उत्तर प्रदेश
लोक संवर्द्धन पर्व
- 26 Aug 2025
- 24 min read
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा लोक संवर्द्धन पर्व का पाँचवाँ संस्करण 26 अगस्त से 4 सितंबर, 2025 तक कोच्चि (केरल) में आयोजित किया जा रहा है।
- यह केरल में आयोजित होने वाला पहला लोक संवर्द्धन पर्व होगा। इसमें देशभर से 100 से अधिक शिल्पकार तथा 15 खाद्य कला-विशेषज्ञ भाग लेंगे।
मुख्य बिंदु
- लोक संवर्द्धन पर्व अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के कारीगरों, शिल्पकारों, बुनकरों, खाद्य कला विशेषज्ञों और उद्यमियों को बाज़ार संपर्क तथा राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का अवसर प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना है।
- उद्देश्य: इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की समृद्ध विविधता का उत्सव मनाना तथा अल्पसंख्यक समुदायों को अपने कला, शिल्प और पाक-कौशल को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच उपलब्ध कराना है। यह पहल अल्पसंख्यक समुदायों के बीच समावेशी विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- शिल्प: इस महोत्सव में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक शिल्प प्रदर्शित किये जाएंगे, जिनमें सम्मिलित हैं:
शिल्प/कला |
क्षेत्र |
ज़री और चिकनकारी |
उत्तर प्रदेश |
फूलकारी कढ़ाई |
पंजाब |
मधुबनी पेंटिंग |
बिहार |
ब्लू पॉटरी |
राजस्थान |
पश्मीना बुनाई |
लद्दाख |
बस्तर लौह शिल्प |
छत्तीसगढ़ |
चन्नपटना लकड़ी के खिलौने |
कर्नाटक |
नेट्टिपट्टम निर्माण |
केरल |
भारत के अल्पसंख्यक समुदाय
- अल्पसंख्यक समुदाय:
- केंद्र सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (NCMA), 1992 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा निर्धारित करती है।
- इसके अंतर्गत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन (वर्ष 2014 में जोड़े गए) और पारसी को आधिकारिक रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में मान्यता दी जाती है।
- जनगणना 2011 के अनुसार ये भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 19.3% हैं।
- अधिकांश राज्य केंद्रीय सूची का पालन करते हैं, किंतु महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों की अपनी सूची भी हो सकती है (उदाहरणार्थ, महाराष्ट्र में यहूदी अधिसूचित अल्पसंख्यक हैं)।
- संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित रखने का अधिकार प्रदान करता है तथा धर्म, वंश, जाति या भाषा के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार देता है।
- अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा हेतु संस्थाएँ:
- अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय: वर्ष 2006 में स्थापित, यह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से अलग होकर गठित हुआ। इसका उद्देश्य भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये कार्यक्रमों का समन्वय करना है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM): NCMA, 1992 के तहत गठित यह आयोग संविधान और संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों के अनुरूप अल्पसंख्यक समूहों के हितों की रक्षा करता है।