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नए डायरिया का कारण बनने वाला परजीवी: एंटअमीबा मोशकोव्स्की

  • 18 Jul 2023
  • 5 min read

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंटरिक डिज़ीज़ (ICMR-NICED) के हालिया तीन वर्ष के अध्ययन से कोलकाता में डायरिया फैलाने वाले प्रमुख रोगजनक के रूप में एंटअमीबा मोशकोवस्की (E. moshkovskii) के उद्भव का पता चला है।

  • पहले का गैर-रोगजनक अमीबा, एंटअमीबा मोशकोव्स्की अब अमीबिक संक्रमण का प्राथमिक कारण बन गया है, जो एक समय के प्रमुख  रोगजनक E.हिस्टोलिटिका से आगे निकल गया है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष: 

  • एंटअमीबा मोशकोव्स्की की व्यापकता:  
    • अध्ययन में पाया गया कि डायरिया से पीड़ित 3% से अधिक रोगी, E.मोशकोवस्की से संक्रमित थे, जिससे यह कोलकाता में अमीबिक संक्रमण का प्रमुख कारण बन गया।
  • E.हिस्टोलिटिका में गिरावट:
    • पिछले प्रमुख अमीबा रोगजनक E.हिस्टोलिटिका के कारण होने वाले संक्रमण में कमी आई है, जबकि E.मोशकोवस्की के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • विचित्र मौसमी प्रारूप:  
    • एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के विपरीत यह संक्रमण आमतौर पर आर्द्र मौसम के दौरान चरम पर होता है और शुष्क मौसम के दौरान कम हो जाता है। कोलकाता में एंटअमीबा मोशकोव्स्की संक्रमण ने गर्मी एवं पतझड़ के बाद के मौसम के साथ मेल खाते हुए दो अलग-अलग संक्रमण के चरम स्तर को प्रदर्शित किया है।
  • विशिष्ट आयु वर्ग में प्रचलित:  
    • एंटअमीबा मोशकोव्स्की संक्रमण 5-12 वर्ष की आयु के बच्चों में सबसे अधिक प्रचलित है। 
  • रोगजनक क्षमता:  
    • अध्ययन से पता चलता है कि एंटअमीबा मोशकोव्स्की एक "संभावित" रोगजनक के रूप में कार्य कर सकता है जो केवल मानव आँत का एक घटक होने के बजाय दस्त और जठरांत्र संबंधी विकारों का कारण बन सकता है।
  • आणविक पहचान:  
    • एंटअमीबा हिस्टोलिटिका और एंटअमीबा मोशकोवस्की के बीच रूपात्मक समानता के कारण दोनों के बीच अंतर करने के लिये PCR-आधारित आणविक पहचान का उपयोग किया गया था। 
      • अमीबीय परजीवियों के कारण होने वाले डायरिया के 50% से अधिक मामलों में एंटअमीबा मोशकोव्स्की की पहचान की गई थी।

एंटअमीबा मोशकोव्स्की: 

  • परिचय: 
    • यह एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के समान प्रजाति से संबंधित है लेकिन इसमें विशिष्ट आनुवंशिक और जैव रासायनिक लक्षण पाए जाते हैं। 
    • मूल रूप से वर्ष 1941 में मास्को में इसे सीवेज से अलग किया गया। 
    • यह मृदा, जल और जानवरों में पाया जाता है। 
  • लक्षण:
    • डायरिया, पेट दर्द, बुखार और निर्जलीकरण जैसी समस्याओं का कारण बनता है।
    • यह आँतों को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे अल्सर, रक्तस्राव या यहाँ तक कि लीवर में संक्रमण जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं।
  • संक्रमण: 
    • व्यक्ति दूषित भोजन या दूषित जल पीने से संक्रमित हो सकते हैं।
    • मल के सीधे संपर्क से भी संक्रमण फैल सकता है। 
  • निदान चुनौतियाँ:
    • माइक्रोस्कोप से देखने पर यह एंटअमीबा हिस्टोलिटिका जैसा दिखता है, इसलिये इन्हें अलग करना मुश्किल है।
    • सटीक पहचान के लिये PCR या DNA अनुक्रमण जैसे विशेष परीक्षणों की आवश्यकता होती है।
  • उपचार: 
    • एंटअमीबा मोशकोव्स्की के कारण होने वाले संक्रमण का उपचार करना मुश्किल हो सकता है।
    • अमीबिक संक्रमण में उपयोग की जाने वाली सामान्य दवाएँ अच्छी तरह से काम नहीं करती हैं। 
    • सर्वोत्तम उपचार के विकल्प खोजने के लिये अधिक शोध की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू 

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