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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उन कारकों का विश्लेषण कीजिये जिनके कारण सिंधु घाटी सभ्यता का उत्थान और पतन हुआ। मानव इतिहास में इस सभ्यता के प्रमुख योगदान क्या रहे हैं? (250 शब्द)

    19 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका: सिंधु घाटी सभ्यता के परिचय के साथ अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये
    • मुख्य भाग: सिंधु घाटी सभ्यता के उत्थान और पतन के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये
    • निष्कर्ष: निष्कर्ष में प्रमुख योगदानों का सारांश लिखिये।

    भूमिका:

    सिंधु घाटी सभ्यता एक कांस्य युगीन सभ्यता थी, जो दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में जो 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक चली थी, और 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक अपने परिपक्व रूप में थी। यह मिस्र और मेसोपोटामिया के साथ प्राचीन विश्व की तीन प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी। इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता के उत्थान और पतन के लिये विभिन्न कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है जिन्होंने इसको एक नया आकार प्रदान किया।

    मुख्य भाग:

    कई प्रमुख कारकों के कारण सभ्यता का उत्थान और विकास हुआ:

    • भौगोलिक स्थिति: सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के घाटियों में उपजाऊ भूमि एवं जल संसाधनों की उपलब्धता ने कृषि और सिंचाई तथा खाद्य उत्पादन के अधिशेष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे शहरी केंद्रों का विकास और जनसंख्या में वृद्धि हुई।
    • व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: सिंधु घाटी सभ्यता के पड़ोसी क्षेत्रों और दूरस्थ देशों, जैसे मेसोपोटामिया, मध्य एशिया और फारस की खाड़ी के साथ व्यापक व्यावसयिक संबंध थे, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक समृद्धि और मूल्यवान संसाधनों के आयात में मदद मिली।
    • नगर-नियोजन और बुनियादी ढाँचा: सभ्यता ने उन्नत नगर-नियोजन और स्थापत्य तकनीकों को प्रदर्शित किया। इसके मुख्य विशेषता सुव्यवस्थित नगर नियोजन , पकी हुई ईंट से बने घर, विस्तृत जल निकासी व्यवस्था, जल आपूर्ति नेटवर्क, सार्वजनिक स्नानागार, अन्न भंडार और बड़े गैर-आवासीय भवन थे। यह कुशल आधारभूत संरचना एक अच्छी तरह से संरचित समाज को दर्शाती है।
    • तकनीकी प्रगति: सिंधु घाटी सभ्यता ने विभिन्न शिल्प और प्रौद्योगिकियों में उल्लेखनीय कौशल का प्रदर्शन किया। मिट्टी के बर्तनों, मुहरों, मोतियों, आभूषणों, टेराकोटा की मूर्तियों, कांस्य के औज़ारों व हथियारों, और मानकीकृत वज़न एवं माप जैसी कलाकृतियों के उनके उत्पादन ने उनकी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया तथा आर्थिक विकास में योगदान दिया।

    हालाँकि, सिंधु घाटी सभ्यता को उन चुनौतियों का सामना करना पड़ा जो अंततः इसके पतन का कारण बनीं:

    • पर्यावरणीय परिवर्तन: इस क्षेत्र ने जलवायु और जल विज्ञान में बदलाव का अनुभव किया, जिसमें मानसून की वर्षा में कमी, नदी के मार्ग में परिवर्तन और बाढ़ एवं सूखे की घटनाओं में वृद्धि शामिल है। इन पर्यावरणीय परिवर्तनों ने कृषि, जल उपलब्धता और सभ्यता की समग्र स्थिरता को प्रभावित किया।
    • आक्रमण और पलायन: बाहरी समूहों के आगमन, संभवतः मध्य एशिया से इंडो-आर्यन, इस क्षेत्र में नए सांस्कृतिक तत्वों और भाषाओं को लेकर आए। इन प्रवासन और संभावित आक्रमणों ने सभ्यता के सामाजिक सामंजस्य और राजनीतिक स्थिरता को बाधित किया।
    • व्यापार और संसाधनों में गिरावट: अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार और वाणिज्य में गिरावट के परिणामस्वरूप सिंधु लोगों की आय और प्रभाव में कमी आई। शहरी बुनियादी ढाँचे और सार्वजनिक सेवाओं में गिरावट ने निवासियों के जीवन एवं स्वास्थ्य की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया।

    इसके पतन के बावजूद, सिंधु घाटी सभ्यता ने मानव इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया:

    • नगर-नियोजन और इंजीनियरिंग: सभ्यता की परिष्कृत नगरीय योजना और इंजीनियरिंग प्रणाली, जिसमें जल निकासी, जल प्रबंधन और स्वच्छता शामिल है, ने लोक कल्याण के लिये उच्च मानक निर्धारित तथा भविष्य की सभ्यताओं को प्रभावित किया।
    • भौतिक संस्कृति और शिल्प संबंधी कौशल: सिंधु लोगों की विविध और समृद्ध भौतिक संस्कृति, जिसमें उनके मिट्टी के बर्तन, मुहरें, आभूषण और कांस्य उपकरण शामिल हैं, ने उनकी कलात्मक उत्कृष्टता एवं तकनीकी नवाचार का प्रदर्शन किया।
    • मिश्रित समाज और संभावित साक्षरता: एक संभावित लेखन प्रणाली के साथ एक मिश्रित समाज के अस्तित्व ने संचार, रिकॉर्ड रखने और धार्मिक विश्वासों एवं कलात्मक रचनात्मकता की अभिव्यक्ति का संकेत दिया।
    • शांतिपूर्ण सभ्यता: पुरातात्विक रिकॉर्ड में हिंसा और युद्ध के स्पष्ट संकेतों की अनुपस्थिति एक शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण सभ्यता का सुझाव देती है, जिसने सामाजिक व्यवस्था और सांस्कृतिक एकता को बनाए रखा।

    निष्कर्ष:

    सिंधु घाटी सभ्यता भौगोलिक, व्यापारिक, नगर-नियोजन और प्रौद्योगिकी के कारण के कारण परिपक्व थी। पर्यावरणीय परिवर्तनों, आक्रमणों और आर्थिक चुनौतियों के कारण इसमें गिरावट आई। इसके योगदान में प्रारंभिक शहरीकरण, उन्नत इंजीनियरिंग, समृद्ध भौतिक संस्कृति, शांतिपूर्ण और मिश्रित समाज के संकेत शामिल हैं।

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