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COVID-19 की तीन अर्द्ध उप-प्रजातियाँ

  • 02 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, COVID-19, राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड

मेन्स के लिये:

COVID-19 की तीन अर्द्ध उप प्रजातियों के फैलने एवं रोकने से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) के अनुसार, COVID-19 की तीन अर्द्ध उप प्रजातियाँ भारत में प्रसारित हो रही हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत में COVID-19 के मामले मुख्य रूप से विदेशों से यात्रा कर लौटने वाले लोगों और उनसे तात्कालिक संपर्कों में आने के कारण फैला है जिससे यह स्पष्ट होता है कि  यह वायरस विदेशों से आया है। 
  • अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि विश्व के अन्य हिस्सों में इस वायरस का व्यवहार कैसा है। 
  • केंद्र सरकार ने COVID-19 के मद्देनज़र वैज्ञानिक एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योगों और नियामक निकायों के बीच समन्वय हेतु एक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी सशक्त समिति का गठन किया है।
  • यह समिति परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाने हेतु अनुसंधान और विकास पर तेज़ी से निर्णय के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर काम करेगी। 
  • वर्तमान समय में भारत को किसी दूसरे देशों से तुलना नही करना चाहिये। इस वायरस से होने वाली बीमारी एवं शारीरिक दूरी बनाए रखने के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिये।
  • ICMR के अनुसार, परीक्षण किट की उपलब्धता तथा मास्क का अंधाधुंध उपयोग अभी भी एक मुद्दा है। 
  • हालाँकि, ICMR इस बात की पुष्टि करता है कि भारत में COVID-19 की तीन अर्द्ध उप प्रजातियाँ भारत में प्रसारित हो रही हैं। 

वर्तमान परिदृश्य:

  • COVID-19 की परीक्षण करने हेतु वर्तमान समय में 129 सरकारी एवं 49 निजी प्रयोगशालाओं को अनुमति दी गई है।
  • निजी प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories-NABL) से मान्यता प्राप्त है।
  • भारत में अब तक 42,788 नमूनों का परीक्षण किया गया है।
  • भारत में 61,000 राहत शिविरों में 6 लाख से अधिक प्रवासियों को रखा गया है।
  • भारत एक या दो महीने में इस महामारी से संक्रमित लोगों की जाँच हेतु स्वदेशी परीक्षण किट बना लेगा जिससे परीक्षण की दर बढ़ जाएगी। 

स्वदेशी निर्माण:

  • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) ने चिकित्सा उपकरणों के निर्माण हेतु एक संघ का गठन किया है।
  • पुणे में एक स्टार्ट-अप द्वारा पहली स्वदेशी परीक्षण किट का निर्माण होगा जो एक सप्ताह में लगभग एक लाख परीक्षण किट किया जायेगा।
  • वेंटिलेटर, परीक्षण किट, इमेजिंग उपकरण, अल्ट्रासाउंड और उच्च अंत रेडियोलॉजी उपकरण का स्वदेशी निर्माण विशाखापत्तनम में होगा जहाँ अप्रैल के पहले सप्ताह में विनिर्माण शुरू हो जाएगा।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद

(Indian Council of Medical Research- ICMR):

  • ICMR जैव चिकित्सा अनुसंधान के समन्वय और प्रचार के लिये दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा अनुसंधान निकायों में से एक है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1911 में इंडियन रिसर्च फंड एसोसिएशन (Indian Research Fund Association-IRFA) के नाम से हुई थी बाद में वर्ष 1949 में इसका नाम बदलकर ICMR रखा गया। 
  • इसे भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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