छत्तीसगढ़
PEKB छत्तीसगढ़ की पहली सौर ऊर्जा चालित कोयला खदान बनी
- 19 Jun 2025
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चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ स्थित परसा ईस्ट और कांता बासन (PEKB) कोयला खदान राज्य की पहली ऐसी खदान बन गई है, जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित होकर ऊर्जा के क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त कर रही है।
मुख्य बिंदु
- PEKB खदान के बारे में:
- परसा ईस्ट और कांता बासन (PEKB) कोयला खदान, बिजली उत्पादन हेतु कोयला आपूर्ति में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे लगभग 80 मिलियन उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है।
- PEKB में स्थापित सौर संयंत्र से आने वाले 25 वर्षों में अनुमानतः 4 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की सम्भावना है, जो 25 लाख पेड़ लगाने के बराबर मानी जाती है।
- पर्यावरणविदों के अनुसार, यह पहल ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसमें कोयला खनन को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों से जोड़ा गया है।
- परसा ईस्ट और कांता बासन (PEKB) कोयला खदान, बिजली उत्पादन हेतु कोयला आपूर्ति में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे लगभग 80 मिलियन उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है।
- छत्तीसगढ़ में कोयला भंडार:
- यह राज्य भारत के कुल कोयला भंडार का लगभग 16% हिस्सा रखता है, जिससे यह कोयला संसाधनों की दृष्टि से सबसे समृद्ध राज्यों में गिना जाता है।
- कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है और यह भारत के कुल उत्पादन में 18% से अधिक का योगदान देता है।
- इनमें से अधिकांश भंडार बिजली उत्पादन के लिये उपयुक्त पावर-ग्रेड कोयले के हैं।
- अनुमानतः राज्य के 12 कोयला क्षेत्रों में 44,483 मिलियन टन कोयले की पहचान की गई है, जो मुख्यतः रायगढ़, सरगुजा, कोरिया और कोरबा ज़िलों में स्थित हैं।
- छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदानें वैश्विक स्तर पर दूसरे और चौथे स्थान पर रहीं।
- कोरबा ज़िले में स्थित ये दोनों खदानें संयुक्त रूप से प्रति वर्ष 100 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन करती हैं, जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10% है।
- इन खदानों में विस्फोट-मुक्त संचालन के लिये सतही खनन मशीनों जैसी उन्नत और पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया जाता है।