हरियाणा
चंडीगढ़ में ततैया की नई प्रजाति की खोज
- 09 Jun 2025
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चर्चा में क्यों?
चंडीगढ़ में एक नए परजीवी ततैया की प्रजाति लॉसग्ना ऑक्सीडेंटलिस (Losgna occidentalis) की खोज की गई है, जो भारत में लॉसग्ना वंश की लगभग 60 के वर्षों बाद पुनः खोज को चिह्नित करती है।
मुख्य बिंदु
- खोज के बारे में:
- यह ततैया परजीवी इक्नीमोनिडी (Ichneumonidae) कुल से संबंधित है, जो अन्य संधिपाद प्राणियों (आर्थोपोडा) के ऊपर या उनके भीतर अंडे देने के लिये जाना जाता है।
- हेनरिक के वर्ष 1965 के मोनोग्राफ के बाद से भारत में लॉसग्ना वंश को दर्ज नहीं किया गया था।
- वर्ष 1965 के बाद किसी भी भारतीय संस्था के पास लॉसग्ना से संबंधित अभिलेख, नमूने या साहित्य उपलब्ध नहीं था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूर्वोत्तर भारत में अपने ज्ञात क्षेत्र से लुप्त हो चुका था।
- इसे वर्ष 2023-24 की सर्दियों के दौरान चंडीगढ़ में एक खिड़की पर खोजा गया। पश्चिमी भारत में इसके स्थान को दर्शाने के लिये इस प्रजाति का नाम लॉसग्ना ऑक्सीडेंटलिस रखा गया।
- इससे पूर्व, यह प्रजाति केवल पूर्वी भारत एवं समीपवर्ती दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय वन क्षेत्रों में ही देखी गई थी।
- ऐतिहासिक नमूने:
- इस खोज से पहले लॉसग्ना के एकमात्र ज्ञात नमूने निम्नलिखित स्थानों पर संरक्षित किये गये थे:
- प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, लंदन
- द होप कलेक्शन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी
- जूलॉजिकल स्टेट कलेक्शन म्यूनिख (ZSM), म्यूनिख
- इस खोज से पहले लॉसग्ना के एकमात्र ज्ञात नमूने निम्नलिखित स्थानों पर संरक्षित किये गये थे:
- वैज्ञानिक एवं संरक्षण महत्त्व:
- वर्गीकरण पुनरुद्धार: विस्मृत लॉसग्ना वंश के अध्ययन को पुनर्जीवित करता है तथा जैवविविधता संरक्षण में वर्गीकरण की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देता है।
- हाइमनोप्टेरा का महत्त्व: इस समूह के तितैया परागणकर्त्ता और जैविक नियंत्रण एजेंट के रूप में कार्य करते हैं तथा पारिस्थितिक संतुलन में योगदान देते हैं।
- शहरी जैवविविधता पर प्रकाश: यह खोज शहरी आवासों की समृद्ध जैवविविधता को उजागर करती है, यहाँ तक कि ऐसे आवासों की भी जिन्हें क्षीण माना जाता है, जैसे शुष्क झाड़ीदार वन।
हाइमनोप्टेरा
- हाइमेनोप्टेरा, कीट जिन्हें सामान्यतः चींटियाँ, मधुमक्खियाँ, ततैया और सॉफ्लाई के नाम से जाना जाता है, अधिकांश स्थलीय आवासों में कशेरुकी जीवों की विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- यह कीड़ों के चार विशाल-विविध वर्गों में से एक है, जिनमें कोलेओप्टेरा (भृंग), डिप्टेरा (मक्खियाँ) और लेपिडोप्टेरा (पतंगे एवं तितलियाँ) भी शामिल हैं।