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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

ओमिस्योर किट

  • 06 Jan 2022
  • 4 min read

हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने SARS-CoV-2 कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने के लिये ओमिस्योर नाम की एक ‘मेड-इन-इंडिया’ परीक्षण किट को मंजूरी दी है।

  • वर्तमान में देश में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिये उपयोग की जाने वाली किट को अमेरिका स्थित वैज्ञानिक उपकरण कंपनी थर्मो फिशर द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रयोगशाला क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये कुछ उपायों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें कोविड -19 निदान उपकरणों तक पहुँच में असमानताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • ओमिस्योर:
    • यह आरटी-पीसीआर किट ‘टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स’ द्वारा निर्मित की गई है।
      • यह ‘s-जीन टारगेट फेलर’ (एसजीटीएफ) रणनीति का उपयोग करती है।
    • वर्तमान में जीनोम अनुक्रमण के बाद ही ओमिक्रॉन रोगियों का पता लगाया जाता है। 
      • ओमिस्योर टेस्ट किट इस प्रक्रिया को खत्म करने में मदद करती है और आरटी-पीसीआर परीक्षणों के दौरान नासॉफिरिन्जियल/ऑरोफरीन्जियल नमूनों में SARS-CoV2 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाती है।
    • ओमिक्रॉन वेरिएंट के एस-जीन (S-gene) में कई उत्परिवर्तन देखे जाते हैं। एसजीटीएफ रणनीति (SGTF strategy) कोविड पोज़िटिव पाए जाने वाले रोगियों की जाँच करती है एवं इसके लक्षणों को इंगित करती है।
    • 'एस' जीन, ओआरएफ, 'एन' जीन, आरडीआरपी, 'ई' जीन वायरल जीन हैं जिन्हें कोविड-19 वायरस का पता लगाने हेतु लक्षित किया जाता है।
  • WHO का प्रस्ताव:
    • जीनोमिक्स कंसोर्टियम: WHO दक्षिण पूर्व एशिया में SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम स्थापित करने का प्रस्ताव कर रहा है।
      • महामारियों के लिये SARS-CoV-2 वायरल खतरों का पता लगाने और निगरानी हेतु एक मज़बूत क्षेत्रीय प्रणाली विकसित करने के लिये कंसोर्टियम जीनोमिक अनुक्रमण और निगरानी को बढ़ाने में मदद करेगा।
    • जीनोम सीक्वेंसिंग: WHO द्वारा जीनोम अनुक्रमण/जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) को बढ़ाने हेतु आह्वान किया गया था।
      • यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेते समय जीनोमिक डेटा के समय पर उपयोग में सुधार करने और भविष्य के प्रकोप / महामारी के लिये तैयारियों और प्रतिक्रिया को मजबूत करने में भी मदद करेगा।
    • प्रमुख बाधाओं को संबोधित करना: निरंतर दीर्घकालिक परीक्षण और अनुक्रमण क्षमताओं के लिये सीमित प्रशिक्षित कार्यबल तथा अन्य संसाधनों जैसी प्रमुख बाधाओं की जाँच करने की आवश्यकता है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR)

  • ICMR जैव चिकित्सा अनुसंधान के निर्माण, समन्वय एवं संवर्द्धन के लिये भारत का शीर्ष निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1911 में इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन (IRFA) के नाम से हुई थी और वर्ष 1949 में इसका नाम बदलकर ICMR कर दिया गया।
  • यह भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से वित्तपोषित है।

स्रोत: द हिंदू

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