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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने मक्का खेती की ओर बढ़ते रुझान को रेखांकित किया

  • 18 Jun 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रगतिशील किसानों के बीच मक्का की खेती की ओर बढ़ती प्रवृत्ति को रेखांकित किया है, जिसका प्रमुख कारण इस फसल के आर्थिक लाभ, कम जल आवश्यकता तथा उच्च पोषणीय मूल्य को माना गया है।

मुख्य बिंदु

  • मक्का के बारे में मुख्य तथ्य:
    • मक्का को पानी की कम आवश्यकता होती है और यह महत्त्वपूर्ण पोषणीय लाभ प्रदान करता है, जिससे यह अनेक किसानों के लिये एक स्थायी विकल्प बन गया है।
    • मक्का की बुवाई के लिये आदर्श समय 15 जून से 15 जुलाई तक है। यदि सिंचाई उपलब्ध है, तो मई के अंत में बुवाई शुरू की जा सकती है , जिससे भारी बारिश शुरू होने से पहले जल्दी विकास हो सके।
    • आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने से मक्का की उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है।
    • वर्तमान में तमिलनाडु 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज के साथ अग्रणी है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो वृद्धि की पर्याप्त संभावनाओं को दर्शाता है।
      • परंपरागत रूप से मेंथा उत्पादन के लिये प्रसिद्ध बाराबंकी ज़िले में अब मक्का की खेती की ओर तीव्र रूप से झुकाव देखा जा रहा है।
    • मक्का को इसके प्रचुर पोषक तत्त्वों, जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज के कारण "अनाज की रानी" माना जाता है।
  • सरकारी समर्थन
    • राज्य सरकार ने किसानों के लिये क्विक मक्का विकास कार्यक्रम शुरू किया है तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की भी घोषणा की है।
    • वर्ष 2024-25 के लिये मक्का का MSP 2,225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
    • मक्का की खरीद 15 जून से 31 जुलाई तक विभिन्न ज़िलों में की जाएगी।
    • राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक मक्का उत्पादन को दुगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

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