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विश्व आदिवासी दिवस
चर्चा में क्यों?
विश्व आदिवासी दिवस या विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, मध्य प्रदेश डाक विभाग ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (IGRMS) के सहयोग से तीन दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
मुख्य बिंदु
- विश्व आदिवासी दिवस के बारे में:
- दिसंबर 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस को मान्यता दिये जाने के बाद, इसे प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है।
- यह दिवस वर्ष 1982 में जिनेवा में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- 2025 का विषय:
- "स्वदेशी लोग और AI: अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना।"
- विश्व स्तर पर स्वदेशी लोगों से संबंधित मुख्य तथ्य:
- अनुमान है कि विश्व के 90 देशों में 476 मिलियन मूल निवासी रहते हैं।
- वे विश्व की जनसंख्या का 6% से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में कम-से-कम 15% हिस्सा उनका है।
- वे विश्व की अनुमानित 7,000 भाषाओं में से अधिकांश बोलते हैं तथा 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2025 इक्वेटर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 2025 इक्वेटर पुरस्कार के लिये चुने गए दस स्वदेशी नेतृत्व वाले, समुदाय-आधारित संगठनों की घोषणा की है तथा उनके पर्यावरण-केंद्रित समाधानों को मान्यता दी है, जो इस वर्ष के पुरस्कार विषय, "जलवायु कार्रवाई के लिये प्रकृति" के अनुरूप हैं।
- विजेताओं में से एक, भारत की बिबिफातिमा स्व सहाय, बहु-फसल, बीज बैंकों और सौर ऊर्जा प्रसंस्करण के माध्यम से गाँव के किसानों का समर्थन करती हैं तथा पारंपरिक ज्ञान को पुनर्योजी कृषि तथा नवीकरणीय ऊर्जा के साथ मिश्रित करती हैं।
भारत में आदिवासियों से संबंधित प्रमुख तथ्य
- भारत में, 'आदिवासी' शब्द का तात्पर्य विभिन्न जातीय और जनजातीय समूहों से है, जिन्हें आदिवासी आबादी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- अनुसूचित जनजाति (एसटी) वे स्वदेशी समुदाय हैं, जिन्हें सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा और समर्थन के लिये मान्यता दी गई है।
- 2011 की जनगणना के अनुसार ये पैतृक समूह भारत की सामान्य जनसंख्या का लगभग 8.6% हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 104 मिलियन है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- लोकुर समिति (1965) के अनुसार, जनजातियों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- आदिम लक्षणों का संकेत
- विशिष्ट संस्कृति
- बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
- भौगोलिक अलगाव
- पिछड़ापन
- लोकुर समिति (1965) के अनुसार, जनजातियों की मुख्य विशेषताएँ हैं:
- अनुसूचित जनजातियों के लिये संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 15(4): अन्य पिछड़े वर्गों (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ भी शामिल हैं) की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण (इसमें अनुसूचित जनजातियाँ भी शामिल हैं)
- अनुच्छेद 46: राज्य कमज़ोर वर्गों (अनुसूचित जनजातियों सहित) का कल्याण सुनिश्चित करेगा तथा उन्हें अन्याय और शोषण से बचाएगा।
- अनुच्छेद 275: अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और प्रशासन को बढ़ाने के लिये केंद्र सरकार से राज्य सरकार को विशेष निधि का आवंटन।
- अनुच्छेद 350: विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण का अधिकार।
- अनुच्छेद 330 और 332: लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण।


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विश्व शेर दिवस 2025
चर्चा में क्यों?
