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मध्य प्रदेश

नीति आयोग की नवोन्वेषी कृषि पर राष्ट्रीय कार्यशाला में वर्चुअली शामिल हुए मुख्यमंत्री

  • 26 Apr 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

25 अप्रैल, 2022 को आज़ादी के अमृत महोत्सव में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नीति आयोग द्वारा नवोन्वेषी कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय से वर्चुअली शामिल हुए 

प्रमुख बिंदु 

  • प्रथम-सत्र नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. रवि कुमार की अध्यक्षता में हुआराज्यों में प्राकृतिक खेती पर हुए प्रथम तकनीकी-सत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी वर्चुअली अपने विचार रखे।  
  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन किया गया हैप्राकृतिक खेती अपनाने के लिये ग्राम स्तर तक वातावरण बनाने और इसमें किसानों की सहायता करने के लिये राज्य सरकार कई कदम उठा रही है।  
  • मध्य प्रदेश में 52 ज़िले हैंप्रारंभिक रूप से प्रत्येक ज़िले के 100 गाँव में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिये विशेष गतिविधियाँ संचालित की जाएँगीवर्तमान खरीफ की फसल से प्रदेश के 5,200 गाँव में प्राकृतिक खेती की गतिविधियाँ आरंभ होंगी।   
  • वातावरण-निर्माण के लिये प्रदेश में मई माह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में कृषि से जुड़े विभागों के अधिकारियों के लिये राज्यस्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगाअब तक प्रदेश के 1 लाख 65 हज़ार किसानों ने प्राकृतिक खेती में रुचि दिखाई है।  
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार हरित क्रांति के लिये किसानों को रासायनिक खाद पर सब्सिडी और अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई, उसी प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिये किसानों को प्रोत्साहन देना और सहयोग करना आवश्यक है।   
  • प्राकृतिक खेती के लिये देसी गाय आवश्यक हैदेसी गाय से ही प्राकृतिक खेती के लिये आवश्यक जीवामृत तथा धनजीवामृत बनाए जा सकते हैंप्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को देसी गाय रखने के लिये 900 रुपए प्रति माह अर्थात् 10 हज़ार 800 रुपए प्रतिवर्ष उपलब्ध कराए जाएँगेसाथ ही, प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिये किसानों को 75 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी।   
  • प्राकृतिक खेती के मार्गदर्शन के लिये प्रत्येक विकासखंड में 5 पूर्णकालिक कार्यकर्त्ताओं की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगीप्रत्येक गाँव में किसान मित्र और किसान दीदी की व्यवस्था भी होगी, जो प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य करेंगेकार्यकर्त्ताओं और मास्टर ट्रेनर को मानदेय भी दिया जाएगा।  
  • उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश प्राकृतिक खेती की दृष्टि से उपयुक्त है, यहाँ जनजातीय बहुल 17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में परंपरागत रूप से रासायनिक खाद का उपयोग नहीं होता है। 
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