मध्य प्रदेश Switch to English
नर्मदा नदी के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ की स्थिति
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश में भारी वर्षा के कारण नर्मदा नदी उफान पर है, जिससे कई ज़िलों, विशेष रूप से शहडोल में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जबलपुर स्थित बरगी बाँध के गेट खोलने पड़े, जिससे आगे बाढ़ आने की चिंता बढ़ गई है।
मुख्य बिंदु
नर्मदा नदी के बारे में:
- नर्मदा मध्य भारत में पश्चिम दिशा में बहने वाली एक प्रमुख नदी है, जो मध्य प्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।
- यह नदी 41 सहायक नदियों से पोषित होती है तथा ऐतिहासिक रूप से अरब सागर और गंगा घाटी के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्ग के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है।
नदी का उद्गम और मार्ग:
- नर्मदा नदी का उद्गम पूर्वी मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ की सीमा के निकट स्थित मैकल पर्वतमाला से होता है, जो समुद्र तल से लगभग 3,500 फीट (1,080 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है।
- यह नदी मंडला, जबलपुर तथा मार्बल रॉक्स गॉर्ज से होकर बहती हुई विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमालाओं के बीच स्थित भ्रंश घाटी में प्रवेश करती है।
- इसके पश्चात यह नदी गुजरात में प्रवेश करती है और 21 किमी (13 मील) चौड़े मुहाने से होकर खंभात की खाड़ी में गिरती है।
- नर्मदा सतपुड़ा पर्वतमाला की उत्तरी ढलानों से प्रवाहित होती है तथा जबलपुर के निकट स्थित धुआँधार जलप्रपात सहित विभिन्न भूभागों से होकर बहती है।
जल संसाधन विकास:
- नर्मदा नदी कई राज्यों में जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई तथा पेयजल आपूर्ति के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- इस नदी पर निर्मित प्रमुख बाँधों में सरदार सरोवर बाँध (गुजरात), इंदिरा सागर बाँध (पुनासा, मध्य प्रदेश), ओंकारेश्वर बाँध, बरगी बाँध तथा महेश्वर बाँध शामिल हैं।
नर्मदा जल विवाद:
- 1960 के दशक से नर्मदा नदी के जल बँटवारे तथा बाँध निर्माण को लेकर कई राज्यों के बीच विवाद चला आ रहा है।
- वर्ष 1969 में इन विवादों के समाधान हेतु एक न्यायाधिकरण की स्थापना की गई। वर्ष 1980 में गठित नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA), जिसमें मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं, न्यायाधिकरण के निर्णयों को लागू करने का कार्य करता है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA):
- सरदार सरोवर बाँध को बड़े पैमाने पर विस्थापन के कारण तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा।
- मेधा पाटकर और बाबा आमटे के नेतृत्व में NBA ने प्रभावित समुदायों के लिये उचित पुनर्वास की माँग की।
- उनके सतत् प्रयासों के चलते परियोजना में विलंब हुआ, वर्ष 1993 में विश्व बैंक ने इस परियोजना से अपना समर्थन वापस ले लिया तथा सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।
- वर्ष 2000 में न्यायालय ने विस्थापित आबादी के पुनर्वास की शर्त पर बाँध निर्माण को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की अनुमति प्रदान की।
भारत में बाढ़ के कारण:
बाढ़ का कारण |
विवरण |
भारी एवं अनियमित वर्षा |
जून से सितंबर के बीच अत्यधिक मानसून वर्षा अक्सर मिट्टी की अवशोषण क्षमता को पार कर जाती है और जल निकासी तंत्र को बाधित कर देती है। |
ग्लेशियरों का पिघलना |
बढ़ते तापमान के कारण हिमालय में हिमनदों और हिमपात के पिघलने की गति तीव्र हो जाती है, जिससे नदियों में नीचे की ओर जलप्रवाह बढ़ जाता है। |
चक्रवात और तटीय तूफान |
