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मिथिला सांस्कृतिक परिषद
चर्चा में क्यों?
जमशेदपुर में स्थित मिथिला सांस्कृतिक परिषद (मिथिला संस्कृति परिषद), मैथिली सलाहकार बोर्ड के तहत साहित्य अकादमी से संबद्ध होने वाला झारखंड का पहला संस्थान बन गया है।
- इस परिषद से अपेक्षा की जाती है कि यह राष्ट्रीय साहित्यिक प्रयासों के साथ समन्वय करते हुए क्षेत्र में मैथिली भाषा एवं साहित्य के संवर्द्धन, संरक्षण तथा समृद्धि में योगदान देगा।
- साहित्य अकादमी ने सलाहकार बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर पंजाबी, ओडिया, तमिल, अंग्रेज़ी और हिंदी से 22 पुस्तकों का मैथिली में अनुवाद करने की भी स्वीकृति दी है।
मुख्य बिंदु
- मैथिली सलाहकार बोर्ड के बारे में:
- साहित्य अकादमी का मैथिली सलाहकार बोर्ड एक समर्पित पैनल है, जो प्रमुख भारतीय भाषाओं को समर्थन देने हेतु अकादमी के प्रयासों के तहत मैथिली साहित्य की देखरेख और प्रचार-प्रसार करता है।
- साहित्य अकादमी भारत की राष्ट्रीय साहित्य अकादमी है, जो 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं को सहयोग प्रदान करती है और प्रत्येक भाषा के लिये पृथक सलाहकार बोर्ड गठित करती है।
- बोर्ड में प्रतिष्ठित मैथिली लेखक, आलोचक और विद्वान शामिल होते हैं, जो प्रकाशन हेतु पुस्तकों की अनुशंसा करते हैं, संगोष्ठियों का आयोजन करते हैं तथा मैथिली में साहित्यिक गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं।
- बोर्ड का कार्यकाल सामान्यतः पाँच वर्षों का होता है और इसके सदस्य मैथिली साहित्य जगत में महत्त्वपूर्ण योगदान के आधार पर नामित किये जाते हैं।
- यह बोर्ड मैथिली भाषा के लिये साहित्य अकादेमी पुरस्कार हेतु नामांकन में भी भूमिका निभाता है और भाषायी तथा साहित्यिक प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में योगदान देता है।
मैथिली भाषा
- मैथिली बिहार में बोली जाने वाली एक भाषा है, जो इंडो-आर्यन शाखा के पूर्वी उप-समूह से संबंधित है। भोजपुरी और मगधी इस भाषा से निकटता से संबंधित हैं।
- माना जाता है कि इस भाषा का विकास मगध प्राकृत से हुआ है।
- मध्यकाल में यह संपूर्ण पूर्वी भारत की साहित्यिक भाषा थी।
- इसे 14वीं शताब्दी में कवि विद्यापति ने लोकप्रिय बनाया और साहित्य में इसकी महत्ता को सुदृढ़ किया।
- मैथिली भाषा को वर्ष 2003 में संवैधानिक दर्जा दिया गया और यह संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से एक बन गई।