10 अगस्त 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने गुजरात वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग से गुजरात के द्वारका ज़िले स्थित बरदा वन्यजीव अभयारण्य में विश्व शेर दिवस का आयोजन किया।
- यह कार्यक्रम एशियाई सिंह (Panthera leo persica) के संरक्षण हेतु चलाये जा रहे प्रोजेक्ट लायन के अंतर्गत प्राप्त उपलब्धियों के उत्सव के रूप में आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- शेर गणना
- मई 2025 के शेर गणना अनुमान (16वीं जनगणना) के अनुसार गुजरात में शेरों की संख्या वर्ष 2020 से 32% बढ़ी है, जो 674 से बढ़कर 891 हो गई है।
- बर्दा वन्यजीव अभयारण्य जो बड़े गिर शेर परिदृश्य का हिस्सा है, 17 एशियाई शेरों का आवास है।
- प्रोजेक्ट लायन के बारे में
- यह गुजरात के गिर परिदृश्य में एशियाई शेरों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिये वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया।
- लक्षित क्षेत्र: आवास सुधार, पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य और मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन।
- प्रयुक्त प्रौद्योगिकियाँ:
- रेडियो कॉलर और कैमरा ट्रैप: शेर की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये।
- GPS ट्रैकिंग: शेरों और वाहनों की प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने हेतु।
- स्वचालित सेंसर ग्रिड: इसमें वन्यजीव ट्रैकिंग के लिये चुंबकीय, गति और अवरक्त ताप सेंसर शामिल हैं।
- GIS-आधारित वास्तविक समय निगरानी: समयबद्ध विश्लेषण और संरक्षण प्रबंधन को सक्षम बनाने हेतु।
शेरों के बारे में मुख्य तथ्य
- शेर को दो उप-प्रजातियों में विभाजित किया गया है: अफ्रीकी शेर (Panthera leo leo) और एशियाई शेर (Panthera leo persica)।
- एशियाई शेर अफ्रीकी शेरों से थोड़े छोटे होते हैं।
- विशेषताएँ:
- शेर अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिये जाने जाते हैं, जिसमें नर शेरों में गहरे भूरे रंग का फर, गुच्छेदार पूँछ और अयाल शामिल हैं।
- ये सामाजिक प्राणी हैं और प्राइड नामक समूहों में रहते हैं। एक प्राइड में सामान्यतः कई मादाएँ, उनके शावक तथा कुछ वयस्क नर शामिल होते हैं।
- वितरण और आवास:
- शेर उप-सहारा अफ्रीका में पाये जाते हैं, जबकि एक छोटी आबादी भारत के गिर राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट:
- अफ्रीकी सिंह — सुभेद्य (वैश्विक स्तर पर)
- एशियाई सिंह — सुभेद्य
- IUCN ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ असेसमेंट: शेर: लार्जली डिप्लीटेड श्रेणी
- CITES: भारत की आबादी- परिशिष्ट-I; अन्य सभी आबादियाँ- परिशिष्ट-II
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I और IV
- IUCN रेड लिस्ट:
- भारत में संरक्षण प्रयास:


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केन्या में निद्रा रोग का उन्मूलन
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आधिकारिक रूप से केन्या को मानव अफ्रीकी ट्रिपानोसोमायसिस, जिसे आमतौर पर निद्रा रोग के नाम से जाना जाता है, से मुक्त प्रमाणित किया है।
- इस उपलब्धि के साथ, केन्या विश्व स्तर पर इस रोग को समाप्त करने वाला दसवाँ देश बन गया है।
- यह केन्या में समाप्त किया गया दूसरा उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है; इससे पहले वर्ष 2018 में देश को WHO द्वारा गिनी कृमि रोग मुक्त प्रमाणित किया गया था।
मुख्य बिंदु
निद्रा रोग के बारे में:
- निद्रा रोग त्सेत्से मक्खियों द्वारा प्रसारित प्रोटोजोआ परजीवियों के कारण होता है।
- इस रोग के प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और जोड़ों में दर्द शामिल हैं।
- उन्नत चरणों में रोगी को तंत्रिका संबंधी प्रभाव, नींद के पैटर्न में व्यवधान, भ्रम और व्यवहारिक परिवर्तन की समस्या होती है।