भीषण चक्रवात भारी वर्षा, तूफानी लहरों और तेज़ हवाओं के साथ तटीय और आसपास के आंतरिक क्षेत्रों में बाढ़ का कारण बनते हैं। |
नदी का अतिप्रवाह |
ऊपरी क्षेत्रों में वर्षा या निचले क्षेत्रों में जल निकासी क्षमता में कमी के कारण नदियाँ अपने किनारों से बाहर बहने लगती हैं। |
अनियोजित शहरीकरण |
शहरों और झुग्गी बस्तियों के अनियोजित विस्तार से प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली बाधित होती है, जिससे शहरी बाढ़ की आशंका बढ़ती है। |
बाँधों और बैराजों का खराब प्रबंधन |
भारी वर्षा के दौरान बाँधों से अनुचित ढंग से जल छोड़ने या आपातकालीन जल प्रवाह की कमी से निचले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। |
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव |
ग्लोबल वार्मिंग के कारण अनियमित और अधिक तीव्र वर्षा हो रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। |
अपर्याप्त जल निकासी अवसंरचना |
खराब रखरखाव या अवरुद्ध नालियों के कारण, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, बारिश के समय गंभीर जलभराव की स्थिति उत्पन्न होती है। |
भारत में बाढ़ प्रबंधन के समाधान:
- नदी इंटरलिंकिंग (ILR) कार्यक्रम:
- ILR कार्यक्रम का उद्देश्य बाढ़-प्रवण नदियों से अतिरिक्त पानी को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है, ताकि पानी की उपलब्धता संतुलित हो सके।
- उदाहरण: केन-बेतवा लिंक परियोजना, एक प्रमुख पहल, बुंदेलखंड क्षेत्र में जल सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- जलाशय निर्माण:
- जलाशय भारी वर्षा के दौरान अतिरिक्त जल को संगृहीत करते हैं तथा नीचे की ओर बाढ़ की तीव्रता को नियंत्रित करने के लिये इसे धीरे-धीरे छोड़ते हैं।
- उदाहरण: सतलुज नदी पर बना भाखड़ा नांगल बाँध बाढ़ नियंत्रण, बिजली उत्पादन और सिंचाई में मदद करता है।
- तटीय बाढ़ प्रबंधन:
- मैंग्रोव तूफानी लहरों और तटीय बाढ़ के विरुद्ध प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं, जैसा कि वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान देखा गया था।
- केंद्रीय बजट 2023-24 में शुरू की गई MISHTI पहल भारत के तटों पर बड़े पैमाने पर मैंग्रोव वृक्षारोपण को बढ़ावा देती है।
- बाढ़ पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणाली:
- ये प्रणालियाँ बाढ़ की भविष्यवाणी करने और समय पर चेतावनी जारी करने के लिये मौसम संबंधी और जल विज्ञान संबंधी आँकड़ों का उपयोग करती हैं।
- उदाहरण: केंद्रीय जल आयोग (CWC) देशभर में पूर्वानुमान केंद्रों का नेटवर्क संचालित करता है जो दैनिक बाढ़ बुलेटिन जारी करता है।
- बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग:
- इसमें बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में भूमि उपयोग को विनियमित करना शामिल है, ताकि संवेदनशीलता को कम किया जा सके और आर्द्रभूमि जैसे प्राकृतिक बाढ़ अवशोषक को संरक्षित किया जा सके।
- उदाहरण: NDMA के बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग दिशानिर्देश भूमि को चार जोखिम-आधारित क्षेत्रों में वर्गीकृत करते हैं- निषिद्ध, प्रतिबंधित, विनियमित और मुक्त।
- बाढ़ बीमा योजनाएँ:
- बाढ़ बीमा प्रीमियम के बदले में नुकसान की भरपाई प्रदान करता है, जिससे जोखिम न्यूनीकरण को प्रोत्साहन मिलता है।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली फसल हानि को कवर करती है।
बारगी बाँध
परिचय:
- बारगी बाँध, जो जबलपुर में स्थित है, नर्मदा नदी पर बने 30 बाँधों में से एक प्रमुख बाँध है।
- यह जबलपुर शहर और इसके आसपास के क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ:
- बाँध के आधार पर दो बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ- बरगी डायवर्ज़न प्रोजेक्ट और रानी अवंतीबाई लोढी सागर प्रोजेक्ट विकसित की गई हैं।
