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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर में 256 अपराधी ढेर

  • 15 Oct 2025
  • 25 min read

चर्चा में क्यों?


मिशन शक्ति 5.0 पहल के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधियों की धर-पकड़ की कार्रवाई तेज़ कर दी है।  इस क्रम में पिछले 20 दिनों में एनकाउंटर में कई कुख्यात अपराधियों को या तो मारा गया या गिरफ्तार किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: मिशन शक्ति 5.0 का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था बनाए रखना तथा पुलिस में जनता का विश्वास दृढ़ करना है। यह सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति शून्य-सहनशीलता नीति को जारी रखता है।
  • कानून और व्यवस्था का रिकॉर्ड (2017-25): वर्ष 2017 से उत्तर प्रदेश पुलिस ने 15,726 एनकाउंटर किये, जिनके परिणामस्वरूप:
    • 256 कुख्यात अपराधी मारे गए हुए
    • 31,960 अपराधी गिरफ्तार और 10,324 घायल हुए
    • 18 पुलिसकर्मी शहीद और 1,754 घायल हुए
  • क्षेत्रवार आँकड़े (Zone-Wise Data):
    • मेरठ ज़ोन: 4,453 एनकाउंटर, 8,312 गिरफ्तारी, 85 मारे गए, 3,131 घायल (2 पुलिस शहीद, 461 घायल)
    • वाराणसी ज़ोन: 1,108 एनकाउंटर, 2,128 गिरफ्तारी, 27 मारे गए, 688 घायल
    • आगरा ज़ोन: 2,374 एनकाउंटर, 5,631 गिरफ्तारी, 22 मारे गए, 816 घायल
    • लखनऊ ज़ोन: 846 एनकाउंटर, 17 अपराधी मारे गए 
    • प्रयागराज ज़ोन: 572 एनकाउंटर, 10 अपराधी मारे गए 
  • अतिरिक्त उपाय:
    • गैंगस्टर एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) और संपत्ति ज़ब्ती कानून का उपयोग संगठित अपराध सिंडिकेट्स के विरुद्ध किया गया।
    • लगातार चलाए जा रहे अभियान का उद्देश्य आपराधिक नेटवर्क को तोड़ना और माफियाओं के वित्तीय संसाधनों को बाधित करना है।
    • सरकार की रणनीति का मार्गदर्शन “एक अपराधी या तो कारावास में रहेगा या राज्य से बाहर’’ (A criminal will either be in jail or out of the state) सिद्धांत करता है।
  • प्रभाव:
    • इस अभियान से अपराध दर में उल्लेखनीय कमी आई और राज्य में सुरक्षा की भावना को बल मिला
    • इसने जनता का कानून-व्यवस्था में विश्वास पुनर्स्थापित किया और उत्तर प्रदेश की सुरक्षित और भय-मुक्त राज्य की छवि को सुदृढ़ किया।

भारत में पुलिस एनकाउंटर से संबंधित दिशा-निर्देश

  • सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश (2014): पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (People’s Union for Civil Liberties) बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस एनकाउंटर में हुई मृत्यु में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने सभी एनकाउंटर मृत्यु के मामलों में FIR दर्ज करना और मजिस्ट्रियल जाँच करवाना अनिवार्य किया, ताकि कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित हो सके।
    • मृतक के निकटतम संबंधियों (Next of Kin) को जाँच प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिये, ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।
    • जाँच को स्वतंत्र एजेंसी जैसे कि अपराध अन्वेषण विभाग (CID) द्वारा किया जाना चाहिये, ताकि पक्षपात से बचा जा सके और हित संघर्ष (conflict of interest) रोका जा सके
  • NHRC दिशा-निर्देश (1997 और 2010):
    • वर्ष 1997: NHRC ने एनकाउंटर मृत्यु के मामलों के पंजीकरण, राज्य CID द्वारा स्वतंत्र जाँच और यदि पुलिस दोषी पाई गई तो निर्भर व्यक्तियों को मुआवज़ा प्रदान करने का निर्देश दिया।
    • वर्ष 2010 (संशोधन): एनकाउंटर मृत्यु की सूचना NHRC को 48 घंटे के भीतर देना अनिवार्य किया गया और तीन महीने के भीतर विस्तृत फॉलो-अप रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें पोस्टमार्टम, इनक्वेस्ट और जाँच निष्कर्ष शामिल हों।
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