- निद्रा रोग उप-सहारा अफ्रीका में स्थानिक है।
- निद्रा रोग से मानव और मवेशियों दोनों की उत्पादकता में उल्लेखनीय कमी आती है, विशेषकर पूर्वी अफ्रीका के मासाई जनजाति द्वारा पाले जाने वाले ज़ेबू मवेशियों में।
भारत द्वारा रोग का उन्मूलन
- भारत ने चेचक (1980), पोलियो (2014), प्लेग, रिंडरपेस्ट (मवेशी प्लेग), यॉज और मातृ एवं नवजात टेटनस (2015), ट्रेकोमा (2024) का उन्मूलन कर दिया है।
- भारत को वर्ष 2000 में विश्व स्वास्थ्य संगठन से गिनी कृमि रोग मुक्त प्रमाणन का दर्जा प्राप्त हुआ।
भारत में उन्मूलन के लिये लक्षित रोग
- मलेरिया: वर्ष 2030 तक देश में स्थानीय संक्रमण के शून्य मामले लाना।
- लिंफैटिक फाइलेरियासिस (LF): स्थानिक क्षेत्रों में <1% माइक्रोफाइलेरिया दर प्राप्त करना (2030 तक उन्मूलन)।
- कालाज़ार: ब्लॉक स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 से कम वार्षिक मामले दर्ज करना।
- प्रमाणीकरण के लिये 3 वर्ष तक निरंतर निष्कासन की आवश्यकता होती है।
- टीबी (Tuberculosis): राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत वर्ष 2025 तक टीबी समाप्त करना।


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आगरा में शिवाजी स्मारक
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने आगरा के कोठी मीना बाज़ार में छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित स्मारक निर्माण की अपनी योजना को आधिकारिक रूप से घोषित किया है, जो पर्यटन और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- उत्तर प्रदेश सरकार इस परियोजना का पूर्ण वित्तपोषण करेगी, इसमें कोई बाहरी सहयोग नहीं लिया जाएगा।
- परियोजना का निर्माण उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जाएगा।
- सरकार सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सटीकता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्मारक तथा संग्रहालय पर काम शुरू करने की तैयारी कर रही है।
- आगरा के प्रमुख स्मारक और उनके निर्माता
- आगरा की स्थापना लोदी वंश के सुल्तान सिकंदर लोदी ने 1504 में की थी।
- आगरा किला
- निर्माता: अकबर (प्रारंभिक निर्माण), शाहजहाँ (प्रमुख संरचनाएँ)
- प्रमुख इमारतें:
- मोती मस्जिद: शाहजहाँ द्वारा निर्मित
- दीवान-ए-आम (जनता के लिये हॉल): शाहजहाँ द्वारा निर्मित
- दीवान-ए-खास (निजी दर्शकों का हॉल): शाहजहाँ द्वारा निर्मित
- जहाँगीरी महल: अकबर द्वारा निर्मित
- शीश महल (तुर्की स्नानगृह): शाहजहाँ द्वारा निर्मित
- उद्यान: चारबाग शैली में निर्मित, मुगल वास्तुकला की विशिष्टता
- एत्मादुद्दौला का मकबरा
- निर्माता: नूरजहाँ (जहाँगीर की पत्नी)
- विशिष्टता: पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बनी पहली मुगल संरचना।
- ताजमहल (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
छत्रपति शिवाजी महाराज
- 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी किले में जन्मे, भोंसले वंश के एक दूरदर्शी शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, जिन्हें मुगल साम्राज्य का विरोध करने तथा स्वशासन के लिये प्रयास करने के लिये जाना जाता है।
- प्रमुख युद्ध: प्रतापगढ़ का युद्ध, पवन खिंड का युद्ध, सूरत की लूट, पुरंदर का युद्ध, सिंहगढ़ का युद्ध और संगमनेर का युद्ध।
- वाघ नख का उपयोग: शिवाजी ने वर्ष 1659 में प्रतापगढ़ की लड़ाई में अफज़ल खान को मारने के लिये वाघ नख का उपयोग किया था।
- उपाधियाँ: छत्रपति, शाककर्त्ता, क्षत्रिय कुलवंत, और हैंदव धर्मोद्धारक।
- प्रशासन: अष्टप्रधान (आठ मंत्रियों की परिषद) के साथ केंद्रीकृत प्रशासन, जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया, रैयतवाड़ी प्रणाली को लागू किया और तटीय रक्षा के लिये एक मज़बूत नौसेना बल का निर्माण किया।
- रणनीति: शिवाजी अपनी नवीन गुरिल्ला युद्ध रणनीति के लिये प्रसिद्ध हैं, जिसने परवर्ती शासकों को प्रभावित किया और मराठा सैन्य परिदृश्य को आकार दिया।


