उत्तर प्रदेश
काशी विश्वनाथ धाम प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र
- 21 Aug 2025
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चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2025 से काशी विश्वनाथ धाम को आधिकारिक तौर पर प्लास्टिक-मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- मंदिर परिसर में प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के लिये कई उपाय लागू किये गये, जिससे यह सतत् विकास और पर्यावरण-मित्रता का आदर्श उदाहरण बन गया।
- पहल और प्रतिबंध:
- श्रावण मास से पूर्व एकल-उपयोग प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद, काशी विश्वनाथ धाम प्रशासन ने जल ले जाने हेतु प्रयुक्त प्लास्टिक बर्तनों, प्रसाद के लिये दूध, फूल और अन्य पूजा सामग्री ले जाने हेतु प्रयुक्त प्लास्टिक की टोकरियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
- पर्यावरण अनुकूल विकल्प:
- इस पहल को समर्थन देने के लिये विक्रेताओं को धातु के बर्तनों के साथ-साथ बाँस की पट्टियों और स्टेनलेस स्टील से बनी पर्यावरण-अनुकूल टोकरियाँ उपलब्ध कराई गईं।
काशी विश्वनाथ मंदिर
- स्थान: वाराणसी, गंगा नदी (भारत की सबसे पवित्र नदी) के पश्चिमी तट पर।
- महत्त्व:
- भारत के सबसे प्राचीन नगर और सांस्कृतिक राजधानी का प्रतीक।
- यहाँ भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग ‘विश्वेश्वर’ (विश्वनाथ) विराजमान है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- यह मंदिर आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गोस्वामी तुलसीदास, महर्षि दयानंद सरस्वती, गुरु नानक आदि महान संतों का आध्यात्मिक केंद्र रहा है।
- मंदिर निर्माण:
- वर्ष 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित।
- वर्ष 1785 में मोहम्मद इब्राहीम खाँ ने (गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के आदेश पर) ‘नौबतखाना’ (नक्कारखाना) का निर्माण कराया।
- वर्ष 1839 में महाराजा रणजीत सिंह ने दो गुंबदों को स्वर्ण मंडित करने हेतु स्वर्ण दान दिया; तीसरा गुंबद आज भी आच्छादित नहीं है।