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खुदीराम बोस जयंती

  • 04 Dec 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें वीरता, साहस और बलिदान का शाश्वत प्रतीक बताया।

मुख्य बिंदु

  • जन्म और प्रारंभिक जीवन: 
    • खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1889 को हबीबपुर गाँव, मिदनापुर ज़िले, पश्चिम बंगाल में हुआ था। 
    • वे अपने परिवार में इकलौते पुत्र थे, माता-पिता के निधन के कारण उन्हें बचपन में ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • प्रारंभिक प्रभाव:
  • विभाजन आंदोलन में भूमिका: 
    • वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के दौरान, वे एक सक्रिय स्वयंसेवक बन गए और मात्र 15 वर्ष की आयु में ब्रिटिश-विरोधी पर्चे बाँटने के कारण उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया।
  • अनुशीलन समिति में शामिल होना: 
    • वर्ष 1908 में, खुदीराम अरबिंदो और बारींद्र घोष के नेतृत्व वाले क्रांतिकारी समूह अनुशीलन समिति में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने बम बनाना सीखा तथा ब्रिटिश अधिकारियों को निशाना बनाया।
    • क्रांतिकारियों ने कलकत्ता के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस एच. किंग्सफोर्ड को, जो राष्ट्रवादियों के साथ क्रूर व्यवहार के लिये जाने जाते थे, अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाया और खुदीराम तथा प्रफुल्ल चाकी को उनकी हत्या करने के लिये भेजा।
  • बम हमले का प्रयास: 
    • 30 अप्रैल, 1908 को खुदीराम ने क्लब के बाहर किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका, लेकिन इससे बैरिस्टर की पत्नी और बेटी श्रीमती तथा मिस कैनेडी की दुखद मौत हो गई, जबकि किंग्सफोर्ड बच निकला।
  • गिरफ्तारी और परिणाम: 
    • प्रफुल्ल चाकी ने गिरफ्तारी से पूर्व ही आत्महत्या कर ली, जबकि खुदीराम को 25 किमी पैदल चलने के बाद वैनी स्टेशन पर पकड़ लिया; उनकी गिरफ्तारी के समय स्थानीय जनता ने उनकी निर्भीकता और राष्ट्रनिष्ठा की सराहना की।
  • फाँसी और शहादत
    • मुकदमे के बाद, खुदीराम बोस को 11 अगस्त, 1908 को 18 वर्ष की आयु में फाँसी दे दी गई, जो भारत के सबसे कम उम्र के शहीदों में से एक थे।
    • समाचार-पत्रों ने उनकी बहादुरी को उजागर किया गया, उनकी अंतिम यात्रा के दौरान भीड़ ने फूल बरसाए और कवि पीतांबर दास ने प्रसिद्ध बंगाली गीत "एक बार बिदाये दे मा" में उन्हें अमर कर दिया, जिससे बंगाल की लोककथाओं में उनकी विरासत संरक्षित हो गई।
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