उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया संक्रमण की दर में गिरावट हुई
- 15 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के 51 ज़िलों के 782 प्रभावित ब्लॉकों में से 544 (लगभग 70%) ब्लॉकों में फाइलेरिया संक्रमण की दर 1% से नीचे आ गई है। यह राज्य के फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में एक बड़ी उपलब्धि है।
- शेष 238 ब्लॉकों में प्रयास जारी हैं। राज्य का लक्ष्य वर्ष 2027 तक फाइलेरिया का पूर्ण उन्मूलन करना है। इस दिशा में निगरानी को सुदृढ़ करने, अंतर-विभागीय समन्वय बढ़ाने तथा ज़िलों के बीच फील्ड स्तर की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है।
फाइलेरियासिस से संबंधित प्रमुख तथ्य
- परिचय: फाइलेरियासिस एक परजीवी संक्रमण है जो सूक्ष्म, धागे जैसे कृमियों/कीड़ों (फाइलेरिया) द्वारा होता है जिन्हें फाइलेरिया कहा जाता है। यह संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है और विश्व भर के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
- कारण एवं संक्रमण:
- लिंफैटिक फाइलेरियासिस एक परजीवी रोग है जो फिलेरियोडिडिया परिवार के नेमाटोड्स (Roundworms) से होता है।
- इस रोग के लिये ज़िम्मेदार तीन मुख्य फाइलेरियल कृमि हैं:
- वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी: यह 90% मामलों के लिये ज़िम्मेदार है,
- ब्रुगिया मैलेई: यह शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है,
- ब्रुगिया टिमोरी: यह भी इस रोग का कारण बनता है।
- लक्षण: लिंफैटिक फाइलेरियासिस संक्रमण में लक्षणहीन, तीव्र और दीर्घकालिक अवस्थाएँ शामिल होती हैं।
- दीर्घकालिक अवस्था में, यह लसिका सूजन (lymphoedema) या हाथ-पाँव की सूजन/त्वचा एवं फीलपाँव या हाथीपाँव (Elephantiasis) और हाइड्रोसील (स्क्रोटल स्वेलिंग) का कारण बनता है।
- उपचार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) लिंफैटिक फाइलेरियासिस के वैश्विक उन्मूलन को तीव्र करने हेतु तीन दवा वाले उपचार की अनुशंसा करता है। इसे ट्रिपल ड्रग थेरैपी (IDA) कहा जाता है, जिसमें आइवरमेक्टिन (Ivermectin), डाइएथिलकार्बामाज़ीन साइट्रेट (Diethylcarbamazine citrate) और अल्बेंडाज़ोल (Albendazole) का संयोजन शामिल होता है।