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रुद्रस्त्र - एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे ने भारत और एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी रुद्रस्त्र (4.5 किलोमीटर) के सफल परीक्षण के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
मुख्य बिंदु
- मालगाड़ी के बारे में:
- 7 अगस्त 2025 को, पूर्व मध्य रेलवे के पंडित दीन दयाल उपाध्याय (DDU) डिवीज़न ने उत्तर प्रदेश के चंदौली के गंजख्वाजा स्टेशन और झारखंड के गरहवा स्टेशन के बीच एक ट्रायल का संचालन किया, जिसमें 40.5 किमी/घंटा की औसत गति से 5 घंटे 10 मिनट में 209 किमी की दूरी तय की गई।
- 354 वैगनों वाली छह बॉक्सएन रेकों वाली यह ट्रेन सात इंजनों से संचालित थी, जिसमें दो इंजन आगे और हर 59 बोगियों के बाद एक इंजन था।
- प्रत्येक वैगन में लगभग 72 टन माल था, जो भारतीय रेल के इतिहास में एक बार में ले जाए गए सबसे बड़े माल भार को दर्शाता है।
- यह रेलगाड़ी गंजख्वाजा से सोननगर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) पर चली और फिर गढ़वा रोड तक सामान्य ट्रैक पर चली।
- महत्त्व:
- रुद्रास्त्र को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में चलाने से लॉजिस्टिक खर्चों में कमी, ट्रेन क्षमता में वृद्धि और भारत में माल परिवहन की गति एवं दक्षता में सुधार होगा।
- रुद्रास्त्र को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में चलाने से लॉजिस्टिक खर्चों में कमी, ट्रेन क्षमता में वृद्धि और भारत में माल परिवहन की गति एवं दक्षता में सुधार होगा।


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लखनऊ को ज्ञान नगरी के रूप में आसियान फोरम में आमंत्रित
चर्चा में क्यों?
लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों को स्वच्छता, हरित विकास और सतत् शहरी प्रबंधन में अपनी पहलों के लिये मान्यता प्राप्त होने के बाद, कुआलालंपुर में आयोजित आसियान गवर्नर्स एंड मेयर्स फोरम (AGMF) की बैठक में भाग लेने के लिये ‘नॉलेज सिटी’ के रूप में आमंत्रित किया गया।
मुख्य बिंदु
- AGMF के बारे में:
- AGMF, जिसे मूल रूप से वर्ष 2011 में आसियान मेयर फोरम (AMF) के रूप में जाना जाता था, की स्थापना आसियान एकीकरण में स्थानीय योगदान को उजागर करने के लिये की गई थी।
- वर्ष 2018 में, AMF को ASEAN से संबद्ध इकाई के रूप में मान्यता दी गई, क्योंकि ASEAN के सदस्य देशों ने इसके साझा लक्ष्यों और ASEAN के सामुदायिक निर्माण में योगदान को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया।
- प्रतिभागी:
- AGMF 10 अगस्त 2025 से 15 अगस्त 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें एशिया के गवर्नर, मेयर, शहरी विशेषज्ञ और अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे जर्मन कॉरपोरेशन फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (GIZ), यूनाइटेड सिटीज एंड लोकल गवर्नमेंट्स एशिया पैसिफिक (UCLG ASPAC) तथा एशिया तथा प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) एक साथ आ रहे हैं।
- उद्देश्य:
- इस फोरम का उद्देश्य शहरी प्रबंधन मॉडल, सतत् विकास, जलवायु कार्रवाई और नागरिक भागीदारी पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना है।
- मान्यता:
- लखनऊ उन छह भारतीय शहरों में से एक था जिन्हें इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में शहरी प्रबंधन में अपने अनुभव साझा करने के लिये चुना गया, जो स्थिरता और बेहतर शहरी प्रशासन की दिशा में इसकी यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
- कार्यक्रम के दौरान जिन प्रमुख परियोजनाओं पर प्रकाश डाला गया, उनमें शिवरी ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना के साथ-साथ अन्य पहल भी शामिल थीं।

