उत्तर प्रदेश
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस और उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि
- 29 Jul 2025
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चर्चा में क्यों?
प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ITD) के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति सजगता तथा प्रतिबद्धता को पुनः स्मरण कराना है।
मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस बारे में:
- इसकी स्थापना वर्ष 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- यह शिखर सम्मेलन बाघों की संख्या में चिंताजनक गिरावट के बाद आयोजित किया गया था, उस समय वनों में लगभग 3,000 बाघ ही बचे थे।
- इस शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश, नेपाल, भारत और रूस सहित 13 बाघ-क्षेत्रीय राष्ट्र एक साथ आए, जिसका उद्देश्य बाघों की घटती संख्या की समस्या का समाधान करना था।
- इस सम्मेलन में Tx2 लक्ष्य निर्धारित किया गया, जिसका उद्देश्य 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करना था। यद्यपि इस लक्ष्य की प्राप्ति में चुनौतियाँ बनी रहीं, लेकिन इससे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की नींव रखी गई।
- इसकी स्थापना वर्ष 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2025 का विषय:
- स्थानीय समुदायों और आदिवासी जनों के सहयोग से बाघों का भविष्य सुरक्षित करना"
- पारिस्थितिकी तंत्र में बाघों की भूमिका:
- बाघ एक की-स्टोन प्रजाति (keystone species) हैं, जो शिकार प्रजातियों की जनसंख्या नियंत्रण में भूमिका निभाते हैं।
- बाघ-आधारित वन जल सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं और कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता मिलती है।
उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या
- बाघों की संख्या में वृद्धि:
- उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है (वर्ष 2018 में 173 से बढ़कर 2022 में 222 बाघ हो गए हैं।), जिसमें दुधवा टाइगर रिज़र्व जैसे प्रमुख अभ्यारण्य अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इस अभ्यारण्य में अब 135 बाघ हैं, जो वर्ष 2014 में 68 और वर्ष 2018 में 82 थे।
- अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में पीलीभीत (63 बाघ), अमानगढ़ (20 बाघ) और रानीपुर (4 बाघ) शामिल हैं।
- राज्य में बाघ संरक्षण की सफलता का श्रेय कई कारकों को दिया जाता है, जिनमें बेहतर आवास प्रबंधन, आधुनिक गश्त प्रणाली और बाघ मित्र जैसी पहल के माध्यम से अधिक सामुदायिक भागीदारी शामिल है।
- बाघ मित्र पहल:
- वर्ष 2019 में शुरू की गई बाघ मित्र पहल ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वर्ष 2023 में, एक मोबाइल ऐप के साथ इस कार्यक्रम का विस्तार किया गया, जिससे वन कर्मियों और स्थानीय समुदायों के बीच त्वरित संचार संभव हो सका।
- इस पहल के तहत पीलीभीत में 120 से अधिक ग्रामीणों को बाघ मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जो व्हाट्सएप और आधिकारिक ऐप के माध्यम से जानवरों के देखे जाने की सूचना देने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- M-Stripes प्रणाली और गश्ती प्रबंधन:
- M-Stripes प्रणाली के अंतर्गत वन कर्मचारी दुधवा क्षेत्र में प्रतिमाह 1.5 लाख किमी से अधिक की गश्ती करते हैं।
- इस प्रणाली में वाहनों, नौकाओं, हाथियों, साइकिलों और पैदल गश्ती जैसे विभिन्न साधनों का उपयोग किया जाता है।