- इन परियोजनाओं ने क्षेत्र में कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया है और जल उपलब्धता में सुधार किया है।
उभरता हुआ पर्यटन स्थल:
- बरगी बाँध जबलपुर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है, जो अपने मनोरम दृश्यों और मनोरंजन की संभावनाओं के लिये पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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लाडली बहना योजना के तहत सहायता राशि बढ़ाई
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि दिवाली के बाद, लाडली बहना योजना की 1.27 करोड़ से अधिक महिला लाभार्थियों को 1,500 रुपए प्रति माह मिलना शुरू हो जाएगा, जो वर्तमान 1,250 रुपए से अधिक है।
मुख्य बिंदु
- लाडली बहना योजना के बारे में:
- इस योजना का शुभारंभ 10 जून 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया था।
- इसके तहत 23 से 60 वर्ष की आयु की विवाहित महिलाओं को शुरू में 1,000 रुपए की सहायता दी गई, जिसे बाद में बढ़ाकर 1,250 रुपए प्रति माह कर दिया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
- महिलाओं के लिये विशेष बजट आवंटन:
- सरकार ने महिला-केंद्रित योजनाओं के लिये 27,147 करोड़ रुपए का समर्पित बजट निर्धारित किया है, जिसमें से 18,699 करोड़ रुपए लाडली बहना योजना के लिये आवंटित किये गए हैं।
अन्य महिला-केंद्रित योजनाएँ:
- लाडली लक्ष्मी योजना के बारे में:
- वर्ष 2006 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं की शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करके उनका भविष्य सुरक्षित करना है।
- इसका उद्देश्य बालिकाओं के जन्म के प्रति सकारात्मक सामाजिक मानसिकता को बढ़ावा देना तथा लैंगिक भेदभाव को कम करना भी है।
- पात्रता मापदंड:
- इस योजना से उन माता-पिता को लाभ मिलता है जिन्होंने दो जीवित बच्चों के बाद परिवार नियोजन अपनाया है, जिससे जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित होता है।
- इस योजना के लिये पात्र होने के लिये परिवारों को आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकृत होना चाहिये तथा आयकर दाता नहीं होना चाहिये।
- वित्तीय लाभ:
- राज्य सरकार लड़की के जन्म से लेकर उसके नाम पर प्रतिवर्ष 6,000 रुपए मूल्य के राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र खरीदती है, जब तक कि कुल राशि 30,000 रुपए तक नहीं पहुँच जाती।
- जब लड़की 21 वर्ष की हो जाती है और यदि उसकी शादी 18 वर्ष की आयु से पहले नहीं हुई है, तो उसे योजना के तहत अंतिम लाभ के रूप में 1 लाख रुपए की एकमुश्त राशि मिलती है।
- उषा किरण योजना के बारे में:
- मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2006 में शुरू की गई उषा किरण योजना घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और कानूनी सहायता प्रदान करती है।
- यह घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 तथा वर्ष 2006 में अधिसूचित इसके नियमों के प्रावधानों के अंतर्गत कार्य करता है।
- मुख्य उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य पीड़ितों को शारीरिक, यौन, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक दुर्व्यवहार से बचाना है।
- इसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं और बच्चों के लिये न्याय, सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- लक्षित लाभार्थी:
- यह योजना वैवाहिक स्थिति पर ध्यान दिये बिना सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सहायता प्रदान करती है।
- इसमें 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे भी शामिल हैं, जो घरेलू हिंसा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।