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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जनवरी, 2021

  • 01 Jan 2021
  • 6 min read

‘ग्लोबल प्रवासी रिश्ता’ पोर्टल और एप

विदेश मंत्रालय ने हाल ही में दुनिया भर में लगभग 3.12 करोड़ भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़ने के लिये ‘ग्लोबल प्रवासी रिश्ता’ पोर्टल और एप लॉन्च किया है। इस पोर्टल और एप का उद्देश्य विदेश मंत्रालय, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों और प्रवासी भारतीयों के बीच तीन-तरफा कम्युनिकेशन स्थापित करना है। इस मोबाइल एप का उपयोग प्रवासी भारतीयों और भारतीय नागरिकों द्वारा किया जाएगा, जबकि पोर्टल वेब इंटरफेस का उपयोग विदेश में स्थित मिशन द्वारा किया जाएगा। इस एप के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने और उनसे लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त होगा। यह पोर्टल और एप संकट के दौरान भी काफी सहायक होगा तथा भारतीय प्रवासियों को भारत सरकार एवं संबंधित देश के मिशन से संपर्क करने में मदद करेगा। आँकड़ों की मानें तो वर्तमान में विश्व भर में तकरीबन 3.12 करोड़ प्रवासी भारतीय हैं, जिनमें से लगभग 1.34 करोड़ भारतीय मूल के व्यक्ति (PIOs) हैं और 1.78 करोड़ अनिवासी भारतीय (NRIs) हैं। पोर्टल में न केवल प्रवासी भारतीयों के लिये उपयोगी जानकारी जैसे- वीज़ा और पासपोर्ट आदि उपलब्ध होगी, बल्कि इस पर संबंधित मिशन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में भी सूचना दी जाएगी, साथ ही अधिक-से-अधिक भागीदारी के लिये प्रवासी सदस्यों को आमंत्रण भी भेजा जाएगा।

राज्य-संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में बदलना

विपक्षी दलों के विरोध के बीच 126 सदस्यीय असम विधानसभा ने राज्य द्वारा संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित करने के लिये विधेयक पारित कर दिया है। असम निरसन विधेयक, 2020 का उद्देश्य दो मौजूदा अधिनियमों- असम मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम, 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण एवं मदरसा शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम, 2018 को समाप्त करना है। साथ ही सरकार ने राज्य के संस्कृत शिक्षा केंद्रों को भी नियमित स्कूलों में बदलने की योजना बनाई है। असम में तकरीबन 600 से अधिक राज्य संचालित मदरसे और 97 राज्य द्वारा संचालित संस्कृत शिक्षा केंद्र हैं, जिन्हें 1915 में शुरू किया गया था। राज्य सरकार द्वारा इन मदरसों और संस्कृत शिक्षा केंद्रों पर प्रतिवर्ष 260 करोड़ रुपए खर्च किये जाते हैं। विधेयक के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसा संस्थानों को उच्च प्राथमिक, उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में परिवर्तित किया जाएगा, जिनमें शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों की स्थिति, वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।

राजकोट में एम्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसंबर, 2020 को गुजरात के राजकोट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की आधारशिला रखी। इस परियोजना के लिये राज्य में लगभग 201 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। राजकोट के इस एम्स को तकरीबन 1,195 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा, और अनुमान के अनुसार, यह वर्ष 2022 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। 750 बेड के इस अत्याधुनिक अस्पताल में 30 बेड का एक आयुष ब्लॉक भी होगा। इस मेडिकल कॉलेज में 125 MBBS सीटें और 60 नर्सिंग सीटें भी होंगी। वर्तमान में पूरे भारत में कुल 15 एम्स अस्पताल हैं। इस तरह राजकोट एम्स अपने निर्माण के बाद भारत का 16वाँ सार्वजनिक मेडिकल संस्थान होगा। वर्ष 2025 तक आठ और मेडिकल संस्थानों के शुरू होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे देश में मेडिकल अवसंरचना और चिकित्सकों की कमी की समस्या से निपटा जा सकेगा।

‘आकाश’ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वदेशी ‘आकाश’ वायु रक्षा मिसाइल के निर्यात को मंज़ूरी दे दी है। ‘आकाश’ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो लंबी दूरी पर दुश्मन के विमानों का पता लगा सकती है और लगभग 25 किलोमीटर के दायरे में हमला कर सकती है। इसे वर्ष 2014 में भारतीय वायु सेना (IAF) में और वर्ष 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। भारतीय सेना के पास ‘आकाश’ वायु रक्षा प्रणाली की चार इकाइयाँ और भारतीय वायुसेना के पास इस प्रणाली की सात इकाइयाँ मौजूद हैं। ऐसी हथियार प्रणालियों की निर्यात प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये रक्षा मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाने की घोषणा की, जिसमें रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दी गई यह मंज़ूरी रक्षा निर्यात में 5 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

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