के अवशेष माना जाता है, वर्ष 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा उत्तर प्रदेश के पिपरहवा स्तूप में खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे। यह स्थान भगवान बुद्ध का जन्मस्थान प्राचीन कपिलवस्तु माना जाता है ।
- इनमें बुद्ध के अस्थि खंड, सोपस्टोन (पाषाण) पात्र, क्रिस्टल पात्र, रत्न, स्वर्णाभूषण तथा अन्य अनुष्ठानिक सामग्री सम्मिलित हैं।।
- एक पात्र पर ब्राह्मी लिपि उत्कीर्ण किया गया लेख, इन अवशेषों को प्रत्यक्ष रूप से भगवान बुद्ध से जोड़ता है, जिसमें कहा गया है कि इन्हें शाक्य वंश द्वारा समर्पित किया गया था।
- अवशेषों का कानूनी संरक्षण:
- भारत ने इन अवशेषों को ‘AA’ पुरावशेष (सबसे उच्चतम कानूनी संरक्षण स्तर) के अंतर्गत वर्गीकृत किया है।
- भारतीय कानून के अनुसार, इन अवशेषों का क्रय-विक्रय या निर्यात प्रतिबंधित है और इन्हें नीलामी या देश से बाहर ले जाना अवैध है।
- वर्ष 1899 में अधिकांश अवशेष भारतीय संग्रहालय, कोलकाता को सौंप दिये गए थे, किंतु ब्रिटिश उत्खननकर्त्ता विलियम क्लैक्सटन पेप्पे के वंशजों ने कुछ अवशेष जैसे पिपरावा अवशेष अपने पास रख लिये थे।
नोट: बुद्ध के अवशेष उनकी मृत्यु के बाद विभिन्न स्थानों पर निर्मित 9 स्तूपों में स्थापित किये गए थे, जिनमें शामिल हैं:
उत्तर प्रदेश Switch to English
उन्नाव में भारत का पहला निजी एआई-संवर्द्धित विश्वविद्यालय परिसर
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उन्नाव में भारत के पहले निजी एआई-संवर्द्धित बहु-विषयक चंडीगढ़ विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन करके उच्च शिक्षा में एक अग्रणी कदम उठाया है।
- इसका उद्देश्य आधुनिक शिक्षा को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ मिश्रित करना है, जो उत्तर प्रदेश के शैक्षिक तथा तकनीकी परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु
- एआई-संवर्द्धित बहु-विषयक शिक्षा:
- नव-उद्घाटित परिसर शिक्षण पद्धतियों को बढ़ाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाएगा, जिसमें अनुसंधान, नवाचार और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहु-विषयक शिक्षा के अनुरूप है।
- राष्ट्रीय मिशनों के अनुरूप:
- मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय की स्थापना को स्टार्टअप इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहलों के साथ जोड़ते हुए इसे उत्तर प्रदेश की वैश्विक उपस्थिति को मज़बूत करने की दिशा में उद्यमिता और उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने वाली पहल बताया।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के लिये करियर मार्गदर्शन, उद्योग-उन्मुख कौशल विकास तथा अवसरों के द्वार के रूप में कार्य करना चाहिये।
उत्तर प्रदेश में शिक्षा सुधार और बुनियादी ढाँचा
- उत्तर प्रदेश में अब तक 23 नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना को प्रोत्साहन दिया गया है।
- प्रदेश में देश का पहला आयुष विश्वविद्यालय (महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर) स्थापित किया गया है तथा एक खेल विश्वविद्यालय (मेजर ध्यानचंद राज्य खेल विश्वविद्यालय) निर्माणाधीन है।
- नए सुधारों के तहत अब राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में 50 एकड़ तथा शहरी क्षेत्रों में 20 एकड़ भूमि पर निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जा सकते हैं।
- प्रदेश के विश्वविद्यालय अब NAAC मूल्यांकन और NIRF रैंकिंग सुधारने हेतु सतत् प्रयासरत हैं। परिणामस्वरूप, राज्य की 6 विश्वविद्यालयों ने A++ ग्रेड, 2 विश्वविद्यालयों ने A+ ग्रेड प्राप्त किया है तथा राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश में नवाचार की संभावनाएँ
- उत्तर प्रदेश भारत का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है, जहाँ 7,200 से अधिक सक्रिय स्टार्टअप के माध्यम से 1 लाख से अधिक रोज़गार सृजित हुए हैं।
- प्रदेश में अब तक 8 यूनिकॉर्न कंपनियाँ स्थापित हो चुकी हैं।
- लखनऊ में एक महत्त्वाकांक्षी AI सिटी परियोजना की शुरुआत की गई है, जिसका लक्ष्य 400 से अधिक कंपनियों की भागीदारी से 50,000 रोज़गार सृजित करना है।
- इस AI सेंटर की स्थापना का नेतृत्व IBM द्वारा किया जाएगा।